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Saturday, November 29, 2008

14. भाषाई अकादमियों के दिन बहुरेंगे

भाषाई अकादमियों के दिन बहुरेंगे
29 Nov 2008, 11:59 pm
http://in.jagran.yahoo.com/news/local/bihar/4_4_5031271.html
पटना : भाषाई अकादमियों के दिन बहुरेंगे। राज्य सरकार द्वारा अकादमियों को बेहतर बनाने का प्रयास किया जा रहा है। मानव संसाधन विकास ने जो 'ब्लू-प्रिंट' तैयार किया है, उस कार्य योजना में भाषाई अकादमियों में शोध से लेकर पाण्डुलिपियों के प्रकाशन और फिर उसकी बिक्री तक की व्यवस्था शामिल की गयी है। लोक भाषाओं से जुड़ी संस्थानों में शोध और प्रकाशन पर जोर दिया गया है। अकादमियों में खाली पदों को भरा भी जाएगा। यहां तक कि भोजपुरी अकादमी, मगही अकादमी, संस्कृत अकादमी, मैथिली अकादमी, अंगिका अकादमी और बज्जिका अकादमी जैसी संस्थाओं को एक ही परिसर में निर्मित भवन में 'शिफ्ट' किया जाएगा, जिसके लिए सैदपुर में स्थल निरीक्षण तक हो चुका है। फिलहाल वर्षो से भाषाई अकादमियां किराये के मकान में संचालित हैं।
आधिकारिक सूत्रों से मिली जानकारी के अनुसार, राज्य सरकार ने भाषाई अकादमियों को उनके उद्देश्य प्राप्ति तक ले जाना चाहती है। कई अकादमियां तो जर्जर हालत में हैं। अकादमियों का कायाकल्प करना पहली प्राथमिकता तय की गयी है। अकादमियों में आधारभूत संरचना निर्माण पर बल दिया जा रहा है। अकादमियों के उद्देश्य लोक भाषा की समृद्धि और उनपर शोध तथा पाण्डुलिपियों का प्रकाशन करना है, जिसे बढ़ावा दिया जाएगा। प्रकाशित कृतियों की बिक्री की व्यवस्था करायी जाएगी। अनुसंधान कर्ता समेत अन्य खाली पदों को भरा जाएगा। यहां तक कि मानव संसाधन विकास विभाग ने भाषाई अकादमियों को बिहार राष्ट्रभाषा परिषद के परिसर में शिफ्ट करने की योजना बनायी है। बिहार राष्ट्रभाषा परिषद और उससे सटे संस्कृत विद्यालय की खाली भूखंड का चयन किया गया है, जहां भाषाई अकादमियों हेतु भवन निर्माण कराया जाएगा। भवन निर्माण के बाद किराये के मकान में संचालित भाषाई अकादमियों को उनमें शिफ्ट कराया जाएगा।

Saturday, November 22, 2008

13. कंप्यूटरवा त जंखियाइये गेलै, सिखबै कहिया

http://www.hindustandainik.com/news/2031_2221017,0060.htm
कंप्यूटरवा त जंखियाइये गेलै, सिखबै कहिया
शनिवार, 22 नवम्बर 2008 01:09
मदन
भागलपुर, 22 नवंबर

निम्न मध्य वर्गीय बच्चों के लिए कंप्यूटर की पढ़ाई किसी ख्वाब की मानिंद है। अंग्रेजी स्कूलों के बच्चे एक ओर जहां कंप्यूटर के साथ खेलते हैं वहीं सरकारी स्कूल के बच्चों ने अब तक कम्प्यूटर को छुआ तक नहीं है। ठीक पांच साल पहले बच्चों को तकनीकी शिक्षा से जोड़ने के लिए जिला स्कूल में कंप्यूटर सोसाइटी केन्द्र खोला गया लेकिन कक्षाएं आज तक शुरू नहीं हो सकी हैं। इस केन्द्र में 50 कंप्यूटर लगाए गए थे। इनमें से 20 डीआरडीए भवन में तो 2 डीईओ कार्यालय में हैं। शेष 28 में से महज 13 ही ठीक हैं।

उपयोग में नहीं लाने के कारण शेष खराब हो चुके हैं। इस केन्द्र को चलाने के लिए निर्मित भवन के दरवाजे और खिड़कियां भी जर्जर हो चुके हैं। दरवाजे टूटे चुके हैं तो खिड़कियों के शीशे चटख गए हैं। ढाल होने के बावजूद भवन की छत से बारिश का पानी टपकता है। भवन में कंप्यूटर असुरक्षित होने के कारण इसे स्कूल के एक कमरे में रखा गया है। केन्द्र में आठवीं से दसवीं कक्षा के निम्न मध्य वर्गीय लड़के-लड़कियों को न्यूनतम शुल्क पर कंप्यूटर ट्रेनिंग देने की योजना थी। इसके लिए स्कूल के ही तीन शिक्षक चमकलाल यादव, कपिलदेव प्रसाद यादव और भूम बाबू चौधरी ने कंप्यूटर की ट्रेनिंग भी ली। इसके तहत 50 लड़कों का एक बैच बनना था और 5 बैच चलाने की बात थी। लेकिन इस दिशा में कोई पहल नहीं हुई। पिछले जनवरी महीने में कुछ पहल हुई लेकिन कोई नतीजा सामने नहीं आ सका।

केन्द्र के कमेटी अध्यक्ष जिलाधिकारी हैं। एनआईसी के पदाधिकारी, स्कूल के प्राचार्य और डीईओ सदस्य हैं। इस बाबत स्कूल के प्राचार्य नीतीश चंद्र मंडल बताते हैं कि जब तक विभाग से कोई दिशा निर्देश नहीं आता है तब तक इस संबंध में कुछ भी नहीं कहा जा सकता है। डीईओ मधुसूदन पासवान भी इस संबंध में कुछ कहने से अपने को असमर्थ बताते हैं।

Wednesday, November 05, 2008

12. आगामी लोस चुनाव में मगही मंडप मगही भाषा को मुद्दा बनायेगा

http://in.jagran.yahoo.com/news/local/bihar/4_4_4937734_1.html

आगामी लोस चुनाव में मगही मंडप मगही भाषा को मुद्दा बनायेगा

24 Oct 2008, 08:39 pm


शेखपुरा आसन्न लोकसभा चुनाव में मगही मंडप मगही भाषा को संविधान की आठवीं अनुसूची में शामिल किये जाने को प्रमुख मुद्दा बनाया जायेगा। इसके लेकर मगही मंडप में छठ पूजा के बाद इस पूरे क्षेत्र में जनसंपर्क अभियान शुरू करने का निर्णय लिया गया है। इसकी जानकारी मगही मंडप के जिलाध्यक्ष रामचन्द्र ने दी। उन्होंने आरोप लगाया कि राजनीतिक साजिश के तहत मगही भाषा की उपेक्षा की जा रही है तथा मगही को संविधान की आठवीं अनुसूची में शामिल नहीं किया जा रहा है। उन्होंने बताया कि मगही भाषा-भाषी 40 लाख मतदाता बिहार के सात लोकसभा क्षेत्रों के चुनाव परिणाम को प्रभावित करने की स्थिति में है। इनमें जमुई, मुंगेर, नवादा, नालंदा, जहानाबाद, पटना तथा औरंगाबाद, गया का लोकसभा क्षेत्र शामिल है। रामचन्द्र ने बताया कि मगही मतदाताओं तथा आम लोगों को इस बात के लिए प्रेरित किया जायेगा कि लोकसभा चुनाव के लिए वोट मांगने वाले प्रत्याशी से पहले यह शपथ लिया गया कि वह सांसद चुने जाने के बाद संसद में मगही भाषा को आठवीं अनुसूची में शामिल करने की बात उठायेगा। रामचन्द्र ने कहा कि मगही भाषा की उपेक्षा करने वाले लोस प्रत्याशी को वोट नहीं दिया जायेगा। उन्होंने कहा कि करीब 5 करोड़ लोग मगही भाषा का उपयोग अपनी बोलचाल में करते है, मगर इसे अभी तक उपेक्षित रखा गया है जबकि लाख की संख्या में बोली जाने वाली भाषाओं को संविधान की आठवीं अनुसूची में शामिल किया गया है।

Sunday, October 19, 2008

11. मगही कोश - हिंदी लोक शब्दकोश परियोजना के अंतर्गत

हिंदी लोक शब्दकोश परियोजना के अंतर्गत मगही कोश

केन्द्रीय हिंदी संस्थान में चल रही हिंदी लोक शब्दकोश परियोजना के अंतर्गत हिंदी परिवार की 48 लोकभाषाओं के 48 खण्डों में बनने वाले शब्दकोशों में मगही कोश भी एक है । विस्तृत सूचना के लिए यहाँ देखें -

http://www.hindisansthan.org/hi/project/Hindi-Lok-Shabd-Kosh.htm

केंद्रीय हिंदी संस्थान का मुख्यालय आगरा (स्थापित 1961) है । इसके अन्य केन्द्र हैं -- दिल्ली (स्थापित 1970), हैदराबाद (1976), गुवाहाटी (1978), शिलांग (1976; 1978 में केंद्र गुवाहाटी स्थानान्तरित हो जाने के बाद पुनःस्थापित 1987), मैसूर (1988), दीमापुर (2003), भुवनेश्वर (2003), अहमदाबाद (2006) ।

