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Thursday, December 18, 2014

अपराध आउ दंड - भाग – 1 ; अध्याय – 7



अपराध आउ दंड

भाग – 1

अध्याय – 7

दरवाजा पहिलहीं जइसन पतरा दरार नियन खुललइ, आउ फेर से दूगो तेज आउ शंकालु आँख अन्हरवे में ओकरा तरफ घूरलइ । हियाँ रस्कोलनिकोव अपन मानसिक सन्तुलन खो बइठलइ आउ एगो बड़गर भूल करहीं वला हलइ । ई डर से, कि बुढ़िया कहीं ई बात से डर नयँ जाय, कि ओकन्हीं अकेल्ले हकइ, आउ ई आशा नयँ करके, कि ओकरा देखके ओकर शक मिट जइतइ, ऊ दरवजवा पकड़ लेलकइ आउ अपना तरफ घिंचलकइ, ताकि बुढ़िया कहीं फेर से दरवजवा बन नयँ कर ले । ई देखके, बुढ़िया दरवाजा के अपना तरफ तो नयँ खिंचलकइ, लेकिन ऊ हैंडिल भी नयँ छोड़लकइ, ओहे से रस्कोलनिकोव ओकरा लगभग दरवाजा सहित ज़ीना पर घींच लेलकइ । ई देखके, कि बुढ़िया दरवजवा के आड़े हकइ आउ ओकरा जाय नयँ दे हइ, ऊ सीधे बुढ़िया तरफ बढ़लइ । बुढ़िया डर से उछलके बगल में हो गेलइ, ऊ कुछ कहे ल चाह रहले हल, लेकिन मानूँ नयँ कह पा रहले हल आउ ओकरा तरफ खाली तक रहले हल ।

"नमस्ते, अल्योना इवानोव्ना", ऊ यथासंभव निस्संकोच होके शुरू कइलकइ, लेकिन ओकर गला ओकरा साथ नयँ दे रहले हल, बीच-बीच में रुक-रुक जा हलइ आउ काँप रहले हल । "हम तोहरा पास अइलियो ह ... गिरवी के समान लइलियो ह ... लेकिन अच्छा होतइ कि हियाँ चलल जाय ... रोशनी में ..." आउ ओकरा छोड़के ऊ सीधे बिन अनुमति के कोठरी के अन्दर चल गेलइ । बुढ़िया ओकर पीछू दौड़के गेलइ; ओकर जबान खुल गेलइ ।
"हे भगमान ! की बात हइ ? ... तूँ के हकऽ ? तोहरा की चाही ?"
"क्षमा करऽ, अल्योना इवानोव्ना ... हम तोहर परिचित हकियो ... रस्कोलनिकोव ... अइकी, गिरवी के समान लइलियो ह, जेकरा बारे हाल में वादा कइलियो हल ..." आउ ऊ समान सामने कइलकइ ।

बुढ़िया गिरवी के समान पर नजर डालहीं वली हलइ, कि ओहे क्षण बिन बोलावल मेहमान के आँख में सीधे आँख डालके घूरे लगलइ । ऊ ओकरा तरफ गौर से, द्वेष भरल दृष्टि से आउ अविश्वास से देख रहले हल । करीब एक मिनट गुजर गेलइ; ओकरा बुढ़िया के अँखिया में एक प्रकार के उपहास नजर अइलइ, मानूँ ऊ सब कुछ भाँप गेले हल । ऊ अनुभव कइलकइ, कि जइसे ओकर दिमाग नयँ काम कर रहल ह, कि ऊ लगभग भयभीत होल हइ, एतना हद तक भयभीत, कि लगऽ हइ कि अगर ऊ ओइसीं देखते रहइ, आउ आधा मिनट एक्को शब्द नयँ बोलइ, त ऊ ओकरा भिर से भाग जइतइ ।

"अइसे तूँ हमरा काहे देख रहलऽ ह, जइसे हमरा पछानवे नयँ कइलऽ ?" ऊ अचानक द्वेषे के साथ बोल देलकइ । "अगर चाहऽ ह, त ल, आउ नयँ - त दोसरा के हियाँ जाम, हमरा पास समय नयँ हके ।"
ई बात कहे के बारे ऊ सोचवो नयँ कइलके हल, अइसीं ओकर मुँह से निकल गेले हल ।
बुढ़िया होश में आ गेलइ, आउ ओकर मेहमान के दृढ़ तान (टोन) से लगऽ हइ कि ओकरा में आत्मविश्वास आ गेलइ ।

"लेकिन की बात हइ, बबुआ, एतना अचानक ... ई कउची हकइ ?" गिरवी के वस्तु तरफ देखते ऊ पुछलकइ ।
"चानी के सिगरेट-केस - पिछले तुरी हम बतइलियो हल न ।"
बुढ़िया अपन हाथ आगे बढ़इलकइ ।
"लेकिन तूँ कोय कारण-वश केतना पीयर पड़ गेलऽ ह ? अइकी, तोर हथवो कँप रहलो ह ! तूँ नहइलऽ ह की बबुआ ?"
"बोखार" ऊ तपाक से उत्तर देलकइ । "मजबूरन पीयर तो अदमी पड़वे करतइ ... अगर खाय लगी कुछ नयँ रहइ तो ।" मोसकिल से शब्दन के उच्चारण करते ऊ आगे बोललइ ।

ओकरा फेर काबू नयँ पड़ रहले हल । लेकिन ओकर उत्तर तर्कसंगत लग रहले हल; बुढ़िया गिरवी के समान ले लेलकइ ।
"कउची हइ ?" ऊ पुछलकइ, एक तुरी फेर से एकटक रस्कोलनिकोव तरफ देखते आउ गिरवी के समान के हथवा पर तौलते ।
"समान ... एगो सिगरेट-केस ... चानी के ... देखऽ ।"
"लेकिन ई तो चानी के नयँ लगऽ हको ... अरे ! ई तो लपेटल हइ ।"

फीता खोले के कोशिश करते आउ खिड़की तरफ मुड़ते, रोशनी तरफ (उमस के बावजूद ओकर घर के सब्भे खिड़की बन हलइ), ऊ कुछ सेकेंड लगी ओकरा बिलकुल छोड़ देलकइ आउ अपन पीठिया ओकरा तरफ करके खड़ी रहलइ । ऊ कोट के बोताम खोल लेलकइ आउ कुल्हड़िया के फाँस से अलगे कर लेलकइ, लेकिन बिलकुल बाहर नयँ निकसलकइ, बल्कि पोशकवा के अन्दरे ओकरा दहिना हथवा से पकड़ले रहलइ । ओकर हथवा बेहद कमजोर हलइ; ओकरा खुद अनुभव हो रहले हल कि हरेक पल कइसे अधिक आउ अधिक ऊ सुन्न आउ काठ होल जा हलइ । ऊ डर रहले हल, कि कहीं कुल्हाड़ी फिसलके गिर नयँ जाय ... अचानक ओकर सिर चकराय लगलइ ।
"देखऽ, कइसे एकरा लपेट देलके ह !" बुढ़िया झुँझलइते चिखलइ आउ ओकरा तरफ बढ़लइ ।

