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Tuesday, November 10, 2015

अपराध आउ दंड - उपसंहार ; अध्याय – 2



अपराध आउ दंड

उपसंहार

अध्याय – 2

ऊ लम्मा समय से बेमार हलइ; लेकिन सश्रम कारावास के जीवन के विभीषिका के कारण से नयँ, चाहे (कठिन) काम से नयँ, (खराब) भोजन से नयँ, सरमुंडन से नयँ, आउ न तो पेउँद भरल बस्तर ओकरा तोड़ देलके हल - ओ! ई सब दरद आउ यातना से ओकरा की फरक पड़े वला हलइ ! एकर विपरीत, ओकरा काम से खुशी भी हलइ - काम में शारीरिक रूप से थक्कल-माँदल ऊ कम से कम कुछ घंटा चैन के नीन तो सुत्तऽ हलइ । आउ ओकरा की फरक पड़ऽ हलइ ई खाना से - ई ईसरौरी (कॉकरोच) भरल पनगर बंदागोबी के शोरबा से ? पहिले छात्र-जीवन के जमाना में ओकरा अकसर एहो नयँ मिल्लऽ हलइ । ओकर कपड़ा गरम हलइ आउ ओकर जिनगी के तरीका के मोताबिक हलइ । पाँव के बेड़ी के भी अपने ऊपर ऊ महसूस नयँ करऽ हलइ । त की अपन मूँड़ल सिर आउ आधा-आधा रंग वला जैकेट [1] के चलते ओकरा लज्जित होवे के चाही हल ? लेकिन केकरा सामने ? सोनिया के सामने ? सोनिया ओकरा से डरऽ हलइ, त की ओकरा सामने लज्जित होवे के चाही हल ?

त ओकरा से की होलइ ? ऊ सोनिया के सामने भी लज्जित हलइ, जेकरा साथ एकरा चलते ऊ घृणापूर्वक आउ रुखाई से बर्ताव करके ओकरा सतावऽ हलइ । लेकिन ऊ मूँड़ल सिर आउ पाँव के बेड़ी के चलते लज्जित नयँ हलइ; ऊ आहत स्वाभिमान के चलते बेमार पड़ गेले हल । ओह, ऊ केतना खुश होते हल, अगर ऊ खुद के दोषी करार दे सकते हल ! तब ऊ सब कुछ सहन कर लेते हल, लाज आउ बदनामी भी । लेकिन ऊ खुद के बड़ी कड़ाई से आँकऽ हलइ, आउ ओकर कठोर अंतःकरण ओकर अतीत में कोय विशेष भयंकर दोष नयँ पा रहले हल, सिवाय वस्तुतः एगो साधारण भूल के, जे केकरो से भी हो सकऽ हलइ । ऊ लज्जित महसूस ठीक ई बात पर कर रहले हल, कि ऊ, रस्कोलनिकोव, भाग्य के कोय अंधा फैसला के चलते एतना अंधापूर्वक, निराशाजनक रूप से, उदासीनतापूर्वक आउ मूर्खता से मिट गेले हल, आउ अइसन फैसला के "निरर्थकता" के सामने ओकरा समझौता करे आउ झुक्के पड़तइ, अगर ऊ खुद मन के कुछ शांति चाहऽ हइ ।

वर्तमान में निरर्थक आउ निरुद्देश्य चिंता, आउ भविष्य में एगो लगातार बलिदान, जेकरा से कुच्छो नयँ मिल्ले वला हलइ - त एहे ओकरा लगी संसार में समक्ष हलइ । आउ एकरा से की, कि आठ बरिस में ऊ खाली बत्तीस बरिस के होतइ आउ फेर से नया जिनगी शुरू कर सकतइ ! ऊ कउची लगी जीतइ ? कउची ध्यान में रखके ? कउची के प्रयास करतइ ? की, अपन अस्तित्व लगी जीतइ ? लेकिन ऊ तो पहिलहूँ अपन अस्तित्व के हजारो तुरी बलिदान देवे लगी तैयार हलइ - विचार लगी, आशा लगी, कपोल-कल्पनो लगी । केवल अस्तित्व हमेशे ओकरा लगी काफी नयँ हलइ; ऊ हमेशे आउ अधिक चाहऽ हलइ । शायद, खाली एगो अपन इच्छा के बल पर ऊ तखने खुद के अइसन व्यक्ति मानऽ हलइ, जेकरा दोसरा के अपेक्षा अधिक छूट हइ ।

काश, भाग्य ओकरा लगी पश्चात्ताप भेजते हल - प्रज्वलित पश्चात्ताप, हृदय के तोड़े वला, नीन उड़ा देवे वला, अइसन पश्चात्ताप, जेकर भयंकर यातना से फंदा आउ भँवर के सपना देखाय देवे लगऽ हइ ! लेकिन ओकरा अपन अपराध लगी कोय पश्चात्ताप नयँ हलइ ।

