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Saturday, August 29, 2009

25. हर साल बँटेगा योगेश सम्मान

दैनिक हिन्दुस्तान (पटना), 30 अगस्त 2009
बाढ़ (नि.सं.) । मगही के महाकवि योगेश्वर प्रसाद सिंह 'योगेश' को उनके पैतृक गाँव नीरपुर में प्रदेश भर से जुड़े साहित्यकारों और कलाकारों ने श्रद्धांजलि अर्पित की और उनके कार्यों को आगे बढ़ाने के लिए 'महाकवि योगेश फाउंडेशन' बनाने पर सहमति जताई । यह संस्था प्रति वर्ष कवि योगेश की पुण्यतिथि पर हिन्दी और मगही के दो कवियों को 'योगेश स्मृति सम्मान' देगी ।


कवि योगेश के ज्येष्ठ पुत्र अनिल सिंह ने बताया कि उनकी स्मृति में क्षेत्र के लोगों के लिए एक बृहद् पुस्तकालय की स्थापना की जाएगी । इसके लिए प्रक्रिया शुरू कर दी गई है ।कवि योगेश को श्रद्धांजलि देने के लिए बुधवार शाम से गुरुवार देर रात तक कार्यक्रम चलते रहे । कवि गीतकार रामाश्रय झा, पुष्पदल पत्रिका के संपादक मिथिलेश सिंह, अणुव्रत आंदोलन से जुड़े प्रोफेसर साधु शरण सिंह, राजकुमार प्रेमी, अरविंद अकेला, डॉ॰ प्रदीप राय भी कवि योगेश को श्रद्धांजलि देने आए । इस मौके पर प्रसिद्ध भोजपुरी गायक मनोज तिवारी 'मृदुल' ने एलान किया कि वह कवि योगेश की कविताओं को स्वर देंगे । श्रद्धांजलि सभा में डेढ़ घंटे की उपस्थिति के दौरान मनोज तिवारी ने कई भजन सुनाए और बेकाबू प्रशंसकों की भीड़ से फिर आने का वादा किया ।

Sunday, August 23, 2009

24. मगही के महाकवि डा. योगेश्वर प्रसाद सिंह योगेश का निधन

http://in.jagran.yahoo.com/news/local/bihar/4_4_5702963_1.html

मगही कवि डा. योगेश्वर प्रसाद सिंह का निधन
13 Aug 2009, 12:43 am

पटना: मगही कवि डा. योगेश्वर प्रसाद सिंह 'योगेश' का निधन बुधवार की दोपहर तीन बजे पैतृक गांव नीरपुर में हो गया। वे अस्सी साल के थे। उनका अंतिम संस्कार गुरुवार को पैतृक गांव में किया जायेगा। उन्होंने मगही का प्रथम काव्य 'गौतम' समेत दो दर्जन से अधिक पुस्तकों की रचना की। डा. योगेश को बिहार सरकार से लोकगाथा सम्मान समेत कई पुरस्कारों से सम्मानित किया जा चुका है।


http://bhadas4media.com/index.php?option=com_content&view=article&id=2255:media-coverage&catid=44:dukh-dard&Itemid=70

महाकवि की मौत और पटना की मीडिया

Tuesday, 18 August 2009 16:01 B4M Reporter भड़ास4मीडिया - दुख-दर्द

पटना की मीडिया साहित्य का कितना मर्म समझती है, इसका पता इसी से लगता है कि 12 अगस्त को मगही के महाकवि डा. योगेश्वर प्रसाद सिंह योगेश का पटना के गांव नीरपुर में निधन हो गया. वहां के सबसे बड़े अखबार हिंदुस्तान ने दो लाइन की भी खबर नहीं छापी. जागरण, सहारा, प्रभात खबर ने जरूर संक्षेप में इसे जगह दी. क्या मीडिया के लोगों की संवेदना मर चुकी है? भागी हुई लड़की बरामद... जैसी खबरें स्थानीय पृष्ठों पर लीड लगी रहती हैं और वरिष्ठ साहित्यकार का निधन जगह पाने लायक खबर नहीं है?

मगही मगध क्षेत्र की भाषा है और इसका प्राचीन इतिहास भी है. खुद कवि योगेश ऐसी शख्सियत नहीं थे कि वे लोगों को जानने के लिए अखबारों के मोहताज रहें. कभी उन्होंने छपने के लिए लाबिंग नहीं की. उन्होंने मगही के प्रथम महाकाव्य 'गौतम' की 1966 में रचना की थी. उन्होंने करीब दो दर्जन से अधिक पुस्तकों की रचना की. डा. योगेश को बिहार सरकार से लोकगाथा सम्मान समेत कई पुरस्कारों से सम्मानित किया जा चुका है.

