विजेट आपके ब्लॉग पर

Tuesday, January 05, 2016

रूसी उपन्यास "कलापानी" - भाग-1 ; अध्याय-7: नावा परिचय - पित्रोव



कालापानी
(साइबेरिया में जेल के जिनगी)

भाग-1; अध्याय-7: नावा परिचय - पित्रोव

लेकिन समय गुजरते रहलइ, आउ हम धीरे-धीरे जेल के जिनगी जीए के अभ्यस्त होवे लगलिअइ । हरेक दिन के साथ लगातार हमरा अपन नावा जिनगी के रोजाना के घटना हमरा कमती आउ कमती परेशान करइ । घटना, परिस्थिति, लोग - ई सब कइसूँ हमर आँख के सामने सुपरिचित लगे लगलइ । अइसन जिनगी के साथ सुलह करना असंभव हलइ, लेकिन एकरा एगो स्थापित तथ्य स्वीकार कर लेवे के समय कब के हो चुकले हल । ऊ सब गलतफहमी (भ्रम) के, जे अभियो तक हमर मन में रह गेले हल, यथासंभव दबाके रख लेलिअइ । हम अब जेल में एगो नष्ट आत्मा नियन एन्ने-ओन्ने नयँ भटकऽ हलिअइ आउ अपन चेहरा पर विषाद के लक्षण नयँ आवे दे हलिअइ। कैदी लोग के भयंकर उत्सुक नजर अब ओतना अकसर हमरा पर नयँ पड़ऽ हलइ, ओतना गढ़ल ढिठाई से पीछा नयँ करऽ हलइ । हमहूँ, स्पष्टतः, ओकन्हीं लगी परिचित हो चुकलिए हल, जेकरा से हम बहुत खुश हलिअइ । जेल में हम घर नियन अराम से घुम्मऽ हलिअइ, पटरा पर के अप्पन जगह जानऽ हलिअइ, आउ देखे में तो लगऽ हलइ, कि हम ओइसन सब चीज के आदी हो गेलिअइ, जेकरा बारे हम जिनगी में अभ्यस्त होवे के सोचियो नयँ सकऽ हलिअइ । नियमित रूप से हरेक सप्ताह हम अपन सिर के अर्धमुंडन लगी जा हलिअइ । हरेक सनिच्चर, फुरसत के दौरान, बारी-बारी से, हमन्हीं के ई काम लगी  जेल से कोर-द-गार्द (गार्डहाउस) बोलावल जा हलइ (नयँ गेला पर खुद्दे सरमुंडन करावे परऽ हलइ), आउ हुआँ परी बटालियन के नौआ (हजाम) सब हमन्हीं के सिर के ठंढा पानी के साथ साबुन से रगड़ऽ हलइ आउ निर्दयतापूर्वक भोथर अस्तुरा से खखोर दे हलइ, अइसन तरह से कि हमरा अभियो ई यातना के आद अइतहीं पूरा देह सिहर जा हइ । लेकिन तुरते एकर इलाज हो गेलइ - अकीम अकीमिच मिलिट्री विभाग के एगो कैदी के बारे इशारा कइलकइ, जे एक कोपेक में केकरो जरूरत पड़ला पर अपन अस्तुरा से सरमुंडन कर सकऽ हलइ आउ ई ओकर एगो धंधा हलइ । कइएक कैदी ओकरा पास जा हलइ, ताकि सरकारी नौआ से छुटकारा मिल सकइ, एकर मतलब ई नयँ हलइ कि ई लोग नाजुक हलइ । हमन्हीं के कैदी-नौआ के लोग मेजर कहके पुकारऽ हलइ - काहे, हमरा मालूम नयँ, आउ ऊ कउन मामले में मेजर से मेल खा हलइ, एहो हम नयँ कह सकऽ हिअइ । अभी, जब हम ई बात लिख रहलिए ह, त ई मेजर हमरा ओइसीं दिमाग में प्रस्तुत होवऽ हइ, उँचगर, दुब्बर-पातर, अल्पभाषी छोकरा, काफी हद तक घनचक्कर (मूरख), हमेशे अपन काम में लीन, आउ बराबर हाथ में पट्टा (strap), जेकरा पर दिन-रात अपन अत्यधिक प्रयुक्त अस्तुरा पजइते रहइ, आउ लगऽ हइ, ई काम में लग्गल रहइ, जइसे एकरा अपन पूरे जिनगी के लक्ष्य बना लेलके हल । वास्तव में ऊ अत्यधिक प्रसन्न होवऽ हलइ, जब अस्तुरा तेज रहऽ हलइ आउ जब कोय हजामत करावे लगी आवऽ हलइ - ओकर साबुन आउ पानी सिरगरम रहऽ हलइ, हाथ हलका, हजामत करे के काम मखमल नियन मोलायम । ऊ स्पष्टतः अपन कला से खुश रहऽ हलइ आउ गौरव महसूस करऽ हलइ, आउ लापरवाही से अपन पारिश्रमिक कोपेक ले हलइ, मानूँ वस्तुतः ई कला के काम हलइ, नयँ कि पइसा कमाय के । आ-व के मेजर से दर्दनाक बात सुन्ने पड़लइ, जब ऊ जेल के मामले में ओकरा सूचना देते बखत, जेल के कैदी-नौआ के नाम के चर्चा के सिलसिले में असावधानी से ओकरा मेजर कह बइठलइ । जेल के मेजर आग-बबूला हो गेलइ आउ ई बात ओकर दिल के बहुत अधिक लग गेलइ । "अरे नीच कहीं के, तू जानवो करऽ हीं कि मेजर के की मतलब होवऽ हइ!" मुँह पर फेन निकासते आउ अपन आदत के मोताबिक आ-व पर टूट पड़ते चिल्लइलइ, "तोरा समझ में आवऽ हउ, कि मेजर के की मतलब होवऽ हइ ! आउ अचानक कोय नीच कैदी के, हमर नजर के सामने, हमर उपस्थिति में, मेजर कहके पुकारऽ हीं ! ..." खाली आ-व के हीं अइसन अदमी के साथ पट सकऽ हलइ ।  