10. मगही लोक संस्कृति का साक्षात्कार है कौमुदी महोत्सव

http://in.jagran.yahoo.com/news/local/bihar/4_4_4911891.html
मगही लोक संस्कृति का साक्षात्कार है कौमुदी महोत्सव
15 Oct 2008 10:28 pm

बोधगया (गया)। कौमुदी महोत्सव लोक कलाओं को भाषा, साहित्य और संस्कृति के जीवन मूल्यों को संरक्षित कर रहा है। आज जब जीवन मूल्य बाजारवादी अपसंस्कृति में तब्दील होते जा रहे हैं। वैसे समय में कौमुदी महोत्सव हमे अपने जड़ों से जुड़े रखने का कार्य कर रहा है। मंगलवार को आश्विन पूर्णिमा की रात आजाद पार्क परिसर लोकप्रिय गीत, मगही नाटिका, एकांकी, अंधविश्वास पर आधारित जनगीतों और कविता से गुजांयमान रहा। महोत्सव का उद्घाटन बिहार प्रगतिशील लेखक संघ के उपाध्यक्ष त्रिवेणी शर्मा सुधाकर ने क्रांतिकारी शायर मखदूम मोहिउद्दीन के चित्र पर माल्यार्पण कर किया। कार्यक्रम में शहर के विभिन्न स्कूलों के छात्रों, नवादा की कला संस्था सृष्टि के अलावा पटना, हिसुआ, कोच, गुरारू, बराचट्टी और मानपुर के ग्रामीण कलाकारों की प्रस्तुति ने दर्शकों को प्रभावित किया। आगत कलाकारों व कलाप्रेमियों का स्वागत उत्सव के संयोजक सुरेन्द्र सिंह सुरेन्द्र ने की। इस अवसर पर जिला हिन्दी साहित्य सम्मेलन के महामंत्री डा. राधानंद सिंह ने स्मारिका का लोकार्पण किया। उत्सव का समापन हम होंगे कामयाब एक दिन..गीत से किया गया।

Monday, August 25, 2008

9. उदन्तपुरी में मगही कवि-सम्मेलन का आयोजन

http://in.jagran.yahoo.com/news/local/bihar/4_4_4756740.html

उदन्तपुरी में मगही कवि-सम्मेलन का आयोजन

25 Aug 2008 09:45 pm

वेन (नालंदा) उदन्तपुरी बौद्ध विश्व विद्यालय एवं शैक्षणिक विकास संस्थान के तत्वावधान में नालंदा स्मृति परिसर में सोमवार को एक सेमिनार व मगही कवि-सम्मेलन का आयोजन किया गया। इस मौके पर विवि के संस्थापक डा. गोपाल ने कहा कि बुद्ध पूर्णिमा के दिन से ही नालंदा में उदंतपुरी बौद्ध विवि का प्रारंभ किया गया। नालंदा में केन्द्र सरकार से नव नालंदा महाविहार लघु विवि. की स्थापना की गयी, जबकि बिहार सरकार द्वारा नालंदा खुला विवि व नालंदा विवि की स्थापना की गयी। अब नालंदावासी प्राचीन उदंतपुरी विवि बनाने की पहल शुरू कर दी है। इसी के मद्देनजर रविवार को उदंतपुरी विवि पर एक सेमिनार का आयोजन किया गया जिसकी अध्यक्षता डा. गोपाल शरण ने की। मुख्य अतिथि शिवनंदन प्रसाद केसरी ने नालंदा प्राचीन गौरव गरीवा एवं उदंतपुरी विवि की चर्चा की। प्रो. प्रभाकर मिश्र ने बुद्ध के अष्टांगिक मार्ग की चर्चा की एवं उसी मार्ग पर चलकर उदंतपुरी विवि बनाये जाने की बात कही। इस मौके पर डा. देवेन्द्र प्रसाद, प्रभाकर प्रसाद, शैलेन्द्र कुमार, उमेश प्रसाद, ईश्वर प्रसाद मय, शिवमणि प्रसाद, प्रियरंजन, नवीन, विनोवाजी, येगोतार, हेगोयल, रगोयहम, जयनारायण, राजेश्वरी प्रसाद, मथुरा प्रसाद, कैलाश प्रसाद आदि ने उदंतपुरी विवि को भरपूर मदद करने की बात कही। कवि सम्मेलन में महावीर नाथ, उमेश प्रसाद, ईश्वर प्रसाद मय, शिवमणि प्रसाद, शिवनंदन प्रसाद केसरी आदि कवियों ने नालंदा, मगध, उदंतपुरी, बरसात, तुलसी, वीर कुंवर सिंह पर कविता कर लोगों को सराबोर किया।

Friday, July 18, 2008

8. मगही भाषा के विकास के लिए हर संभव प्रयास

http://in.jagran.yahoo.com/news/local/bihar/4_4_4619958.html

मगही भाषा के विकास के लिए हर संभव प्रयास : जीतन
Jul 10, 11:40 pm [2008 Thursday]

पटना: डा. रामप्रसाद सिंह साहित्य पुरस्कार समारोह में मगही भाषा को संविधान की आठवीं अनुसूची में शामिल करने की मांग जोरदार ढंग से उठी। समारोह का आयोजन अखिल भारतीय मगही साहित्य सम्मेलन एवं मगही अकादमी के संयुक्त तत्वावधान में गुरुवार को अनुग्रह नारायण सिंह समाज अध्ययन शोध संस्थान में किया गया। इस अवसर पर मगही के उत्कृष्ट सेवा के लिए रामदास आर्य उर्फ घमंडी राम और मैथिली के विद्वान मोहन भारद्धाज को डा. रामप्रसाद सिंह साहित्य पुरस्कार से सम्मानित किया गया। समारोह का उद्घाटन करते हुये अनुसूचित जाति एवं अनुसूचित जनजाति कल्याण मंत्री जीतन राम मांझी ने कहा कि बुद्ध काल की भाषा मगही उपेक्षा की शिकार है। मगही भाषा के विकास कराने के लिए हर संभव प्रयास करेंगे। सर्वव्यापी भाषा मगही को संविधान की आठवीं अनुसूची में शामिल किया जाना चाहिए। इस अवसर पर बिहार राष्ट्रभाषा परिषद सह हिन्दी ग्रंथ अकादमी के निदेशक प्रो. रामबुझावन सिंह ने कहा कि मां के दूध की तरह मातृभाषा का संबंध है। किसी भी मातृभाषा के विरोधी नहीं हैं। हिन्दी के विकास के साथ-साथ मगही सहित सभी क्षेत्रीय भाषाओं का होना चाहिए। समारोह में प्रो. राम प्रसाद सिंह ने भी भाग लिया। समारोह की अध्यक्षता लालमणि कुमारी तथा स्वागत भाषण मगही अकादमी के अध्यक्ष सह निदेशक विनोद कुमार कर्ण ने किया। इस अवसर पर मैथिली अकादमी के अध्यक्ष रघुवीर मोरी, प्रो. उमाशंकर सुमन, सहित्यकार प्रो. बीएन विश्वकर्मा, राज कुमार प्रेमी आदि ने भाग लिया।

Saturday, April 12, 2008

7. नवादा जिला स्थापना समारोह में मगही कवि-सम्मेलन

बिहार मगही मंडप के बैनर के नीचे 27 जनवरी के नवादा जिला बने के उपलक्ष में 34वाँ स्थापना दिवस के समारोह होयल । नवादा जिला प्रशासन के सहयोग से बिहार मगही मंडप के अध्यक्ष रामरतन प्रसाद सिंह 'रत्नाकर' के अध्यक्षता में नवादा नगर भवन में भेल । ई समारोह में मगही कवि-सम्मेलन के सफल आयोजन भी होयल ।

कड़ाके के जाड़ा आउ रात के समय में नवादा के विकास आयुक्त अरुण कान्त शरण आउ नवादा ए॰डी॰एम॰ सत्यनारायण दीप जला के कार्यक्रम के उद्घाटन कयलन ।

ई कवि-सम्मेलन में नवादा, नालन्दा, गया आउ पटना के बीस गो कवि लोग उपस्थित होलन । मगही कवि योगेश्वर प्रसाद सिंह 'योगेश' सब कवि के आउ उपस्थित प्रशासक के कविता में परिचय देलन । फिन 'हम्मर मोछ निहारऽ' कविता सुना के लोग सबके खूब हँसयलन -
कवि योगेश महामूरख हथ मोछ नयँ कभी कटैलन ।
बकलोलन के बीच पहुँच के कविता खूब सुनैलन ।।