कम से कम, ऊ अपन मूर्खता पर गोस्सा कर सकऽ हलइ, जइसे कि पहिले अपन घिनौना आउ बिलकुल मूर्खतापूर्ण क्रियाकलाप पर गोस्सा करऽ हलइ, जेकरा चलते ओकरा जेल जाय पड़लइ । लेकिन अभी जबकि ऊ जेल में हइ, आउ स्वतंत्र, ऊ फेर से अपन पहिलौका क्रियाकलाप के बारे विचार आउ समीक्षा कइलकइ आउ ओकरा बिलकुल ओतना मूर्खतापूर्ण आउ घिनौना नयँ पइलकइ, जेतना ओकरा पहिले ऊ निर्णायक समय में प्रतीत हो रहले हल ।

"ई दुनियाँ में ढेर के ढेर दोसर-दोसर विचार आउ सिद्धांत जामा होके एक दोसरा से टकरा रहले ह, जब से ई दुनियाँ अस्तित्व में हइ", ऊ सोचलकइ, "ऊ सब के अपेक्षा कइसे हमर विचार अधिक मूर्खतापूर्ण हइ ?" बस खाली ई मामला के बिलकुल स्वतंत्र, व्यापक आउ सामान्य प्रभाव से मुक्त दृष्टि से विचार करे के जरूरत हइ, आउ तब, वस्तुतः, हमर विचार बिलकुल ओइसन ... विचित्र नयँ लगतइ । ए निषेधवादी आउ चानी के पाँच कोपेक सिक्का (दू कौड़ी) के दार्शनिक लोग, काहे तोहन्हीं आधे रस्ता में रुक जा हकहो ! "आखिर ओकन्हीं के हमर ई कर्म काहे घिनौना लगऽ हइ ?" ऊ अपने आप के कहलकइ । "की ई कारण से, कि ई दुष्कर्म हलइ ? 'दुष्कर्म' के की मतलब होवऽ हइ ? हमर अंतःकरण साफ हइ । निस्संदेह, एगो दंडनीय अपराध कइल गेलइ; निस्संदेह, कानून के अक्षर (लिखित नियम) के तोड़ल गेलइ आउ खून बहावल गेलइ, ठीक हइ, त बस कानूनी अक्षर के अनुसार हमर सिर ले लऽ (अर्थात् हमरा मौत के घाट उतार दऽ) ... आउ बस ! वस्तुतः, ऊ परिस्थिति में मानवता के कइएक उद्धारक के भी, जिनका सत्ता उत्तराधिकार में नयँ मिलले हल, बल्कि खुद हथिअइते गेला हल, उनकन्हीं के बिलकुल पहिलौके कदम में मौत के घाट उतार देवे के चाही हल । लेकिन उनकन्हीं लोग अपन कदम आगू बढ़ावे में सफल हो गेला, आउ ओहे से उनकन्हीं सही हका, लेकिन हम सफल नयँ होलिअइ, मतलब, हमरा ई कदम उठावे के अधिकार नयँ हलइ ।"

ऊ बस एक्के बात में अपन अपराध मानऽ हलइ - खाली ई बात में कि ऊ ई काम में सफल नयँ हो पइलइ आउ जाके अपन दोष स्वीकार कर लेलकइ ।

ओकरा एहो विचार सता रहले हल - काहे ऊ तखने आत्महत्या नयँ कर लेलकइ ? काहे लगी ऊ तखने नद्दी पर खड़ी रहलइ आउ जाके अपन दोष स्वीकार कर लेना बेहतर समझलकइ ? की, वास्तव में, ई इच्छा में जीए के ओतना शक्ति हलइ, आउ ओकरा पर काबू पाना ओतना कठिन ? की स्विद्रिगाइलोव, जे मौत से डरऽ हलइ, ओकरा पर काबू नयँ पा लेलकइ ?

ऊ वेदना के साथ अपने आप से ई प्रश्न कइलकइ आउ समझ नयँ पइलकइ, कि तखनियो, जबकि ऊ नद्दी पर खड़ी हलइ, शायद, ओकरा अपने आप में आउ अपन  विचारधारा में बड़गो झूठ के आभास हो रहले हल । ऊ नयँ समझलकइ, कि ई आभास ओकर भावी जीवन में कायापलट के, ओकर भावी पुनर्जीवन के, आउ जीवन के प्रति नया दृष्टिकोण के पूर्वसंकेत हो सकऽ हलइ ।