अब आउ एक्को पल खोवे के नयँ हलइ । ऊ कुल्हाड़ी पूरा बाहर निकास लेलकइ, दुन्नु हाथ से ओकरा भँजलकइ, मोसकिल से खुद के एक्कर अनुभव कइले, आउ लगभग बिन प्रयास के, लगभग यन्त्रवत्, कुंद हिस्सा (butt) तरफ से ओकर मथवा पर गिरा देलकइ । एकरा में ओकर ताकत के प्रयोग जइसन नयँ लग रहले हल । लेकिन जइसीं ऊ कुल्हड़िया एक तुरी चलइलकइ, कि ओकरा में मानूँ ताकत आ गेलइ ।

बुढ़िया हमेशे के तरह नंगे सिर हलइ । बीच-बीच में सफेद होल आउ चमकीला, ओकर बिलकुल झीना बाल, हमेशे जइसन गाढ़ा तेल चुपड़ल, चूहा के पुच्छी नियन चोटी कइल आउ टुट्टल सींग के कंगही से अटकावल हलइ, आउ ओकर सिर के पाछू मुँहें लटकल हलइ । चोट ठीक ओकर खोपड़ी पर पड़लइ, जेकरा खातिर ओकर छोटका कद असान कर देलके हल । ऊ चीख पड़लइ, लेकिन कमजोर अवाज में, आउ अचानक पूरा देह फर्श पर पड़ गेलइ, हलाँकि ऊ दुन्नु हाथ सिर तरफ उठा पइलके हल । एक हाथ में अभियो "गिरवी के समान" पकड़लहीं रहलइ । तब ऊ अपन पूरा जोर लगाके आउ एक तुरी, आउ फेर लगातार दोसरा तुरी प्रहार कइलकइ, हर तुरी कुल्हड़िया के कुंद हिस्सा से आउ ठीक खोपड़िये पर । खून के धार फूट पड़लइ, जइसे उलटल गिलास से, आउ ओकर देह पीठिया के बल गिरलइ । रस्कोलनिकोव पीछे हट गेलइ, ओकरा गिरे देलकइ तुरते ओकर चेहरवा तरफ झुकलइ; ऊ मर चुकले हल । ओकर अँखिया पूरा खुल्लल हलइ, मानूँ निकस के बाहर आ जइतइ, आउ ओकर निरार आउ पूरा चेहरा झुर्रीदार हो गेले हल आउ ऐंठन से विकृत हो गेले हल ।

ऊ कुल्हाड़ी फर्श पर रख देलकइ, लाश के पास, आउ तखनिएँ ओकर धोकड़ी टोलकइ, ई प्रयास करते, कि बह रहल खून कहीं नयँ लेसड़ा जाय - बिलकुल ओहे दहिना करगी वला धोकड़ी, जेकरा से पिछले तुरी ऊ बुढ़िया कुंजिया निकसलके हल । ऊ पूरा होश में हलइ, ओकर बुद्धि में ग्रहण नयँ लगले हल आउ सिर में चक्कर-उक्कर अभी तक नयँ अइले हल, लेकिन ओकर हाथ लगातार काँप रहले हल । ओकरा बाद में आद पड़लइ, कि ऊ बिलकुल एकाग्र हलइ, सवधान, लगातार ध्यान रखले हलइ कि दाग नयँ लग पावे ... कुंजी तो ऊ तुरते निकास लेलकइ; सब्भे कुंजिया, तहिने नियन, एगो झब्बा में हलइ, एगो स्टील के छल्ला में । तुरते ऊ दौड़के शयनकक्ष में चल गेलइ । ई एगो बहुत छोटगर कमरा हलइ, जेकरा में प्रतिमा (icons) के रक्खे के एगो बड़का गो बक्सा हलइ । दोसरका देवाल बिजुन एगो बड़गर पलंग हलइ, बहुत साफ-सुथरा, जेकरा पर हलइ रेशमी कपड़ा के कइएक टुकड़ा के तहदार रूप से जोड़ल, आउ रूई से भरल रजाय । तेसर देवाल के पास हलइ एगो दराजदार अनवारी । अजीब बात हलइ - जइसीं ऊ अनवारी में कुंजी लगावे ल चालू कइलकइ, तभिये ओकर झनकार सुनाय पड़लइ, मानूँ ओकरा में ऐंठन के लहर दौड़ गेलइ । ओकरा अचानक इच्छा होलइ कि सब कुछ छोड़के भाग जाय । लेकिन अइसन एक पल खातिर होलइ; छोड़के जाय खातिर अब बहुत देर हो चुकले हल । ऊ अपने ऊपर मुसकइवो कइलइ, लेकिन अचानक दोसर चिंताजनक विचार ओकर दिमाग में अइलइ । ऊ अचानक कल्पना कइलकइ, कि बुढ़िया अभियो शायद जिन्दा होवे आउ फेर से होश में आ जाय । कुंजी आउ अनवारी छोड़के ऊ वापिस लाश तरफ दौड़के गेलइ, कुल्हड़िया पकड़लकइ आउ फेर एक तुरी बुढ़िया के उपरे भँजलकइ, लेकिन  प्रहार नयँ कइलकइ । एकरा में कोय शक नयँ हलइ, कि ऊ मर चुकले हल । झुकके आउ ओकरा आउ नगीच से जाँचके, ओकरा साफ-साफ देखलकइ, कि खोपड़िया फट्टल हलइ आउ थोड़े सन एक तरफ विस्थापित (displaced) भी हो गेले हल । ऊ अंगुरी से छूके देखे वला हलइ, कि हाथ पीछू घींच लेलकइ; बिन छुलहूँ ई साफ झलक रहले हल । ई दौरान खून जामा होके एगो पूरा पोखरी बन गेले हल । अचानक ओकरा ओकर गरदन में एगो डोरी देखाय देलकइ; ओकरा घिंचलकइ, लेकिन डोरी मजगूत हलइ आउ नयँ टुटलइ; एकर अलावे खून से तर-बतर हलइ । ऊ ओकर चोली के अन्दर से घींचके निकासे के कोशिश कइलकइ, लेकिन कुछ तो बाधा दे रहले हल, एकरा अटकइले हलइ । बेसब्री में ऊ फेर से कुल्हाड़ी उठइलकइ, कि देहिया के उपरहीं से डोरी के काट ले, लेकिन ओकरा हिम्मत नयँ पड़लइ, आउ मोसकिल से, हाथ आउ कुल्हाड़ी दुन्नु के खून से लसड़ा गेला पर करीब दू मिनट के प्रयास के बाद, कुल्हड़िया के देहिया पर बिन स्पर्श कइले, डोरी काट लेलकइ आउ घींच लेलकइ; ओकर अनुमान गलत नयँ हलइ - ई बटुए हलइ । डोरी पर दूगो क्रॉस हलइ - एगो साइप्रेस के लकड़ी के आउ दोसरका तामा के, आउ एकर अलावे, मीनाकारी कइल एगो प्रतिमा; आउ ओहे सब के साथ ओज्जे परी लटक रहले हल एगो छोटगर स्वेड चमड़ा के चिक्कट बटुआ, स्टील फ्रेम आउ छल्ला के साथ । बटुआ बहुत कसके पैक कइल हलइ; रस्कोलनिकोव ओकरा बिन जाँचले अपन धोकड़ी में घुसा लेलकइ, क्रॉस के बुढ़िया के सीना पर फेंक देलकइ, आउ अबरी कुल्हाड़ी अपन साथ लेके, फेर से शयनकक्ष में लपकके गेलइ ।