कवि-सम्मेलन में जयराम देवसपुरी के कविता 'ससुराल के हाल की कहियो' सुन के उपस्थित महिला श्रोता खूब ताली बजयलन । इनका अलावे कृष्ण कुमार भट्टा, उदय भारती, सिद्धेश्वर सिंह, डॉ॰ संजय कुमार दीपांसू आउ दोसर कवि सब कविता सुनयलन ।

--- रामरतन प्रसाद सिंह 'रत्नाकर', अलका मागधी, अप्रैल 2008, पृ॰ 4

6. मगही विडियो-कैसेट के लोकार्पण

मगही क्षेत्र के चर्चित संस्था 'मगही विकास मंच, जहानाबाद' के तरफ से मगही कवि-सम्मेलन के विडियो-कैसेट जारी करल गेल । शहर के राजा बाजार स्थित मगही विकास मंच कार्यालय में एकर लोकार्पण 4 जनवरी 2008 के कैल गेल । कवि-सम्मेलन के तीन कैसेट क्रमशः 'बिहान', 'खोईंछा' आउ 'फुहार' के लोकार्पण मगही के प्रसिद्ध कवि राम विनय शर्मा 'विनय' के हाथ से होएल । तीनों कैसेट में आठ-आठ गो कवि के जनप्रिय कविता के शामिल करल गेल हे । ई कैसेट के निर्माता अरविंद कुमार मिश्र, सह-निर्माता अमर अलंकृत आउ निर्देशक विनीत कुमार मिश्र 'अकेला' हथ । एम॰व्ही॰एम॰ (मगही विकास मंच) प्रोडक्शन से जारी कैसेट के विशेषता ई हे कि अगर देखेओला लोग एक्को गो कैसेट के देखतन त उनका कैसेट पूरा लगत । समसामयिक, हास्य-व्यंग्य, विरह आउ शृंगार से ओतप्रोत कविता रहे से दर्शक पूरा कैसेट देखते रह जएतन आउ पतो न चलत कि कइसे समय बीत गेल । एकर पहिले भी मगही विकास मंच के तरफ से 'हथिया-हथिया शोर कएलऽ' (बिआह गीत) आउ 'चढ़ल सवनवाँ' (काँवर गीत) जारी करल गेल हल । कवि सम्मेलन के कैसेट के दाम पचीस रुपइया (प्रति कैसेट) रक्खल गेल हे । ई एगो सराहनीय कदम हे ।

--- अजीत कुमार मिश्र 'अविनाश', अलका मागधी, अप्रैल 2008, पृ॰ 4

5. मगही गेयान विकास मंच के गठन

मगही भासा आउ साहित के विकास लेल गया के मगही साहितकार आउ परेमी लोग 'मगही गेयान विकास मंच, गौतम बुद्ध कॉलनी, डेल्हा, गया' के नाम से एगो संस्था बनौलन हे । ई संस्था के अध्यक्ष वासुदेव प्रसाद आउ सचिव मुद्रिका सिंह के मनोनीत करल गेल हे । समिति के कोषाध्यक्ष सुमंत जी हथ । ई संस्था मगही के प्रचार-प्रसार के अलावे साहित्यिक आउ सांस्कृतिक कार्यक्रम भी चलावत । समिति के मुख्य सदस्य में अनिल कुमार वर्मा, उपाध्यक्ष; कृष्णचन्द्र वर्मा, उपसचिव; राजेन्द्र प्रसाद, नवीन कुमार मिश्र, रामसुन्दर प्रसाद सिंह आउ बंशी शरण सिंह हथ । संस्था के तरफ से मगही के अठमा सूची में सामिल करे लेल आउ पहिला किलास से उपर किलास तक मगही के पढ़ाई सुरू करावे लेल प्रमुख प्रस्ताव पारित करल गेल हे ।

--- कृष्णचन्द्र वर्मा, अलका मागधी, दिसम्बर 2007, पृ॰ 4

4. मगही के अधिकार की लड़ाई

http://in.jagran.yahoo.com/news/local/bihar/4_4_4241223.html

मगही के अधिकार की लड़ाई में सहयोग करेंगे : रामाश्रय
Mar 06, 10:20 pm

वारिसलीगंज(नवादा): स्वामी सहजानंद सरस्वती की मूर्ति अनावरण समारोह में बुधवार को मगही भाषा के अधिकार की लड़ाई का मुद्दा छाया रहा। अनावरण के बाद सभा को सम्बोधित करते हुए राज्य सरकार के मंत्री रामाश्रय प्रसाद सिंह ने कहा कि समाज में स्थान बना चुके लोग मगही बोलने में संकोच नहीं करें। जब आप मगही का प्रयोग स्वयं करेंगे तभी इसे संविधान की आठवीं अनुसूची में शामिल करने की मांग का औचित्य सिद्ध हो सकेगा।

इस अवसर पर मगही को समृद्ध बनाने व इसकी रचनाओं के संग्रह में महत्वपूर्ण योगदान के लिए उन्होंने पत्रकार व मगही रचनाकार रामरतन सिंह रत्‍‌नाकर की भी प्रशंसा की। उन्होंने कहा कि श्रीसिंह एकेडमी के सदस्य होने के वाजिब हकदार हैं। उन्होंने कहा कि मगही को संविधान की आठवीं अनुसूची में स्थान दिलवाने की लड़ाई हो या भाषा के विकास के लिये रचनाओं का प्रकाशन, श्री रत्‍‌नाकर का काफी योगदान रहा है। वहीं मंत्री की सभा को श्री रत्‍‌नाकर द्वारा हिन्दी में सम्बोधन पर मंत्री जी ने चुटकी लेते हुए कहा कि रत्‍‌नाकर जी, तू जब मगही में बोलो हो तबे ज्यादे अच्छा लगो हो। इस अवसर पर श्रीसिंह ने कहा कि इस भाषा के विकास के लिए वे सहयोग करने को तैयार हैं। उन्होंने कहा कि इस भाषा में अच्छी रचना करने वाले साहित्यकारों को सम्मानित किया जाना चाहिए।

Friday, April 11, 2008

3. मगही की पहली फिल्म बनाएंगे संतोष

http://www.hindustandainik.com/news/2031_1779125,0065000300000009.htm

सोमवार, 28 अगस्त, 2006 00:17 IST

मगही की पहली फिल्म बनाएंगे संतोष

एक संवाददाता
औरंगाबाद, 27 अगस्त

क्षेत्रीय फिल्मों की बढ़ती हुई लोकप्रियता को देखते हुए अब मगही भाषा को ध्यान में रखते हुए फिल्म बनाई जा रही है । मगही भाषा की पहली रंगीन फिल्म प्रख्यात निदेशक संतोष बादल ने बनाने का निर्णय लिया है । टीवी सीरियल, 'क्यूंकि सास भी कभी बहू थी, कसौटी जिंदगी की, कुसुम, सारथी, कहानी घर-घर की' का निदेशन कर चुके संतोष बादल द्वारा मगही फिल्म 'मगहिया जवान' बनाई जा रही है । फिल्म लगभग 40 लाख की बजट की है । इस आलोक में निदेशक ने बताया कि इसकी सारी तैयारी लगभग पूरी हो चुकी है तथा महापर्व छठ के शुभ अवसर पर देव से फिल्म की शूटिंग प्रारंभ होगी ।

फिल्म निदेशक श्री बादल इस फिल्म में स्वयं मुख्य कलाकार की भूमिका भी निभाएंगे । फिल्म की नायिका की तलाश जारी है । इस फिल्म में 10 गाने होंगे । निदेशक संतोष बादल के अनुसार फिल्म दो भाइयों के बीच की कहानी है तथा पूरी कथा इन्हीं दो भाइयों के इर्द-गिर्द घूमती रहती है । गानों के माध्यम से मगध क्षेत्र की संस्कृति व सभ्यता को उभारने की कोशिश की गई है । गानों के ऑडियो कैसेट 24 सितम्बर को रिलीज़ किए जाएंगे ।

2. मगही भाषा के प्रचार प्रसार पर हुई चर्चा

http://www.hindustandainik.com/news/2031_2040277,0065000300000004.htm

सोमवार , 24 सितंबर , 2007 01:36 IST

एक संवाददाता

बिहटा, 24 सितंबर

बिहटा के रामजानकी मंदिर में भारतीय मगही मंडल की बैठक प्रो. रामनाथ शर्मा की अध्यक्षता में हुई। बैठक में मगही भाषा के प्रचार प्रसार पर विशेष रूप से चर्चा की गई। इसके लिए मगही भाषी लोगों को सामान्य बोल चाल की भाषा में मगही का इस्तेमाल करने के लिए जनसंपर्क चलाने का निर्णय लिया गया। वहीं त्रैमासिक पत्रिका गौतम निकालने पर विचार-विमर्श हुआ। आगामी 28 अक्टूबर को दानापुर में भारत स्तर का मगही कवि सम्मेलन आयोजन करने का निर्णय भी बैठक में लिया गया।