ऊ जल्दीए खाली सहज वृत्ति के स्थूल भार मान रहले हल, जेकरा पर ऊ काबू नयँ पा सकलइ आउ जेकरा ऊ फेर से (दुर्बलता आउ तुच्छता के कारण) पार नयँ कर पइलकइ । ऊ जेल के साथी सब के देखलकइ आउ अचंभित होवऽ हलइ - ओकन्हीं सब्भे जिनगी से केतना प्यार करऽ हलइ, केतना ओकन्हीं एकरा मूल्यवान समझऽ हलइ ! ओकरा बिलकुल अइसन लगलइ, कि जेल में ओकरा कहीं अधिक प्यार करऽ हइ आउ महत्त्व दे हइ, आउ स्वतंत्र स्थिति में रहे के अपेक्षा जादहीं मूल्यवान समझते जा हइ । ओकन्हीं में से कुछ कइसन भयंकर कष्ट आउ यातना नयँ सहलके हल, मसलन, आवारा लोग ! की ओकन्हीं लगी एतना महत्त्व रक्खऽ हइ - सूरज के कोय एगो किरण, घना जंगल, तेसरा साल नोटिस कइल कहीं अनजान दूरस्थ सुनसान स्थान के शीतल झरना, आउ जेकरा साथ भेंट करे के बारे आवारा सोचऽ हइ, प्रेमिका के साथ भेंट करे नियन, मिलन के सपना में देखऽ हइ, आउ ओकर चारो तरफ घास के, झाड़ी में गइते पक्षी के ? आउ आगू देखते, ओकरा, आउ अधिक अबोधगम्य उदाहरण देखे लगी मिललइ ।
जेल में, आउ ओकर आसपास चारो बगली, ऊ, वस्तुतः ध्यान नयँ दे हलइ, आउ ध्यान देहूँ लगी बिलकुल नयँ चाहऽ हलइ । ऊ कइसूँ अपन नजर निच्चे करके रहऽ हलइ - ओकरा ई सब कुछ देखे में घृणास्पद आउ असह्य लगऽ हलइ ।  लेकिन आखिर में ओकरा बहुत कुछ अचंभित करे लगलइ, आउ ऊ, कइसूँ अनिच्छा से ऊ सब तरफ ध्यान देवे लगलइ, जेकर पहिले ओकरा गुमान तक नयँ हलइ । आम तौर पर, सबसे जादे ऊ भयंकर आउ अलंघ्य अथाह खाई से अचंभित होलइ, जे ओकरा आउ ऊ सब लोग के बीच हलइ । लगऽ हलइ, कि ऊ आउ ओकन्हीं अलगे-अलगे देश के होते जा हलइ । ऊ आउ ओकन्हीं एक दोसरा के अविश्वास आउ द्वेष के भावना से देखते जा हलइ । ऊ अइसन अलगाव के सामान्य कारण जानऽ आउ समझऽ हलइ; लेकिन पहिले कभियो ऊ नयँ मानऽ हलइ, कि ई सब कारण वास्तव में एतना गहरा आउ मजबूत हलइ । जेल में निर्वासित पोलिस्तानी (exiled Poles), राजनीतिक अपराधी भी हलइ [2] । ओकन्हीं बस ई सब लोग के जाहिल आउ बंधुआ दास समझते जा हलइ आउ घमंड से ओकन्हीं से घृणा करऽ हलइ; लेकिन रस्कोलनिकोव ओकन्हीं के अइसन नजर से नयँ देख सकऽ हलइ - ऊ साफ-साफ देखऽ हलइ, कि ई अनपढ़ जाहिल लोग ई सब पोलिस्तानी से बहुत जादे बुद्धिमान हलइ । हियाँ परी रूसी लोग भी हलइ, ओकन्हिंयों ई सब लोग से बहुत नफरत करऽ हलइ - एगो भूतपूर्व अफसर आउ दूगो गुरुकुल-शिष्य (सेमिनरी के विद्यार्थी); रस्कोलनिकोव के ओकन्हिंयों के गलती साफ देखाय दे हलइ ।

खुद ओकरो सब कोय पसीन नयँ करऽ हलइ आउ ओकरा से कतराऽ हलइ । अंत में ओकरा से लोग नफरत भी करे लगलइ - काहे ? ऊ एकर कारण नयँ जानऽ हलइ । ओकरा से नफरत करऽ हलइ, ओकरा पर हँस्सऽ हलइ, ओकर अपराध पर ऊ लोग हँस्सऽ हलइ, जे ओकरा से बहुत बड़गो अपराधी हलइ ।

"तूँ तो कुलीन अदमी हकँऽ", ओकरा से ओकन्हीं बोलते जा हलइ । "तोरा की कुल्हाड़ी लेके जाय के हलउ; ई तो कुलीन अदमी के काम नयँ हइ ।"

बृहत् उपवास के दोसरा सप्ताह में ओकरा अपन बैरक के साथ उपवास के पारी अइलइ [3] । ऊ दोसरा सब के साथ प्रार्थना करे लगी गिरजाघर गेलइ । कोय कारण से, ओकरा खुद नयँ ई कारण मालूम हलइ - एक तुरी झगड़ा चालू हो गेलइ; सब कोय एक्के साथ ओकरा पर क्रोधावेश में टूट पड़लइ ।
"तूँ नास्तिक हकँऽ ! तूँ भगमान में विश्वास नयँ करऽ हँ !" ओकन्हीं ओकरा तरफ चिल्लइलइ । "तोरा जान से मार देवे के चाही ।"

