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Sunday, November 08, 2015

अपराध आउ दंड - भाग – 6 ; अध्याय – 1



अपराध आउ दंड

भाग – 6

अध्याय – 1

रस्कोलनिकोव लगी एगो विचित्र समय के दौर शुरू होलइ - ओकर सामने मानूँ अचानक कुहासा छा गेलइ आउ ओकरा निराशापूर्ण आउ भारी एकाकीपन घेर लेलकइ । बाद में एकरा आद करते, बहुत-बहुत बाद, ऊ महसूस कइलकइ, कि ओकर चेतन अवस्था कभी-कभी मानूँ धुंधला पड़ जा हलइ, आउ कुछ अंतराल के साथ ई जारी रहलइ, अंतिम महाविपत्ति (catastrophe) तक । ओकरा पक्का विश्वास हो गेले हल, कि तखने ओकरा कइएक मामले में गलतफहमी होले हल, मसलन, कुछ घटना के अवधि (periods) आउ समय (times) में । कम से कम, बाद में आद करके आउ आद होल बात के समझे के कोशिश करके, आउ दोसरा से मिल्लल सूचना के ध्यान में रखला पर, ऊ खुद्दे अपन बारे बहुत कुछ जनलकइ । मसलन, ऊ एक घटना के दोसरा घटना के साथ मिश्रण कर देइ; दोसर के ऊ कोय अइसन घटना के परिणाम समझइ, जे खाली ओकर कल्पना में रहइ । कभी-कभी ऊ बेमरियाह वला पीड़ाजनक चिंता के शिकार हो जाय, जे आतंक नियन भय में भी बदल जाय । लेकिन ओकरा अइसनो घटना आद पड़इ, जे मिनट भर रहइ, घंटो तक भी, शायद कइएक दिन तक, भावशून्यता से व्याप्त, जे मानूँ पहिलौका भय के विपरीत होवइ - अइसन भावशून्यता, जे कोय मर रहल अदमी के बेमरियाह वला भावशून्यता के समान होवइ । कुल मिलाके, ई अंतिम दिन में ऊ खुद्दे मानूँ अपन स्थिति के स्पष्ट आउ पूर्ण समझ से कतराय के प्रयास कर रहले हल; कुछ आवश्यक तथ्य, जेकर तुरंत स्पष्टीकरण के माँग होवइ, विशेष करके ओकरा भारस्वरूप लग रहले हल;  लेकिन कुछ चिंता से छुटकारा पावे लगी आउ ओकरा से पलायन करे में ओकरा केतना खुशी होते हल, लेकिन जेकर उपेक्षा ओकर स्थिति में पूर्ण आउ अनिवार्य विनाश के खतरा उत्पन्न करते हल ।

विशेष करके ऊ स्विद्रिगाइलोव के बारे चिंतित हलइ - एहो कहल जा सकऽ हलइ, कि ऊ मानूँ स्विद्रिगाइलोव पर अटक गेले हल । जब से स्विद्रिगाइलोव, कतेरिना इवानोव्ना के मौत के समय, सोनिया के कमरा में, बहुत धमकी रूप में आउ बहुत स्पष्ट रूप से, शब्द के प्रयोग कइलके हल, तब से ओकर विचार के स्वाभाविक प्रवाह भंग हो गेले हल । लेकिन, ई बात के बावजूद, कि ई नयका तथ्य ओकरा बेहद बेचैन कइले हलइ, रस्कोलनिकोव ई मामला के स्पष्टीकरण लगी कइसूँ (somehow) कोय जल्दीबाजी में नयँ हलइ । कभी-कभी, अचानक खुद के शहर से कहीं बिलकुल दूर आउ एकांत भाग में पाके, कोय घटिया शराबखाना में अकेल्ले टेबुल भिर विचारमग्न स्थिति में, आउ मोसकिल से आद अइते कि ऊ हुआँ कइसे पहुँच गेलइ, ओकरा अचानक स्विद्रिगाइलोव के बारे आद आ जाय - ऊ अचानक बहुत स्पष्ट आउ चिंताजनक रूप से महसूस करे लगइ, कि यथाशीघ्र ई अदमी से बातचीत करे के चाही, आउ यथासंभव अंतिम निर्णय कर लेवे के चाही । एक तुरी, शहर के गेट से दूर जाके, ऊ कल्पनो कइलकइ, कि ऊ स्विद्रिगाइलोव के प्रतीक्षा कर रहले ह, कि एज्जा परी ओकन्हीं दुन्नु के भेंट करे के बात तय कइल हइ । दोसरा तुरी, सुबह होवे के पहिलहीं कहीं तो जमीन पर, झाड़ी में, ओकर नीन खुललइ, आउ ओकरा लगभग समझहीं में नयँ अइलइ, कि ऊ हुआँ कइसे पहुँच गेलइ । लेकिन, कतेरिना इवानोव्ना के मौत के ई दु-तीन दिन बाद, ऊ स्विद्रिगाइलोव से दू तुरी मिलियो चुकले हल, लगभग हमेशे सोनिया के फ्लैट में, जाहाँ परी ऊ कइसूँ निरुद्देश्य आ जाय, लेकिन हमेशे लगभग मिनट भर लगी । ओकन्हीं हमेशे कुछ शब्द में आपस में विचार के आदान-प्रदान करइ आउ एक्को तुरी मुख्य बिंदु पर नयँ बोलइ, मानूँ ओकन्हीं बीच अपने आप फैसला हो गेल होवे, कि ई मामला में फिलहाल चुप्पे रहे के चाही । कतेरिना इवानोव्ना के लाश अभियो ताबूत (शवपेटी, coffin) में पड़ल हलइ । स्विद्रिगाइलोव कफन-दफन के भार अपन उपरे ले लेलके हल आउ भाग-दौड़ कर रहले हल । सोनियो बहुत व्यस्त हलइ । स्विद्रिगाइलोव, पिछलौका भेंट के दौरान, रस्कोलनिकोव के बता देलके हल, कि कतेरिना इवानोव्ना के बुतरुअन खातिर कइसूँ बंदोबस्त कर चुकले हल, आउ सफलतापूर्वक बंदोबस्त कइलके हल; कि जान-पछान के अइसन कुछ लोग के पता लगा लेलके हल, कि जेक्कर मदत से तीनों अनाथ बुतरून के रखवाना संभव हो गेलइ, तुरंते, ओकन्हीं लगी बहुत उचित संस्थान में; कि ओकन्हीं लगी जामा कइल पइसवो बहुत मदत कइलकइ, काहेकि पइसा के साथ वला अनाथ के, कंगाल अनाथ के अपेक्षा, रखवाना बहुत असान हइ । ऊ सोनियो के बारे कुछ बतइलके हल, एक-दू दिन में खुद कइसूँ रस्कोलनिकोव से मिल्ले के वादा कइलके हल, आउ बतइलके हल कि ऊ "ओकर सलाह लेवे लगी चाहतइ; कि बातचीत कर लेना बहुत जरूरी हइ, कि अइसन कुछ मामला हकइ ..." । ई बातचीत गलियारा (corridor) में ज़ीना के पास होवऽ हलइ । स्विद्रिगाइलोव एकटक रस्कोलनिकोव के आँख में देखते रहलइ आउ अचानक, थोड़े देर चुप रहला के बाद आउ अवाज धीमे करके, पुछलकइ –