ऊ बेहद जल्दी में हलइ, कुंजिया झपटके लेलकइ आउ फेर से सबके लगाके देखे लगलइ । लेकिन कइसूँ ओकरा सफलता नयँ मिललइ - कोय कुंजी तलवा में लगिये नयँ रहले हल । एकर कारण ई नयँ हलइ कि ओकर हाथ एतना जादे काँप रहले हल, बल्कि ऊ लगातार गलती कर रहले हल - उदाहरणस्वरूप, ऊ देख रहल ह कि कुंजी ऊ नयँ हइ, ओकरा में घुसतइ नयँ, तइयो लगातार घुसा रहल ह । अचानक ओकरा आद पड़लइ आउ समझ में आ गेलइ, कि खाँचदार अनी वला ई बड़का कुंजी, जे बाकी छोटकन कुंजिया के साथ झूल रहले ह, पक्का दराजदार अनवारी के नयँ हो सकऽ हइ (जइसन कि पिछले तुरी ओकर दिमाग में अइले हल), बल्कि कोय तिजोरी के, आउ एहे तिजोरी में शायद सब कुछ छिपावल होतइ । ऊ दराजदार अनवारी के छोड़ देलकइ आउ तुरतम्मे पलंग के निच्चे हुलकके जाँचे लगलइ, ई जानके, कि बुढ़ियन साधारणतः तिजोरी पलंग के निच्चे रखते जा हइ । बात एहे हलइ - अच्छा बड़गर तिजोरी हलइ, एक अर्शीन (= 28 इंच) [1] से जादे लम्मा, उपरे तरफ उभरल (मेहराबदार) आउ लाल मराको (morocco) चमड़ा से गद्दीदार बनावल ढक्कन वला, जेकरा में स्टील के काँटी जड़ल हलइ । खाँचदार कुंजी तुरते लग गेलइ आउ ताला खुल गेलइ । उपरे में, एगो उज्जर चद्दर के निच्चे, खरगोश के खाल के एगो कोट हलइ, जेकरा में लाल ज़री के गोट लगल हलइ; ओकरा निच्चे एगो रेशमी पोशाक हलइ, आउ तब शाल, आउ तब आउ निच्चे में पुरनकन कपड़ा-लत्ता । सबसे पहिले ऊ लाल जरी से खून लगल अपन हथवा के पोंछलकइ । "ई लाल हइ, आउ लाल पर खून आउ कमती दृष्टिगोचर होवऽ हइ", ओकर दिमाग में ई तर्क चालू होलइ, लेकिन तुरतम्मे ऊ होश में आ गेलइ । "हे भगमान ! हमर दिमाग तो खराब नयँ हो रहल ह ?" ऊ भयभीत होके सोचलकइ ।

लेकिन जइसीं ऊ पुरनकन कपड़वन के हाथ लगइलकइ, तइसीं कोट के अन्दर से एगो सोना के घड़ी फिसलके बाहर अइलइ । ऊ फटाफट सबके उलटे-पलटे लगलइ । वास्तव में, पुरनकन कपड़वन के बीच सोना के बहुत रंगन के चीज रक्खल हलइ - शायद, सब्भे गिरवी के समान हलइ, निष्क्रीत आउ अनिष्क्रीत (बंधक छोड़ावल आउ गर-छोड़ावल - redeemed and unredeemed) - कंगन, सिकरी (चेन), कनबाली, बुलाकी आदि-आदि । कुछ समान खोल में रक्खल हलइ, त कुछ खाली अखबार के कागज में लपेटल, लेकिन ठीक से आउ सवधानी से, दोहरा तह में, आउ चारो तरफ से फीता से बान्हल । बिना कउनो देरी के, ऊ सब समान अपन पतलून आउ कोट के जेभी में ठूँसे लगलइ, बंडल आउ खोल के बिन जाँचले आउ खोलले; लेकिन ओकरा बहुत जादे लेवे के समय नयँ हलइ ...

अचानक ओकरा सुनाय देलकइ, कि जे कमरा में बुढ़िया हलइ, हुआँ कोय चल्लब करऽ हइ । ऊ रुक गेलइ आउ अइसन चुप्पी साध लेलकइ, मानूँ मरल हकइ । लेकिन सगरो सन्नाटा छाल हलइ, त शायद ई ओकर भ्रम हलइ । अचानक एगो हलका चीख साफ-साफ सुनाय पड़लइ, जइसे कोय हलके आउ बीच-बीच में रुकके कराहलइ आउ फेन चुप हो गेलइ । बाद में फेर से बिलकुल सन्नाटा रहलइ, एक-दू मिनट तक । ऊ सन्दूक के पास चुक्को-मुक्को बइठल रहलइ आउ मोसकिल से साँस लेते इंतजार करते रहलइ, लेकिन अचानक ऊ उठके खड़ी हो गेलइ, कुल्हाड़ी उठइलकइ आउ शयनकक्ष से भागके बाहर निकस गेलइ ।

