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Thursday, June 04, 2015

अपराध आउ दंड - भाग – 4 ; अध्याय – 4



अपराध आउ दंड

भाग – 4

अध्याय – 4

आउ रस्कोलनिकोव सीधे नहर पहर के ऊ घर तरफ गेलइ, जाहाँ सोनिया रहऽ हलइ । घर तीनमंजिला हलइ, पुरनका आउ हरियर रंग के । ऊ दरबान के खोजके ओकरा हीं से कापेनाउमोव दर्जी के हियाँ तक पहुँचे के रस्ता मोटा-मोटी तौर पे लेलकइ । आँगन के एगो कोना में सँकरा आउ अन्हार ज़ीना के प्रवेश ढूँढ़के, ऊ आखिरकार चढ़के दोसरा मंजिल पर गेलइ आउ एगो गैलरी में बाहर निकसलइ, जे आँगन के तरफ से पूरा दोसरा मंजिल के चारो तरफ चल गेले हल । जब ऊ अन्हेरा में किंकर्तव्यविमूढ़ होल भटक रहले हल, ई मालूम करे लगी कि कापेरनाउमोव के घर के प्रवेशद्वार काहाँ हो सकऽ हइ, कि अचानक, ओकरा भिर से तीन कदम आगू, एगो दरवाजा खुललइ; ऊ ओकरा यंत्रवत् धर लेलकइ ।

"केऽ हइ हियाँ ?" एगो औरत के घबराल अवाज पुछलकइ ।
"ई हम हकिअइ ... अपने से मिल्ले खातिर अइलिए ह", रस्कोलनिकोव जवाब देलकइ आउ एगो छोटकुन्ना प्रवेशमार्ग में घुसलइ । हियाँ, एगो टुट्टल कुरसी पर, तामा के एगो दब्बल-पिचकल शमादान में एगो मोमबत्ती हलइ ।
"ई अपने हथिन ! हे भगमान !" हलके अवाज में सोनिया चिल्लइलइ आउ मूर्ति नियन एकदम जड़ रूप से खड़ी रह गेलइ ।
"अपने के कमरा कन्ने हइ ? एन्ने ?"
आउ रस्कोलनिकोव, ओकरा तरफ नयँ देखे के कोशिश करते, तेजी से कमरा के अंदर चल गेलइ ।

एक मिनट के बाद मोमबत्ती लेके सोनिया अंदर अइलइ, मोमबत्ती रख देलकइ आउ बिलकुल किंकर्तव्यविमूढ़ होल, पूरा अवर्णनीय घबराहट में, आउ स्पष्टतः, ओकर अप्रत्याशित भेंट से भयभीत होल, खुद्दे ओकरा सामने खड़ी हो गेलइ । ओकर पीयर होल चेहरा अचानक लाल हो गेलइ, आउ आँख में लोरो आ गेलइ ... ओकर जी खट्टा हो रहले हल, शर्मिंदगी महसूस हो रहले हल आउ साथे-साथ खुश भी हलइ ... रस्कोलनिकोव तेजी से मुड़लइ आउ टेबुल के पास कुरसी पर बइठ गेलइ । अइसन करते बखत ऊ पूरा कमरा पर सरसरी निगाह डाल लेलकइ ।

ई बड़गर कमरा हलइ, लेकिन अत्यधिक निचगर छत वला, कापेरनाउमोव परिवार द्वारा किराया पर देल एकमात्र कमरा, जेकर ताला से बन दरवाजा बामा तरफ के देवाल में हलइ । एकर ठीक दोसरा तरफ, दहिना देवाल में, एगो दोसर दरवाजा हलइ, जे हमेशे ताला से कसके बन कइल रहऽ हलइ । हुआँ परी एगो आउ दोसर, सटले अलगे नम्बर के फ्लैट हलइ । सोनिया के कमरा एगो बखार (अनाजघर) नियन लगऽ हलइ, बहुत अनियमित ढंग के चौकोन आकार के हलइ, जे एक प्रकार से देखे में कुरूप लगऽ हलइ । नहर तरफ खुल्ले वला तीन खिड़की के साथ एक देवाल, कमरा के तिरछा काटऽ हलइ, जेकरा चलते एक कोना, भयंकर न्यून कोण (acute angle) के साथ आगू कहीं दूर तक चल गेले हल, जेकरा चलते धुँधला रोशनी में ओज्जा कोय चीज ठीक से देखनो मोसकिल हलइ; आउ दोसरा कोना बहुत कुरूप तरह से अधिक कोण (obtuse angle) के हलइ। ई पूरे बड़गर कमरा में फर्नीचर लगभग बिलकुल नयँ हलइ । कोना में, दहिना तरफ, एगो पलंग हलइ; ओकर पास में, दरवाजा के नगीच, एगो कुरसी हलइ । ओहे देवाल से लगके, जाहाँ पलंग हलइ, ऊ दोसर फ्लैट में जाय वला दरवाजा के पास, तख्ता के बन्नल सधारण टेबुल हलइ, जे नीला मेजपोश (table-cloth) से ढँक्कल हलइ; आउ टेबुल के पास बेंत से बुन्नल दूगो कुरसी हलइ । तब, सामने वला देवाल के सहारे, न्यून कोण के पास, एगो छोटगर, लकड़ी के अलमारी हलइ, जे मानूँ शून्य में खोवल हलइ । कमरा में बस एतने समान हलइ।  पियरगर, घिस्सल-पिट्टल आउ टुट्टल-फुट्टल देवाल के कागज सब्भे कोना में कार पड़ गेले हल; जाड़ा में हियाँ सीलन रहऽ होतइ आउ धुआँ भर जा होतइ । गरीबी तो साफ झलकऽ हलइ; पलंग पर परदो नयँ हलइ ।

सोनिया चुपचाप अपन अतिथि के देखते रहलइ, जे ओकर कमरा के एतना ध्यान से आउ बेझिझक जाँच रहले हल, आउ आखिरकार भय से काँपहूँ लगलइ, मानूँ ऊ अपन भाग्य के जज आउ निर्णायक के सामने खड़ी होवे ।

"हमरा देर हो गेल ... एगारह बज रहले होत ?" अभियो अपन आँख ओकरा तरफ उठइलहीं ऊ पुछलकइ ।
"हाँ", सोनिया बड़बड़इलइ । "हाँ, एतने बजले होत !" अचानक ऊ जल्दी कइलकइ, मानूँ एकरे में ओकरा (सोनिया के) निकस जाय के रस्ता होवे । "हमर घर के मालकिन के घड़ी में घंटा बज्जे के अवाज अइलइ ... आउ हम खुद सुनलिअइ ... एतने ।"
"हम अपने के पास अंतिम तुरी खातिर अइलिए ह", उदासपूर्वक रस्कोलनिकोव बात जारी रखलकइ, हलाँकि ऊ अभी पहिलहीं तुरी अइले हल, "हमर, शायद, अपने के साथ इंदे आउ भेंट नयँ होतइ ..."
"अपने ... जा रहलथिन हँ ?"
"मालूम नयँ ... बिहान सब कुछ ..."
"तब बिहान अपने कतेरिना इवानोव्ना हीं नयँ अइथिन ?" सोनिया के अवाज में कंपन हलइ ।
"मालूम नयँ । सब कुछ बिहान सुबहे ... बात ई नयँ हइ - हम एक बात कहे लगी अइलिए ह ..."
ऊ अपन विचारमग्न दृष्टि उठइलकइ आउ अचानक नोटिस कइलकइ, कि ऊ बइठल हइ, जबकि ऊ (सोनिया) ओकरा सामने लगातार खड़िये हकइ ।
"अपने खड़ी काहे लगी हथिन ? बइठथिन", अचानक ऊ बदलल, शांत आउ स्नेह भरल स्वर में बोललइ ।

ऊ बइठ गेलइ । ऊ (रस्कोलनिकोव) आदरपूर्वक आउ लगभग सहानुभूति के साथ ओकरा तरफ देखलकइ ।
"अपने केतना दुबराल हथिन ! अपने के हाथ कइसन हइ ! बिलकुल पारदर्शक । अँगुरियन तो लगऽ हइ कि जइसे मरल व्यक्ति के हइ ।"
ऊ ओकर हाथ धर लेलकइ । सोनिया हलके से मुसकइलइ ।
"हम तो हमेशे अइसने हलिअइ", ऊ बोललइ ।
"जब अपने घरवो पर रहऽ हलथिन ?"
"हाँ ।"
"ओ, जरूर रहलथिन होत !" ऊ अचानक बोल उठलइ, आउ ओकर चेहरा के भाव आउ गला के स्वर फेर से अचानक बदल गेलइ । ऊ फेर से चारो तरफ नजर डललकइ ।
"ई अपने कापेरनाउमोव से किराया पर लेलथिन हँ ?"
"जी हाँ ..."
"ओकन्हीं हुआँ, दरवजवा के पीछू रहऽ हइ ?"
"हाँ ... ओकन्हिंयों के अइसने कमरा हइ ।"
"सब्भे एक्के कमरा में ?"
"जी, एक्के गो में ।"
"हमरा तो अपने के कमरा में रतिया के डर लगइ", उदासपूर्वक ऊ टिप्पणी कइलकइ ।
"मकान मालिक लोग बहुत निम्मन हथिन, बड़ी स्नेही", अभियो तक मानूँ होश में नयँ आल आउ न कुछ सोचले-विचारले, सोनिया जवाब देलकइ, "आउ सब फर्नीचर, आउ सब ... सब कुछ मलिकवने के हइ । आउ ओकन्हीं बड़ी दयालु हथिन, आउ बुतरुअनो हमरा हीं अइते-जइते रहऽ हइ ..."
"ई लोग हकलाऽ हका न ?"