"की बात हइ, रोदियोन रोमानोविच, अपन आपा से बाहर देखाय दे हथिन ? वास्तव में ! सुन्नऽ हथिन आउ देखऽ हथिन, लेकिन जइसे अपने के कुछ समझ में नयँ आवऽ हइ । खुश रहथिन । कुछ बातचीत कइल जाय - अफसोस के बात खाली ई हइ, कि हमरा पास बहुत सारा काम हइ, दोसरो से संबंधित आउ अपनो ... ओह, रोदियोन रोमानोविच", ऊ अचानक आगू बोललइ, "सब अदमी के जरूरत होवऽ हइ हावा के, हावा के, जी ... सबसे पहिले !"

ज़ीना से उपरे आ रहल पादरी आउ गिरजादार [1] के रस्ता देवे खातिर ऊ अचानक थोड़े अलगे हट गेलइ । ओकन्हीं मृतककर्म करे खातिर अइते गेले हल । स्विद्रिगाइलोव के औडर से दिन में दू तुरी बिलकुल समय पर मृतककर्म कइल जा हलइ । स्विद्रिगाइलोव अपन रस्ते चल गेलइ । रस्कोलनिकोव कुछ देर ठहर गेलइ, सोचते रहलइ आउ पादरी के पीछू-पीछू सोनिया के फ्लैट में घुस गेलइ ।