जेल में अपन जिनगी के पहिलौके दिन से हम अजादी के बारे सपनाय लगलूँ हल । कखने हमर जेल के साल खतम होत, हजारो तरह से आउ हजारो व्यवहार (प्रयोग) से गिनती करते रहना हमर प्रिय काम हो गेल हल । हम आउ कुछ दोसरा चीज के बारे सोचियो नयँ सकऽ हलूँ, आउ हमरा विश्वास हइ, कि कोय निश्चित अवधि लगी स्वतंत्रता से वंचित हरेक कोय अइसीं करऽ हइ । हमरा मालूम नयँ, कि बाकी कैदी लोग ओइसीं सोचऽ हलइ, दिन के गिनती करऽ हलइ, जइसे कि हम, लेकिन ओकन्हीं के आशा के आश्चर्यजनक बेपरवाही हमरा शुरुए में हैरान कर देलकइ । अजादी से वंचित कैदी के आशा, एगो स्वाभाविक रूप से जीए वला अदमी के आशा से, बिलकुल दोसरे तरह के होवऽ हइ । एगो स्वतंत्र व्यक्ति, वस्तुतः, आशा करऽ हइ (उदाहरणार्थ, भाग्य के परिवर्तन के, कोय उद्यम के सफलता के), लेकिन ऊ जीयऽ हइ, ऊ काम करऽ हइ; असली जीवन ओकरा अपन भँवर के साथ पूरा तरह से आकर्षित करऽ हइ । अइसन एगो कैदी लगी संभव नयँ हइ । हियों, मानऽ हिअइ, कि जिनगी हइ - जेल के आउ कठोर श्रम वला; लेकिन चाहे कोय कैदी रहइ आउ चाहे केतनो अवधि (के दंड) खातिर ओकरा भेजल रहइ, ऊ दृढ़तापूर्वक आउ सहजता से अपन भाग्य के, कुछ सकारात्मक आउ अंतिम रूप में, आउ वास्तविक जिनगी के अंश के रूप में नयँ स्वीकार कर सकऽ हइ । हरेक कैदी अनुभव करऽ हइ, कि ऊ अपन घर में नयँ हइ, बल्कि मानूँ अतिथि हइ । बीस बरिस के ऊ मानूँ दू बरिस समझऽ हइ आउ बिलकुल आश्वस्त होवऽ हइ, कि पचपन साल के उमर में जेल से बाहर होला पर ऊ ओइसने जमान रहतइ, जइसन कि अभी हइ, पैंतीस साल के उमर में । "अभियो जीए के हके !" ऊ सोचऽ हइ आउ खुद के मन से सब्भे शक्का आउ दोसर-दोसर हतोत्साह करे वला विचार के हठपूर्वक दूर भगा दे हइ । विशेष विभाग के, बिन कोय निश्चित अवधि वला (अर्थात् आजीवन) कैदी भी कभी-कभी विश्वास करऽ हलइ, कि अइकी नयँ-नयँ, आउ अचानक पितिरबुर्ग से (औडर) अइतइ - "(कैदी के) नेरचिंस्क भेजल जाय, खदान में, आउ अवधि निश्चित कइल जाय" । तब तो निम्मन बात होतइ - पहिला, नेरचिंस्क पैदल जाय में तो लगभग आधा साल लग जइतइ, आउ पार्टी के साथ जाना, जेल में रहे के अपेक्षा केतना जादे निम्मन बात हइ ! आउ तब नेरचिंस्क में अपन अवधि पूरा करे के आउ तब ... आउ वस्तुतः ई तरह से एगो दोसर कोय सफेद बाल वला अदमी भी तर्क दे हइ !