बैठक का समापन कवि चतुरानन मिश्रा के द्वारा नैनन सोभल काजल से एवं प्रो. महेश शर्मा के द्वारा भईया हो तु बिहार के बचइह नामक कविता पाठ के साथ हुआ। बैठक में उपस्थित लोगों में डा. भरत सिंह, प्रो. महेश शर्मा, सिद्धनाथ शर्मा, शशि भूषण यादव, चतुरानन मिश्र, प्रो. सुभाष चन्द्र किंकर, नीरज कुमार, नरेन्द्र दास, विवेकानन्द बुद्धदेव सिंह, प्रो. सुनील शर्मा आदि प्रमुख थे।

1. मगही भाषा को अष्टम सूची में शामिल करने को ले धरना

http://in.jagran.yahoo.com/news/local/bihar/4_4_4044154.html

मगही भाषा को अष्टम सूची में शामिल करने को ले धरना
Jan 01, 11:04 pm

जहानाबाद। स्थानीय अरवल मोड़ के समीप मगही विकास मंच के जिला इकाई की तत्वावधान में मंगलवार को मगही भाषा को संविधान की अष्ठम अनुसूची में शामिल करने की मांग को लेकर धरने का आयोजन किया गया। इस अवसर पर मुरारी शरण पाण्डेय ने अपनी अध्यक्षीय भाषण में कहा कि मगही एक गरिमामयी भाषा है। इसकी संव‌र्द्धन तथा रक्षा के लिए राजनेताओं को तैयार होना होगा। रामनिवास शर्मा ने कहा कि मगही के आठवीं अनुसूची में नहीं शामिल किए जाने के कारण मगही भाषियों को नुकसान उठाना पड़ रहा है। अशोक समदर्शी ने कहा कि हम सभी मगही भाषा वाले लोगों को अपनी भाषा के लिए हर कीमत चुकाने के लिए तैयार रहने की आवश्यकता है। इस मौके पर राजेन्द्र श्रुतीन्द्र, नरेश कुमार गुलशन, अरविन्द कुमार आजांस, चितरंजन कुमार चैनपुरा, दशरथ प्रसाद, विनीत कुमार मिश्र, विश्व जीत कुमार अलबेला, अजय विश्वकर्मा अप्पु, नूतन, राजेन्द्र सिंह तथा मधुसूदन सिंह समेत कई लोगों ने अपना विचार व्यक्त किये।

Sunday, February 03, 2008

5. जयनाथपति

जयनाथपति (1880-1940) (मगही के प्रथम उपन्यासकार) -- नवादा के मुख्तार जयनाथ पति का जन्म ग्राम - शादीपुर, पो० - कादरीगंज, जिला - नवादा । सर्वप्रथम मगही में 'सुनीता' (1927) नामक उपन्यास प्रकाशित । इसकी समीक्षा सुनीति कुमार चटर्जी ने Modern Review के अप्रैल 1928 अंक में की । लेखक का दूसरा उपन्यास 'फूल बहादुर' (अप्रैल 1928; द्वितीय संस्करण अप्रैल 1974) प्रकाशित हुआ जिसके मुखबंध में वर्णित तथ्य से पता चलता है कि 'सुनीता' की रचना और मुद्रण बड़ी जल्दी में किया गया है । "परसाल बंगला के उत्पत्ति और विकास में मासूक के लिक्खा धिक्कार पढ़ला से हम ठान लेलूं के नुकल रहला से अब बने के नै, छौ-पाँच करते-करते बेकाम कैले खतम हो जाय के हे । एहे से तीन चार दिन में 'सुनीता' लिख के छापाखाना में भेजल गेल और एतना जल्दी में ऊ छपल के पूरा तरीका से ओकर प्रूफ भी नै ठीक कैल जा सकल ।" डॉ० रामनन्दन के अनुसार इसका नामकरण बंगला के विद्वान् और प्रसिद्ध भाषाशास्त्री डॉ० सुनीति कुमार चटर्जी के नाम पर किया गया है क्योंकि इसकी रचना लेखक ने उनके लेख से प्रभावित होकर किया था । इसकी मूल प्रति अब अनुपलब्ध है ।

'सुनीता' एक सामाजिक उपन्यास है जिसमें अनमेल विवाह में उत्पन्न समस्या को उजागर किया गया है । उपन्यास की नायिका सुनीता उच्च वर्गीय परिवार की कन्या है जिसका व्याह एक वृद्ध से हो जाता है । सामाजिक बन्धन को तोड़कर वह निम्न कुलोत्पन्न प्रेमी के साथ भाग जाती है । सुनीता के बिरादरी वाले कचहरी में मुकदमा दायर कर उसके प्रेमी को दंडित कराना चाहते हैं किन्तु वह अपने प्रेमी के पक्ष में दलील देकर उसे निर्दोष सिद्ध करते हुए सच्चा प्रेम का परिचय देती है ।

'फूल बहादुर' में हास्य व्यंग्य की प्रधानता है । मुख्तारी के अनुभव पर आधार पर रचित इस उपन्यास में तत्कालीन कचहरी एवं सरकारी अधिकारी में व्याप्त भ्रष्टाचार पर करारा प्रहार किया गया है । उपन्यास का नायक रामलाल बिहारशरीफ का मुख्तार है और राय बहादुर कहलाने के लिए बेचैन है । इसके लिए वह अधिकारियों की खुशामद करता है । नवागन्तुक अनुमंडलाधिकारी को सुरा-सुन्दरी उपलब्ध कराकर वह अपनी मनोकामना पूर्ण करना चाहता है किन्तु उसे सफलता नहीं मिलती । नगर के लोग उसकी व्यग्रता देखकर राय बहादुर बनाने का एक फर्जी आदेश उसके पास भेज कर उसे बेवकूफ बनाते हैं । रायबहादुर के बदले वह फूल बहादुर बन जाता है ।

इनका तीसरा उपन्यास 'गदहनीत' भी सामाजिक कुरूपता को उजागर करता है । इसकी प्रति अनुपलब्ध है ।

जयनाथ पति ने मगही उपन्यास का लेखन उस समय प्रारम्भ किया जब हिन्दी में प्रेमचन्द, जयशंकर प्रसाद और उनके समकालीन अन्य लेखक उपन्यास लिख रहे थे । पाठक और प्रकाशन की समस्त सुविधाओं के कारण हिन्दी अपने वर्तमान स्वरूप तक विकसित हो सकी, किन्तु रुझान और संरक्षण के अभाव में मगही की वह परम्परा कायम नहीं रही । जयनाथ पति के पश्चात् बहुत दिनों तक मगही में उपन्यास नहीं लिखे गए । पुनः स्वतन्त्रता प्राप्ति के बाद इस ओर लोगों का ध्यान गया ।

Thursday, January 31, 2008

मगही पत्रकारिता

मगही पत्र- पत्रिकाओं की समयानुसार क्रमबद्ध संक्षिप्त सूची इस कड़ी पर उपलब्ध है ।
http://www.tdil.mit.gov.in/CoilNet/IGNCA/mg005.htm

कुछ और विस्तृत सूचना निम्नलिखित तालिका में दी गई है ।

पत्रिका का नाम - अवधि - वर्ष - सम्पादक - प्रकाशक / स्थान - विशेष
तरुण तपस्वी - मासिक - 1945-46
श्रीकान्त शास्त्री
हिलसा-एकंगरसराय

मागधी - त्रैमासिक - 1950
श्रीकान्त शास्त्री
एकंगरसराय

मगही - मासिक (32 पृष्ठ) - 1954-58
श्रीकान्त शास्त्री,शिवराम योगी
'बिहार मगही मंडल', मुख्तार टोली, पटना-3
वार्षिक मूल्य- 3 रु०, एक अंक - चार आना

महान मगध - मासिक - 1955-56
गोपाल मिश्र केसरी
औरंगाबाद


बिहान - मासिक (कुछ वर्ष) -मई 1958 - जन० 1980; प्रकाशित - 110 अंक
डॉ०श्रीकान्त शास्त्री, डॉ० रामनन्दन,सुरेश दूबे 'सरस'
'बिहार मगही मंडल', पटना-5

सरहलोक - ? - जन० 1967
प्यारे सिन्हा परेश, रेणु सहाय, केदार मिश्र, सोम नरेश, नील कमल
सरहकुट्टी, जमाल रोड, पटना


सुजाता - मासिक (32 पृष्ठ) - फर० 1967
बाबूलाल 'मधुकर', सत्यदेव शान्तिप्रिय, नन्द किशोरदास
अखिल भारतीय मगही मंडल, पटना
वार्षिक मूल्य - 3 रु०, एक अंक – 25 पैसे

भोर - मासिक - मई 1968
आशुतोष कुमार चौधरी, नन्दकिशोर सिंह
मगही साहित्य परिषद् जमशेदपुर

सारथी - त्रैमासिक (32 पृष्ठ) - 1971 से
मथुरा प्रसाद नवीन, मिथिलेश,
दयानन्द 'बटोही'
मगही मंडप, वारसलीगंज (गया)
वार्षिक मूल्य - 2 रु०