कोठरी के बीच में लिज़ावेता खड़ी हलइ, हथवा में एगो बड़गर मोटरी लेले, आउ हक्का-बक्का होल बहिन के लाश के घूर रहले हल, ओकर चेहरा बिलकुल सफेद पड़ गेले हल आउ लगऽ हलइ जइसे ओकरा चिल्लाहूँ के ताकत नयँ रह गेले हल । ओकरा दौड़के अइते देखके, ऊ पत्ता नियन कँप्पे लगलइ, हलका थरथराहट के साथ, आउ ओकर समुच्चे चेहरा पर से ऐंठन के लहर दौड़ गेलइ; हाथ उठइलकइ, मुँह खोललकइ, लेकिन चिल्ला नयँ पइलइ, आउ धीरे-धीरे ओकरा से दूर पीछे कोनमा तरफ सरके लगलइ, लगातार एकटक ओकरा तरफ घूरते, लेकिन बिन चिल्लइले, मानूँ ओकरा चिल्लाय के दम नयँ रह गेले हल । ऊ कुल्हाड़ी लेके ओकरा तरफ झपटलकइ; ओकर ठोर अइसन दयनीय रूप से विकृत हो गेलइ, जइसे बहुत छोटगर बुतरून के हो जा हइ, जब ओकन्हीं कोय चीज से भयभीत हो जा हइ, आउ एकटक ऊ चीज तरफ देखते रहऽ हइ, जेकरा से ओकन्हीं भयभीत होवऽ हइ, आउ चिल्लाय-चिल्लाय पर हो जा हइ । आउ ई लिज़ावेता तो एतना सीधगर, दलित आउ स्थायी रूप से भयभीत हलइ, कि अपन चेहरा के बचावे खातिर हथवो नयँ उठा पइलकइ, हलाँकि ई पल एहे ओकरा लगी सबसे आवश्यक आउ स्वभाविक काम हलइ, काहेकि कुल्हड़िया ठीक ओकर चेहरवे पर तानल हलइ । ऊ खाली मोसकिल से अपन खाली वला बामा हाथ उठइलकइ, चेहरा तक से बहुत निचहीं, आउ धीरे-धीरे ओकरा रस्कोलनिकोव के आगू तरफ बढ़इलकइ, मानूँ ओकरा दूर करे के इशारा कर रहल होवे । चोट ओकर ठीक खोपड़ी पर पड़लइ, तेज धार तरफ से, आउ तुरते ओकर निरार के पूरा उपरौका हिस्सा के फाड़ देलकइ, लगभग चनियाँ (चोटी) तक । ऊ तो अइसीं लुढ़क गेलइ । रस्कोलनिकोव के तो बिलकुल होश उड़ गेलइ, ओकर मोटरी उठा लेलकइ, फेर फेंक देलकइ आउ प्रवेशद्वार तरफ भागलइ ।

भय ओकरा लगातार अधिक आउ अधिक जकड़ते गेलइ, खास करके ई दोसरका बिलकुल अप्रत्याशित हत्या के बाद से । ऊ जल्दी से जल्दी हियाँ से भाग जाय ल चाह रहले हल । आउ अगर ऊ क्षण ऊ बेहतर ढंग से देखे आउ विचार करे के हालत में होते हल; अगर खाली ऊ अपन परिस्थिति के सब कठिनाई, सब निराशा, सब कुरूपता आउ अपन सब बेहूदगी के अनुभव कर सकते हल, आउ एकर अलावे ऊ समझ पइते हल कि हियाँ से निकल भागे आउ घर पहुँचे के खातिर अभियो आउ केतना अड़चन, आउ शायद, अपराध पर ओकरा विजय पावे पड़तइ, चाहे करे पड़तइ; तब बहुत संभव हइ कि ऊ सब कुछ छोड़ देते हल आउ तुरते ऊ खुद्दे एलान करे पर उतारू हो जइते हल, आउ अपना खातिर डरो के चलते नयँ, बल्कि ऊ जे कुछ कइलके हल, खाली ओकरे लगी रोष आउ घृणा के चलते । घृणा ओकरा में विशेष रूप से पैदा होलइ आउ क्षण-क्षण बढ़ते गेलइ । ऊ कउनो हालत में अब ऊ सन्दूक, आउ कमरो में नयँ जा सकऽ हलइ ।  

लेकिन एक प्रकार के अन्यमनस्कता, मानूँ विचारमग्नता भी, धीरे-धीरे ओकरा पर अधिकार जमावे लगलइ - कभी-कभी मानूँ ऊ अपना के भूल जाय, चाहे ई कहना बेहतर होतइ, कि ऊ मुख्य बात के भूल जाय आउ तुच्छ बात पर चिपक जाय । तइयो, भनसा घर में नजर डालला पर आउ बेंच पे बालटी देखके, जेकर आधा हिस्सा पानी से भरल हलइ, ओकरा लगलइ कि अपन हाथ आउ कुल्हाड़ी धो लेवे के चाही । ओकर हाथ खून से लथपथ हलइ आउ लसलसाल हलइ । कुल्हाड़ी के फार के ऊ सीधे पनिया में डाल देलकइ, खिड़की पर पड़ल एगो दरकल कश्तरी में धइल साबुन के टुकड़ा उठा लेलकइ, आउ सीधे बलटिए में अपन हाथ धोवे लगलइ । ओकरा साफ कइला पर, ऊ कुल्हड़ियो उठा लेलकइ, ओकर लोहवा के फार धोलकइ, आउ देर तक, कोय तीन मिनट, ओकर लकड़ी के बेंट पर लगल खून के धोलकइ, खुनमा हटावे में सबुनमो अजमइलकइ । फेर सब कुछ कपड़ा से पोंछ-पाछ लेलकइ, जे ओज्जी परी भनसा घर में तानल अलगनी पर सुक्खे लगी डालल हलइ, आउ बाद में देर तक ध्यान से खिड़की बिजुन कुल्हड़िया के जाँच कइलकइ । ओकरा पर कोय धब्बा नयँ रह गेले हल, खाली बेंट अभियो गीला हलइ । सवधानी से ऊ कोट के अन्दर वला फाँस में कुल्हड़िया के अटका लेलकइ । तब, भनसा घर के मद्धिम रोशनी में जेतना संभव हलइ, ओतना हद तक ऊ कोट, पतलून आउ बूट के जाँच कइलकइ । बाहर से, प्रथमदृष्ट्या, कुच्छो देखाय देवल नियन नयँ लगलइ; खाली बूट पर कुछ धब्बा हलइ । ऊ फट्टा भिंगइलकइ आउ बूट के पोंछ लेलकइ । लेकिन ऊ जानऽ हलइ कि ऊ ठीक से नयँ जाँच रहल ह, कि शायद कुच्छो तो हकइ जेकरा पर दोसर के असानी से नजर पड़ जा सकऽ हइ, लेकिन जेकरा ऊ देख नयँ पा रहल ह । ऊ सोच में डुब्बल कोठरी के बीच में खड़ी रहलइ । ओकर दिमाग में कष्टदायक, काला विचार उठ रहले हल - ई विचार, कि ऊ पागल होल जा रहल ह, कि ई क्षण ओकरा में सोचे-समझे के शक्ति नयँ रह गेल ह, खुद के रक्षा नयँ कर सकऽ हइ, कि शायद ऊ काम बिलकुल नयँ करे के चाही, जे ऊ अभी कर रहल ह ... "हे भगमान ! हमरा भाग जाय के चाही, भाग जाय के चाही !" ऊ बड़बड़इलइ आउ लपकके प्रवेशद्वार तरफ गेलइ । लेकिन हियाँ ओकरा अइसन खौफ इंतजार कर रहले हल, जे निस्संदेह अभी तक एक्को तुरी ऊ अनुभव नयँ कइलके हल ।