ऊ दरवाजा भिर खड़ी रहलइ । प्रार्थना सभा चालू होलइ, शांतिपूर्वक, शिष्टाचारपूर्वक, उदास भाव से । बचपने से, मृत्यु के चेतना में आउ मृत्यु के उपस्थिति के संवेदना में, हमेशे ओकरा लगी कुछ तो भारी आउ रहस्यमय ढंग से भयानक प्रतीत होवऽ हलइ; आउ बहुत लम्मा समय से ऊ मृतककर्म नयँ सुनलके हल । आउ हियाँ कुछ तो आउ  बहुत भयंकर आउ  कष्टदायक हलइ । ऊ बुतरुअन तरफ देखलकइ - ओकन्हीं सब्भे ताबूत भिर टेहुना के बल बइठल हलइ, पोलेच्का कन रहले हल । ओकन्हीं के पीछू, चुपके-चुपके आउ मानूँ सहमल-सहमल, कनते, सोनिया प्रार्थना कर रहले हल । "वस्तुतः पिछलौका कुछ दिन से ऊ हमरा तरफ एक्को तुरी नयँ देखलकइ आउ न एक्को शब्द बोललइ", अचानक रस्कोलनिकोव सोचलकइ । कमरा में तेज धूप फैलल हलइ; अगरबत्ती के धुआँ के बादल उपरे उठ रहले हल; पादरी पढ़ रहले हल - "हे प्रभु, शांति देहो ..." [2] । पूरे प्रार्थना के दौरान रस्कोलनिकोव मौजूद रहलइ । आशीर्वाद देते आउ विदा होते बखत, पादरी कइसूँ (somehow) विचित्र ढंग से चारो बगली देखलकइ । प्रार्थना के बाद रस्कोलनिकोव  सोनिया भिर गेलइ । ऊ अचानक ओकर दुन्नु हाथ पकड़ लेलकइ आउ अपन सिर ओकर कन्हा पर झुका देलकइ । ई संक्षिप्त संकेत रस्कोलनिकोव के भौंचक्का भी कर देलकइ; विचित्र भी हलइ - की ? ओकरा प्रति लेशमात्र भी घृणा नयँ, लेशमात्र भी तिरस्कार नयँ, ओकर हाथ में जरिक्को सनी कंपन नयँ ! ई तो अपने आप के अपमान के एक प्रकार के अनंतता हलइ । कम से कम रस्कोलनिकोव तो अइसन समझलकइ । सोनिया कुच्छो नयँ बोललइ । रस्कोलनिकोव ओकर हाथ दबइलकइ आउ बाहर चल गेलइ । ओकरा भयंकर रूप से मन भारी लग रहले हल । अगर ओकरा लगी ओहे क्षण कहीं परी चल जाना आउ बिलकुल अकेल्ले रहना, बल्कि जिनगी भर लगी, संभव होते हल, त ऊ खुद के भाग्यशाली समझते हल । लेकिन बात ई हलइ, कि एद्धिर कुछ समय से, हलाँकि लगभग हमेशे अकेल्ले हलइ, कइसहूँ अइसन महसूस नयँ कइलकइ, कि ऊ अकेल्ले हइ । कभी-कभी अइसन होवइ, कि ऊ शहर के बाहर चल जाय, बड़का सड़क पर निकल जाय, एक तुरी तो ऊ एगो छोट्टे गो जंगल (उपवन) में पहुँच गेले हल; लेकिन जगह जेतने एकांत होवइ, ओतने जादे ओकरा मानूँ केकरो निकट आउ चिंताजनक उपस्थिति के आभास होवइ, अइसन नयँ कि भयंकर लगइ, बल्कि कइसूँ ओकरा बहुत झुंझलाहट होवइ, अइसन कि ऊ जल्दी से जल्दी शहर वापिस आ जाय, भीड़-भाड़ में घुल-मिल जाय, कोय ढाबा चाहे शराबखाना में घुस जाय, कबाड़ी बजार चाहे पुआल मंडी में चल जाय । हियाँ परी मानूँ ओकरा जादे हलका महसूस होवऽ हलइ आउ जादे अकेला भी । एगो शराबखाना में, साँझ होवे के पहिले, लोग गाना गाब करऽ हलइ - ऊ पूरे एक घंटा बइठके सुनते रहलइ, आउ ओकरा आद पड़लइ, कि ओकरा ई बहुत अच्छो लगले हल । लेकिन आखिरी घड़ी में ऊ अचानक बेचैन हो उठलइ; मानूँ पश्चात्ताप ओकरा अचानक यातना देवे लगल होवे – "अइकी, बइठल हिअइ, गाना सुन्नब करऽ हिअइ, लेकिन की वास्तव में हमरा एहे करे के चाही !" मानूँ ऊ सोचलकइ । तइयो, ऊ तुरते महसूस कइलकइ, कि एहे एगो ओकरा नयँ परेशान करब करऽ हइ; कुछ तो हलइ, जेकर तुरंत समाधान के जरूरत हलइ, लेकिन जेकरा ऊ समझ नयँ पा रहले हल, जेकरा शब्द में व्यक्त नयँ कइल जा सकऽ हलइ । सब कुछ एक तरह से एगो गोला (लच्छा) के रूप में लपटाल हलइ । "नयँ, एकरा से बेहतर तो लड़ाय होतइ ! बेहतर होतइ कि फेर से पोरफ़िरी ... चाहे स्विद्रिगाइलोव ... जल्दी से जल्दी फेर से कोय चुनौती, केकरो हमला ... हाँ ! हाँ !" - ऊ सोचलकइ । ऊ ढाबा से बाहर अइलइ आउ लगभग दौड़े लगलइ । दुन्या आउ माय के बारे विचार ओकरा अचानक कोय कारणवश मानूँ आतंकित कर देलकइ । एहे रात के, सुबह होवे के पहिले, झाड़ी में ओकर नीन खुललइ, पूरा के पूरा ठिठुरल, बोखार में, क्रेस्तोव्सकी द्वीप पर; ऊ घर लगी रवाना हो गेलइ आउ भोर होते-होते पहुँचलइ । कुछ घंटा के नीन के बाद ओकर बोखार उतर गेलइ, लेकिन ऊ जब जगलइ, त बहुत देर हो चुकले हल - दुपहर के दू बज रहले हल ।  

ओकरा आद अइलइ, कि एहे दिन कतेरिना इवानोव्ना के दफनावे के काम निश्चित कइल हलइ, आउ ओकरा ई बात के खुशी हलइ, कि ऊ ओकरा में शामिल नयँ होले हल । नस्तास्या ओकरा लगी कुछ खाय लगी लइलकइ; ऊ जी भरके खइलकइ-पिलकइ, लगभग लालच के तौर पर । ओकर सिर पहिले से जादे तरोताजा हलइ, आउ ऊ खुद पिछलौका तीन दिन के अपेक्षा अधिक शांत हलइ । एक पल लगी अपन पहिलौका आतंक के दौरा पर ओकरा अचरजो होलइ । दरवाजा खुललइ, आउ रज़ुमिख़िन अंदर अइलइ ।

"अच्छऽ ! खा रहले ह, मतलब, बेमार नयँ हइ !" रज़ुमिख़िन कहलकइ, कुरसी लेलकइ आउ टेबुल भिर रस्कोलनिकोव के सामने बइठ गेलइ । ऊ परेशान हलइ आउ ई बात के छिपावे लगी नयँ चाहऽ हलइ । ऊ खुल्लल झुंझलाहट के साथ बोल रहले हल आउ बिन कोय जल्दीबाजी कइले आउ बिन अपन अवाज के विशेष रूप से उँचगर करके । सोचल जा सकऽ हलइ, कि ऊ कोय विशेष आउ, असाधारण भी, इरादा से अइले हल ।