सारथी - त्रैमासिक - 1984 से
मिथिलेश, राम खेलावन, लक्ष्मण प्रसाद चन्द, श्रीकान्त जैतपुरिया, रामनरेश प्र० वर्मा,
परमेश्वरी, जय प्रकाश, दयानन्द 'बटोही'
मगही मंडप, वारसलीगंज (गया)

मगही लोक - मासिक - अक्टू०1977- मार्च 1979;
राम प्रसाद सिंह, सम्पत्ति अर्याणी, रामनरेश प्र० वर्मा, रासबिहारी पाण्डेय, जनकनन्दन प्रसाद ‘जनक’,
देवनन्दन सिंह
मगही अकादमी, गया

बाद में अनियमित, फिर अर्द्धवार्षिक; हिन्दी, मगही और अंग्रेज़ी में प्रकाशित करने की घोषणा

मगही समाज - मासिक - अप्रैल 1979 – 1981 ?
राम प्रसाद सिंह
मगही अकादमी, गया

वार्षिक मूल्य - 5 रु०, एक अंक – 50 पैसे

मगही समाचार - साप्ताहिक - 16 अगस्त 1978 से
सतीश कुमार मिश्र
पटना

आर्थिक अभाव के कारण बन्द

भोर - मासिक - जन०1978 से
योगेश्वर सिंह 'योगेश',
रामनगीना सिंह 'मगहिया'
भारतीय मगही मंडल, विक्रम, पटना

कोंपल - मासिक - नव०1979- 1980 ?
जटाधारी मिश्र
मगही मंडल, राँची

माँजर - त्रैमासिक - मार्च 1980 से
बाँके बिहारी 'वियोगी',
लक्ष्मण प्रसाद 'चंद'
माँजर मन्दिर, सोहसराय

कई अंक निकलने के बाद बंद

मागधी - त्रैमासिक - मई 1980
योगेश्वर सिंह 'योगेश'
अखिल भारतीय मगही भाषा सम्मेलन, पटना

मूल्य - 1 रु०

निरंजना - अप्रैल 1983
आचार्य केसरी कुमार
मगही अकादमी, बिहार

एक ही अंक

गौतम - त्रैमासिक (40 पृष्ठ) - अक्टू०1983-
श्यामनन्दन शास्त्री 'हंसराज',
तृप्ति नारायण शर्मा, दशई सिंह,
रामाधार सिंह 'आधार',
नन्दन शास्त्री
भारतीय मगही मंडल, विक्रम, पटना

वार्षिक - 10 रु०
यह पत्रिका कुछ साल तक चली

पनसोखा - मासिक - 1986-
आशुतोष कुमार चौधरी
मगही साहित्य परिषद् जमशेदपुर

वार्षिक - 25 रु०, एक अंक - 4 रु०

पाटलि - मासिक - जून 1989 से
केशव प्रसाद वर्मा, राम पारिख,
दशई सिंह,
रामनरेश प्र० वर्मा, अम्बिका सिंह,
उपेन्द्र प्रसाद वर्मा, दिलीप कुमार, मनोज कुमार,
देवेन्द्र कुमार
पाटलि प्रकाशन, अछुआ, पटना

जून 1993, अंक 1 से सम्पादक –
अभिमन्यु प्रसाद मौर्य, राम पारिख,
केशव प्रसाद वर्मा,
दिलीप कुमार,
अम्बिका सिंह,
शिवपूजन प्रसाद, सुखित वर्मा,
महेन्द्र प्र० 'देहाती', मिथिलेश कुमार ।

अनियमत ही सही, पर पाटलि प्रकाशित हो रही है ।


कचनार - त्रैमासिक - 1992
विश्वनाथ
शारदा साहित्य मंच, गया

एक ही अंक के बाद बन्द


मगह के हुँकार - मासिक - जून 1994 -
सुशील रंजन, आलोक प्रकाश 'पंतुल'
प्रगतिशील मगही समाज, पटना

वार्षिक - 65 रु०, एक अंक - 5 रु०

अलका मागधी- मासिक - जुलाई 1995 से लगातार प्रकाशित
अभिमन्यु प्र० मौर्य
मौर्य प्रकाशन, पटना

अँकुरी - मासिक - 1996- (शीघ्र बन्द)
जनार्दन मिश्र 'जलज'
पटना

मगधांचल - त्रैमासिक (26 पृष्ठ) - जन० 1998-
अलखदेव प्र० 'अचल',
आरफिन रिजवी, अरविन्द कुमार, शम्भु शरण सत्यार्थी, हर्षदेव 'प्रेमी',
गणेश प्रसाद गुप्ता
जनवादी लेखक संघ, औरंगाबाद

वार्षिक - 15 रु०

मगहिया भारती - त्रैमासिक (16 पृष्ठ) - जन० 1998-
रामगोपाल पाण्डेय, हृषिकेश पाठक
मगदूत मगही प्रकाशन, महाबलीपुर, पटना
एक अंक - 5 रु०

अखरा - त्रैमासिक - अप्रैल 1998-
रामगोपाल पाण्डेय, हृषिकेश पाठक, ब्रजमोहन पाण्डेय 'नलिन',
गोवर्द्धन प्र० 'सदय', सच्चिदानन्द प्रेमी, रामपुकार सिंह 'राठौर'
मगही प्रचारिणी सभा, गया

मगधवाणी - पाक्षिक (?) - अग० 1998-
लोक साहित्य मन्दिर वादीपुर, नौबतपुर (पटना)

4. प्रो॰ राम नन्दन

जन्म तिथिः 19 सितम्बर 1929 21:00

जन्म स्थानः ग्राम-सिमरी ( पटना-गया रोड में पटना से करीब 40 कि॰मी॰ दक्षिण, मसौढ़ी से 3 कि॰मी॰ पूरब), पो॰+थाना-धनरुआ, जि॰-पटना (बिहार)

पिताः स्व॰ विंध्येश्वरी प्रसाद सिन्हा

शिक्षाः एम॰ए॰ (भूगोल), पी-एच॰डी॰ - पटना विश्वविद्यालय

सेवाः

(i) व्याख्याता, भूगोल विभाग, राँची कॉलेज 1955-56
(ii) व्याख्याता/रीडर, पटना विश्वविद्यालय, 1956-80
(iii) प्राध्यापक/विभागाध्यक्ष, महाराजा सयाजीराव विश्वविद्यालय, बड़ौदा, गुजरात, 1980-92
(iv) अतिथि प्राध्यापकः
(a) केन्टकी विश्वविद्यालय, लेक्सिंगटन, संयुक्त राज्य अमेरिका
(b) मणिपुर विश्वविद्यालय, इम्फाल

सेवा-निवृत्तः अगस्त 1992

मगही सेवाः

1944 ढबोकन बहू, नकबेसर (कहानी); हाथ लिखल पत्रिका, "गाँव-घर"
1958 से 1979: संपादन/सह-संपादनः "बिहान" मासिक पत्रिका
1960 कौमुदी महोत्सव (नाटक), मगही लोकगीत
1962 मगही कहानी सेंगरन
1965 आदमी ऑ देओता (उपन्यास)
1968 कलम आ समना (ललित लेख सेंगरन)

आकाशवाणी (पटना) से पसरलः एकांकी. कहानी, कविता, लोककथा, वार्त्ता

Saturday, January 26, 2008

3. डॉ॰ अभिमन्यु प्रसाद मौर्य

जन्म : 15 अक्टूबर 1951
निवास स्थान : राम लखन महतो रोड, पुराना जक्कनपुर, पटना - 1
शिक्षा : एम॰ए॰ (हिन्दी) - पटना विश्वविद्यालय, पटना
पी-एच॰डी॰ - मगध विश्वविद्यालय, बोधगया
पेशा : अध्यापन - अध्यक्ष, हिन्दी विभाग, पी॰एन॰के॰ कॉलेज, अछुआ, पालीगंज, पटना

साहित्यिक कार्य :
1. नाटक - (१) पाँड़ेजी के पतरा (२) प्रेम अइसने होवऽ हे
2. एकांकी संकलन - सतरंग (पटना के अदमी, बेटा, दरोगा डंडा सिंह, कफन, शम्बूक-वध, स्वामी जी, कबीर के इन्साफ)
3. कहानी - खुशी के प्रकाश, सावित्री, अहिवात, उद्धार, गरीब, ठकमुरकी मार देलक
4. लघुकथा - हैसियत, पवित्तर, फैक्ट्री
5. शब्दचित्र - डाक गाड़ी, कान्ति बन गेल क्रान्ति
6. ललित लेख - नरसंहार कहिया रुकत, बिना पोथी बाँचले पंडित भेली
7.आलोचनात्मक लेख - मातृभाषा के मूल तत्त्व, मगही भाषा के महातम
8.काव्य - लवकुश चालीसा
9. सम्पादित ग्रन्थ - मगही कथा सरोवर, मगही एकांकी सरिता, लघुकथा छतीसी
10. पत्रकारिता जगत - सम्पादक, मगही मासिक पत्रिका "अलका मागधी"
पूर्व सम्पादक, मगही मासिक पत्रिका "पाटलि"
11. सक्रिय योगदान - महासचिव, महाकवि आरसी साहित्य परिषद्, पटना