मगही के शिखर पुरुष माने जाने वाले कवि योगेश की लोकप्रियता का अंदाजा इस बात से लगता है कि उनके छोटे से गांव में निधन की खबर फैलते ही आसपास के दो-तीन हजार लोग जुट गए. श्रद्धांजलि अर्पित करने वालों का तांता 18 घंटे तक लगा रहा. इसमें बुद्धिजीवी कम, आसपास के इलाके के ग्रामीण ज्यादा थे और हर वर्ग, हर जाति के थे. लोगों के अनुरोध के कारण शव यात्रा 10 किलोमीटर तक आसपास के गांवों में घुमानी पड़ी और एक हजार से अधिक लोगों की भीड़ अनवरत साथ चलती रही. लेकिन यह सब अखबारों और उसके पत्रकारों को नहीं दिखा. यह भीड़ सिर्फ साहित्यकार या कवि होने के कारण नहीं थी. यह उनकी जनप्रियता के कारण थी. योगेश जी तो गुजर गए पर सवाल यह रहता है कि मीडिया की कसौटी क्या है? कुत्ते-बिल्ली के चोरी होने और मंत्री के छींक आने की खबर लीड क्यों बनती है और साहित्यकार की मौत खबर क्यों नहीं बनती? तो क्या मीडिया जनता से कट रही है और अपने ही बनाए मानकों से मुकरते हुए मुग्ध हो रही है?

-पटना से एक पाठक का पत्र

Wednesday, August 19, 2009

23. मगही पुस्तक 'धरोहर मगध के' प्रकाशित

http://in.jagran.yahoo.com/news/local/bihar/4_4_5637863.html
19 Jul 2009 10:52 pm
गया। हिन्दी और मगही के लेखक डा. राकेश कुमार सिन्हा 'रवि' की एक और पुस्तक 'धरोहर मगध के' मगही में प्रकाशित हो गयी है। इस पुस्तक में मगध के कई धरोहरों के बारे में डा. रवि ने जानकारी दी है जिसमें गया के अलावे औरंगाबाद, नवादा, जहानाबाद के धरोहरों की जानकारी है। इसके पूर्व डा. रवि की सात पुस्तकें हिन्दी और मगही में प्रकाशित हो चुकी हैं।

Tuesday, August 11, 2009

22. मगही एकता मंच ने की सशक्तीकरण पर चर्चा

http://in.jagran.yahoo.com/news/local/jharkhand/4_8_5675607/
03 Aug 2009, 12:26 am

जमशेदपुर। मगही एकता मंच की बैठक रविवार को हुई, जिसमें मगही भाषियों को सशक्त बनाने पर चर्चा की गई। बैठक की अध्यक्षता करते हुए मंच के अध्यक्ष हाजी वसीमुल्लाह ने कहा कि मगध में लेने का नहीं, देने का रिवाज है। मंच के सदस्य मगही भाषियों को सशक्त बनाने के लिए पूरी ताकत झोंक देगी। महासचिव उपेंद्र सिंह ने कहा कि जिस परिवार, जाति, धर्म में एकता होगी, वही ताकतवर होगा। मुख्य वक्ता चंद्रभान सिंह ने कहा कि संगठन मजबूत हो गया है, इसलिए अब कार्यक्रमों में तेजी आएगी। उपाध्यक्ष रामउदय ठाकुर ने 23 अगस्त को मंच के पदाधिकारियों का अभिनंदन करने की बात कही। बैठक में राजेश रजक, डा. भोलेंद्र पांडेय, श्याम बिहारी ठाकुर, योगी पांडेय, सुरेंद्र पांडेय, सतीश सिंह, हरेंद्र प्रसाद, गौरीशंकर, फयाज आलम, हकीम शहाबुद्दीन सिद्दीकी, अलाउद्दीन सिद्दीकी, अशोक चौधरी आदि ने मंच की मजबूती के लिए ईमानदारी से जुड़ने की अपील की। धन्यवाद ज्ञापन बलराम रजक व संचालन सत्येंद्र सिंह ने किया, जबकि इस मौके पर अशफाक आलम, अजय सिंह, विनोद रजक, दीपक सिंह, संजय राय, अरविंद ठाकुर, सच्चिदानंद शर्मा, रंगनाथ शर्मा, मृत्युंजय, रंजीत कुमार अंजाना, अनवर आलम, राजेंद्र गुप्ता, प्रमोद तिवारी, रामायण सिंह, अभय चौबे, बिंदेश्वर सिन्हा, उदय यादव, सुनील, सुजीत, अशोक सिंह आदि उपस्थित थे।