"सुनऽ", ऊ दृढ़ स्वर में बोललइ, "जाहाँ तक हम्मर बात हको, त तोहन्हीं भाड़ में जा, लेकिन जे कुछ हम अभी देखऽ हियो, हम स्पष्ट तौर पे देखऽ हियो कि हमरा कुच्छो नयँ समझ में आवऽ हको; मेहरबानी करके ई मत समझिहऽ, कि हम हियाँ तोरा से पूछताछ करे लगी अइलियो ह । हम थुक्कऽ हियो ! हम खुद्दे नयँ चाहऽ हियो ! अभी तूँ चाहे सब कुछ उगल देहो, अपन सब भेद वला बात, तइयो शायद हम सुन्ने लगी रुकबो नयँ, थूक देबो आउ चल जइबो । हम हियाँ खाली व्यक्तिगत रूप से आउ आखिर तुरी जाने लगी अइलियो ह - सबसे पहिले, की ई बात सही हइ, कि तूँ पागल हकहो ? देखवे करऽ हो, तोहरा बारे एगो धारणा अस्तित्व में हइ (कहीं तो हइ), कि तूँ, शायद, पागल हकहो, चाहे बहुत कुछ ओकरे तरफ प्रवृत्त हकहो । हम तोरा सामने स्वीकार करऽ हियो, कि हम खुद्दे ई विचार के जोरदार समर्थन करे के प्रवृत्ति वला हलियो, पहिला, तोर बेवकूफी आउ आंशिक रूप से घिनौना हरक्कत के वजह से (कइसूँ जेकर स्पष्टीकरण नयँ कइल जा सकऽ हइ), आउ दोसर, तोर हाल के अपन माय आउ बहिन के साथ बर्ताव के वजह से । खाली कोय राक्षस आउ कमीना, अगर पागल नयँ रहइ तो, उनकन्हीं साथ ओइसन बर्ताव कर सकऽ हलइ, जइसन कि तूँ कइलहो; एकर मतलब हइ, कि तूँ पागल हकऽ ..."
"तोरा उनकन्हीं से मिलला बहुत दिन हो गेलो ?"
"अभी-अभी । आउ तब से तूँ उनकन्हीं से नयँ मिललऽ ? कन्ने तूँ नचते रहऽ हकऽ, मेहरबानी करके हमरा बतावऽ तो, हम तोहरा हीं तीन तुरी आ चुकलियो ह । माय कल्हे से गंभीर रूप से बेमार हथुन । तोहरा हीं आवे लगी चाहऽ हलथुन; अवदोत्या रोमानोव्ना उनका रोके लगला; ऊ सुन्ने लगी तैयार नयँ हथुन । "अगर ऊ बेमार हइ", ऊ बोलऽ हथुन, "अगर ऊ पगला रहले ह, त केऽ ओकरा मदत करतइ, अगर माय नयँ ?" हियाँ हमन्हीं सब मिलके अइलिए हल, काहेकि हमन्हीं के उनका अकेल्ले नयँ छोड़ सकऽ हिअइ । हमन्हीं पूरे रस्ता तोर दरवाजा तक उनका शांत रहे लगी विनती करते रहलिअइ । अंदर अइते गेलिअइ, तूँ नयँ हलऽ, ऊ एज्जे परी बइठ गेला । दस मिनट बइठल रहला, आउ हमन्हीं उनका साथ खड़ी रहलिअइ, चुपचाप । फेर ऊ उठ गेला आउ बोलला - 'अगर ऊ अहाता से बाहर जा हइ, त एकर मतलब हइ, कि ऊ भला-चंगा हइ आउ माय के भूल गेले ह, आउ मतलब हइ, कि माय लगी ई शोभा नयँ दे हइ आउ लाज के बात हइ, कि ऊ दहलीज के पास खड़ी रहइ, आउ प्यार के भीख माँगइ ।' ऊ घर वापिस गेला आउ खाट पकड़ लेलका; अब बोखार हइ । बोलऽ हका - 'हम देखऽ हिअइ, कि ओकरा अप्पन लगी समय हइ ।' ऊ समझऽ हका, कि अप्पन तो - ई सोफ़िया सिम्योनोव्ना हइ, तोर मंगेतर, चाहे रखैल, हमरा वस्तुतः मालूम नयँ । हम तुरते सोफ़िया सिम्योनोव्ना हीं रवाना हो गेलिअइ, काहेकि, भाय, हम सब कुछ मालूम करे लगी चाहऽ हलिअइ - आवऽ हिअइ, त देखऽ हिअइ - ताबूत पड़ल हइ, बुतरुअन कन रहले ह । सोफ़िया सिम्योनोव्ना ओकन्हीं के मातमी कपड़ा पेन्हा रहले ह । तूँ हुआँ नयँ हकऽ । हम देखलिअइ, माफी मँगलिअइ, आउ बाहर निकस गेलिअइ, आउ अवदोत्या रोमानोव्ना के सब बात बता देलिअइ। सब कुछ, मतलब, बकवास हइ, आउ हियाँ परी कोय 'अप्पन' नयँ हइ, मतलब, सबसे अधिक विश्वास के बात, पागलपन हइ । लेकिन अइकी तूँ बइठल उबालल गोमांस अइसे निंगल रहलऽ ह, जइसे तीन दिन कुछ नयँ खइलऽ ह । ई मानऽ हिअइ, कि पगलवो सब खा हइ, लेकिन हलाँकि तूँ हमरा से एक्को शब्द नयँ बोललऽ, लेकिन  तूँ ... पागल नयँ हकऽ ! आउ ई मामले में हम कसम खा हियो । तूँ चाहे जे रहऽ, लेकिन पागल नयँ हकऽ । आउ ओहे से, तूँ आउ सब कोय भाड़ में जाय, काहेकि एकरा में कुछ तो भेद हइ, कोय तो रहस्य हइ; आउ हमरा तोहर रहस्य खातिर अपन सिर फोड़े के कोय इरादा नयँ । हम खाली तोरा बात सुनावे लगी अइलियो ह", ऊ उठते अपन बात खतम कइलकइ, "अपन दिल के बोझ दूर करे लगी, आउ हमरा मालूम हके, कि हमरा अब की करे के चाही !"