2. डॉ० सम्पत्ति अर्याणी

जन्म : 31 मार्च 1923, पटना सिटी (बिहार)
शिक्षा : एम॰ए॰ (हिन्दी, पालि), डिप॰-इन-एड॰, डि॰लिट॰ (पटना विश्वविद्यालय)
कार्य : 1953 ई॰ में पटना विश्वविद्यालय के विज्ञान-महाविद्यालय में हिन्दी-व्याख्याता के पद पर कार्यरत एवं 1974 से स्नातकोत्तर हिन्दी विभाग (प॰वि॰) में रीडर ।
सदस्या : वर्ल्ड यूनिवर्सिटी सर्विस (1958-59) । वैज्ञानिक तथा तकनीकी शब्दावली आयोग, भारत सरकार के विशेषज्ञ-समिति (1965-71) । साहित्य अकादमी, दिल्ली के भाषा-विशेषज्ञ-समति (1970) । बिहार राष्ट्रभाषा परिषद् के संचालक-मंडल तथा भाषा-सर्वेक्षण-उपसमिति (1975-1981) । मगही अकादमी, बिहार सरकार (1981 से लगातार) ।एकर अतिरिक्त अनेक शैक्षणिक एवं सांस्कृतिक संस्था के अध्यक्षा तथा सदस्या ।
कृति :
1. मगही व्याकरण-कोश (हिन्दी साहित्य संसार, दिल्ली)
2. मगही लोक-साहित्य (हिन्दी साहित्य संसार, दिल्ली)
3.हिन्दी-साहित्य का बृहत् इतिहास (भाग-१६) के मगही लोक-साहित्य खण्ड के सहलेखिका (ना॰प्र॰सभा, वाराणसी)
4. मगही भाषा और साहित्य (बिहार राष्ट्रभाषा परिषद्, पटना) बिहार सरकार के ओर से 1981 में बिहारी-लेखक हिन्दी ग्रन्थ पुरस्कार से उपर्युक्त पर सम्मानित ।
5. मगही-निबन्ध-सौरभ (मगही अकादमी, बिहार सरकार)
6. मगही व्याकरण आउर रचना (संदीप प्रकाशन, पटना-६)
7. मगही व्याकरण चन्द्रिका (संदीप प्रकाशन, पटना-६)
8. मगही रचना चन्द्रिका (संदीप प्रकाशन, पटना-६)
9. मगही व्याकरण प्रबोध (संदीप प्रकाशन, पटना-६)
एकर अतिरिक्त अनेक शोधपूर्ण निबन्ध, लेख आदि विभिन्न पत्र-पत्रिका में प्रकाशित तथा आकाशवाणी पटना से प्रकाशित ।

Wednesday, January 23, 2008

मगही कोश

"मगही-हिन्दी शब्दकोश"; संकलनकर्त्ता - श्री भुवनेश्वर प्रसाद सिंह, एम॰ए॰; प्रकाशक-हरिभुवन प्रकाशन, महजपुरा, विक्रम, पटना; प्रथम संस्करण-1999; मूल्य (सहयोग राशि) - 200 रु॰ ; प्राप्ति स्थान एवं पत्राचार - "चन्द्रमणि भवन", टी॰पी॰एस॰ कॉलेज के पूरब, चिरैयाटाँड़, पटना-800 001; पृष्ठ सं॰ 16+750.

मगही व्याकरण

"मगही व्याकरण" (1880), क्रिश्चियन मिशन प्रेस, कलकत्ता, कुल 70 पृष्ठ ( कैथी लिपि में) [कहते हैं, इसकी एक प्रति स्वर्गीय पं॰ मोहनलाल महतो 'वियोगी', गया, के पास सुरक्षित थी]

Grierson, George A. (1883):"Seven Grammars of the Dialects and Subdialects of the Bihari Language" (Spoken in the Province of Bihar, in the Eastern Portion of North-Western Provinces, and in the Northern Portion of the Central Provinces); Printed at the Bengal Secretariat Press, Calcutta; Reprint: Bhartiya Publishing House, 1980, Varanasi/ Delhi;


Part I - Introductory; pp. 3 (Letter of G A Grierson to The Director of Public Instruction, Bengal) + ii (contents) + 1-29 [General Introduction: pp.1-17 (Historical); pp.19-29 (Grammatical)] + 30-32 (Appendix: Conversation between Two Villagers (in the Northern Maithili Dialect) + 32-38 (17 Fables in the Northern Maithili Dialect) + 38-47 (English Translation of the Conversation and Fables).


Part III - Magadhi Dialect (of South Patna and Gaya); pp. ii (contents) +1 (introduction) + 78 (Magahi Grammar) + pp.79-80 [Appendix-I : Conversation between Two Villagers (in the dialect of South Patna)] + pp.81-86 (17 Fables) + pp.87-103 [Appendix-II: List of Magadhi Words (Magadhi Vocabulary)].

डॉ॰ सम्पत्ति अर्याणीः "मगही व्याकरण कोष" (1955), किरण प्रकाशन, जहानाबाद, गया; वितरकः हिन्दी साहित्य संसार, पटना-4

राजेन्द्र कुमार यौधेयः "मगही व्याकरण" (1956), यौधेय प्रकाशन, नेयामतपुर, पटना

राजेश्वरी प्रसाद अंशुलः "मगही व्याकरण" (1979), मलयज प्रकाशन, गया

डॉ॰ सरयू प्रसादः "मगही वर्तनी तथा ध्वनि" ( ), मगध शोध संस्थान, नालन्दा, अम्बेर, बिहारशरीफ (नालन्दा)

Dr Saryoo Prasad (2008): "Magahi Phonology: A Descriptive Study"; Concept Publishing Company, New Delhi; 238 pp.

प्रकाशक का सम्पूर्ण पताः Concept Publishing Company, A/ 15-16, Commercial Block,Mohan Garden, New Delhi-110 059; Ph: 25351460; 25351794

इस पुस्तक का Preview यहाँ देखें ।

डॉ॰ सम्पत्ति अर्याणीः "मगही व्याकरण प्रबोध [मगही भाषा, व्याकरण, काव्यांग आउर भाषिक समस्या के विवेचन]"; संदीप प्रकाशन, टेकारी रोड, पटना-६; प्रथम संस्करणः १४ जून, १९९३ ई॰; मूल्यः १०० रुपये मात्र (विद्यार्थी संस्करण); १२५ रुपये मात्र (राज-संस्करण); प्राप्ति-स्थानः श्री राजीव कुमार 'राज', संदीप प्रकाशन, साहित्य सदन, रौशन घाट, टेकारी रोड, पटना - ८०० ००६; पृष्ठ सं॰ २०+२८८+६४+३२+३ ।

डॉ॰ सम्पत्ति अर्याणीः "मगही व्याकरण आउर रचना [मगही व्याकरण आउर रचना-तत्त्व के विवेचन]"; संदीप प्रकाशन, टेकारी रोड, पटना-६; प्रथम संस्करणः २१ मार्च, १९९२ ई॰; मूल्यः ५० रुपये मात्र (विद्यार्थी संस्करण); ६० रुपये मात्र (राज-संस्करण); प्राप्ति-स्थानः संदीप प्रकाशन, साहित्य सदन, रौशन घाट, टेकारी रोड, पटना - ८०० ००६; पृष्ठ सं॰ १०+२६३ ।

Tuesday, January 22, 2008

मगही लेखक

मगही लेखकों की सूची (वर्णक्रमानुसार)

001. अंकिमचन्द्र
002. अखिलेश कुमार सिंह
003. अगिया बैताल
004. अजय प्रसाद वर्मा
005. अजयकान्त शर्मा

006. अजीत कुमार मिश्र 'अविनाश'
007. अनन्त कुमार सिंह
008. अभिमन्यु प्रसाद मौर्य, डॉ०
009. अमर अलंकृत
010. अमलेश वर्मा, डॉ०

011. अम्बिका सिंह
012. अरविन्द कुमार 'अजगर'
013. अरविन्द कुमार मिश्र 'मगहिया'
014. अरुण कुमार गौतम
015. अरुण कुमार सिन्हा

016. अर्चना कुमारी
017. अर्जुन सिंह, प्रो०
018. अर्पणा कुमारी 'अक्षरश्रुति'
019. अलखदेव प्रसाद 'अचल'
020. अवधेश कुमार सिन्हा

021. अशोक कुमार भास्कर
022. अशोक प्रियदर्शी
023. आनन्द किरण भारद्वाज
024. आर० पी० वर्मा
025. आरफिन रिजवी

026. आलोक प्रकाश 'पंतुल'
027. आशा
028. आशुतोष कुमार चौधरी
029. उपेन्द्र प्रसाद वर्मा
030. उमाकान्त पाण्डेय

031. उमाकान्त भट्टाचार्य
032. उमाशंकर सिंह 'सुमन'
033. उमेश कुमार
034. उर्मिला उत्पल
035. ऋषिराज सुमन