Friday, August 07, 2009

21. मगही को 8वीं अनुसूची में शामिल करने के प्रयास जारी : मंत्री

http://in.jagran.yahoo.com/news/local/bihar/4_4_5654494.html

26 Jul 2009, 12:28 am

बोधगया (गया) । मगध विश्वविद्यालय स्नातकोत्तर वनस्पति विज्ञान विभाग के सभागार में शनिवार को मगध अकादमी गया द्वारा डा. राम प्रसाद सिंह साहित्य पुरस्कार सीरीज समारोह का आयोजन किया गया। समारोह को संबोधित करते हुए सूबे के कल्याण मंत्री जीतन राम मांझी ने कहा कि मगही भाषा को 8 वीं अनुसूची में शामिल करने का प्रयास चल रहा है। मगही भाषा के प्रति सूबे के मुख्यमंत्री नीतीश कुमार का भी झुकाव है। मंत्री श्री मांझी ने मगही के उत्थान, प्रचार-प्रसार के क्षेत्र में डा. सिंह के योगदान की सराहना की। उन्होंने कहा कि आज हिन्दी भाषी हीन भावना से ग्रसित है। इसलिए मगही भाषा उपेक्षित है। समारोह के मुख्य अतिथि पूर्व केन्द्रीय मंत्री उपेन्द्र नाथ वर्मा ने कहा कि आजादी के बाद गांव-गांव में अंग्रेजी स्कूल खुला। और लोगों पर अंग्रेजियत हावी हो गया। लोगों को हिन्दी के प्रति श्रद्धा नहीं रहने के कारण आज निमंत्रण पत्र तक अंग्रेजी में छापा जा रहा है। समारोह के अध्यक्ष मविवि के कुलपति प्रो. वी.एन. पांडेय ने कार्यक्रम को जीवन्तता का प्रतीक बताया। उन्होंने कहा कि कोई भी संस्कृति या समाज लोकभाषा पर टिकी है। और उसका विकास भी उसी पर संभव है। लेकिन भाषा की दृष्टि से भारत आज भी गुलाम है। जबकि विश्व में भारत कई भाषाओं का संगमस्थली माना जाता है। समारोह को डा. वंशीधर लाल, मगही अकादमी के अध्यक्ष ओंकार आर्य, डा. इन्द्रदेव प्रसाद, कुमुद वर्मा आदि ने संबोधित किया। समारोह का उद्घाटन सूबे के कल्याण मंत्री श्री मांझी, पूर्व केन्द्रीय मंत्री श्री वर्मा व कुलपति प्रो.पांडेय ने सामूहिक रूप से दीप प्रज्वलित कर किया। इस अवसर पर हिन्दी में विशिष्ट लेखन के लिए शैवाल जी, भोजपुरी में राजेन्द्र परदेशी व मगही में राम पुकार सिंह को पुरस्कृत किया गया। धन्यवाद ज्ञापन डा. रामप्रसाद सिंह व मंच संचालन डा. उपेन्द्र नाथ वर्मा ने की।

Tuesday, August 04, 2009

20. मगही एकता मंच ने दिया भाषा के प्रयोग पर जोर

http://in.jagran.yahoo.com/news/local/jharkhand/4_8_5600078_1.html

05 Jul 2009, 11:42 pm
जमशेदपुर। मगही एकता मंच की बैठक रविवार को होटल फ्रेंडशिप इन में हुई, जिसकी अध्यक्षता शफी अहमद ने की। इसमें मुख्य वक्ता चंद्रभान सिंह ने कहा कि हमें आपस में मगही भाषा का प्रयोग करने के साथ ही बच्चों को भी भाषा की जानकारी देनी चाहिए। हमें आपस में खुलकर एक-दूसरे का सहयोग भी करना चाहिए। इस मौके पर नाई समाज के अध्यक्ष रामउदय ठाकुर, रजक समाज के अशोक रजक, जमशेदपुर बस ओनर्स संघ के राम उदय प्रसाद सिंह, रामनारायण शर्मा, शैलेंद्र सिंह, प्रवीण कुमार, शीलाचंद्र प्रसाद, दानिश अहमद, शमीम जावेद, मो. रकीब आदि ने मगही समाज को एक सूत्र में पिरोने के लिए बैठक में अधिक से अधिक लोगों को जोड़ने की बात कही। शिक्षक भास्कर ने कहा कि झारखंड के केवल तीन जिले में ही भोजपुरी-मगही को बहाली में मान्यता दी गई है। हमारे समाज के युवकों के लिए नियुक्ति का रास्ता बंद हो गया है। तौकीर मुंतखब ने कहा कि गर्व का विषय है कि सभी भाई एकजुट हैं। आरके सिंह ने कहा कि यहां 40 साल पहले मगही मित्र मंडल का गठन हुआ था, परंतु यह साकार रूप नहीं ले सका। पत्रकार रंजीत सिंह ने समाज का वेबसाइट तैयार करने का सुझाव दिया। आज की बैठक में उपेंद्र सिंह, प्रवीण कुमार, ललन रजक, अजीत कुमार, श्याम बिहारी ठाकुर, गोपाल प्रसाद, मदन लाल, मंजीत कुमार, अरविंद लाल, दीपक सिंह, किशोर प्रभात, विपिन शर्मा, रामाश्रय ठाकुर, अमर, विक्रांत शर्मा, शैलेंद्र सिंह, विजय तिवारी, राजेंद्र प्रसाद, राजदेव प्रसाद, अरुण कुमार आदि उपस्थित थे। धन्यवाद ज्ञापन उपेंद्र सिंह ने किया।