"त अब तूँ की करे लगी चाहऽ ह ?"
"एकरा से तोरा की मतलब हको, कि हम की करे लगी चाहऽ हूँ ?"
"देखऽ, सवधान रहऽ, तूँ दारू पीये जइबऽ !"
"तूँ कइसे ... कइसे ई बात के अंदाज लगइलऽ ?"
"त आउ दोसर की !"
रज़ुमिख़िन मिनट भर चुप रहलइ ।

"तूँ हमेशे समझदार अदमी रहलऽ ह आउ तूँ कभियो, कभियो पागल नयँ हलऽ", अचानक ऊ जोश में टिप्पणी कइलकइ । "ई बात सही हइ - हम पीये लगी जइबो ! अलविदा !" आउ ऊ जाय लगलइ ।
"हम तोरा बारे, शायद परसुन, अपन बहिन से बात कइलियो हल, रज़ुमिख़िन ।"
"हमरा बारे ! लेकिन ... तूँ काहाँ परी परसुन उनका देख पइलहो ?" अचानक रज़ुमिख़िन रुक गेलइ, ओकर चेहरा के रंग जरी उतरियो गेलइ । ई अंदाज लगावल जा सकऽ हलइ, कि ओकर सीना में ओकर दिल धीरे-धीरे आउ भारी अवाज से धड़के लगले हल ।
"ऊ हियाँ अइले हल, अकेल्ले, हियाँ परी बइठलइ आउ हमरा साथ बात कइलकइ ।"
"ऊ !"
"हाँ, ऊ ।"
"त तूँ की बोललहो ... कहे के मतलब, हमरा बारे ?"
"हम ओकरा से कहलिअइ, कि तूँ बहुत अच्छा, ईमानदार आउ मेहनती व्यक्ति हकहो । ई बात, कि तूँ ओकरा से प्यार करऽ हो, हम ओकरा नयँ बतइलिअइ, काहेकि ऊ खुद्दे जानऽ हइ ।"
"खुद्दे जानऽ हका ?"

"आउ नयँ त की ! हम कनहूँ जाऊँ, हमरा साथ चाहे जे होवे - तूँ तो उनकन्हीं लगी भगमान के किरपा नियन रहबहो । हम तो, अइसन कहल जाय, तोहरा उनकन्हीं के सौंप रहलियो ह, रज़ुमिख़िन । हम अइसन बोलऽ हियो, काहेकि हमरा अच्छा से मालूम हइ, कि तूँ ओकरा केतना प्यार करऽ हो, आउ हम तोहर हृदय के पवित्रता के बारे आश्वस्त हिअइ । एहो जानऽ हिअइ, कि ऊ तोरो प्यार कर सकऽ हको, आउ शायद प्यार करवो करऽ हको । त अब तूहीं निर्णय करऽ, जइसन तूँ उत्तम समझऽ - तोरा पीए के चाही, कि नयँ ।"

"रोदका ... देखऽ ... खैर ... आह, शैतान ! आउ तूँ कन्ने सिधियाय लगी चाहऽ हो ? देखऽ - अगर ई सब रहस्य हइ, त जाय द ! लेकिन हम ... हम रहस्य के बारे पता कर लेबो ... आउ हमरा अकीन हइ, कि पक्का कुछ तो बकवास हइ आउ भयंकर रूप से तुच्छ हइ, कि ई सब कुछ तोरे करनी हको । लेकिन तइयो, तूँ बहुत उत्तम अदमी हकऽ ! बहुत उत्तम अदमी ! ..."

आउ हम तो तोरा एहे बतावे लगी चाहऽ हलियो, लेकिन तूँ बिच्चे में टोक देलहो, कि तूँ अभी बहुत अच्छा निर्णय कइलहो हल, कि तोरा ई भेद आउ रहस्य अभी नयँ पता लगावे के हको ।
“फिलहाल तो रहे द, परेशान नयँ होवऽ । समय अइला पर सब कुछ मालूम हो जइतो, पक्का तब, जब जरूरत होतो । कल्हे हमरा एगो अदमी कहलके हल, कि अदमी के हावा चाही, हावा, हावा ! हम अभी ओकरा हीं जाय लगी सोचब करऽ हिअइ, कि एकरा से ओकर कहे के की मतलब हइ ।”
रज़ुमिख़िन विचारमग्न आउ उत्तेजित होल खड़ी रहलइ, आउ कुछ तो सोचते रहलइ ।

"ऊ राजनीतिक षड्यंत्रकारी हकइ ! पक्का ! ऊ कुछ तो निर्णयात्मक कदम उठावे वला हकइ - ई पक्का हइ ! आउ कुछ नयँ हो सकऽ हइ, आउ ... आउ दुन्या के मालूम हइ ...", ऊ अचानक मने-मन सोचलकइ ।
"त अवदोत्या रोमानोव्ना तोहरा से मिल्ले खातिर आवऽ हका", हरेक शब्द पे जोर देते ऊ बोललइ, "लेकिन तूँ खुद्दे अइसन अदमी से भेंट करे लगी चाहऽ हो, जेकर कहना हइ, कि जादे हावा चाही, हावा, आउ ... आउ, मतलब, आउ ओहे से ई पत्र ... एहो कुछ तो ओइसने तरह के हइ", ऊ अपने आप से मानूँ कहते बात खतम कइलकइ ।
"कइसन पत्र ?"