036. ओम प्रकाश
037. ओम प्रकाश सिंह 'फौजी'
038. कपिल देव त्रिवेदी 'देव'
039. कपिलदेव सिंह
040. कमलेश

041. कर्णावती, कुमारी
042. कल्पना कुमारी
043. कल्याणी कुसुम सिंह, डॉ०
044. कविता कुमारी सिंह, डॉ०
045. कश्यप, एम० पी०

046. किरण अर्याणी मित्रा, डॉ०
047. किसलय
048. कुमार रजनीकान्त रंजन, डॉ०
049. कुमारेन्द्र अम्बुज
050. कृष्ण कुमार भट्टा

051. कृष्ण चन्द्र चौधरी
052. कृष्ण प्रकाश 'सुधांशु', डॉ०
053. कृष्ण मुरारी सिंह 'किसान'
054. कृष्ण मोहन प्यारे
055. कृष्णदेव प्रसाद

056. केदार 'अजेय'
057. केदार मिश्र
058. केशव प्रसाद वर्मा
059. केसरी कुमार, आचार्य
060. गगनसुत नवीन

061. गणेश प्रसाद गुप्ता
062. गणेश मिश्र
063. गनौरी महतो, डॉ०
064. गयादत्त मिश्र विशारद, डॉ०
065. गिरधर प्रसाद सुल्तानिया

066. गुरु चरण बौद्ध
067. गोपाल मिश्र केसरी
068. गोपाल शरण सिंह, डॉ०
069. गोवर्धन प्रसाद 'सदय'
070. गोविन्द शर्मा

071. गौरीशंकर प्रसाद
072. चंचला कुमारी
073. चतुर्भुज, डॉ०
074. चन्द्र प्रकाश माया
075. चन्द्रशेखर झा 'इन्दु'

076. चन्द्रशेखर शर्मा
077. चितरंजन सिंह
078. जगन्नाथ प्रसाद 'किंकर' (देव के राजा)
079. जटाधारी मिश्र
080. जनकनन्दन प्रसाद सिंह 'जनक'

081. जनहरिनाथ
082. जनार्दन प्रसाद सिंह 'जस्टिस ऑफ पीस'
083. जनार्दन मिश्र 'जलज'
084. जय प्रकाश
085. जयनन्दन ठाकुर

086. जयनाथ कवि, प्रो०
087. जयनाथपति
088. जयप्रकाश नारायण सिंह
089. जयराम पाठक 'सेवक'
090. जवाहिर लाल

091. जितेन्द्र कुमार
092. जितेन्द्र प्रसाद यादव
093. ज्ञान्ति कुमारी
094. ज्योति
095. ज्वाला प्रसाद, मास्टर

096. तारकेश्वर भारती
097. तृप्ति नारायण शर्मा
098. दयानन्द 'बटोही'
099. दशई सिंह
100. दशरथ

101. दामोदर प्रसाद, डॉ०
102. दिनेश प्रसाद
103. दिलीप कुमार, प्रो०
104. दीनबन्धु
105. दीनानाथ शरण, डॉ०

106. दीपा वर्मा
107. देवनन्दन सिंह
108. देवराज शर्मा
109. देवेन्द्र कुमार
110. द्वारका प्रसाद

111. धनंजय श्रोत्रिय
112. धीरेन्द्र कुमार भारद्वाज
113. नन्द किशोरदास
114. नन्दकिशोर सिंह
115. नन्दकिशोर सिंह 'विद्यार्थी'

116. नन्दन शास्त्री
117. नन्दा मौर्य
118. नरमदेश्वर कुमार सिंह 'इंजोर'
119. नरेन्द्र प्रसाद नवीन
120. नरेन्द्र प्रसाद सिंह

121. नरेश प्रसाद कुशवंत
122. नर्मदेश्वर कुमार शर्मा 'इंजोर'
123. नागेन्द्र तिवारी
124. नागेन्द्र प्रसाद शर्मा 'मुकुल'
125. नारायण प्रसाद

126. नील कमल
127. परमेश्वरी
128. परमेश्वरी सिंह
129. परमेश्वरी सिंह 'अनपढ़'
130. पवन तनय

131. पांशुल, एम० बी०
132. पुष्पा अर्याणी
133. पूनम सिंह
134. प्यारे सिन्हा परेश
135. प्रभात कुमार वर्मा

136. प्रभात वर्मा
137. प्रभु नारायण विद्यार्थी, डॉ०
138. प्रमिला प्रकाश
139. प्रियम्वदा
140. प्रेम कुमार मणि

141. प्रेमलता
142. प्रेमलता भारती
143. बंशी शरण सिंह
144. बाँके बिहारी 'वियोगी'
145. बाबूलाल मधुकर

146. बालेश्वर राम
147. बालेश्वर, भाई
148. बि० एन० विश्वकर्मा, डॉ०
149. बैजू सिंह
150. ब्रजमोहन पाण्डेय 'नलिन'

151. ब्रजेश कुमार दांगी
152. भरत सिंह, डॉ०
153. भास्कर प्रसाद सिंह 'बचल-खुचल'
154. भुवनेश्वर प्रसाद सिंह
155. मथुरा प्रसाद नवीन

156. मदन मोहन कुमार
157. मदन मोहन 'मोसाफिर'
158. मनसुर खान 'नादान'
159. मनोज कुमार
160. महेन्द्र प्रसाद

161. महेन्द्र प्रसाद 'देहाती'
162. महेश 'प्रबुद्ध'
163. मिथिलेश
164. मुद्रिका सिंह
165. मुनक्का कुँअर

166. मुनिलाल सिन्हा 'सीसम'
167. मुनेश्वर शमन
168. मुन्ना प्रसाद
169. मुरली मनोहर
170. मुरारी शरण पाण्डेय

171. मोतीलाल 'प्यासा'
172. युगल किशोर शर्मा 'स्वयं'
173. युगेश्वर पाण्डेय
174. योगेश्वर सिंह 'योगेश'
175. रघुवंश नारायण 'प्रहरी'

176. रमाकान्त 'निराला'
177. रमाशंकर
178. रवीन्द्र कुमार
179. रवीन्द्र नाथ मिश्र
180. राकेश कुमार सिन्हा 'रवि'

181. राकेश प्रियदर्शी
182. रागिनी सिन्हा
183. राज नारायण राय, डॉ०
184. राज नारायण, डॉ०
185. राजकुमार 'प्रेमी'

186. राजेन्द्र कुमार यौधेय
187. राजेन्द्र पाण्डेय
188. राजेन्द्र प्रसाद
189. राजेन्द्र ब्रह्मचारी
190. राजेश्वर उपाध्याय

191. राजेश्वर पाठक 'राजेश'
192. राजेश्वर प्रसाद अंशुल
193. राजेश्वर प्रसाद सिंह
194. राणा प्रसाद
195. राधा, कुमारी

196. राधाकान्त भारती
197. राधाकृष्ण प्रसाद
198. राधाकृष्ण राय
199. राम खेलावन
200. राम गोपाल आर्य

201. राम गोविन्द यादव 'जानकीन्दु'
202. राम जन्म सिंह 'अंशुमाली'
203. राम नन्दन, डॉ०
204. राम नरेश 'नीरस'
205. राम पारिख

206. राम प्रसाद सिंह, डॉ०
207. राम बुझावन सिंह, प्रो०
208. राम भजन शर्मा 'बटोही'
209. राम विलास 'रजकण'
210. रामकृष्ण प्रसाद मिश्र

211. रामगोपाल पाण्डेय
212. रामचन्द्र 'अदीप'
213. रामदास आर्य उर्फ घमण्डी राम
214. रामदेव मेहता 'मुकुल'
215. रामनगीना सिंह 'मगहिया', संत

216. रामनरेश पाठक
217. रामनरेश प्रसाद वर्मा
218. रामनरेश मिश्र 'हंस', डॉ०
219. रामनाथ शर्मा
220. रामपुकार सिंह 'राठौर'

221. रामरतन प्रसाद सिंह 'रत्नाकर'
222. रामवृक्ष महाराज
223. रामाकांत सिंह
224. रामाधार प्रसाद
225. रामाधार सिंह 'आधार'

226. रासबिहारी पाण्डेय
227. रीना कुमारी
228. रेणु सहाय
229. लक्ष्मण प्रसाद 'चन्द'
230. लक्ष्मण प्रसाद 'दीन'

231. लक्ष्मी देवी
232. लक्ष्मीचन्द्र प्रियदर्शी, प्रो०
233. लवकुश प्रसाद सिंह
234. लालमणि कुमारी
235. लालमणि विक्रान्त

236. लोहड़ी ठाकुर
237. वासुदेव प्रसाद
238. विजय कुमार पाठक, डॉ०
239. विजय कुमार मिश्र
240. विजया पाठक

241. विनय प्रसाद मिश्र
242. विनय प्रसाद सिंह
243. विनीत कुमार मिश्र 'अकेला'
244. विनोद कुमार उपाध्याय
245. विमल कुमार