ऊ खड़ी-खड़ी देखलकइ आउ ओकर अपन आँख पर विश्वास नयँ होलइ - दरवाजा, बाहर वला दरवाजा, ड्योढ़ी से ज़ीना तरफ जाय वला, ठीक ओहे, जाहाँ ऊ कुछ देर पहिले घंटी बजइलके हल आउ अन्दर अइले हल, खुल्ला हलइ, पूरा हथेली भर चौड़ाई तक खुल्ला - न तो कोय ताला, न सिटकिनी, पूरे समय, ई पूरे समय तक ! बुढ़िया अपन पीछू एकरा नयँ बन कइलके हल, शायद, सवधानी खातिर । लेकिन भगमान ! लेकिन बाद में ऊ लिज़ावेता के तो देखवे कइलके हल ! फेर ऊ कइसे अनुमान नयँ लगा पइलकइ, कि ऊ कधरो से तो घुसले होत न ! देवलिया से होके तो नयँ !

लपकके ऊ दरवजवा भिर गेलइ आउ सिटकिनी लगा देलकइ ।
"लेकिन नयँ, फेर से ऊ नयँ ! चल जाय के चाही, चल जाय के ..."
ऊ सिटकिनी खोललकइ, दरवाजा खोललकइ आउ ज़ीना तरफ अकाने लगलइ ।

देर तक ऊ अकानते रहलइ । कहीं तो दूर में, निच्चे, शायद फाटक पर, जोर-जोर से आउ कर्णकटु रूप में कोय दू गला चीख रहले हल, वाद-विवाद आउ गाली-गलौज कर रहले हल । "की तमाशा कर रहले ह ओकन्हीं ? ..."
ऊ धीरज के साथ इंतजार कइलकइ । आखिर अचानक सब कुछ शांत हो गेलइ, जइसे एकाएक बन हो गेलइ; ओकन्हीं अलग हो गेले हल । ऊ अब बाहर निकसहीं वला हलइ, कि अचानक एक मंजिल निच्चे जोर से ज़ीना तरफ के फटक्का खुललइ, आउ कोय तो निच्चे जाय लगलइ, कुछ तो धुन गुनगुनइते । "केतना ओकन्हीं हल्ला करते जा हइ !" ओकर दिमाग में कौंधलइ । ऊ फेर से अपना पीछू दरवाजा बन कर लेलकइ आउ इंतजार करे लगलइ । आखिर सब कुछ शांत पड़ गेलइ, एगो पत्तो नयँ खड़कऽ हलइ । ऊ ज़ीना पर कदम रखहीं जा रहले हल, कि अचानक फेर से केकरो कदम के नयका आहट सुनाय पड़लइ ।

ई कदम के आहट बहुत दूर के हलइ, ज़ीना के बिलकुल शुरुआत में, लेकिन ऊ बिलकुल अच्छा से आउ साफ-साफ आद कइलकइ, कि पहिलउके आहट से, तुरतम्मे कइसूँ ओकरा शक होवे लगले हल, कि हो न हो पक्का हिएँ, चौठे मंजिल पर, बुढ़िये के पास ऊ आब करऽ हइ । काहे ? कहीं ई बात तो नयँ हलइ कि ई आहट बहुत खास आउ महत्त्वपूर्ण हलइ ? कदम के आहट भारी, नियमित आउ अत्वरित (बिन जल्दीबाजी वला) हलइ । अइकी ऊ अब पहिला मंजिल पहुँच गेलइ, अइकी अभी आउ उपरे चढ़लइ; आहट लगातार तेज हो रहले हल ! आवे वला के हँफनी भरल भारी साँस सुनाय देब करऽ हलइ । अइकी अब ऊ तेसरा मंजिल पर के चढ़ाई चालू कइलकइ ... हियाँ ! आउ अचानक ओकरा लगलइ, कि ऊ पथरा गेले ह, कि ऊ बिलकुल अइसन सपना में हकइ, जेकरा में देखाय दे हइ कि ओकरा कोय पीछा कर रहले ह, अइकी पास पहुँच गेलइ, ओकरा जान मारे लगी चाह रहले ह, आउ ऊ खुद अपन जगह पर मानूँ जड़ बन गेले ह आउ अपन हाथ तक हिला नयँ पा रहले ह ।

आउ आखिर में, जबकि मेहमान चौठा मंजिल चढ़े लगलइ, तभिये अचानक ओकर देह में हलचल होलइ आउ तेजी से कइसूँ ड्योढ़ी से फ्लैट के अन्दर चलाकी से घिसक जाय में आउ अपन पीछू दरवाजा बन कर लेवे में सफल हो गेलइ । फेर ऊ सिटकिनी पकड़ लेलकइ आउ धीरे से, बिन कोय अवाज कइले, ओकरा फाँस में लगा देलकइ । सहज-बुद्धि ओकरा सहायता कइलकइ ।

ई सब करके सीधे दरवजवा बिजुन दम साधले दुबक गेलइ । बिन बोलावल मेहमानो दरवजवा भिर आ चुकले हल । अब ओकन्हीं एक दोसरा के आमने-सामने खड़ी हलइ, जइसे कि कुछ समय पहिले ऊ आउ बुढ़िया, जब बीच में दरवजवा ओकन्हीं के आड़े हलइ, आउ ऊ कान लगाके सुन रहले हल ।