"जी हाँ ... ऊ हकलाऽ हइ आउ लाँगड़ो हइ । आउ ओकर घरोवली ... अइसन बात नयँ हइ कि ऊ हकलाऽ हइ, बल्कि साफ-साफ बोल नयँ पावऽ हइ । ऊ दयालु हइ, बहुत । आउ ऊ (कापरनाउमोव) पहिले घरेलू नौकर हलइ। आउ बुतरून सात गो हइ ... आउ खाली सबसे बड़का बेटवा हकलाऽ हइ, आउ बाकी सब खाली बेमरियाहा हइ ... आउ हकलाऽ हइ नयँ ... लेकिन अपने ओकन्हीं के बारे कइसे जानऽ हथिन ?" ऊ कुछ अचरज से आगू बोललइ ।

"हमरा अपने के पिताजी तखने बतइलथिन हल । ऊ हमरा सब कुछ अपने के बारे बतइलथिन हल ... आउ एहो बारे, कि कइसे अपने छो बजे जा हलथिन, आउ नो बजे के बाद आवऽ हलथिन, आउ एहो बारे, कि कइसे कतेरिना इवानोव्ना अपने के बिछावन के पास टेहुना के बल बइठल रहऽ हला ।"
सोनिया सकपका गेलइ ।

"हम तो सोचलिअइ कि उनका हम आझ देखलिअइ", ऊ सकुचइते फुसफुसइलइ ।
"किनका ?"
"बाऊ जी के । हम रोड पर जा रहलिए हल, हुआँ पास में, कोना में, नौ आउ दस बजे के बीच, आउ ऊ मानूँ हमर आगू-आगू जा रहला ह । बिलकुल मानूँ उनके नियन । हम कतेरिना इवानोव्ना के पास जाय लगी चाह रहलिए हल ..."
"अपने टहल रहलथिन हल ?"
"हाँ",  फेर से सकपकाके आउ निच्चे तरफ देखते सोनिया झट से जवाब देलकइ ।
"जब अपने बाऊ जी के घर में रहऽ हलथिन, तब वास्तव में कतेरिना इवानोव्ना अपने के लगभग पिटवो करऽ हलइ ?"
"ओह नयँ, अपने की कह रहलथिन हँ, ई अपने की कह रहलथिन हँ, नयँ !" कुछ तो भय के साथ भी सोनिया ओकरा तरफ देखलकइ ।
"मतलब अपने ओकरा प्यार करऽ हथिन ?"

"उनका ? हाँ, वा-स्त-व में !" सोनिया दरद भरल अवाज में जरी धीरे-धीरे बोललइ आउ कष्ट के साथ अचानक अपन दुन्नु हाथ भींच लेलकइ । "ओह ! अपने उनका ... काश खाली उनका अपने जानथिन ! वस्तुतः ऊ तो बिलकुल बुतरू नियन हथिन ... वस्तुतः ऊ अपन बुद्धि जइसे बिलकुल खो देलथिन हँ ... शोक से । आ ऊ केतना बुधगर हलथिन ... केतना उदार ... केतना दयालु ! अपने बिलकुल, बिलकुल नयँ जानऽ हथिन ... आह !"

सोनिया ई सब बिलकुल निराशा में, चिंतित होके आउ व्यथापूर्वक, आउ अपन हाथ मलते, बोललइ । ओकर पीयर गाल फेर से लाल हो गेलइ, आउ आँख में व्यथा झलके लगलइ । साफ मालूम हो रहले हल, कि भयंकर रूप से ओकर दिल बहुत आंदोलित हो उठले हल, कि ओकरा भयंकर रूप से कुछ तो अभिव्यक्त करे के, बोले के, केकरो पक्ष में कुछ कहे के इच्छा हलइ । एक प्रकार के अतृप्त सहानुभूति, अगर अइसे अभिव्यक्त कइल जा सकइ, ओकर चेहरा के एक-एक मुद्रा से अचानक झलके लगलइ ।

"हमरा मारऽ हलइ ! अपने की कहऽ हथिन ! हे भगमान, मारऽ हलइ ! आउ मारवो करऽ हलइ, त एकरा से की ! हाँ, एकरा से की ! अपने कुछ नयँ, कुछ नयँ जानऽ हथिन ... ई केतना दुखी, आह, केतना अभागल ! आउ बेमरियाही ... ऊ न्याय खोजऽ हइ ... ऊ पवित्र हइ । ओकरा केतना विश्वास हइ, कि सब कुछ में न्याय होवे के चाही, आउ चाहऽ हइ ... आउ अगर ओकरा तकलीफो देबहो, तइयो ऊ अन्यायपूर्ण व्यवहार नयँ करतो । ऊ खुद्दे ई नोटिस करऽ हइ, कि कइसे ई असंभव हइ, कि लोग में न्याय होवइ, आउ ऊ गोसा जा हइ ... बुतरू नियन, बुतरू नियन ! ऊ न्यायप्रेमी हइ, न्यायप्रेमी !"

"आउ अपने के की होतइ ?"
सोनिया ओकरा तरफ सवालिया नजर से देखलकइ ।
"ओकन्हीं वास्तव में अपने पर आश्रित हइ । वस्तुतः पहिलहूँ सब कुछ अपने के भार पर हलइ, आउ अपने के स्वर्गीय पिताजी अपने हीं शराब के खातिर पइसा माँगे लगी अइते रहऽ हलथिन । खैर, अब अपने के साथ की होतइ ?"
"मालूम नयँ", उदासपूर्वक सोनिया बोललइ ।
"ओकन्हीं हुएँ रहतइ ?"
"मालूम नयँ, ओकन्हीं के फ्लैट के किराया चुकावे के हइ; आझ खाली हमरा सुनाय पड़लइ, कि मकान-मालकिन ओकन्हीं के बाहर निकास देवे लगी चाहऽ हइ, आउ कतेरिना इवानोव्ना के कहना हइ, कि ऊ खुद्दे एक्को मिनट हुआँ नयँ ठहरतइ ।"

"ओकरा एतना हिम्मत काहाँ से आवऽ हइ ? अपने के भरोसे ?"

"ओह, नयँ, अइसन नयँ कहथिन ! ... हम सब एक हिअइ, एक होके जीयऽ हिअइ", सोनिया अचानक फेर से उत्तेजित आउ गोस्सो हो गेलइ, ठीक ओइसीं, जइसे कनारी (canary), चाहे आउ कोय छोटगर चिरईं के गोस्सा आ जा हइ । "आउ ऊ करवे की करइ ? त ऊ करवे की करइ ?" ऊ आवेश में आके आउ उत्तेजना के साथ पूछते रहलइ । "आउ केतना, केतना ऊ आझ रो रहले हल ! ओकर दिमाग ठिकाने नयँ रहऽ हइ, अपने ई नोटिस नयँ कइलथिन ? कभी दिमाग नयँ काम करऽ हइ; कभी चिंता करते रहऽ हइ, एगो छोटगर बुतरू नियन, कि बिहान सब कुछ अच्छा हो जाय, खाना मिल जाय आउ सब कुछ ... कभी हाथ मल्ले लगऽ हइ, खोंखते-खोंखते  खून गिर जा हइ, रोवऽ हइ, आउ अचानक निराशा में अपन माथा देवाल से टकरावे लगऽ हइ । आउ बाद में फेर से तसल्ली हो जा हइ, अपने के ऊपर पूरा भरोसा करऽ हइ - बोलऽ हइ, कि अपने अभी ओकर सहायक हथिन आउ ऊ कहीं न कहीं कुछ पइसा उधार ले लेतइ आउ हमरा साथ अपन शहर चल जइतइ, आउ निम्मन लड़कियन खातिर एगो फ़िनिशिंग इस्कूल (एगो प्राइवेट कॉलेज, जाहाँ लड़कियन के फैशनदार समाज में प्रवेश खातिर तैयार कइल जा हइ) खोलतइ, आउ हमरा एकर सुरवाइज़र बनइतइ, आउ हमन्हीं खातिर बिलकुल नयका आउ सुन्दर जिनगी शुरू होतइ; आउ हमरा चुम्मा ले हइ, गले लगावऽ हइ, तसल्ली दे हइ, आउ वास्तव में विश्वास करऽ हइ ! ऊ अपन सपना पर केतना विश्वास करऽ हइ ! आउ की ओकर बात के कोय वास्तव में काट सकऽ हइ ? आउ खुद्दे दिनो भर आझ कपड़ा धोते, साफ-सफाय करते, कपड़ा के मरम्मत करते रहलइ; ऊ (कपड़ा धोवे वला) नाँद के खुद्दे अपन दुर्बल बल से घसीटते कमरा में लइलकइ, आउ हाँफे लगलइ, आउ अइसीं बिछावन पर गिर पड़लइ; आउ हमन्हीं दुन्नु सुबहे पोलेच्का (पोलेन्का) आउ लेन्या (लीदा) लगी जुत्ता खरीदे खातिर बजार गेते गेलिअइ, काहेकि ओकन्हीं के जुत्ता फट-फूट गेले ह; खाली हमन्हीं के पास हिसाब से काफी नयँ हलइ, बहुत जादे नाकाफी हलइ, आउ ऊ अइसन सुंदर-सुंदर छोटगर जुत्ता चुनलके हल, काहेकि ओकर पसंद निम्मन हइ, अपने नयँ जानऽ हथिन ... हिएँ दोकनिएँ में ऊ रो पड़लइ, खास दोकनदरवन भिर, काहेकि पइसा काफी नयँ हलइ ... आह, ओकरा देखके तरस आवऽ हलइ ।"

