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Saturday, January 23, 2010

29. 'सरधा के दू फूल' मगही संवाद का विमोचन

http://in.jagran.yahoo.com/news/local/bihar/4_4_6092788.html

10 Jan 2010, 10:06 pm

वारिसलीगंज (नवादा): स्थानीय सूर्य मंदिर स्थित शांतिपुरम् में रविवार को बिहार मगही मंडप का 74 वाँ कार्यक्रम आयोजित हुआ। इस दौरान मंडप के अध्यक्ष राम रतन प्रसाद सिंह रत्नाकर द्वारा संपादित मगही संवाद 'सरधा के दू फूल' का लोकार्पण लिमिका बुक में नाम दर्ज करवा चुके कृष्ण मुरारी सिंह ने किया। किसानों के लिए रूस, चीन सहित कई देशों की यात्रा कर चुके शेखपुरा जिला निवासी कृष्ण मुरारी सिंह किसान द्वारा लोकार्पण पश्चात् तीन दर्जन से अधिक मगही कवियों व साहित्यकारों ने अपनी रचना का भावपूर्ण पाठ कर उपस्थित लोगों की वाहवाही लूटी। इस भदसेनी ग्रामीण मगही कवि राजेन्द्र सिंह ने अपनी कविता के माध्यम से क्षेत्र में सुखाड़ का चित्रण किया। सम सामायिक कविता के तहत श्री सिंह ने चूड़ा व तिलसकरात पर्व पर से जुड़े भावपूर्ण प्रस्तुति कर कृषकों के दर्द को रखा। कार्यक्रम में नवादा, नालंदा, गया तथा शेखपुरा जिले के कवियों ने सामाजिक जड़ता, बिखरते रिश्ते और महंगाई की मार के बीच भागो नहीं दुनिया को बदलो का संदेश दिया। श्री रत्नाकर ने कहा कि मगही भाषा को संविधान की आठवीं अनुसूची में स्थान दिलवाने के लिये मंडप प्रयत्नशील है। राज्य सरकार राजनीतिक तौर पर संकोच में है। उन्होंने कहा की साहित्य समाज को जोड़ता है और जोड़ने का काम सभी साहित्य साधक कर रहे हैं।

इस मौके पर मंडप के सचिव डा. गोविन्द जी तिवारी समेत मगही कवि दीनबंधु, लालमुनि विक्रांत, जयराम देवसपुरी, कारू गोप, कृष्ण कुमार भट्ठा, प्रो. धीरेन्द्र कुमार धीरू, डा. संजय, सचिदानंद सितारे हिन्द, डा. शालिग्राम मिश्र निराला, रामवृक्ष महाजन, डा. सुनील समेत अन्य कवियों ने अपनी-अपनी रचना का पाठ किया।

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