मेहमान कइएक तुरी उच्छ्वास लेलकइ । "शायद मोटगर आउ बड़गर हइ", रस्कोलनिकोव सोचलकइ, हथवा से कुल्हड़िया के कसके दबइते । वास्तव में ई सब कुछ सपना नियन लग रहले हल । मेहमान घंटिया के पकड़के जोर से बजइलकइ । जइसीं घंटिया टीन के टनटनाहट के अवाज कइलकइ, ओकरा अचानक जइसे लगलइ कि कोठरिया में हिल-डुल होलइ । कुछ सेकेंड ऊ गम्भीर रूप से अकानवो कइलकइ । अजनबी फेर से घंटी बजइलकइ, आउ फेर इंतजार करे लगलइ आउ अचानक, अधीर होके, पूरा ताकत लगाके दरवजवा के हैंडिल के घिंच्चे लगलइ । आतंकित होके रस्कोलनिकोव फाँस में लगल सिटकिनी के हुक के हिलते देखते रहलइ आउ विचारशून्य भय से इंतजार करते रहलइ, कि अइकी-अइकी सिटकिनी अब उछलके निकस जइतइ । वास्तव में, ई संभव लग रहले हल - एतना जोर से जे हिलाब करऽ हलइ । ऊ सोचिए रहले हल कि सिटकिनी के हथवा से पकड़के रक्खे, लेकिन ओकरा (अजनबी के) शंका हो सकऽ हलइ । ओकरा लगलइ, जइसे फेर से माथा चकराय लगल ह । "अइकी गिर जाम !" ओकर दिमाग में कौंधलइ, लेकिन अजनबी बोले लगलइ, आउ ऊ तुरतम्मे सचेत हो गेलइ ।

"अरे ओकन्हीं के साथ की बात हइ, घोंघर पार रहले ह, कि कोय ओकन्हीं के गला घोंट देलकइ ? भाड़ में जाय !" ऊ जइसे भोंभा से गरजलइ । "अगे अल्योना इवानोव्ना, बुढ़ी चुड़ैल ! लिज़ावेता इवानोव्ना, अनुपम सुन्दरी ! दरवाजा तो खोल ! अरे, जरलाही, सब सुत्तल हकइ की ?"
आउ फेर से, क्रोधावेश में आके, पूरा ताकत लगाके लगातार कोय दस तुरी घंटी घिंचलकइ । ई जरूर कोय रोबदार आउ घर के परिचित अदमी हलइ ।

ठीक एहे क्षण अचानक थोड़हीं दूर, ज़ीना पर केकरो हलका, लेकिन शीघ्रगामी कदम के आहट सुनाय पड़लइ । कोय आउ एन्ने आ रहले हल । रस्कोलनिकोव के शुरू में ई सुनाइयो नयँ देलके हल ।

"की सचमुच घरवा पर कोय नयँ हकइ ?" नवागन्तुक साफ आउ प्रसन्न मुद्रा में, सीधे पहिलउका आगन्तुक के संबोधित करते चिल्लइलइ, जे अभियो तक लगातार घंटी घींच रहले हल । "नमस्ते, कोख़ !"

"अवाज से तो लगऽ हइ कि बिलकुल नौजवान हइ ।" अचानक रस्कोलनिकोव सोचलकइ ।
"ई तो शैताने के मालूम, हम तो तलवा के लगभग तोड़िये देलिअइ", कोख़ जवाब देलकइ । "लेकिन तूँ हमरा कइसे जानऽ हकऽ ?"
"ई होलइ न बात ! परसुन, 'गामब्रिनुस' में लगातार तीन तुरी तोहरा बिलियर्ड में हरइलियो हल न !"
"अरे हाँ ..."
"मतलब ओकन्हीं घर पर नयँ हकइ ? विचित्र बात हइ । तइयो बात बिलकुल बेतुका लगऽ हइ । बुढ़िया काहाँ गेले होत ? हमरा काम हले ।"
"हाँ हमरो काम हले, बबुआ !"
"अच्छऽ, त अब की कइल जाय ? मतलब, घर वापिस । ओह ! हम तो पइसा मिल्ले के मनसूबा में अइलूँ हल !" नौजवान चिल्लइलइ ।

"जाहिर हइ, वापस जाय पड़तइ, लेकिन ई बखत तय करे के जरूरते की हलइ ? खुद्दे हमरा लगी, चुड़ैलिया, ई बखत तय कइलके हल । हमरा लगी ई रस्ता तो घुराव पड़ऽ हके । लेकिन ऊ कउन शैतान भिर नच्चे चल गेलइ, हमरा समझ में नयँ आवऽ हके । ई चुड़ैलिया सालो भर हिएँ बइठल सड़ते रहऽ हइ, ओकर गोड़ दरद करऽ हइ, आउ य ल, अचानक घुम्मे चल गेलइ !"

"दरबान से पुच्छल जाय ?"
"की ?"
"काहाँ गेले ह आउ कखने वापिस अइतइ ?"
"हूँ ... भाड़ में जाय ... पुच्छल जा सकऽ हइ ... लेकिन ऊ तो कहीं नयँ जा हइ ..." एतना कहके ऊ दरवाजा के हैंडिल जोर से घिंचलकइ । "ओह, कुछ नयँ कइल जा सकऽ हइ, चलल जाय !"

"ठहरऽ !" अचानक नौजवान चिल्ला उठलइ, "ध्यान से देखहो - देखऽ हो, कि दुअरिया कइसे घसकऽ हइ, जब घिंच्चल जा हइ ?"
"तो ?"
"मतलब, एकरा में अन्दर से ताला नयँ जड़ल हइ, बल्कि खाली सिटकिनी लगल हइ, कहे के मतलब कि फाँस में हेलावल हइ ! सुन्नऽ हो, कइसे सिटकिनिया झनझना हइ ?"
"तो ?"

"तोहरा समझ में कइसे नयँ आ रहलो ह ? मतलब साफ हइ, ओकन्हीं में से कोय तो घरवे पर हकइ । अगर सब्भे चल जइते हल, त बाहर से ताला लगा देते हल, आ अन्दर से सिटकिनी नयँ । आ अइकी - सुन्नऽ हो, कि कइसे सिटकिनी खनकऽ हइ ? आउ अन्दर से सिटकिनी लगावे खातिर घर के अन्दर होवे के तो चाही, समझऽ हो ? मतलब, घरवा में बइठल हकइ, लेकिन खोल नयँ रहले ह !"
"अरे हाँऽऽऽ ! वास्तव में !" कोख़ अचरज से चिल्लइलइ । "त फेर ओकन्हीं कर की रहले ह हुआँ !" आउ ऊ जोर से दरवजवा के झकझोड़े लगलइ ।

"ठहरऽ !" फेर नौजवान चिल्लइलइ, "एकरा मत झकझोड़ऽ ! हियाँ कुछ तो गड़बड़ हको ... तूँ तो पक्का घंटी बजइलहो, दरवजवा झकझोड़लहो - लेकिन ओकन्हीं खोल नयँ रहले ह; मतलब, खयँ तो ओकन्हीं दुन्नु बेहोश हकइ, खयँ ..."