ऊ कभियो ओकन्हीं साथ भगमान आउ विश्वास के बारे बात नयँ कइलके हल, लेकिन ओकन्हीं ओकरा जान से मार देवे लगी चाहऽ हलइ, ओकरा नास्तिक होवे के कारण; ऊ मौन रहलइ आउ ओकन्हीं के विरोध नयँ कइलकइ । एगो अभियुक्त ओकरा पर दृढ़ क्रोधावेश में टूट पड़लइ; रस्कोलनिकोव शांति से आउ चुपचाप ओकर इंतजार कइलकइ - ओकर भौं नयँ हिल रहले हल, ओकर चेहरा बिलकुल निश्चल हलइ । एगो गार्ड समय पर ओकरा आउ हत्यारा के बीच आ गेलइ - नयँ तो खून-खराबा हो जइते हल ।

एगो आउ प्रश्न हलइ, जेकर समाधान ऊ नयँ कर पावऽ हलइ - काहे लगी ओकन्हीं सब्भे सोनिया के एतना पसीन करे लगले हल ? ऊ तो ओकन्हीं के खुश करे के प्रयास नयँ करऽ हलइ, ओकन्हीं के ओकरा साथ मोलकातो विरले होवऽ हलइ, कभी-कभार काम के जगह पर, जाहाँ ऊ एक मिनट खातिर आवऽ हलइ, ओकरा से मिल्ले खातिर । आउ तइयो सब कोय ओकरा जान गेले हल, एहो बात जानऽ हलइ कि ऊ ओकरा साथ पीछू-पीछू अइले हल, जानऽ हलइ, कि ऊ कइसे रहऽ हइ, काहाँ रहऽ हइ । पइसा तो ऊ ओकन्हीं के नयँ दे हलइ, कोय विशेष सेवा नयँ करऽ हलइ । खाली एक तुरी, क्रिसमस के अवसर पर, पूरे जेल खातिर उपहार लइलके हल – कचौड़ी (pie) आउ कलाच [4] । लेकिन धीरे-धीरे ओकन्हीं आउ सोनिया के बीच कुछ अधिक नजदीकी संबंध बन गेलइ । ऊ ओकन्हीं के रिश्तेदार लोग के ओकन्हीं खातिर पत्र लिख दे हलइ आउ डाक से भेज दे हलइ । ओकन्हीं के (मरद आउ औरत) रिश्तेदार लोग शहर में अइला पर, ओकन्हीं के कहे के मोताबिक, सोनिया के हाथ में समान आउ पइसो सौंप देते जा हलइ । ओकन्हीं के घरवली आउ प्रेमिका ओकरा जानऽ हलइ आउ ओकरा हीं मिल्ले लगी अइते जा हलइ । आउ जब काम के जगह पर रस्कोलनिकोव के पास आवइ, चाहे कैदी लोग के काम पर जइते बखत रस्ते में ओकन्हीं के टोली से भेंट हो जाय - त सब कोय अपन टोपी उतार ले हलइ, सब कोय ओकरा तरफ झुकके अभिवादन करइ - "बिटिया, सोफ़िया सिम्योनोव्ना, तूँ तो हमन्हीं के माय हकइ, कोमल आउ प्यारी !" ई सब उजड्ड, छाप लगल (branded) अभियुक्त ई छोटकुन्नी आउ दुब्बर-पातर जीव के बोलइ [5] । ऊ मुसकाय आउ जवाब में झुक जाय, आउ सब कोय के अच्छा लगइ, जब ऊ ओकन्हीं तरफ देखके मुसकाय । ओकन्हीं के ओकरा चलते बखत ओकर चालो अच्छा लगऽ हलइ, ओकन्हीं मुड़के आँख से ओकरा पीछा करऽ हलइ, कि ऊ कइसे चल्लऽ हइ, आउ ओकर प्रशंसा करते जा हलइ; एहो बात के प्रशंसा करऽ हलइ, कि ऊ केतना छोटगर हइ, आउ ओकन्हीं के एहो नयँ समझ में आवऽ हलइ, कि की बात लगी ओकर प्रशंसा कइल जाय। ओकरा पास ओकन्हीं इलाजो के वास्ते अइते जा हलइ ।