"ओ, अब समझ में अइलइ, कि अपने ... अइसे काहे रहऽ हथिन", कटु मुसकान के साथ रस्कोलनिकोव कहलकइ।
"आउ अपने के वास्तव में तरस नयँ आवऽ हइ ? अफसोस नयँ होवऽ हइ ?", फेर से सोनिया बरस पड़लइ, "वास्तव में अपने, हम जानऽ हिअइ, अपने बिन कुछ देखलहीं अपने के पास जे कुछ हलइ, ऊ सब दे देलथिन । काश, अपने सब कुछ देखथिन हल ! हे भगमान ! आउ केतना, केतना तुरी हम ओकर आँख में लोर ला देलिअइ! अभी पिछले सप्ताह ! ओह, हम ! उनकर मौत के बस एक्के सप्ताह पहिले । हम निर्दयतापूर्वक व्यवहार कइलिअइ! आउ केतना, केतना तुरी हम अइसन कइलिअइ । आह, अभी दिन-दिन भर आद करना केतना दर्दनाक हलइ !"

सोनिया बोलते-बोलते आदगारी के दरद से अपन हथवो ऐंठे लगलइ ।
"की अपनहूँ निर्दय हथिन ?"

"हाँ हम, हम ! हम तहिया अइलिअइ", कनते-कनते ऊ बोललइ, "आ स्वर्गीय (पिताजी) बोलऽ हका - 'सोनिया, पढ़के सुनाव, हमर सिर दरद कर रहल ह, पढ़के सुनाव ... अइकी ई किताब हकउ' -- उनका पास कोय किताब हलइ, अन्द्रेय सिम्योनिच लिबिज़्यातनिकोव से लइलका हल, ऊ हिएँ रहऽ हका, ऊ हमेशे अइसन मजेदार किताब लइते रहऽ हला । आउ हम बोलऽ हिअइ, "हमरा जाय के समय हो गेलो ह", आउ हम पढ़े लगी नयँ चाहऽ हलिअइ, काहेकि हम ओकन्हीं हीं गेलिए हल, खास तौर पे कतेरिना इवानोव्ना के कालर देखावे खातिर; लिज़ावेता, बनियाइन (मोदियाइन), हमरा लगी कुछ सस्ता कालर आउ कफ़ (collars and cuffs) ला देलके हल, निम्मन, नाया-नाया आउ कढ़ाई कइल । आउ कतेरिना इवानोव्ना के बहुत पसीन पड़लइ, ऊ पेन्हलकइ आउ दर्पण में खुद के देखलकइ, आउ बहुत, बहुत ओकरा निम्मन लगलइ - "किरपा करके ई सब हमरा उपहार में दे दे, सोनिया", ऊ बोललइ । ऊ निवेदन कइलकइ, आउ ओकरा लेवे के बहुत जी कर रहले हल । आउ पेन्हके ऊ काहाँ जइते हल ? ई प्रकार से - ऊ पहिले के खुशी के समय खाली आद कर रहले हल ! देखऽ हइ ऊ अपना के दर्पण में, आउ अपना के प्रशंसा करऽ हइ, आउ ओकरा पास कइसनो, कइसनो पोशाक नयँ हइ, कोय चीज नयँ, केतना साल से अभी तक ! आउ ऊ कुच्छो तो कभियो केकरो से नयँ माँगऽ हइ; स्वाभिमानी हइ, खुद्दे झट से अपन सब कुछ दे देतइ, लेकिन अइकी हियाँ ऊ मँगलकइ - एतना ओकरा पसीन पड़लइ ! आउ हमरा देवे के मन नयँ कर रहले हल । 'लेकिन ई अपने के की काम के हइ, कतेरिना इवानोव्ना', हम बोलऽ हिअइ । अइसीं कहलिअइ, 'अपने के की काम के' । ओकरा साथ ई नयँ बोले के चाही हल ! ऊ अइसीं हमरा तरफ देखते रहलइ, आउ ओकरा केतना भारी-भारी लगलइ, कि हम इनकार कइसे कर देलिअइ, आउ देखे से केतना अफसोस होवऽ हलइ ... आउ ई भारी-भारी कालर खातिर नयँ, बल्कि ई बात पर कि हम इनकार कर देलिअइ, ई हम देखलिअइ । आह, काश, लगऽ हइ, कि अब सब कुछ वापिस ले लेतिए हल, सब कुछ फेर से करतिए हल, ई सब पहिलौका शब्द ... ओह, हम ... लेकिन ई सब बात करे से की फयदा ! ... अपने लगी तो ई सब कुछ बराबर हइ!"

"ई लिज़ावेता बनियाइन के अपने जानऽ हलथिन ?"
"हाँ ... आ अपने वास्तव में जानऽ हलथिन ?" कुछ अचरज के साथ सोनिया प्रतिप्रश्न (cross-question) कइलकइ ।
"कतेरिना इवानोव्ना के तपेदिक (टीबी) हकइ, गंभीर हालत में; ऊ जल्दीए मर जइतइ", थोड़े देर चुप्पी साधले आउ प्रश्न के उत्तर बिन देले कहलकइ ।
"ओह, नयँ, नयँ, नयँ !"
आउ अनजान संकेत के साथ सोनिया ओकर दुन्नु हाथ पकड़ लेलकइ, जइसे मना रहल होवे कि नयँ ।
"लेकिन बेहतर एहे होतइ, अगर ऊ मर जा हइ ।"
"नयँ, बेहतर नयँ, बेहतर नयँ, बिलकुल बेहतर नयँ होतइ !" भयभीत होके आउ अनजाने में ऊ दोहरइलकइ ।
"आ बुतरुअन ? ओकन्हीं काहाँ जइतइ, अगर अपने ओकन्हीं के साथ में नयँ रखथिन ?"
"ओह, हमरा मालूम नयँ !" लगभग निराशा में सोनिया चीख पड़लइ आउ अपन सिर पकड़ लेलकइ । साफ लग रहले हल, कि ई विचार ओकर दिमाग में कइएक-कइएक तुरी अइले हल, आउ ऊ (रस्कोलनिकोव) खाली ई विचार के फेर से ताजा कर देलके हल ।
"आउ कतेरिना इवानोव्ना के साथ रहते, अगर अपने बेमार पड़ जाथिन आउ अपने के अस्पताल पहुँचा देल जाय, तखने की होतइ ?" निर्दयतापूर्वक ऊ प्रसंग पर बन्नल रहलइ ।
"आह, ई अपने की कह रहलथिन हँ, की कह रहलथिन हँ ! ई तो होइए नयँ सकऽ हइ !" आउ भयंकर डर से सोनिया के चेहरा विकृत हो गेलइ ।

"कइसे नयँ हो सकऽ हइ ?" भयंकर मुसकान के साथ रस्कोलनिकोव बात जारी रखलकइ, "त की, अइसन अनहोनी के खिलाफ कुछ बीमा कइले नयँ हथिन अपने ? तब ओकन्हीं के की होतइ ? सब सड़क पर मारल फिरतइ, ऊ खोंखते रहतइ आउ भीख माँगतइ, आउ कहीं परी अपन माथा देवाल से टकरइतइ, जइसे कि आझ, आउ बुतरुअन कन्ने लगतइ ... आउ हुआँ ऊ गिर पड़तइ, तब ओकरा ले जाल जइतइ थाना, अस्पताल, ऊ मर जइतइ आउ बुतरुअन ..."

"ओह, नयँ ! ... भगमान अइसन नयँ होवे देता !" सोनिया के भारी दिल से आखिरकार फूट पड़लइ । ऊ कातर भाव से देखते आउ मूक प्रार्थना के भाव से हाथ जोड़ले ओकर बात सुनते रहलइ, मानूँ सब कुछ ओकरे पर निर्भर होवे ।

रस्कोलनिकोव उठ गेलइ आउ कमरा में शतपथ करे (एन्ने-ओन्ने चक्कर लगावे) लगलइ । एक मिनट गुजर गेलइ । अपन बाँह आउ सिर निच्चे कइले घोर उदासी में सोनिया खड़ी रहलइ ।
"लेकिन कुछ पइसा बचावल नयँ जा सकऽ हइ ? दुर्दिन लगी कुछ अलग रक्खल नयँ जा सकऽ हइ ?" अचानक ओकरा सामने खड़ी होके ऊ पुछलकइ ।
"नयँ", सोनिया फुसफुसइलइ ।
"जाहिर हइ, नयँ ! आ कोशिश कइलथिन ?" लगभग व्यंग्यपूर्वक ऊ आगू बोललइ ।
"कोशिश कइलिए हल ।"
"आउ कुछ फयदा नयँ होलइ ! हूँ, जाहिर हइ ! पुछहूँ के की जरूरत !"

