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Saturday, July 31, 2010

1. अटपट रोग झटपट इलाज

लेखक - डॉ॰ कृष्णकान्त पंडित, अध्यक्ष, मुंगेर होमियोपैथिक संघ

एकबैक कोय रोग होय त समझऽ हे ई रोग आकस्मिक ।
होमियोपैथी के लऽ एक बूँद, कर देतो ओकरा तुरते ठीक ॥

रक्खऽ सही दवइया भइया, जन-जन लागी जे उपकारी ।
कब-कब कहाँ लेल जात की, रक्खऽ एकर तों जनकारी ॥

लू लगे पर द ग्लोनोइन, गड़े खोरैठा ऐंटिमक्रूड
देह बरफ हो, कार्बोवेज, बिजली-घात पर कॉफियाक्रूड

एँड़ी हड्डी बढ़े ऐंटिमक्रूड, हाथ-हड्डी कैलकेरियाफॉस
ठेहुना दरद करे बायोनिया, खून-कमी होय फेरमफॉस

गठिया, पेट दरद कोलोसिथ, दाँत-दरद पर कैमोमिला
अंडकोस या कान दरद होय, दे द तब तो पलसेटिला

पेट जोंक होय दे दऽ, सिना, दस्त में चाइना, कैलकेरियाफॉस
कान के हड्डी बढ़े कोनियम, टायफायड में कालीफॉस

अतिरज ओंकी सरदी-खाँसी में द झट तों इपिकाक
वात-दरद आउ जुरपित्ती में आरटिका यूरेंस के हे धाक ॥

जूड़ी में नेट्रम मूर, चाइना, आउ प्लेग में कालीमियोर
नाक के हड्डी बढ़े त दे द एफ॰ एसिड, कैलकेरियाफुलोर

पित-पथरी में बरबरिस, चाइना, खूब मूते तब नेट्रमसल्फ
पस होवे त द साइलीसिया, पस रोकइ कैलकेरियासल्फ

बिकोलाय में द बरबरिस, हँगुरी-वात में कोलोफाइलम
काँच जब इँकसे दे द एलो, नैं तो दे द पोडोफाइलम

मूत पथरी में सरसापैरेला, प्रोस्टेट रोग सबलसेरूलेटा
खून खराब फोड़ा पाइरोजन, दम्मा में कारगर हे ब्लेटा

हाय अँगुरी बेढ़ा साइलीसिया, बाल झड़े तब सेलेनियम
रूसी-मस्सा में द थूजा, जिगर दरद होय लाइकोपोडियम

गरमी-सुजाक में मर्कसोल, थूजा आउ मुँहासा में सोरीनम
बहिरापन में मूलेन ऑयल, कान नगाड़ा थायोसियामिनम

कंठ नली जरो बेलाडोना, सुतले मूते त कॉस्टीकम
पढ़े, आँख दरद होय रूटा, कमर दरद होय मेक्रोटीनम

मूत रुके त एकोनाइट, पिलही होय त दे द चाइना
कारबंकल होय एंथासोनम, पागलपन पर सर्पेण्टाइना

मुँह आवे पर बोरैक्स दे द, बवासीर में नक्सभौमिका
टौंसिल में बैराइटा कारब, चोट-मोच में द आरनिका

चोट-मोच ला भी हे रूटा, हड्डी जोड़े हे सिमफाइटम
आँख लाल त द बेलाडोना, माथ-बुखार अरजंट नाइट्रीकम

पेसीफ्लोरा निंदिया लावइ, खून-पेशाब कैंथेरिस भगावइ ।
पायरिया भगावइ हेक्टालावा, सबके दँतियन के चमकावइ ॥

मोटापा में फाइटोलिका, नामरदी में द एसिड फॉस
काटे सरप त द तों लेकसिन, दस्त-कीड़ा होय द नेटरम फॉस

नैन जोत ला कैलकेरियाफॉस, मोतियाबिन्द ला कैलकेरियाफ्लोर
आँख में डालऽ सिनरेरिया बूँद, साफ-साफ देखबऽ तब सब ओर ॥

कुकुरखाँसी में परटूसिन, जब टाँग अकड़इ लेथारिस
फटे बिवाय द एगारिकम, जरो चाम त दऽ कैंथेरिस

तुतलावे पर स्ट्रामिनियम, खाज-खुजली में एचिनेमिया
मुँह में गड़ल इँकासइ, काँटा मछली के ऊ हे साइलीसिया

गिल्टी सूजे द आयोडम, हैजा में दे दऽ तों बेरेट्रम
ग्रंथि सूजे द बेडियागा, चाम सुन्न होय द जेलसीमियम

ठंढ रोग पर रसटक्स दे द, कंठमाल कैलकेरिया कारब
दिल के रोगी के क्रेटेगस, होय अजीर्ण त काली कारब

सभ दवाय के सार हम, रचली 'कांत' विचारि ।
आकस्मिक इलाज अब, कर लऽ सब नर-नारि ॥

[मगही मासिक पत्रिका "अलका मागधी", बरिस-१०, अंक-२, फरवरी २००४, पृ॰११ से साभार]

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