तोबोल्स्क में हम (कैदी लोग के) देवाल के साथ सिक्कड़ (चेन) में जकड़ल देखलिए हल । ऊ, एहे कोय एक साझेन [= 2.13 मीटर] लम्मा, सिक्कड़ से जकड़ल जेल में पड़ल हइ; ओकर नगीच एगो बिछौना हइ । ओकरा ई तरह से सिक्कड़ में जकड़ल गेले हल कोय भयंकर अपराध लगी, जे ऊ साइबेरिया में कइलके हल । कुछ कैदी पाँच साल लगी जेल में हइ, त कुछ दसो साल लगी । अधिकतर लोग डाकू हकइ । ओकन्हीं बीच खाली एक्के गो हम देखलिअइ, जे कुलीन घराना के लगऽ हलइ; कहीं तो कभियो सरकारी सेवा में हलइ । ऊ नम्रतापूर्वक आउ तोतराके बोलऽ हलइ; मिठगर मुसकान के साथ । ऊ हमरा अपन सिक्कड़ (चेन) देखइलकइ, एहो देखइलकइ, कि कइसे सुविधाजनक ढंग से ऊ बिछौना पर पड़ सकऽ हइ । ओहे तो, शायद, एगो अपना तरह के पक्षी हलइ ! सब्भे ओकन्हीं साधारणतः शांतिपूर्वक व्यवहार करऽ हइ आउ संतुष्ट देखाय दे हइ, आउ साथे-साथ हरेक के आश्चर्यजनक ढंग से जल्दी से जल्दी अपन अवधि पूरा करे के मन करऽ हइ । काहे अइसन लगऽ हइ ? आउ अइकी ई कारण हइ - तब ऊ निचगर छत वला दमघोंटू नम अइँटा के मेहराबदार कोठरी से बाहर निकसतइ आउ जेल के प्रांगण में घुमतइ-फिरतइ, आउ ... आउ बस । ओकरा जेल से कभियो बाहर नयँ छोड़ल जइतइ । ऊ खुद्दे जानऽ हइ, कि एक तुरी सिक्कड़ से मुक्त कर देला पर हमेशे लगी जेल में रक्खल जा हइ, जब तक कि बेड़ी से जकड़ले हालत में ओकर मौत नयँ आ जाय । ऊ ई बात जानऽ हइ, आउ तइयो ओकरा भयंकर रूप से जल्दी से जल्दी अपन सिक्कड़ के अवधि समाप्त करे के मन करऽ हइ । की वास्तव में ई आशा के बेगर सिक्कड़ में जकड़ल पाँच चाहे छो साल तक जेल में रह पइते हल, बिन मरले चाहे पगलइले ? की आउ कोय दोसरा जेल में रह सकऽ हलइ ?