ऊ उपवास के पूरे अंतिम सप्ताह आउ पवित्र सप्ताह (ईस्टर वला सप्ताह) में अस्पताल में पड़ल रहलइ । जब ऊ स्वस्थ होवे लगलइ, त ओकरा अपन सपना आद अइलइ, जब ऊ बोखार आउ सरसाम में पड़ल हलइ । ओकरा बेमारी के हालत में सपना अइलइ, कि एगो कोय भयंकर, अभी तक अनसुन्नल, आउ अनदेखल प्लेग एशिया के सुदूरतम भाग से चलके समुच्चे यूरोप में फैल गेले हल आउ मानूँ समुच्चे संसार एकर शिकार हो गेले हल । कुछ चुन्नल बहुत कम लोग के अतिरिक्त सब लोग मरे वला हलइ । कोय प्रकार के नवीन त्रिकिना (trichina) उत्पन्न हो गेले हल, जे बहुत सूक्षम आकार के जीवाणु हलइ आउ लोग के शरीर में स्थापित हो गेले हल । लेकिन ई जीवाणु विवेक आउ इच्छा-शक्ति से प्रतिभासंपन्न प्रेतात्मा हलइ । जे लोग एकर शिकार होवऽ हलइ, ऊ तुरतम्मे शैतान-ग्रस्त (possessed) आउ पागल हो जा हलइ । लेकिन सत्य के मामले में कभियो, कभियो नयँ लोग खुद के ओतना बुद्धिमान आउ अटल मानऽ हलइ, जेतना कि ई रोगग्रस्त लोग खुद के मानऽ हलइ । ओकन्हीं अपन निर्णय, अपन वैज्ञानिक निष्कर्ष, अपन नैतिक विचारधारा आउ आस्था के कभियो नयँ अटल मानऽ हलइ। पूरा के पूरा बस्ती, पूरा के पूरा शहर आउ देश एकर शिकार होके पागल हो गेलइ । सब कोय चिंतित हलइ आउ एक दोसरा के समझ नयँ पा रहले हल; हरेक कोय सोचऽ हलइ, कि सत्य खाली ओकरे एगो में हकइ, आउ दोसरा के देखके दुखी होवऽ हलइ, अपन छाती पिट्टऽ हलइ, कन्नऽ हलइ आउ अपन हाथ ऐंठऽ हलइ । ओकन्हीं के समझ में नयँ आवऽ हलइ, कि केकरा बारे आउ कइसे राय बनावल जाय, ई बात पर सहमत नयँ हो पइते जा रहले हल, कि कउची बुरा हइ आउ कउची अच्छा । ओकन्हीं के समझ में नयँ आवऽ हलइ, कि केकरा दोषी समझल जाय, आउ केकरा निर्दोष करार देल जाय । लोग एक प्रकार के निरर्थक उन्माद में एक दोसरा के जान मार रहले हल । एक दोसरा के विरोध में सेना एकत्र कर ले हलइ, लेकिन सेना, जब अभियान पर कूच कइल रहऽ हलइ, तभिए अचानक खुद्दे के नष्ट करे लगऽ हलइ, सेना सब बिखर जा हलइ, सैनिक सब एक दोसरा पर टूट पड़ऽ हलइ, एक दोसरा के खंजर भोंक दे हलइ आउ काट दे हलइ, एक दोसरा के चिबाऽ आउ खा जा हलइ । शहर सब में दिन-दिन भर चेतावनी के घंटी बजते रहऽ हलइ - सबके बोलावल जा हलइ, लेकिन केऽ आउ काहे लगी बोलावऽ हइ, ई बात केकरो नयँ मालूम रहऽ हलइ, आउ सब्भे चिंतातुर रहऽ हलइ । सबसे मामूली धंधा भी छोड़ देल गेले हल, काहेकि हरेक कोय अप्पन विचार, अप्पन परिष्कार (improvements) प्रस्तुत करऽ हलइ, आउ कोय सहमत नयँ होवऽ हलइ; खेती के काम रुक गेलइ । कहीं पर लोग समूह में जामा हो जइते जा हलइ, कोय बात पर सहमति बना लेते जा हलइ, अलग नयँ होवे के कसम खा लेते जा हलइ - लेकिन जे अभी-अभी खुद्दे सुझाव रखलके हल ओकरा अपेक्षा तुरतम्मे कुछ तो बिलकुल दोसरे काम चालू कर देते जा हलइ, एक दोसरा के दोषी ठहरावे लगऽ हलइ, झगड़े लगऽ हलइ आउ छूरा भोंका-भोंकी करे लगऽ हलइ । आगजनी शुरू हो गेलइ, भुखमरी फैल गेलइ । सब कोय आउ सब कुछ के विनाश हो रहले हल । प्लेग बढ़ते गेलइ आउ दूर-दूर तक फैलते गेलइ । पूरे संसार में कुच्छे व्यक्ति बच पइला, ई शुद्ध अंतःकरण के आउ चयनित लोग हला, पूर्वनिर्धारित लोग, जे लोग के नयका नस्ल आउ नयका जिनगी शुरू करे वला हला, पृथ्वी के नवीनीकरण आउ शुद्धीकरण करे वला, लेकिन कोय नयँ आउ कहीं नयँ अइसन लोग के देखलके हल, उनकन्हीं के शब्द आउ अवाज कोय नयँ सुनलके हल ।