"उनका एगो पत्र मिलले हल, आझ, जेकरा से ऊ बहुत परेशान हो गेला । बहुत । बल्कि बहुत जादहीं । हम तोहरा बारे बात करे लगलिअइ - ऊ हमरा चुप रहे लगी निवेदन कइलका । फेर ... बाद में बतइलका, कि शायद हमन्हीं के बहुत जल्दीए एक दोसरा से अलगे होवे पड़इ, फेर कोय बात लगी हमरा दिल से धन्यवाद देवे लगला; फेनु अपन कमरा में चल गेला आउ दरवाजा लगाके बन हो गेला ।"

"ओकरा कोय पत्र मिलले हल ?" विचारमग्न होल रस्कोलनिकोव पुछलकइ ।
"हाँ, पत्र; आउ तोरा मालूम नयँ हलो ? हूँ ।"
थोड़े देर तक ओकन्हीं दुन्नु चुप रहलइ ।
"अलविदा, रोदियोन । हम तो, भाय ... एक जमाना हलइ ... लेकिन तइयो, अलविदा, देखऽ हो, एक जमाना हलइ ... खैर, अलविदा ! हमरो जाय के समय हो गेलो । हम शराब के हाथ नयँ लगइबो । अब जरूरत नयँ ... भूल जा ई बात के !"
ओकरा जल्दीबाजी हलइ; लेकिन निकस चुकला पर आउ अपना पीछू दरवाजा लगभग बन कर लेला के बाद, अचानक एकरा फेर से खोल लेलकइ, कनहूँ बगल तरफ देखते बोललइ –

“अरे हाँ ! तोहरा ऊ हत्या के बात आद हको, ऊ पोरफ़िरी - आउ ऊ बुढ़िया के ? खैर, ई बात जान ल, कि हत्यारा के पता चल गेले ह, खुद्दे कबूल कर लेलकइ आउ सब्भे सबूत पेश कइलकइ । ई ऊ खास मजुरवन, घर के पोताय करे वलन में, एगो हइ, जरी सोचहो, आद पड़ऽ हको, हम हियाँ परी ओकन्हीं के बचाव करब करऽ हलिअइ ? की तूँ अकीन करबहो, कि ज़ीना पर लड़ाय आउ हँस्सी के ई सब नाटक, अपन साथी के साथ, जब ओकन्हीं उपरे जाब करऽ हलइ, दरबान आउ दू गो गवाह, त ऊ जान-बूझके रचलके हल, खाली अपना तरफ से शक्का दूर करे खातिर ? कइसन चलाँकी, कइसन प्रत्युत्पन्नमति अइसन पिल्ला में ! अकीन करना मोसकिल हइ; लेकिन खुद्दे स्पष्ट कइलकइ, खुद्दे सब कुछ कबूल कइलकइ ! आउ कइसे हम एकरा में फँस गेलूँ ! खैर, हम समझऽ हिअइ, कि ई खाली ढोंग आउ समझ-बूझ के प्रतिभा हइ, कानूनी दिक्परिवर्तन के प्रतिभा हइ - आउ ओहे से, एकरा में ताज्जुब के कोय खास बात नयँ हइ ! की वस्तुतः अइसन लोग नयँ होवऽ हइ ? आउ ई बात कि ऊ दृढ़ नयँ रह पइलइ आउ कबूल कर लेलकइ, हमरा एकरा चलते ओकरा पर आउ जादे विश्वास होवऽ हइ । आउ जादे विश्वसनीय हो जा हइ ... लेकिन हम तो, हम तो तखने कइसे फँस गेलूँ ! ओकन्हीं खातिर हम देवाल पर से सरकलूँ (अर्थात् जमीन-असमान एक कर देलूँ) !”

"मेहरबानी करके बतावऽ, ई सब तोरा काहाँ से पता चललो आउ एकरा में तोरा एतना दिलचस्पी काहे हको ?" रस्कोलनिकोव स्पष्टतः उत्तेजित होके पुछलकइ ।
"फेर ओहे बात ! काहे लगी हमरा दिलचस्पी हकइ ! कइसन सवाल हइ ! ... हम, आउ सब के अलावे, पोरफ़िरी से जनलिअइ । लेकिन, ओकरा से लगभग सब बात मालूम पड़लइ ।
"पोरफ़िरी से ?"
"पोरफ़िरी से ।"
"अच्छऽ, की ... की कहलको ऊ ?" डरते-डरते रस्कोलनिकोव पुछलकइ ।
"ऊ एकरा बहुत निम्मन ढंग से समझइलकइ । मनोवैज्ञानिक ढंग से, अप्पन तरीका से ।"
"ऊ समझइलको ? ऊ खुद्दे तोरा समझइलको ?"