आउ फेर से ऊ कमरा में शतपथ करे लगलइ । आउ एक मिनट गुजर गेलइ ।
"रोज दिन पइसा नयँ मिल्लऽ हइ ?"
सोनिया पहिलहूँ से जादे सकपका गेलइ, आउ ओकर चेहरा लाल हो गेलइ ।
"नयँ", ऊ दर्दनाक प्रयास के साथ फुसफुसइलइ ।
"पोलेच्का के साथ, पक्का, ओहे होतइ", ओकर मुँह से अचानक निकस पड़लइ ।
"नयँ ! नयँ ! नयँ हो सकऽ हइ, नयँ !" निराश होल सोनिया जोर से चीख उठलइ, मानूँ ओकरा अचानक कोय छूरा भोंक देल होवे । "भगमान, भगमान अइसन भयंकर नयँ होवे देता ! ..."
"दोसरा साथ तो होवहीं दे हका ।"
"नयँ, नयँ ! ओकरा भगमान बचइथिन, भगमान ! ...", अपन आपा खोके ऊ दोहरइलकइ ।
"लेकिन, शायद, भगमान बिलकुल हइए नयँ हइ", एक प्रकार के पैशाचिक आनंद के साथ भी रस्कोलनिकोव उत्तर देलकइ, हँस पड़लइ आउ ओकरा तरफ देखे लगलइ ।

सोनिया के चेहरा अचानक भयंकर रूप से बदल गेलइ - ओकरा पर कँपकँपी दौड़ गेलइ । ऊ ओकरा पर अनिर्वचनीय (inexpressible) धिक्कार के साथ निगाह डललकइ, कुछ कहे लगी चहलकइ, लेकिन कुछ नयँ बोल पइलइ आउ खाली अचानक दुन्नु हाथ से अपन चेहरा झाँपके कटु-कटु (bitterly) सिसके लगलइ ।
"अपने के कहना हइ, कि कतेरिना इवानोव्ना के दिमाग काम नयँ करऽ हइ; लेकिन खुद अपनहूँ के दिमाग ठिकाने नयँ हकइ", कुछ देर के चुप्पी के बाद ऊ बोललइ ।
लगभग पाँच मिनट गुजर गेलइ । ऊ लगातार आगू-पीछू चक्कर लगइते रहलइ, चुपचाप आउ ओकरा तरफ बिन देखले । आखिरकार ओकरा पास गेलइ; ओकर (रस्कोलनिकोव के) आँख चमक रहले हल । अपन दुन्नु हाथ से ओकर कन्हा पकड़के सीधे ओकर रोआँसा चेहरा पर एकटक देखे लगलइ । ओकर (रस्कोलनिकोव के) आँख सुक्खल, सुज्जल, तीक्ष्ण हलइ, ओकर होंठ फड़क रहले हल ... अचानक ऊ बहुत तेजी से झुक गेलइ आउ फर्श पर गिरके ओकर गोड़ चूम लेलकइ । सोनिया ओकरा भिर से झटकके अलगे हो गेलइ, मानूँ पागल भिर से । आउ वास्तव में, ऊ बिलकुल पागल नियन देखाय दे रहले हल ।

"अपने ई की, ई की कर रहलथिन हँ ? हमरा सामने !" ऊ बड़बड़इलइ, ओकर रंग पीयर पड़ गेलइ, आउ अचानक ओकर दिल व्यथा से संकुचित हो गेलइ ।
ऊ (रस्कोलनिकोव) तुरते उठ खड़ी होलइ ।

"हम तोरा सामने नयँ झुकलियो, हम समुच्चे पीड़ित मानवता के सामने झुकलिअइ", ऊ एक प्रकार से उन्मत्त होके बोललइ आउ खिड़की भिर चल गेलइ । "सुनऽ", एक मिनट के बाद वापिस आके ऊ बोललइ, "आझ हम एगो बदतमीज अदमी के कहलिअइ, कि ओकर कीमत तोहर एगो कानी अँगुरियो के बराबर नयँ हइ ... आउ आझ हम तोरा अपन बहिन के पास साथ-साथ बइठाके ओकरा सम्मान देलिअइ ।"
"आह, ई बात उनकन्हीं के कहलथिन ! आउ अपन बहिन के सामने ?" भयभीत होके सोनिया चिल्लइलइ, "हमरा साथ बइठे के बात ! सम्मान ! लेकिन हम तो ... कलंकिनी ... हम तो बड़गो, बड़गो पापिन हकिअइ ! आह, अपने ई की कह बइठलथिन !"

"कलंक आउ पाप लगी हम तोरा बारे नयँ कहलियो, बल्कि तोर बड़गो मुसीबत लगी । आउ तूँ बड़गो पापिन हकहो, ई बात तो सही हकइ", ऊ लगभग उल्लास में आगू बोललइ, "आउ सबसे बेकार बात तो ई हइ, कि तूँ पापिन हकहो, काहेकि बेकार में तूँ खुद के बरबाद कर लेलहो, आउ खुद के कुरबान कर देलहो । की ई भयंकर नयँ हइ ! की ई भयंकर नयँ हइ, कि तूँ ई गंदगी में रहऽ हकहो, जेकरा से तोरा एतना नफरत हको, साथे-साथ खुद्दे ई बात के जानऽ हो (खाली आँख खोले के जरूरत हको), कि अइसन करके तूँ केकरो नयँ मदत करऽ रहलहो ह आउ केकरो कुच्छो से बचा नयँ रहलहो ह ! लेकिन आखिरकार हमरा बताहो", ऊ बोलते रहलइ, लगभग दीवाना के तरह, "कइसे ई कलंक आउ अइसन पतन, तोर अंदर ई सब के विपरीत आउ पवित्र भावना के साथ मेल खइतो ? एकरा से कहीं बेहतर, हजार गुना बेहतर आउ समझदारी के बात ई होतो कि तूँ सीधे पानी में कूद पड़हो आउ एक्के तुरी में ई सब कुछ खतम कर देहो !"

"लेकिन ओकन्हीं के की होतइ ?" व्यथा भरल आँख से ओकरा घूरते, लेकिन साथे-साथ ओकर ई प्रस्ताव से मानूँ बिलकुल आश्चर्यचकित नयँ होल, सोनिया धीरे से पुछलकइ । रस्कोलनिकोव विचित्र ढंग से ओकरा तरफ देखलकइ ।

ऊ एक्के नजर में ओक्कर सब कुछ पढ़ लेलकइ । मतलब, वास्तव में ई विचार ओकर मन में पहिलहीं से हलइ । शायद, निराशा में ऊ कइएक तुरी आउ गंभीरतापूर्वक सोचलके हल, कि कइसूँ एक्के तुरी में सब कुछ खतम कर लेउँ, आउ एतना गंभीरतापूर्वक, कि ओकर प्रस्ताव अब लगभग ओकरा बिलकुल आश्चर्यचकित नयँ कइलकइ । ऊ तो ओकर शब्द के क्रूरता पर भी ध्यान नयँ देलके हल (सोनिया ओकर धिक्कार के अर्थ आउ अपन कलंक पर रस्कोलनिकोव के विशेष दृष्टिकोण के भी नोटिस नयँ कइलके हल - आउ ई रस्कोलनिकोव के देखाय दे रहले हल) । लेकिन रस्कोलनिकोव के पूरा तरह से समझ में आ गेले हल, कि केतना भयंकर कष्ट आउ बहुत समय पहिलहीं से, कलंकित आउ अपमानित परिस्थिति के विचार सोनिया के यातना दे रहले हल । "कउची, कउची", ऊ सोचलकइ, "अभी तक ओकरा एक्के तुरी में सब कुछ खतम कर देवे के फैसला करे से रोक रहले ह ?" आउ तब जाके ओकरा पूरा तरह से समझ में अइलइ, कि ई बेचारन, छोटगर-छोटगर अनाथ बुतरुअन आउ ऊ दयनीय, अधपगली कतेरिना इवानोव्ना, तपेदिक से ग्रस्त, आउ देवाल से अपन सिर पटक-पटकके फोड़ेवली, के ओकरा लगी की महत्त्व हलइ ।

तइयो ओकरा फेर से ई बात स्पष्ट हो गेलइ, कि सोनिया, अपन स्वभाव से आउ शिक्षा के चलते भी, जे ऊ प्राप्त कइलके हल, कउनो हालत में अइसे नयँ रह सकऽ हलइ । अभियो ओकरा लगी ई सवाले खड़ा हलइ - कइसे ऊ ई एतना जादे समय तक के अइसन परिस्थिति में रह पइलइ आउ पागल नयँ होलइ, अगर ऊ पानी में डूब जाय के हिम्मत नयँ जुटइलकइ ? वस्तुतः, ऊ समझऽ हलइ, कि सोनिया के परिस्थिति एगो आकस्मिक सामाजिक घटना हलइ, यद्यपि, दुर्भाग्यवश, ई एकल आउ अपवाद स्वरूप से कहीं दूर हलइ । लेकिन एहे आकस्मिकता, ई ओकर थोड़हूँ-बहुत प्राप्त कइल शिक्षा आउ पहिलौका पूरा जिनगी - ओकरा अइसन घिनौना रस्ता पर ओकर पहिले कदम, शायद, ओकरा तुरते मार देते हल । त फेर कउची ओकरा रोकले रहलइ ? चरित्रहीनता तो नयँ न? ई सारा कलंक, स्पष्टतः, ओकरा पर खाली यंत्रवत् स्पर्श कइलके हल; वास्तविक चरित्रहीनता अभियो ओकर दिल में एक्को बून नयँ प्रवेश कइलके हल - ऊ ई बात समझऽ हलइ; सोनिया ओकरा सामने वास्तविक रूप में खड़ी हलइ ...