"की ?"
"बतावऽ हियो - दरबान के बोलाके लावल जाय; ओकरा खुद्दे ओकन्हीं के जगावे देहो ।"
"बिलकुल ठीक !"
दुन्नु ज़ीना से निच्चे जाय लगलइ ।
"ठहरऽ ! तूँ हिएँ रुक्कऽ, आ हम दौड़के दरबान के बोलाके लावऽ हियो ।"
"काहे लगी रुकिअइ ?"
"आ हरजा की हको ? ..."
"अच्छऽ ..."
"हम वकालत के अध्ययन कर रहलिये ह ! ई बिलकुल साफ हइ, बि-ल-कु-ल सा-फ, कि कुछ तो गड़बड़ हकइ !" नौजवान जोश में चिल्लइलइ आउ दौड़ते सीढ़ी से उतरके गेलइ ।

कोख़ रुक गेलइ, फेर से ऊ धीरे से घंटिया के हिलइलकइ, आउ ऊ एक तुरी 'टन' कइलकइ; बाद में नरमी से, मानूँ सोच आउ जाँच रहल होवे, दरवाजा के हैंडिल के टसकावे लगलइ, घींचके आउ फेर छोड़के, ताकि एक तुरी आउ दिलजमई हो जाय, कि दरवजवा खाली एगो सिटकिनी पर अटकल हइ । बाद में माथापच्ची करते थोड़े झुकलइ आउ ताला के कुंजी वला छेद (keyhole) में से देखे लगलइ; लेकिन एकरा में अन्दर तरफ से कुंजी डालल हलइ, त जाहिर हइ कि कुच्छो नयँ देखाय दे सकऽ हलइ ।

रस्कोलनिकोव कुल्हाड़ी के कसके पकड़ले रहलइ । ओकरा एक प्रकार के बेहोशी छाल हलइ । ऊ ओकन्हीं साथ लड़हूँ के तैयारी कर रहले हल, अगर कहीं ओकन्हीं अन्दर घुस गेलइ तो । जब ओकन्हीं दरवाजा खटखटा रहले हल आउ बतिया रहले हल, तब ओकरा कइएक तुरी सब कुछ एक्के तुरी खतम कर देवे आउ दरवाजा के अन्दर से ओकन्हीं पर चिल्लाय के विचार दिमाग में अइलइ ।  जब तक दरवाजा ओकन्हीं से खुल नयँ पा रहले हल, त बीच-बीच में ओकरा मन कइलकइ कि ओकन्हीं के गरियावे आउ मजाक उड़ावे । "बस, जल्दी से ई खिस्सा खतम होवे !" ओकर दिमाग में कौंधलइ ।

"लेकिन ऊ शैतान के बच्चा करे कउची लगलइ ..."
समय गुजरते गेलइ, एक मिनट, दोसरा - कोय नयँ अइलइ । कोख़ के मन कुलबुलाय लगलइ ।
"शैतान के बच्चा ! ..." अचानक ऊ चिल्लइलइ आउ अधीर होके, पहरा देवे के काम छोड़के, ओहो निच्चे तरफ रवाना होलइ, फुरती-फुरती आउ ज़ीना पर बूट से धप-धप अवाज करते । कदम के आहट शांत हो गेलइ ।        

"हे भगमान, अब की करूँ !"
रस्कोलनिकोव सिटकिनी ढीला कइलकइ, दरवाजा जरी सन खोललकइ - कुछ नयँ सुनाय दे रहले हल, आउ अचानक, बिन कुछ सोचले, बाहर अइलइ, अपना पीछू दरवाजा के जेतना कसके हो सकऽ हलइ ओतना कसके बन कइलकइ आउ निच्चे जाय लगलइ ।
ऊ तीन सीढ़ी उतर चुकले हल, कि अचानक ओकरा निच्चे जोर के शोरगुल सुनाय पड़लइ -  अब ऊ कन्ने जाय ! कधरो छिप्पे के जग्गह नयँ हलइ । ऊ दौड़के फ्लैट वापिस जाहीं वला हलइ ।
"ए जंगली भूत, शैतान ! पकड़ !"

चिल्लइते कोय तो कउनो फ्लैट से तेजी से निच्चे गेलइ आउ दौड़े के बजाय सिड़हिया पर से लोघड़ाल जइसन जा रहले हल, पूरा गला फाड़के चिल्लइते -
"मित्का ! मित्का ! मित्का ! मित्का ! मित्का ! शैतान कहीं के !"

चिल्लाहट एगो चीख में समाप्त होलइ; अन्तिम अवाज आँगन से अइलइ; सब कुछ शांत हो गेलइ । लेकिन ओहे क्षण कुछ अदमी जोर-जोर से आउ तेजी से बात करते शोरगुल के साथ ज़ीना चढ़े लगलइ । ओकन्हीं तीन या चार लोग हलइ । ऊ नौजवान के साफ अवाज सुनलकइ । "ओकन्हिएँ !"

बिलकुल निराश होके ऊ सीधे ओकन्हीं तरफ बढ़लइ - जे होवे के हइ से होवे ! ओकन्हीं रोकत, तइयो मरम; नयँ रोकत, तइयो मरम, काहेकि ओकन्हीं हमरा आद रक्खत । ओकन्हीं अब पासे पहुँचल हलइ; ओकन्हीं के बीच खाली एक तल्ला के अन्तर रह गेले हल - आ अचानक उद्धार ! ओकरा भिर से कुच्छे डेग आगू, दहिना तरफ, एगो खाली आउ बिलकुल खुल्ला फ्लैट, हलइ, दूसरा मंजिल पर के ठीक ओहे फ्लैट, जेकरा में मजदूर लोग पुताई के काम कर रहले हल, आउ मानूँ जानबूझके, चल गेले हल । त ई वस्तुतः ओकन्हिंएँ हलइ, जे अभी कुछ देर पहिले एतना चीखते-चिल्लइते दौड़ते बाहर गेले हल । फर्श के पुताई अभी-अभी कइल गेले हल, कोठरी के बीच में पेंट के एगो छोटगर बालटी आउ टुट्टल बर्तन हलइ, जेकरा में पेंट आउ ब्रश रक्खल हलइ । पलक झपकते ऊ खुल्लल दरवाजा से अन्दर घिसक गेलइ आउ देवाल के पीछू नुक गेलइ, आउ एक्के पल बाद ओकन्हीं ओहे चबूतरा (landing, अर्थात् कोय ज़ीना के सबसे ऊपर वला सपाट फर्श या गलियारा) पर पहुँच गेते गेलइ । फेर उपरे तरफ मुड़ते गेलइ आउ चढ़के चौठा मंजिल पर गेते गेलइ, जोर-जोर से बतिअइते । ऊ इंतजार कइलकइ, चौआ पर चलके बहरसी अइलइ आउ दौड़के निच्चे भागलइ ।