रस्कोलनिकोव के ई बात के कष्ट होवऽ हलइ, कि ई निरर्थक सरसाम एतना उदासीपूर्वक आउ एतना कष्टदायक रूप में ओकर स्मृति में प्रतिध्वनित होवऽ हलइ, कि ई बोखार के हालत में देखल सपना के छाप लम्मा समय तक नयँ जा हलइ । पवित्र सप्ताह (ईस्टर वला सप्ताह) के बाद दोसरा सप्ताह चल रहले हल; गरम, साफ, वसंत के दिन हलइ; कैदी वार्ड के खिड़की खुल्लल हलइ (खिड़की में लोहा के छड़ लग्गल हलइ, जेकर निच्चे से एगो संतरी चक्कर लगा रहले हल) । ओकर बेमारी के पूरे अवधि के दौरान, सोनिया ओकरा से  वार्ड में भेंट करे खातिर खाली दुइए तुरी आ सकले हल; हरेक तुरी ओकरा अनुमति लेवे पड़ले हल, आउ ई कठिन हलइ । लेकिन ऊ अकसर अस्पताल के प्रांगण में आवऽ हलइ, खिड़की के निच्चे, खास करके लगभग साँझ होवे बखत, आउ कभी-कभी खाली अइसीं प्रांगण में थोड़े देर खड़ी रहे लगी आउ कम से कम दूर से वार्ड के खिड़की तरफ देखे लगी । एक तुरी, साँझ होवे बखत, लगभग बिलकुल चंगा होल रस्कोलनिकोव के नीन आ गेलइ; जगला पर, ऊ संयोगवश खिड़की दने गेलइ आउ अचानक दूर में, अस्पताल के फाटक भिर, ओकरा सोनिया पर नजर पड़लइ । ऊ खड़ी-खड़ी मानूँ कोय चीज के इंतजार कर रहले हल । कुछ तो ऊ पल ओकर दिल में जइसे तीर नियन घुसलइ; ऊ चौंक गेलइ आउ जल्दी से जल्दी खिड़की भिर से दूर हट गेलइ । अगला दिन सोनिया नयँ अइलइ, तेसरो दिन नयँ; ऊ महसूस कइलकइ कि ऊ ओकर बेचैनी से इंतजार कर रहले ह । आखिरकार ओकरा अस्पताल से छुट्टी मिल गेलइ । जेल अइला पर ओकरा कैदियन से मालूम चललइ, कि सोफ़िया सिम्योनोव्ना बेमार पड़ गेले ह, घर में पड़ल हइ आउ कहीं बाहर नयँ जा हइ ।

ऊ बहुत बेचैन हो गेलइ, आउ केकरो ओकरा बारे पता लगावे खातिर पठइलकइ । जल्दीए ओकरा मालूम होलइ, कि ओकर बेमारी खतरनाक नयँ हइ । अप्पन तरफ से मालूम चलला पर, कि ऊ ओकरा बारे एतना उदास आउ चिंतित रहऽ हका, सोनिया ओकरा एगो नोट भेजलकइ, पेंसिल से लिक्खल, आउ ओकरा सूचित कइलकइ, कि ऊ अब बहुत राहत महसूस करऽ हइ, कि खाली मामूली, हलका सर्दी हइ, कि ऊ जल्दीए, बहुत जल्दीए उनका से काम के जगह पर मिल्ले खातिर अइतइ । जब ऊ ई नोट पढ़ रहले हल, ओकर दिल जोर-जोर से आउ दर्दनाक रूप से धड़क रहले हल ।

दिन फेर से साफ आउ हलका गरम हलइ । बहुत सबेरे, छो बजे, ऊ काम पर रवाना होलइ, नद्दी के किनारे, जाहाँ शेड में सिलखड़ी (alabaster) जलावे के एगो भट्ठी हलइ आउ जाहाँ ओकरा पिसलो जा हलइ । हुआँ खाली तीन गो काम करे वला (workers) के भेजल गेले हल । एक कैदी गार्ड के साथ कोय तरह के औजार लावे खातिर किला में चल गेलइ; दोसरा कैदी जरामन के लकड़ी तैयार करे लगलइ आउ भट्ठी में झोंके लगलइ । रस्कोलनिकोव शेड से बाहर निकसके नद्दी के बिलकुल किछार में चल गेलइ, शेड भिर पड़ल लट्ठा के एगो ढेर पर बइठ गेलइ आउ चौड़गर आउ निर्जन नद्दी तरफ एकटक देखे लगलइ । उँचगर किछार से एगो चौड़गर अड़ोस-पड़ोस के क्षेत्र ओकरा सामने खुल गेलइ । दूर के दोसरा किनारा से मोसकिल से सुनाय पड़े वला गीत पहुँच रहले हल । हुआँ, सूरज से नहाल, असीम स्टेप (घास के विस्तृत मैदान) पर, खानाबदोश लोग के यूरता [6], मोसकिल से दृष्टिगोचर, कार-कार बिंदु के रूप में देखाय देब करऽ हलइ । हुआँ अजादी हलइ आउ दोसर लोग रहऽ हलइ, हियाँ के लोग से बिलकुल भिन्न, हुआँ खुद वक्त ठहरल प्रतीत होवऽ हलइ, मानूँ अब्राहम के कइएक शताब्दी (जमाना) आउ उनकर भेड़ के झुंड अभियो तक नयँ गुजरले हल [7] । रस्कोलनिकोव बइठल रहलइ, एकटक निहारते रहलइ; ओकर विचार सपना में बदल गेलइ, ध्यान (चिंतन-मनन) में; ऊ कोय चीज के बारे नयँ सोच रहले हल, लेकिन एक प्रकार के उदासी ओकरा चिंतित करे आउ सतावे लगलइ ।