"ओकरा पास तीन रस्ता हइ", ऊ सोचलकइ, " - नहर में छलाँग लगाके आत्महत्या कर लेना, पागलखाने चले जाना, चाहे ... चाहे, आखिरकार, स्वयं के चरित्रहीनता में फँसा देना, जे बुद्धि के मंद कर दे हइ आउ दिल के पत्थर बना दे हइ ।" सबसे अंतिम विचार ओकरा लगी सबसे जादे घृणास्पद हलइ; लेकिन ऊ अविश्वासी हो चुकले हल, ऊ नौजवान हलइ, अभौतिक (abstract), आउ परिणामस्वरूप, क्रूर, आउ ओहे से ई नयँ सोच सकऽ हलइ, कि सबसे अंतिम विकल्प, अर्थात् चरित्रहीनता, के संभावना सबसे जादे हलइ ।

"लेकिन की वास्तव में ई सच हो सकऽ हइ ?" ओकर मन चीख उठलइ, "की वास्तव में ई जीव, जे अपन आत्मिक पवित्रता अभियो तक सुरक्षित रखले हइ, चेतन रूप से आखिरकार ई घृणास्पद, बदबूदार गर्त्त में खिंचा जइतइ ? की वास्तव में ई खिंचाव शुरू भी हो चुकले ह, आउ की वास्तव में खाली ओहे से अभी तक सब कुछ सहन करते अइले ह, कि पाप ओकरा अब ओतना घृणास्पद लगवे नयँ करऽ हइ ? नयँ, नयँ, अइसन नयँ हो सकऽ हइ !" ऊ चीख उठलइ, जइसे कि पहिले सोनिया । "नयँ, नहर में छलाँग लगावे से अभी तक ओकरा रोकले हइ - पाप के बारे सोच, आउ ओकन्हीं, ऊ सब (बुतरुअन) ... आउ अगर ऊ अभियो तक पागल नयँ होले ह ... लेकिन केऽ कहलकइ, कि ऊ पागल नयँ हो चुकले ह ? की ओकर मस्तिष्क स्वस्थ हइ ? की वास्तव में कोय अइसे बोल सकऽ हइ, जइसे की ऊ ? की कोय अपन स्वस्थ मस्तिष्क से अइसे तर्क प्रस्तुत कर सकऽ हइ, जइसे कि ऊ ? की वास्तव में सर्वनाश के कगार पर अइसे बइठल जा सकऽ हइ, सीधे बदबूदार गर्त्त पर, जेकरा में ऊ खिंचाल जाब करऽ हइ, आउ जब ओकरा खतरा के बारे बतावल जा हइ, त ऊ हाथ कइसे हिला सकऽ हइ, आउ अपन कान कइसे बन कर सकऽ हइ ? की ऊ कोय चमत्कार के आस लगइले हइ ? वास्तव में एहे बात हइ । की वस्तुतः ई सब पागलपन के लक्षण नयँ हकइ ?"

ऊ दृढ़तापूर्वक ई विचार पर अड़ल रहलइ । ई समाधान, शेष कोय दोसरा के अपेक्षा, ओकरा बहुत जादे पसीनो पड़लइ । ऊ एकटक ओकरा तरफ निहारे लगलइ ।
"त तूँ भगमान के बहुत प्रार्थना करऽ हो, सोनिया ?" ऊ ओकरा पुछलकइ ।
सोनिया चुप रहलइ, ऊ ओकर बगल में ओकर जवाब के इंतजार में खड़ी रहलइ ।
"बिन भगमान के हमरा की हालत होत हल ?" अपन अचानक चमकत आँख से जल्दी-जल्दी ओकरा पर नजर डालके, तेजी से, आउ जोर लगाके ऊ फुसफुसइलइ, आउ ओकर हाथ के अपन हाथ से कसके दबइलकइ ।
"हूँ, त एहे बात हइ !" ऊ सोचलकइ ।
"आउ एकरा खातिर भगमान की करऽ हथुन ?" आउ ओकरा आगू जाँचे के खियाल से ऊ पुछलकइ ।

सोनिया देर तक चुप्पी साधले रहलइ, जइसे ऊ जवाब नयँ दे पा रहल होवे । परेशानी के चलते ओकर कमजोर छाती लगातार धौंकनी नियन चल रहले हल ।
"चुप रहथिन ! कुच्छो नयँ पुछथिन ! अपने के अधिकार नयँ हइ ! ...", कठोरतापूर्वक आउ गोस्सा से ओकरा तरफ देखते अचानक ऊ चिल्ला उठलइ ।
"एहे बात हइ ! एहे बात हइ !" ऊ बराबर अपने आप से दोहरइते रहलइ ।
"सब कुछ करऽ हका !" फेर से अपन नजर निच्चे कइले ऊ तेजी से फुसफुसइलइ ।
"त ई हइ समाधान ! ई हइ समाधान के व्याख्या !" ओकरा उत्कट उत्सुकता से देखते ऊ अपने आप से निष्कर्ष निकसलकइ । नाया, विचित्र, लगभग दर्दनाक, भावना के साथ ऊ एकटक देख रहले हल - ई पीयर, दुब्बर-पातर आउ अनियमित नोकदार चेहरा, नम्र नीला आँख, एतना अग्नि जइसन चमके के क्षमता वला, अइसन कठोर ऊर्जात्मक भावना के साथ, ई छोटकुन्ना शरीर के, जे अभियो रोष आउ क्रोध में काँप रहले हल; आउ ई सब कुछ ओकरा विचित्रतर आउ विचित्रतर प्रतीत हो रहले हल, लगभग असंभव । "धार्मिक सनकी ! धार्मिक सनकी (religious maniac) !" अपने आप से (अर्थात् मने मन) ऊ रट लगइते रहलइ ।

दराज वला अलमारी के उपरे एगो किताब पड़ल हलइ । हरेक तुरी, आगू-पीछू चक्कर काटते, ऊ ओकरा देखऽ हलइ; अबरी ऊ ओकरा उठा लेलकइ आउ देखे लगलइ । ई बाइबिल के न्यू टेस्टामेंट के रूसी अनुवाद हलइ । किताब पुरनका, इस्तेमाल कइल (second hand), चमड़ा के जिल्द लगल हलइ ।
"ई काहाँ से ?" ऊ कमरा के पार से ओकरा पुछलकइ ।
ऊ (सोनिया) अभियो ओज्जे परी खड़ी हलइ, टेबुल से तीन कदम दूर ।
"हमरा कोय लाके देलके हल", ऊ मानूँ अनिच्छा से आउ ओकरा तरफ बिन देखले उत्तर देलकइ ।
"केऽ लाके देलको हल ?"
"लिज़ावेता लाके देलके हल, हम लावे लगी कहलिए हल ।"
"लिज़ावेता ! विचित्र बात हइ !" ऊ सोचलकइ ।
हरेक मिनट के साथ सोनिया के बारे सब कुछ ओकरा लगी अधिक विचित्र आउ अधिक आश्चर्यजनक लगते जा रहले हल । ऊ कितब्बा के मोमबत्ती भिर लइलकइ आउ ओकर पन्ना उलटे लगलइ ।
"एकरा में लाज़ारुस के कहानी काहाँ पर हइ ?" ऊ अचानक पुछलकइ ।
सोनिया नजर जमइले जमीन तरफ देखते रहलइ आउ जवाब नयँ दे रहले हल । ऊ टेबुल से कुछ तिरछे खड़ी हलइ ।

"एकरा में लाज़ारुस के पुनर्जीवन के कथा काहाँ पर हइ ? हमरा लगी ढूँढ़ तो द, सोनिया ।
ऊ तिरछा नजर से ओकरा तरफ देखलकइ ।
"हुआँ परी नयँ देख रहलथिन हँ ... चौठा पर्व (gospel) में ...", ओकरा तरफ बिन अइले, ऊ कठोरतापूर्वक फुसफुसइलइ ।
"ढूँढ़ऽ आउ हमरा पढ़के सुनावऽ", ऊ कहलकइ, बइठ गेलइ, टेबुल पर अपन केहुनी झुका लेलकइ, हाथ से अपन सिर के टिका लेलकइ आउ उदास भाव से बगल तरफ नजर करके सुन्ने लगी तैयार हो गेलइ ।
"तीन सप्ताह के बाद सतमा विर्स्ता [1] पर, अपने के स्वागत हइ ! [2] लगऽ हइ, हम खुद्दे हुआँ होबइ, अगर आउ कुछ बत्तर नयँ होतइ", ऊ मने मन बड़बड़इलइ ।