ज़ीना पर कोय नयँ ! फाटको पर नयँ । तेजी से ऊ द्वारमार्ग (gateway) पार कइलकइ आउ बामा तरफ रोड पर मुड़ गेलइ ।

ऊ अच्छा से जानऽ हलइ, ऊ उत्तम ढंग से जानऽ हलइ, कि ओकन्हीं ई क्षण फ्लैट में हकइ, कि ओकन्हीं के बहुत अचरज होब करऽ हइ, ई देखके कि ई खुल्लल हइ, जबकि अभी कुछ देर पहिले बन हलइ, कि ओकन्हीं लाश के देख रहले ह आउ एक्को मिनट नयँ लगतइ ई अन्दाज लगावे आउ बिलकुल समझ जाय में, कि अभी-अभी हत्यारा हिएँ हलइ आउ कहीं नुक जाय में सफल हो गेलइ, ओकन्हीं के सामनहीं से घिसक गेलइ, भागियो गेलइ; ओकन्हीं एहो अन्दाज लगा लेतइ, कि शायद ऊ खाली पड़ल फ्लैट में बइठल हलइ, जब ओकन्हीं उपरे जाब करऽ हलइ । आउ एहे दौरान कउनो हालत में ओकरा अपन डेग के गति तेज करे के साहस नयँ हो रहले हल, हलाँकि आगे के पहिला मोड़ तक जाय में कोय सो डेग के फासला रह गेले हल । "काहे नयँ कोय फाटक के अन्दर घिसक जाँव आउ कोय अपरिचित ज़ीना पर इंतजार करूँ ? नयँ, आफत ! आ कुल्हड़िया कधरो फेंक देऊँ कि नयँ ? कोचवान ठीक करना उचित होत कि नयँ ? आफत ! कइसन आफत हके !"

आखिर, अइकी बगल के गल्ली; ऊ ओकरा में अधमरू होल मुड़लइ; हियाँ अब ऊ आधा सुरक्षित हलइ आउ ई बात समझऽ हलइ - शक के जगह कम हलइ, एकर अलावे लोग के आवाजाही बहुत जादे हलइ, आउ ओकरा में एगो बालू के कण नियन गुम हो गेलइ । लेकिन ई सब यंत्रणा ओकरा एतना कमजोर कर देलके हल कि ऊ मोसकिल से चल पावऽ हलइ । पसेना तो एकर देह से बून-बून बह रहले हल; गरदन बिलकुल गीला हलइ । "अरे, केतना चढ़इले हइ !" कोय तो ओकरा तरफ देखके चिल्लइलइ, जब ऊ खाई तरफ बाहर अइलइ ।

ओकरा अपना बारे मोसकिल से बोध हलइ; जइसे-जइसे आगे जा हलइ, ओइसे-ओइसे आउ हालत खराब । तइयो ओकरा एतना आद हलइ कि जइसीं ऊ खाई तरफ बाहर अइलइ, त ऊ डर गेले हल, कि ओद्धिर अदमी बहुत कम हलइ आउ हुआँ आउ असानी से पहचानल जा सकऽ हलइ, आउ ओकरा लग रहले हल कि वापिस गल्ली तरफ चल जाँव । हलाँकि ऊ गिरे-गिरे वला हलइ, तइयो ऊ घुम-घुमौवल रस्ता पकड़लकइ आउ बिलकुल दोसरा तरफ से घर अइलइ ।

ओकरा पूरा बोध नयँ हलइ जब ऊ अपन घर के फाटक से होके गुजर रहले हल; कम से कम ऊ तो ज़ीना पर पहुँच चुकले हल, तभिये ओकरा कुल्हाड़ी के खियाल अइलइ । एकर अलावे ओकरा सामने एगो मुख्य समस्या हलइ - एकरा वापिस रक्खे के आउ जाहाँ तक हो सके, केकरो बिन देखले ।  वस्तुतः ओकरा में ई कल्पना करे के क्षमता नयँ रह गेले हल, कि शायद कहीं बेहतर होतइ कि कुल्हाड़ी के पहिलउका जगह पे नयँ रक्खल जाय, बल्कि एकरा फेंक देल जाय, बादो में सही, कहीं दोसर अनजान अहाता में ।

लेकिन सब कुछ सही-सलामत हो गेलइ । दरबान के कोठरी बन हलइ, लेकिन ताला नयँ लगल हलइ, मतलब, जादे संभावना हलइ कि दरबान घरवे पर हइ । लेकिन ऊ कुच्छो सोचे-समझे के क्षमता एतना खो देलके हल, कि ऊ सीधे कोठरिया बिजुन गेलइ आउ एकर दरवाजा खोल देलकइ । अगर दरबान ओकरा पुछते हल, "की चाही ?", त हो सकऽ हइ कि कुल्हड़िया ऊ सीधे ओकरा थमा देते हल । लेकिन दरबान अबरियो नयँ हलइ, आउ ऊ कुल्हड़िया पहिलउके जगह पे बेंच के निच्चे डाल देवे में सफल हो गेलइ; पहिलउके नियन ओकरा लकड़ी के कुंदा से झाँपियो देलकइ । ओकरा वापिस अपन कोठरी में आवे तक रस्ता में ओकरा कोय नयँ भेंटलइ, एक्को रूह तक नयँ; मकान-मालकिन के दरवाजा बन हलइ । अपन कोठरी में जाके ऊ सोफा पर पड़ गेलइ, जइसन हलइ ओइसीं । ओकरा नीन नयँ अइलइ, लेकिन विस्मृति में हलइ । अगर ऊ बखत कोय ओकर कमरा में घुसते हल, त ऊ उछल पड़ते हल, आउ चिल्ला उठते हल । कइसनो विचार सब के छोटगर-छोटगर अंश ओकर दिमाग में मँड़रा रहले हल; लेकिन केतनो कोशिश कइलो पर, केकरो ऊ पकड़ नयँ पा रहले हल, एक्को गो पर स्थिर नयँ रह पा रहले हल ...

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