"खुद्दे, खुद्दे; अलविदा ! बाद में आउ कुछ बतइबो, लेकिन अभी तो हमरा काम हको । हुआँ ... एगो जमाना हलइ, जब हम सोचऽ हलिअइ ... लेकिन एकरा से की; बाद में ! ... हमरा अभी पीए के की जरूरत हइ । तूँ तो हमरा बिन दारू के भी मदहोश कर देलऽ ह । हम तो नशा में हकियो, रोदका ! बिन दारू के हम मदहोश, अच्छऽ, अलविदा; फेर अइबो; बहुत जल्दीए ।"
ऊ बाहर चल गेलइ ।

"ई, ई तो राजनीतिक षड्यंत्रकारी हइ, ई तो पक्का हइ, पक्का !" आखिरकार रज़ुमिख़िन अपना बारे निर्णय कइलकइ, जब ऊ ज़ीना से उतर रहले हल । "आउ ऊ अपन बहिनियो के एकरा में घसीट लेलके ह; ई तो अवदोत्या रोमानोव्ना जइसन लड़की के साथ बहुत, बहुत संभव हइ । ओकन्हीं बीच मिलना-जुलना भी चालू हो गेले ह ... आउ वस्तुतः दुन्या भी तो हमरा इशारा कइलका हल । उनकर कइएक शब्द ... आउ विचार ... आउ इशारा के आधार पर ... बिलकुल अइसने निष्कर्ष निकसऽ हइ ! नयँ तो आउ दोसरा तरीका से कइसे ई गुत्थी के सुलझावल जा सकऽ हइ ? हूँ ! आउ हम सोच रहलिए हल ... हे भगमान, कइसे ई सब हमर दिमाग में घुसलइ! जी हाँ, ई ग्रहण (eclipse) हलइ, आउ हम ओकरा सामने दोषी हिअइ ! ई ओहे तखने लैंप भिर, गलियारा में, हमरा लगी ग्रहण लइलक । उफ ! हमरा तरफ से ई कइसन बेहूदा, भद्दा, नीच विचार हले ! नवयुवक मिकोल्का, जे कबूल कर लेलकइ ... आउ पहिलौका सब कुछ अब समझल जा सकऽ हइ ! ई बेमारी ओकर तखने के, ओकर विचित्र-विचित्र सब्भे अइसन हरक्कत, आउ पहिलौको, पहिलौको, विश्वविद्यालय में भी, ऊ कइसन हमेशे निराश आउ उदास रहऽ हलइ ... लेकिन अभी ई पत्र के की मतलब हइ ? एकरो में शायद कुछ न कुछ होवे करतइ । केकरा हीं से ई पत्र अइले होत ? हमरा शक्का हइ ... हूँ । नयँ, हम सब कुछ पता लगा लेबइ ।"

ऊ दुन्या के बारे सब कुछ आद कइलकइ, आउ ओकर दिल डूब गेलइ । ऊ अपन जगह से तेजी से उठके दौड़े लगलइ । जइसीं रस्कोलनिकोव बाहर निकसके गेलइ, ओइसीं रस्कोलनिकोव खड़ी हो गेलइ, खिड़की तरफ मुड़लइ, एक कोना से टकरइलइ, फेर दोसरा से, मानूँ अपन कुत्ताखाना के संकीर्णता के बारे भूल गेल होवे, आउ ... फेर से सोफा पर बइठ गेलइ । लगऽ हलइ, कि ऊ मानूँ बिलकुल बदल गेले ह; फेर से संघर्ष - मतलब, कोय रस्ता मिल गेले ह !

“हाँ, एकर मतलब हइ, कि कोय रस्ता मिल गेले ह ! काहेकि सब कुछ बहुत जादे घुटन से भरल आउ तंग होल हलइ, कष्टकारी रूप के दबाव हलइ, कोय तो नशीला दवाय के जइसे हमला हलइ । पोरफ़िरी के दफ्तर में मिकोल्का के साथ जे घटना होलइ, ओकर बाद से ओकरा बिन निकास वला तंग जगह में घुटन चालू हो गेलइ । मिकोल्का के बाद, ओहे दिन, सोनिया के हियाँ भी घटना होले हल; ऊ एकरा जइसे निपटइलकइ आउ समाप्त कइलकइ, ओइसे पहिले कभी मानूँ बिलकुल नयँ कल्पना कर सकते हल ... जेकरा चलते ऊ कमजोर हो गेलइ, मतलब, पल भर में आउ पूरा के पूरा ! एक्के झटका में ! आउ वस्तुतः तखने सोनिया के साथ सहमत होले हल, खुद्दे सहमत होले हल, दिल से सहमत होले हल, कि ऊ अकेल्ले अंतःकरण में अइसन बोझ लेके नयँ जी सकऽ हइ! आउ स्विद्रिगाइलोव ? स्विद्रिगाइलोव तो एगो पहेली हइ ... स्विद्रिगाइलोव ओकरा बेचैन कर दे हइ, ई सच हइ, लेकिन कइसूँ ऊ पहलू से नयँ । स्विद्रिगाइलोव के साथ भी, शायद, ओकरा संघर्ष करे पड़इ । स्विद्रिगाइलोव, शायद, पूरा निकास भी हो सकऽ हइ; लेकिन पोरफ़िरी के बाते दोसर हइ ।

त पोरफ़िरी खुद्दे रज़ुमिख़िन के समझइलके हल, ओकरा वैज्ञानिक ढंग से समझइलके हल ! फेर से ऊ अपन अभिशप्त मनोविज्ञान के प्रयोग चालू कर देलकइ ! पोरफ़िरी तो ? जइसे पोरफ़िरी, बल्कि एक्को मिनट खातिर, ई बात पर विश्वास कर लेतइ, कि मिकोल्का अपराधी हइ, ऊ घटना के बाद, जे तखने ओकन्हीं बीच आमने-सामने घटले हल, मिकोल्का के पहुँचे के ठीक पहिले, जेकर कोय सही व्याख्या नयँ खोजल जा सकऽ हलइ, सिवाय एगो के ? (पिछलौका कुछ दिन के दौरान रस्कोलनिकोव के कइएक तुरी पोरफ़िरी के साथ होल झड़प के अलग-अलग अंश ओकर मानस पटल पर कौंधलइ आउ आद पड़लइ; समुच्चे घटना के आद करना ओकर बरदास के बाहर हलइ ।) ऊ बखत ओकन्हीं बीच अइसन शब्द बोलल गेले हल, अइसन गति आउ संकेत कइल गेले हल, ओकन्हीं दुन्नु के बीच एक दोसरा के साथ दृष्टि के विनिमय होले हल, कुछ तो अइसन स्वर (tone) में कहल गेले हल, बात अइसन सीमा तक पहुँच गेले हल, कि एक्कर बाद मिकोल्का (जेकरा पोरफ़िरी पहिलौके शब्द आउ संकेत से कंठस्थ भाँप लेलके हल), मिकोल्का के वश के बात नयँ हलइ कि ओकर दृढ़ विश्वास के हिला दे सकइ ।