रस्कोलनिकोव के विचित्र इच्छा के अविश्वास के साथ सुनके सोनिया हिचकिचइते टेबुल तरफ बढ़लइ । तइयो ऊ किताब उठइलकइ ।
"की वास्तव में अपने नयँ पढ़लथिन हँ ?" त्योरी चढ़इते ऊ टेबुल के पार से ओकरा तरफ देखते पुछलकइ । ओकर अवाज के कठोरता लगातार बढ़ते जा रहले हल ।
"बहुत पहिले ... जब हम पढ़ाय कर रहलिए हल । पढ़ऽ !"
"आउ गिरजाघर (चर्च) में नयँ सुनलथिन ?"
"हम ... नयँ जा हलिअइ । आउ तूँ अकसर जा हकहो ?"
"न-नयँ", सोनिया फुसफुसइलइ ।
रस्कोलनिकोव मुसका देलकइ ।
"समझऽ हिअइ ... तब अपन पिता जी के बिहान दफनावे लगी नयँ जइबहो ?"
"जइबइ । पिछले सप्ताह भी हम गेलिए हल ... आत्मा के शांति खातिर प्रार्थना (funeral service) करवइलिए हल ।"
"केकरा लगी ?"
"लिज़ावेता लगी । ओकरा कोय कुल्हाड़ी से हत्या कर देलके हल ।"

ओकर स्नायु (nerves) में तनाव बढ़ते जा रहले हल । सिर चकराय लगलइ ।
"तोहरा लिज़ावेता के साथ दोस्ती हलो ?"
"हाँ ... ऊ एगो ईमानदार औरत हलइ ... ऊ आवऽ-जा हलइ ... विरले ... मौका नयँ मिल्लऽ हलइ । हमन्हीं दुन्नु  साथ-साथ पढ़ऽ हलिअइ आउ ... बातचीत करते रहऽ हलिअइ । ऊ भगमान के दर्शन करतइ ।"[3]

ई सब किताबी शब्द ओकरा लगी विचित्र लगलइ, आउ फेर से कुछ तो ओकरा लगी नाया हलइ - लिज़ावेता के साथ कइसनो रहस्यमय ढंग से मेल-मिलाप, आउ दुन्नु - धार्मिक सनकी ।
"अइकी तूँ खुद्दे धार्मिक सनकी बन जइबऽ ! ई संक्रामक (infectious) हको !" ऊ सोचलकइ । "पढ़ऽ !" ऊ अचानक आग्रहपूर्वक आउ चिड़चिड़ाहट में जोर से बोललइ ।

सोनिया अभियो हिचकिचा रहले हल । ओकर दिल जोर-जोर से धड़क रहले हल । ऊ ओकरा लगी पढ़के सुनावे के हिम्मत कइसूँ नयँ जुटा पा रहले हल । ऊ (रस्कोलनिकोव) "अभगली पगली" तरफ लगभग व्यथित होके देख रहले हल ।
"काहे लगी ई अपने के ? अपने के तो एकरा में विश्वासे नयँ हइ न ? ...", ऊ कोमल स्वर में आउ हँफते-हँफते फुसफुसइलइ ।
"पढ़ऽ तो ! हम एहे चाहऽ हकूँ !" ऊ जिद कइलकइ, "लिज़ावेता के तो पढ़के सुनइवे करऽ हलऽ !"
सोनिया कितब्बा खोललकइ आउ ऊ प्रसंग खोजलकइ । ओकर हाथ काँप रहले हल, ओकर अवाज काफी नयँ हलइ । ऊ दू तुरी शुरू कइलकइ, आउ तइयो ओकर मुँह से पहिलो अक्षर नयँ निकस पइलइ ।

"कोय लाज़ारुस नाम के अदमी बेमार हलइ, बेथानी के रहेवला ..." [4], आखिरकार ऊ प्रयास करके बोललइ, लेकिन अचानक, तेसरे शब्द पर ओकर अवाज जादे कस्सल तार नियन तेज होलइ आउ टूट गेलइ । ओकर साँस टूट गेलइ, आउ ओकर छाती संकुचित हो गेलइ ।

रस्कोलनिकोव के आंशिक रूप से समझ में आ रहले हल, कि काहे सोनिया ओकरा पढ़के सुनावे में हिचकिचा रहले हल, आउ जेतने जादे ई ओकरा समझ में आ रहले हल, मानूँ ओतने रुखाई आउ चिड़चिड़ापन से ऊ पढ़े लगी जिद कर रहले हल । ओकरा (रस्कोलनिकोव के) बहुत निम्मन से समझ में आ रहले हल, कि ओकरा (सोनिया के) अब ऊ सब कुछ, जे ओकर अप्पन हलइ, बतावे आउ प्रकट करे में केतना कष्ट हो रहले हल । ऊ समझ रहले हल, कि ई भावना मानूँ ओकर वास्तविक आउ लम्मा अरसा से, शायद, ओकर रहस्य हलइ, आउ शायद बचपने से, जब ऊ परिवार में रहऽ हलइ, ऊ अभागल पिता आउ शोक से पागल होल सतेली माय, भुक्खल बुतरुअन के साथ, कुरूप चीख आउ उलाहना के साथ । लेकिन साथे-साथ ऊ अब जानऽ हलइ, आउ पक्का तरह से जानऽ हलइ, कि हलाँकि ऊ उदास हलइ आउ अब पढ़े लगी शुरुआत करतहीं कोय चीज के मामले में भयंकर रूप से भयभीत हो जा हलइ, लेकिन तइयो ओकरा, उदासी आउ भय के बावजूद, पूरा पढ़ जाय के उत्कट अभिलाषा हलइ, आउ पक्का ओकरा लगी, ताकि ओकरा सुनाय देय, आउ ओहो अभिए - "चाहे एकर नतीजा बाद में जे होवे !" ऊ (रस्कोलनिकोव) ओकर आँख में ई पढ़ लेलकइ, आउ ओकर (सोनिया के) उल्लासपूर्ण भावना से समझ गेलइ ... ऊ (सोनिया) अपने आप के सँभललकइ, अपन गला के जकड़ (spasm) के वश में कइलकइ, जे छंद (verse) के शुरू में ओकर अवाज के तोड़ देलके हल, आउ जॉन पर्व (John's Gospel) के एगरहमा अध्याय पढ़ना जारी रखलकइ ।

ई तरह ऊ पढ़ते-पढ़ते 19-मा छंद (verse) पर पहुँचलइ -
"आउ बहुत सन यहूदी मारथा आउ मरियम के पास अइते गेलइ, ओकन्हीं के भाय के बारे शोक में ढाढ़स बन्हावे खातिर । ई बात सुनके कि यीशु आ रहला ह, मारथा उनका से मिल्ले खातिर चल पड़लइ; लेकिन मरियम घरे पर बइठल रहलइ । तब मारथा यीशु से कहलकइ - 'प्रभु ! अगर तूँ हियाँ होतहो हल, त हमर भाय नयँ मरत हल । लेकिन अभियो हम जानऽ ही, कि जे कुछ भगमान से तूँ माँगबहो, तोरा भगमान दे देथुन ।"

हियाँ पर ऊ फेर से रुक गेलइ, ई आशंका से शरमा रहले हल, कि ओकर अवाज फेर से काँप जइतइ आउ टूट जइतइ ...
"यीशु ओकरा बोललथिन - 'तोर भाय जी उठतउ ।' मारथा उनका बोललइ - 'जानऽ ही, कि अंतिम दिन एतवार के ऊ जी उठतइ ।'
"यीशु ओकरा कहलथिन – ‘हमहीं पुनर्जीवन आउ जिनगी हकिअइ; हमरा में विश्वास करे वला अगर मरवो करऽ हइ, त जी उठऽ हइ । आउ हरेक जीवित जे हमरा में विश्वास करऽ हइ, कभी नयँ मरतइ । तोरा ई बात में विश्वास हउ ?’ ऊ उनका जवाब दे हइ - (आउ मानूँ दरद के साथ साँस लेते, सोनिया साफ-साफ आउ जोर देके पढ़लकइ, जइसे ऊ खुद्दे सब सुन्ने वला के सामने अपन आस्था के स्वीकार कर रहले हल -) ‘हाँ, प्रभु ! हमरा विश्वास हइ, कि तूहीं क्राइस्ट हकहो, भगमान के पुत्र, जे संसार में आवे वला हकहो ।’ "