अचानक ओकरा भिर सोनिया आ पहुँचलइ । ऊ लगभग चुपके से नगीच अइलइ आउ ओकरा भिर बइठ गेलइ । अभियो बहुत जल्दी हलइ, सुबह के ठिठुरन अभियो कम नयँ होले हल । ऊ अपन फट्टल-उट्टल पुरनका बुर्नूस [8] पेन्हले हलइ आउ हरियरका शाल ओढ़ले हलइ । ओकर चेहरा पर अभियो बेमारी के लक्षण देखाय देब करऽ हलइ, दुबराऽ गेले हल, पीयर पड़ गेले हल, पिचक गेले हल । ऊ मित्रभाव से आउ खुशी से ओकरा तरफ मुसकइलइ, लेकिन, हमेशे के तरह, डरते-डरते ओकरा तरफ अपन हाथ बढ़इलकइ ।

ऊ ओकरा तरफ अपन हाथ हमेशे डरते-डरते बढ़ावऽ हलइ, कभी-कभी बिलकुल नहिंयों दे हलइ, मानूँ डरऽ हलइ, कि ऊ झटकके ओकरा दूर हटा देता । रस्कोलनिकोव हमेशे मानूँ घृणापूर्वक ओकरा तरफ अपन हाथ लावऽ हलइ, हमेशे ओकरा से जइसे झुंझलाहट के साथ मिल्लऽ हलइ, कभी-कभी ओकर भेंट देवे पर पूरे अवधि के दौरान ऊ दृढ़तापूर्वक चुप्पी साधले रहऽ हलइ । कभी-कभार अइसनो होवऽ हलइ, कि ऊ ओकरा सामने कँप्पे लगऽ हलइ आउ बहुत दुखी होके चल जा हलइ । लेकिन अभी ओकन्हीं के हाथ अलगे नयँ होलइ; रस्कोलनिकोव पल भर लगी तेजी से ओकरा तरफ एक नजर देखलकइ, कुच्छो नयँ बोललइ आउ अपन नजर निच्चे जमीन तरफ झुका लेलकइ । ओकन्हीं अकेल्ले हलइ, ओकन्हीं के कोय नयँ देख रहले हल । गार्ड ऊ पल अपन मुँह दोसरा तरफ फेर लेलके हल ।

ई कइसे हो गेलइ, ऊ खुद नयँ जानऽ हलइ, लेकिन अचानक कुछ तो जइसे ओकरा पकड़लकइ आउ ओकरा मानूँ सोनिया के गोड़ तरफ फेंक देलकइ । ऊ कन्ने लगलइ आउ ओकर टेहुना के लपेट लेलकइ । पहिला क्षण तो ऊ भयंकर रूप से डर गेलइ, आउ ओकर पूरा चेहरा सुन्न हो गेलइ । सोनिया अपन जगह पर उछल पड़लइ, आउ कँपते ओकरा तरफ देखे लगलइ । लेकिन तभिए, ओहे पल, ऊ सब कुछ समझ गेलइ । ओकर आँख में अनंत खुशी चमक उठलइ; ऊ समझ गेलइ, ओकरा लगी कोय शक्का नयँ रहलइ, कि रस्कोलनिकोव ओकरा प्यार करऽ हइ, ओकरा बेहद प्यार करऽ हइ, कि आखिर ऊ क्षण आ गेले हल ...

ओकन्हीं कुछ बोले लगी चहलकइ, लेकिन बोल नयँ पइलइ । ओकन्हीं के आँख में लोर भर अइलइ । ओकन्हीं दुन्नु पीयर आउ दुब्बर हलइ; लेकिन ई बेमरियाह आउ पीयर चेहरवन पर नयका भविष्य के प्रभात अब चमक रहले हल, नयका जिनगी में पूरा-पूरा पुनर्जीवन के प्रभात । प्यार ओकन्हीं के पुनर्जीवन देलके हल, एक के हृदय में दोसर के हृदय लगी जिनगी के अक्षय स्रोत हलइ ।

ओकन्हीं प्रतीक्षा करे आउ धैर्य रक्खे के निर्णय कइलकइ । ओकन्हीं लगी अभियो सात साल रह गेले हल; आउ तब तक केतना असह्य पीड़ा आउ केतना अपार हर्ष ! लेकिन रस्कोलनिकोव के पुनर्जीवन मिल गेले हल, आउ ई जानऽ हलइ, आउ अपन नयका अस्तित्व के साथ पूरा-पूरा महसूस कर रहले हल, आउ सोनिया - ऊ तो बस खाली ओकरे एगो जिनगी पर जी रहले हल !