आउ कमाल के बात तो ई हलइ, कि रज़ुमिख़िन भी शक्का करे लगले हल ! गलियारा में लैंप भिर के घटना बेकार नयँ गेलइ । ऊ झपटके पोरफ़िरी हीं गेलइ ... लेकिन पोरफ़िरी ओकरा अइसे धोखा काहे लगी देवे लगलइ? रज़ुमिख़िन के ध्यान मिकोल्का तरफ मोड़े के पीछू ओकर की उद्देश्य हइ ? वस्तुतः ओकर मन में पक्का कुछ तो हइ; हियाँ परी कोय इरादा तो हइ, लेकिन कइसन ? ई सच हइ, कि ऊ सुबह से बहुत समय गुजर चुकले ह - बहुत, बहुत जादे, लेकिन पोरफ़िरी के बारे कोय अता-पता नयँ हइ । अच्छऽ, त यकीनन ई आउ बत्तर हइ ... ।” रस्कोलनिकोव अपन टोपी लेलकइ आउ विचारमग्न अवस्था में कमरा से रवाना हो गेलइ । ई पूरे समय में, कम से कम, ऊ पहिले तुरी  स्वस्थ चेतना में महसूस कइलकइ । "स्विद्रिगाइलोव से निपट लेवे के चाही", ऊ सोचलकइ, "आउ येन केन प्रकारेण, जेतना जल्दी हो सकइ - ई अदमी भी, लगऽ हइ, ई बात के इंतजार कर रहले ह, कि हम खुद ओकरा पास अइअइ ।" आउ ऊ क्षण अचानक ओकर थक्कल दिल में अइसन घृणा उत्पन्न होलइ, कि, शायद, ई दुन्नु में से केकरो हत्या कर दे सकऽ हलइ - स्विद्रिगाइलोव चाहे पोरफ़िरी के। कम से कम, ऊ महसूस कइलकइ, कि अगर अभी नयँ, त बाद में ऊ अइसन कर सके के हालत में हइ । "देखल जइतइ, देखल जइतइ", ऊ मने-मन दोहरइते रहलइ । लेकिन जइसीं ऊ ड्योढ़ी के दरवाजा खोललकइ, ओइसीं अचानक ओकर मुठभेड़ खुद पोरफ़िरी से हो गेलइ । ऊ अंदर आ रहले हल । रस्कोलनिकोव तो पल भर लगी स्तंभित रह गेलइ । अजीब बात हलइ, कि ऊ पोरफ़िरी के देखके बहुत अचंभित नयँ होलइ आउ ओकरा से लगभग भयभीत नयँ होलइ । ऊ खाली चौंक पड़लइ, लेकिन तेजी से, पल भर में खुद के सँभाल लेलकइ । "शायद, ई अंत हइ ! लेकिन कइसे ई अदमी एतना दबे पाँव अइलइ, बिलाय नियन, कि हम कुछ नयँ सुन पइलइ ? कहीं ऊ छिपके कान लगइले सुन तो नयँ रहले हल ?"

"अपने के मेहमान के कोय प्रत्याशा नयँ हलइ, रोदियोन रोमानोविच", हँसते पोरफ़िरी पित्रोविच जोर से बोललइ । "हम बहुत अरसा से अपने हियाँ आवे लगी मनमनाल हलिअइ, पास से गुजर रहलिए हल, त सोचलिअइ - काहे नयँ पाँच मिनट लगी हो लिअइ आउ देख लिअइ कि अपने कइसन हथिन । कहीं बाहर जाय वला हथिन ? हम रोकबइ नयँ । खाली अइकी बस एक सिगरेट, अगर अनुमति देथिन ।"

"बइठथिन, पोरफ़िरी पित्रोविच, बइठथिन", रस्कोलनिकोव मेहमान के प्रत्यक्ष रूप से अइसन प्रसन्न आउ मित्रता के भाव से बइठइलकइ, कि ऊ सच में अपने आप पर अचंभित होते हल, अगर ऊ खुद अपना के देख सकते हल । त आखिरी बच्चल-खुच्चल के खुरचके निकासल जा रहले हल ! कभी-कभी अदमी आध घंटा कोय डाकू के साथ मृत्युतुल्य भय झेलते रहतइ, आउ आखिरकार जइसीं ओकर गरदन पर छूरा रख देल जइतइ, त ई क्षण, भय भी समाप्त हो जइतइ । ऊ पोरफ़िरी के सामने बइठ गेलइ, आउ बिन पलक झपकइले ओकरा तरफ देखे लगलइ । पोरफ़िरी आँख सिकुड़इलकइ आउ सिगरेट जलावे लगलइ ।

"अच्छऽ, कहऽ, कहऽ", मानूँ रस्कोलनिकोव के दिल से शब्द अइसीं उछलके बाहर निकसे लगी चाह रहले हल । "अच्छऽ, काहे नयँ, काहे नयँ, काहे नयँ तूँ कुछ बोलऽ ह ?"


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