246. विवश बिहारी
247. विश्वनाथ मिश्र 'पंचानन'
248. विश्वनाथ साहू
249. वीणा कुमारी मिश्रा
250. वीरेन्द्र कुमार भारद्वाज

251. वीरेन्द्र सिंह 'आजाद'
252. वैद्यनाथ शर्मा
253. शकुन्तला प्रसाद
254. शम्भु विश्वकर्मा
255. शम्भु शरण सत्यार्थी

256. शशिभूषण उपाध्याय
257. शशिभूषण उपाध्याय 'मधुकर'
258. शिव प्रसाद लोहानी
259. शिवदत्त मिश्र
260. शिवपूजन प्रसाद

261. शिवपूजन सिंह
262. शिवराम योगी
263. शीला सिंह
264. शेखर
265. शैलेन्द्र कुमार 'शैल'

266. श्याम विलास पाठक 'ललित'
267. श्यामनन्दन शास्त्री हंसराज, डॉ०
268. श्रीकान्त जैतपुरिया
269. श्रीकान्त शास्त्री, डॉ०
270. श्रीधर प्रसाद शर्मा

271. संगीता कुमारी
272. संजय कुमार सिन्हा, डॉ०
273. संजय सिन्हा
274. संजीव कुमार तिवारी
275. संजू बाबा

276. संतोष सक्सेना
277. सच्चिदानन्द प्रसाद, डॉ०
278. सच्चिदानन्द प्रेमी
279. सच्चिदानन्द, आचार्य
280. सतीश कुमार मिश्र

281. सतीशराज पुष्करणा, डॉ०
282. सत्यदेव शान्तिप्रिय
283. सत्येन्द्र कुमार सिंह
284. सत्येन्द्र जमालपुरी
285. सम्पत्ति अर्याणी, डॉ०

286. सरयु कुमार करुण उर्फ साधुजी
287. सरयु कुमार तरुण उर्फ साधुजी
288. सरयू प्रसाद, डॉ०
289. सरिता रंजन
290. सरोज कुमार त्रिपाठी, डॉ०

291. सरोज देवी
292. सविता आजाद
293. साधना प्रियदर्शी
294. सिद्धनाथ शर्मा उर्फ सिद्धि
295. सिद्धेश्वर

296. सिद्धेश्वर नाथ पाण्डेय
297. सी० रा० प्रसाद, डॉ०
298. सुखदेव प्रसाद रत्नाकर
299. सुखित वर्मा, प्रो०
300. सुजीत मालाकार

301. सुदर्शन श्रीनिवास शांडिल्य
302. सुबोध कुमार आर्य
303. सुमनप्रभा प्रसाद, डॉ०
304. सुमन्त
305. सुरेन्द्र प्रसाद जमुआर, डॉ०

306. सुरेश दूबे 'सरस'
307. सुरेश निर्द्वन्द्व
308. सुरेश प्रसाद 'विमल', डॉ०
309. सुशील रंजन
310. सूर्यनारायण शर्मा

311. सोम नरेश
312. स्वर्णकिरण, डॉ०
313. हरिदास ज्वाल, पं०
314. हरिश्चन्द्र प्रियदर्शी
315. हरीन्द्र विद्यार्थी

316. हर्षदेव 'प्रेमी'
317. हारुण रसीद 'अश्क'
318. हृषिकेश पाठक

1. डॉ० राम प्रसाद सिंह

जन्म : 10 जुलाई 1933, ग्राम - बेलखरा, जिला - जहानाबाद (पूर्वज: ग्राम - भरकुण्डा, थाना-गोह, जिला - औरंगाबाद) ।
पेशा : अध्यापन कार्य, समाज सेवा
विविध : अनेक सामाजिक, सांस्कृतिक, भाषिक तथा साहित्यिक संस्थाओं के संस्थापक एवं संचालक ।
- डॉ॰ राम प्रसाद सिंह साहित्य पुरस्कार (5 हजार रु॰ प्रति वर्ष) के पुरस्कर्ता, मगही आन्दोलन के पुरोधा ।
1953-1972: अध्ययन काल में डॉ॰ सिंह, डॉ॰ राममनोहर लोहिया से प्रभावित हुए और सक्रिय राजनीति में संलग्न रहे । 1972 में समाजवादी पार्टी से बिहार विधान सभा के लिए चुनाव लड़कर राजनीति से संन्यास ले लिया और मातृभाषा मगही और भारतीय लोक संस्कृति की प्रतिष्ठा के लिए संघर्षरत हो गए ।
1977: मगही अकादमी (बिहार) की ऐतिहासिक स्थापना जिसके निदेशक और सचिव का भार डॉ॰ सिं को सौंपा गया ।
2002: मगही भाषा में विशेष योगदान हेतु डॉ.राम प्रसाद सिंह को साहित्य अकादमी भाषा सम्मान दिया गया ।

डॉ० राम प्रसाद सिंह द्वारा रचित / सम्पादित या उनसे सम्बन्धित रचनाएँ
(1) लोहा मरद (महाकाव्य) (रचना काल - 1973; प्रकाशन - 1988 या इसके बाद); x + 120 पृ०; मूल्य - 35/- रु०
(2) परस पल्लव (1977) , ii + 68 पृ०; मूल्य - 3/- रु०
(3) सोरही (मगही कहानी संग्रह) (1979); सं० - डॉ० राम प्रसाद सिंह; xiv + 60 पृ०; मूल्य - 5/- रु०
(4) मगही नव निबंध (1981); सं०- डॉ० राम प्रसाद सिंह; 20 पृ०; मूल्य - 5/- रु०
(5) सरहपाद (खण्डकाव्य) (1982); x + 54 पृ०; मूल्य - 10/- रु०
(6) मगही के मानक रूप (मगही निबंध संग्रह) (1987); सं० - डॉ० राम प्रसाद सिंह; xii + 56 पृ०; मूल्य - 12/- रु०
(7) झरोखा (मगही कविता संग्रह) (1987) -- सम्पादक - डॉ० राम प्रसाद सिंह, सह-सं० प्रो० रामनरेश प्रसाद वर्मा, प्रो० दर्शन सिंह, श्री राम विलास 'रजकण'; iv + 68 पृ०; मूल्य - 12/- रु०
(8) अकबर के कसमसाहट (चार पौराणिक-ऐतिहासिक एकांकी संग्रह) (10 जुलाई 1988); iv + 52 पृ०; मूल्य - सा०सं० 25/- रु०, रा०सं० 40/- रु०
(9) ललित निबंध आउ लोक साहित्य (10 जुलाई 1998), vi + 77 पृ०, मूल्य - सा०सं० 50/- रु०, रा०सं० 75/- रु०
(10) नरक सरग धरती (उपन्यास) (1992); xx + 212 पृ०; मूल्य - 50/- रु०
(11) मगध की लोककथाएँ : अनुशीलन (1 जुलाई 1996) ; viii + 139 पृ०; मूल्य - सा०सं० 75/- रु०, रा०सं० 125/- रु०
(12) मगध की लोककथाएँ : संचयन (16 अप्रैल 1997) ; xv + 290 पृ०; मूल्य - सा०सं० 100/- रु०, रा०सं० 200/- रु०
(13) मगही साहित्य का इतिहास ( 1998; पुनर्मुद्रण 1999); सं० - डॉ० राम प्रसाद सिंह, प्रो० राम बुझावन सिंह और डॉ० सम्पत्ति अर्याणी; x + 262 पृ०; मूल्य - 150/- रु०
(14) मगही लोकगीत के बृहद् संग्रह (दिसम्बर 1999), सं० डॉ० राम प्रसाद सिंह, सहायिका-संग्राहिका -- लालमणि कुमारी; xiv + 129 + 600 + 47 पृ०; मूल्य - सा०सं० 200/-रु०, रा०सं० 250/- रु०
(15) मगही कथा सम्राट् : डॉ० राम प्रसाद सिंह (2000); सं० - डॉ० सम्पत्ति अर्याणी, iv + 144 पृ०; मूल्य - 75/- रु०
(16) मेधा (जुलाई 2001); iv + 80 पृ०; मूल्य - 25/- रु०
(17) मगही के भारतेन्दु : डॉ० राम प्रसाद सिंह -- समीक्षा, संस्मरण और प्रशस्तियाँ (10 जुलाई 2002); सं० - प्रो० राम बुझावन सिंह, डॉ० सम्पत्ति अर्याणी, प्रो० रामनाथ शर्मा, डॉ० श्यामनन्दन शास्त्री 'हंसराज', प्रो० दलीप कुमार, राजेश्वर पाठक 'राजेश', केशव प्रसाद वर्मा, प्रो० रामनरेश वर्मा, राम विलास 'रजकण', प्रो० अभिमन्यु प्रसाद मौर्य, प्रो० उमाशंकर सिंह 'सुमन', प्रकाशक - मगही साहित्य सम्मेलन, बिहार (अछुआ-पाली), पटना; xviii + 340 + 22 पृ०; मूल्य - 251/- रु०