ऊ रुक गेलइ, तेजी से ओकरा तरफ अपन आँख उठइलकइ, लेकिन जल्दीए खुद के सँभाल लेलकइ आउ आगू पढ़े लगलइ । रस्कोलनिकोव बिन हिलले-डुलले, बिन मुड़ले, टेबुल पर केहुनी टेकले आउ बगल तरफ नजर कइले, बइठके सुन रहले हल । ऊ पढ़ते-पढ़ते 32-मा छंद तक पहुँच गेलइ ।

"मरियम हुआँ पहुँचला पर, जाहाँ पर यीशु हलथिन, आउ उनका देखके, उनकर गोड़ पर गिर गेलइ; आउ उनका कहलकइ - 'प्रभु ! अगर तूँ हियाँ रहतहो हल, त हमर भाय नयँ मरत हल ।' यीशु जब ओकरा आउ ओकरा साथ आवल यहूदी सब के देखलथिन, त उनकर आत्मा कराह उठलइ आउ ऊ चिंतित हो गेलथिन । आउ बोललथिन - 'तोहन्हीं ओकरा काहाँ दफनइलहो ह ?' त ओकन्हीं उनका बोललइ - 'प्रभु ! चलथिन आउ देखथिन।' यीशु कन्ने लगलथिन । तब यहूदी सब बोललइ - 'देखहो, ऊ ओकरा केतना प्यार करऽ हलथिन । आउ ओकन्हीं में से कुछ लोग बोललइ - 'की ई अंधरा के आँख खोल देवे वला, अइसन नयँ कर सकऽ हलइ कि ई मरवे नयँ करते हल ?' "

रस्कोलनिकोव ओकरा तरफ मुड़लइ आउ चिंतित होके ओकरा तरफ देखे लगलइ - 'हाँ, एहे बात हइ ! ऊ (सोनिया) पहिलहीं से पूरा काँप रहले हल, वास्तविक असली बोखार में । ऊ (रस्कोलनिकोव) एकर आशंका कर रहले हल । ऊ सबसे बड़गर आउ कभी नयँ सुन्नल चमत्कार के शब्द तरफ पहुँच रहले हल, आउ बड़गो विजय के भावना ओकरा पर छा गेलइ । ओकर अवाज धातु नियन गूँज गेलइ; विजय आउ उल्लास ओकरा में गूँज रहले हल आउ एकरा में शक्ति भर देलके हल । ओकरा सामने पङ्क्ति सब भ्रामक हो गेलइ, काहेकि ओकर आँख में अन्हेरा छा गेलइ, लेकिन जे कुछ ऊ पढ़ रहले हल, ऊ सब ओकरा कंठस्थ हलइ । अंतिम छंद पर – “की ई अंधरा के आँख खोल देवे वला ...”, ऊ अपन अवाज जरी निच्चे करके, गरमजोशी आउ भावावेश में ऊ अविश्वाशी, आन्हर यहूदी सब के शंका, उलाहना आउ भर्त्स्ना अभिव्यक्त कइलकइ, जे अभी एक मिनट के बाद, वज्राघात के जइसे, गोड़ पर गिर जइतइ, कनतइ आउ विश्वास करतइ ... “आउ ओहो, ओहो अन्हराल आउ अविश्वासी हइ - ओहो अब सुनतइ, ओहो विश्वास करतइ, हाँ, हाँ ! अभिए, एहे क्षण”, ऊ (सोनिया) सपना देख रहले हल, आउ सुखद पूर्वाभास से काँप रहले हल ।

"यीशु अंदरे अंदर कराहते कबर तरफ आवऽ हका । ई एगो गुफा हलइ, आउ ओकर मुहमा पर एगो पत्थल पड़ल हलइ । यीशु बोलऽ हका - 'पत्थल हटा देहो ।' मृतक के बहिन मारथा उनका से बोलऽ हइ - 'प्रभु ! अब तक तो एकरा से दुर्गंध आवे लगले होत; काहेकि ओकरा कबर में पड़ल चार दिन हो गेलइ ।' "
ऊ प्रबल रूप से 'चार' शब्द पर जोर देलकइ ।

"यीशु ओकरा बोलऽ हका - की तोरा हम नयँ कहलियो हल, कि अगर विश्वास करबऽ, त भगमान के लीला देखबऽ ? तब गुफा से पत्थल निकासल गेलइ, जाहाँ पर मृतक पड़ल हलइ । यीशु आँख असमान तरफ उठाके कहलका - 'हे परमपिता, हम तोहर आभारी हियो, कि तूँ हमर बात सुनलऽ । आउ हम जानऽ हलियो, कि तूँ हमेशे हमर बात सुन्नऽ ह; लेकिन ई सब बात हम हियाँ परी खड़ी लोग खातिर कहलियो, ताकि ओकन्हीं सब के विश्वास हो जाय, कि तूँ हमरा भेजलऽ ह । एतना कहके, ऊ उँचगर स्वर में बोलला - 'लाज़ारुस ! हियाँ आव ।' आउ मृतक बाहर निकसलइ,
(ऊ उँचगर स्वर आउ हर्षातिरेक में पढ़ रहले हल, काँप रहले हल आउ ओकर शरीर ठंढा पड़ते जा रहले हल, मानूँ ऊ आँख के सामने ई सब दृश्य देख रहल होवे),
ओकर हाथ-पाँव कफन में लपेटल हलइ; आउ ओकर चेहरा रूमाल से बन्हल हलइ । यीशु ओकरा बोलऽ हका - 'ओकरा खोल देहो आउ जाय देहो ।' तब मरियम के पास आवल आउ यीशु द्वारा कइल काम के देखके यहूदी सब में से बहुत सन लोग उनका में विश्वास करे लगलइ ।"
आउ आगू ऊ नयँ पढ़लइ आउ न पढ़ सकलइ, किताब बन कर देलकइ आउ तेजी से कुरसी पर से उठ गेलइ ।

"लाज़ारुस के पुनर्जीवन के बारे बस एतने हइ", अचानक आउ कठोर स्वर में ऊ फुसफुसइलइ आउ निश्चल खड़ी रहलइ, एक तरफ मुड़ गेलइ, ऊ साहस नयँ कर पा रहले हल आउ मानूँ ओकरा तरफ आँख उठावे में शरम लग रहले हल । ओकरा बोखार वला कंपन अभियो जारी रहलइ । पिचकल शमादान में मोमबत्ती के आखरी सिरा जलके बहुत पहिलहीं खतम हो चुकले हल, जे धुँधला रोशनी डाल रहले हल ई दरिद्रताग्रस्त कमरा में हत्यारा आउ वेश्या के उपरे, जे विचित्र ढंग से साथ आ गेले हल ई शाश्वत धर्मग्रंथ पढ़े लगी । करीब पाँच मिनट, चाहे कुछ अधिक बीत गेलइ ।

"हम काम के बात करे लगी अइलियो हल", रस्कोलनिकोव जोर से आउ त्योरी चढ़ाके अचानक बोललइ, उठ खड़ी होलइ आउ सोनिया तरफ बढ़लइ । ऊ चुपचाप ओकरा तरफ अपन आँख उठइलकइ । रस्कोलनिकोव के दृष्टि विशेष करके तीक्ष्ण लग रहले हल, आउ ओकरा में एक प्रकार के पाशविक दृढ़ संकल्प अभिव्यक्त हो रहले हल ।

"आझ हम अपन परिवार के त्याग देलूँ", ऊ कहलकइ, "माय आउ बहिन के । अब ओकन्हीं पास हम नयँ जाम । हम हुआँ के सब्भे संबंध तोड़ देलूँ ।"
"काहे लगी ?" हक्का-बक्का होल सोनिया पुछलकइ । हाल के ओकर माय आउ बहिन के साथ भेंट ओकरा पर एगो असाधारण छाप छोड़लके हल, हलाँकि ओकरा ई बिलकुल अस्पष्ट हलइ । परिवार के साथ ओकर संबंध-विच्छेद के सूचना ओकरा लगभग भयंकर लगलइ ।

"हमरा लगी खाली अब तूँ हकऽ", ऊ आगू बोललइ । "साथ चलल जाय ... हम तोरा पास अइलियो ह । हमन्हीं दुन्नु अभिशप्त हकूँ, आउ साथहीं जाम !"
ओकर (रस्कोलनिकोव के) आँख चमक रहले हल । "कइसन अधकपारी हइ !" आउ सोनिया अपना तरफ से सोचलकइ ।
"कन्ने जाल जाय ?", भय से ऊ पुछलकइ आउ अनिच्छा से पीछू तरफ हट गेलइ ।
"हमरा की मालूम ? हम खाली एतने जानऽ ही, कि दुन्नु के एक्के रस्ता हइ, ई पक्का जानऽ ही - बस । एक्के मंजिल!"