ओहे दिन साँझ के, जब बैरक में ताला लगा देवल जा चुकले हल, रस्कोलनिकोव तख्ता पर पड़ल हलइ आउ ओकरा बारे सोच रहले हल । ई दिन ओकरा अइसन लगवो कइलइ, कि जइसे सब्भे अभियुक्त, ओकर भूतपूर्व शत्रु, ओकरा तरफ दोसरे तरह से देखब करऽ हलइ । ऊ खुद ओकन्हीं साथ बातो करे लगले हल, आउ ओकरा मैत्रीभाव से उत्तर मिललइ । ओकरा अभी ई सब आद अइलइ, लेकिन वस्तुतः अइसने होवहीं के हलइ - की अब सब कुछ परिवर्तित होवे के नयँ हलइ ?

ऊ ओकरा बारे सोच रहले हल । ओकरा आद पड़लइ, कि कइसे ऊ लगातार ओकरा सतइते रहऽ हलइ आउ ओकर दिल के छलनी करते रहऽ हलइ; ओकर दयनीय, दुब्बर-पातर छोटा सन चेहरा आद पड़लइ, लेकिन ओकरा अब ई सब स्मृति लगभग नयँ सता रहले हल - ऊ जानऽ हलइ, कि कइसे अपन बेहद प्यार से अब सोनिया के सब्भे व्यथा के प्रायश्चित कर लेतइ ।

आउ अब सब्भे, सब्भे बित्तल यातना के की महत्त्व रह गेले हल ! सब कुछ, ओकर अपराधो, ओकर दंड आउ निर्वासन भी, ओकरा अब, भावना के प्रथम ज्वार में, एक प्रकार से बाह्य, विचित्र, जइसे खुद के साथ नयँ घट्टल भी, तथ्य लग रहले हल । लेकिन ऊ, ई शाम के, लम्मा समय तक आउ लगातार, कुच्छो चीज के बारे नयँ सोच पइलकइ,  कउनो विचार पर ध्यान केंद्रित नयँ कर पइलकइ; आउ ऊ सजग रूप से अब कुच्छो निर्णय नयँ कर पइते हल; ऊ खाली महसूस कर रहले हल । तर्क-वितर्क (dialectics)  के स्थान पर अब जिनगी आ गेले हल, आउ ओकर चेतन अवस्था में कुछ तो बिलकुल भिन्न बन्ने वला हलइ ।

ओकर तकिया के निच्चे बाइबिल के गोस्पेल [9] पड़ल हलइ । ऊ यंत्रवत् एकरा उठा लेलकइ । ई किताब सोनिया के हलइ; ठीक ओहे हलइ, जेकरा से ऊ ओकरा लाज़ारुस के पुनर्जीवन के बारे पढ़के सुनइलके हल [10] । अपन कठिन श्रम के कारावास के शुरू में ऊ सोच रहले हल, कि सोनिया ओकरा धर्म के बात से सतइतइ, गोस्पेल के बारे चर्चा करते रहतइ आउ ओकरा पर पुस्तक थोपते रहतइ । लेकिन ओकरा बहुत अचरज होलइ, कि ऊ एक्को तुरी ओकरा एकरा बारे कुच्छो नयँ बोलले हल, एक्को तुरी ओकरा गोस्पेल नयँ देलके हल । अपन बेमारी के कुछ समय पहिले ऊ खुद्दे ओकरा से एकर माँग कइलके हल, आउ ऊ चुपचाप ओकरा लगी पुस्तक लइलके हल । अभी तक ऊ ओकरा खोलवो नयँ कइलके हल ।

ऊ ओकरा अभियो नयँ खोललकइ, लेकिन एक विचार ओकर दिमाग में कौंधलइ - "की ओकर विचारधारा अब हम्मर विचारधारा नयँ हो सकऽ हइ ? ओकर भावना, ओकर आकांक्षा, कम से कम ..."

सोनिया भी ई पूरे दिन उत्तेजित हलइ, आउ रात में फेर से बेमार पड़ गेलइ । लेकिन ऊ एतना खुश हलइ, कि ऊ अपन खुशी से लगभग भयभीत हो गेलइ । सात साल, खाली सात साल ! अपन खुशी के शुरू में, कुछ अइसनो क्षण हलइ, कि ओकन्हीं दुन्नु ई सात साल के सात दिन माने लगी तैयार हलइ । रस्कोलनिकोव के एहो मालूम नयँ हलइ, कि नयका जिनगी ओकरा फोकट में नयँ मिलतइ, कि ओकरा अभियो एकरा भारी कीमत चुकाके खरीदे पड़तइ, ओकरा लगी भविष्य में बड़गो उपलब्धि के साथ चुकावे पड़तइ ...

लेकिन हियाँ तो शुरू होवऽ हइ एगो नयका कहानी, एगो व्यक्ति के क्रमिक नवीनीकरण (gradual renewal) के कहानी; ओकर क्रमिक पुनर्जन्म, एक दुनियाँ से दोसर दुनियाँ में क्रमिक संक्रमण (transition), एगो नयका, अब तक के बिलकुल अज्ञात वास्तविकता से ओकर परिचय के कहानी । ई एगो नयका कहानी के विषय बन सकऽ हइ - लेकिन हमर अभी के कहानी तो समाप्त हो गेलइ ।




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