सोनिया ओकरा तरफ देखते रहलइ, लेकिन ओकरा कुच्छो नयँ समझ में आ रहले हल । ओकरा खाली एतने समझ में अइलइ, कि ऊ भयंकर रूप से आउ बेहद दुखी हइ ।
"ओकन्हीं में से केकरो कुछ नयँ समझ में अइतइ, अगर तूँ ओकन्हीं साथ बात करे लगबहो", ऊ बात जारी रखलकइ, "लेकिन हम समझ गेलिअइ । तोहर हमरा जरूरत हके, ओहे से हम तोहरा भिर अइलियो ह ।"
"हमरा समझ में नयँ आवऽ हइ ...", सोनिया फुसफुसइलइ ।

"बाद में समझ में अइतो । की तूँ ओहे चीज नयँ कइलऽ ? तूहूँ हद पार कइलऽ ... हद पार कर सकलऽ । तूँ अपने आप पर हाथ डाललऽ, तूँ जिनगी बरबाद कर लेलऽ ... अप्पन (ई सब कुछ एक्के बात हइ !) । तूँ आत्मा आउ विवेक के कसौटी पर खरी होके जी सकऽ हलऽ, लेकिन आखिर तोरा पुआल मंडी पहुँचे पड़ जइतो हल ... लेकिन तूँ ई बरदास नयँ कर पइबऽ, आउ अगर अकेल्ले रहबऽ, त पगला जइबऽ, हमरा नियन । तूँ तो अभियो लगभग पगलाल हकऽ; मतलब, हमन्हीं दुन्नु के साथ चल्ले के चाही, एक्के रस्ता पर ! चलल जाय !"

"काहे लगी ? अपने अइसन काहे बोलऽ हथिन !" ओकर बात से विचित्र तरह से आउ विद्रोहपूर्वक उद्विग्न होके सोनिया बोललइ ।

"काहे लगी ? काहेकि अइसे रहल नयँ जा सकऽ हइ - एहे लगी !  आखिरकार ई आवश्यक हइ, कि गंभीरतापूर्वक आउ सीधे-सीधे सोचल जाय, आउ बुतरू नियन कन्ने आउ चिल्लाय के नयँ चाही, कि भगमान अइसन नयँ होवे देता ! अच्छऽ, तब की होतइ, जब वास्तव में तोरा बिहान अस्पताल पहुँचा देवल जइतो ? ओक्कर तो बुद्धि काम नयँ करऽ हइ आउ तपेदिक से ग्रस्त हइ, जल्दीए मर जइतइ, आउ बुतरुअन ? की वास्तव में पोलेच्का के जिनगी बरबाद नयँ हो जइतइ ? की वस्तुतः तूँ हियाँ सड़क के नुक्कड़ पे बुतरुअन के नयँ देखलहो, जेकन्हीं के मइए बाहर भीख माँगे लगी भेजऽ हइ ? हम पता लगइलिए ह, कि ई सब मइयन काहाँ रहऽ हइ आउ कइसन हालत में । हुआँ बुतरुअन के बुतरू नियन नयँ रहल जा सकऽ हइ । हुआँ परी सात साल के बुतरू दुराचारी आउ चोर हइ । लेकिन वस्तुतः बुतरुअन - क्राइस्ट के रूप होवऽ हइ – ‘ओकन्हीं के हइ स्वर्ग के राज्य’ [5] । ऊ ओकन्हीं के सम्मान करे आउ प्यार करे के हमन्हीं के आदेश देलका ह, ओकन्हीं मानवता के भविष्य हइ ..."
"त की, की कइल जाय ?" भावोन्मत्त होके कनते आउ अपन हाथ ऐंठते सोनिया दोहरइलकइ ।
"की कइल जाय ? तोड़ देल जाय, जेकरा तोड़ना जरूरी होवे, एक्के तुरी हमेशे लगी, बस - आउ मुसीबत अपने ऊपर ले लेल जाय! की ? समझ में नयँ आवऽ हको ? बाद में समझ में अइतो ... स्वतंत्रता आउ आधिपत्य, लेकिन मुख्य हइ आधिपत्य ! सब्भे काँपते जीव पर आउ पूरे वल्मीक (ant-hill) पर ! ... एहे मंजिल ! एकरा आद रक्खऽ ! बिदाय के बखत ई हमर तोहरा लगी आखिरी संदेश ! शायद, हम तोहरा साथ अंतिम तुरी बात कर रहलियो ह । अगर बिहान नयँ आ सकियो, त सब कुछ के बारे सुन लेबऽ, आउ तखने ई अभी के शब्द आद रखिहऽ । आउ कभियो, बाद में, जिनगी में कइएक बरस बाद, शायद, समझ में अइतो, कि ई सब के की मतलब हलइ । अगर हम बिहान अइबो, त हम तोरा बता देबो, कि केऽ लिज़ावेता के हत्या कइलके हल । अलविदा !"

सोनिया तो डरके पूरा काँपे लगलइ ।
"त की अपने जानऽ हथिन, कि केऽ हत्या कइलके हल ?" ऊ पुछलकइ; डर के मारे ओकर खून जम गेलइ आउ ओकरा तरफ वहशी नियन देखते रहलइ ।
"जानऽ हियो आउ बतइबो ... तोरा, खाली तोरा ! हम तोरा चुनलियो ह । हम तोरा भिर माफी माँगे नयँ अइबो, हम खाली बतइबो । तोरा ई बात बतावे खातिर हम तोरा बहुत पहिलहीं चुन लेलियो हल, तभिए, जब तोर बाऊ जी तोरा बारे बतइलथुन हल आउ जब लिज़ावेता जिंदा हलइ, हम ई सोच लेलिए हल । अलविदा । हाथ नयँ द । बिहान !"

ऊ बाहर निकस गेलइ । सोनिया ओकरा अइसे देखते रहलइ जइसे ऊ (रस्कोलनिकोव) कोय पागल होवे; लेकिन ऊ खुद्दे पागल जइसन हलइ आउ ई बात के अनुभव करऽ हलइ । ओकर माथा चकरा रहले हल ।

"हे भगमान ! ऊ कइसे जानऽ हका, कि केऽ लिज़ावेता के हत्या कइलकइ ? ई सब शब्द के की मतलब हलइ ? ई तो भयंकर हइ !" लेकिन एकर साथे ओकर दिमाग में विचार नयँ आ रहले हल । कइसूँ नयँ ! कइसूँ नयँ ! ... "ओह, ऊ वास्तव में बेहद दुखी होता ! ... ऊ माय आउ बहिन के त्याग देलका । काहे लगी ? की होलइ ? आउ उनकर इरादा की हइ ? ई की बात हइ, जे ओकरा से बोलला ? ऊ ओकर गोड़ के चुमलका आउ बोलला ... बोलला (हाँ, ऊ बिलकुल साफ कहलका), कि ओकरा बगैर जी नयँ सकऽ हका ... हे भगमान !"

सोनिया सारी रात बोखार आउ सरसाम में बितइलकइ । ऊ बीच-बीच में चौंकके उछल पड़ऽ हलइ, कन्ने लगऽ हलइ, अपन हाथ मरोड़े लगऽ हलइ, तब फेर बोखार के हालत में ओकरा नीन आ जा हलइ, आउ सपना में देखाय दे हलइ - पोलेन्का, कतेरिना इवानोव्ना, लिज़ावेता, बाइबिल के गोस्पेल के पाठ आउ ऊ ... ऊ, ओकर पीयर चेहरा, ज्वलंत आँख के साथ ... ऊ ओकर गोड़ चूम रहला ह, कन रहला ह ... हे भगमान !

दहिना तरफ के दरवाजा के पीछू, ओहे दरवाजा, जे सोनिया के कमरा के गेरट्रुडऽ कारलोव्ना रेस्स्लिश (Gertrude Karlovna Resslich) के कमरा से बेगरावऽ हलइ, एगो बिच्चे में कमरा हलइ, जे बहुत पहिलहीं से खाली हलइ, आउ जे श्रीमती रेस्स्लिशे के हलइ, आउ जे ओकरा तरफ से किराया पर देवे लगी उपलब्ध हलइ, जेकरा बारे गेटवन पर चिट लगल हलइ आउ नहर तरफ खुल्ले वला खिड़कियन के काच पर कागज के नोटिस चिपकावल हलइ । सोनिया बहुत अरसा से ऊ कमरा के निर्जन (uninhabited) समझे के आदी हो चुकले हल । लेकिन ई दौरान, पूरे समय तक, मिस्टर स्विद्रिगाइलोव खाली कमरा के दरवाजा के पास खड़ी हलइ आउ चुपके-चोरी कान लगाके सुन रहले हल । जब रस्कोलनिकोव बाहर गेलइ, तब ऊ थोड़े देरी खड़ी रहलइ, सोचते रहलइ, फेर पंजा के बल चलते अपन कमरा में गेलइ, जे खाली पड़ल कमरा के सटले हलइ, हुआँ से एगो कुरसी लेलकइ आउ बिन कोय अवाज कइले ओकरा ओहे दरवाजा भिर लइलकइ, जेकरा से सोनिया के कमरा में जा हलइ । बातचीत ओकरा दिलचस्प आउ महत्त्वपूर्ण प्रतीत होलइ, आउ बहुत बहुत पसीन पड़लइ - एतना हद तक पसीन पड़लइ, कि ऊ एगो कुरसियो ले अइलइ, ताकि भविष्य में, उदाहरणार्थ बिहान, ओकरा घंटा-घंटा भर गोड़ पर खड़ी रहे के तकलीफ नयँ झेले पड़इ, बल्कि आउ अधिक सुविधाजनक स्थिति में रह सकइ, ताकि हरेक हालत में ओकरा पूरा आनंद मिल सकइ ।



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