हम अनुभव कइलिअइ, कि काम हमरा बचा सकऽ हइ, हमर स्वास्थ्य आउ शरीर के सुदृढ़ रख सकऽ हइ । लगातार मानसिक चिंता, स्नायविक उत्तेजना, बैरक के दमघोंटू हावा हमरा बिलकुल नष्ट कर दे सकऽ हलइ । "जादे अकसर हावा में रहना, रोज दिन थकावट के हद तक काम करना, भार ढोवे लगी सीखना - ई सब से कम से कम हम खुद के बचा सकम", हम सोचलिअइ, "खुद के मजबूत बनाम; स्वस्थ, स्फूर्तिमान, बरियार, आउ अवृद्ध रूप में जेल से मुक्ति होत ।" हमरा गलतफहमी नयँ हलइ - काम आउ गति हमरा लगी बहुत उपयोगी हल। हमरा अपन साथी लोग में से एगो (कुलीन घराना) के देखके भय लगलइ, कि कइसे ऊ जेल में रहके, मोमबत्ती नियन, क्षीण हो चुकले हल । ऊ हमरे साथ जेल में अइले हल, जब ऊ तरुण, सुंदर, स्फूर्तिमान हलइ, आउ जब जेल से मुक्त होलइ, त ओकर देह आधा होल, केश उज्जर, हँफनी हलइ आउ चलियो नयँ पावऽ हलइ [1] । "नयँ", ओकरा दने देखते हम सोचलिअइ, "हम जीए लगी चाहऽ हूँ आउ जीयम ।" लेकिन शुरू-शुरू में हमरा कैदी लोग से काम के प्रति लगन के चलते फटकार खाय पड़ल, आउ लम्मा समय तक ओकन्हीं हमरा पर नफरत आउ मजाक से जहर उगललक । लेकिन हम केकरो तरफ नयँ देखलिअइ आउ खुशी से कधरो रवाना हो जा हलिअइ, मसलन, बल्कि सिलखड़ी (alabaster) के जलाके कुट्टे के काम करे लगी - जे हमर पहिले-पहल सिक्खल कइएक काम में से एक हलइ । ई काम जरी असान हलइ । इंजीनियर प्राधिकारी यथासंभव कुलीन लोग के काम आबंटित करे में जरी सौम्यता बरतऽ हलथिन, जे शायद कइसूँ कोय तरह के रियायत नयँ हलइ, बल्कि खाली न्यायसंगत हलइ । आधा शक्ति वला आउ कभी नयँ काम कइल व्यक्ति से ओइसने काम के प्रत्याशा करना विचित्र होते हल, जइसन काम नियमानुसार एगो असली कार्मिक के देल जा हलइ । लेकिन ई "रियायत" हमेशे नयँ बरतल जा हलइ, कभी बरतलो जा हलइ त चुपके-चोरी - ई बात पर बाहर से कड़ाई से नजर रक्खल जा हलइ । बहुत अकसर भारी काम करे पड़ऽ हलइ, आउ तब, जाहिर हइ, कुलीन लोग के दोगना भार सहे पड़ऽ हलइ, बनिस्बत दोसर कार्मिक लोग के । सिलखड़ी के काम पर साधारणतः तीन-चार लोग के नियत कइल जा हलइ, वृद्ध चाहे दुर्बल लोग के, जाहिर हइ, हमन्हिंयों ओकरा में शामिल हलिअइ; आउ, एकरा अलावे, काम के जानकार, एगो असली कार्मिक के भी भेजल जा हलइ । साधारणतः हमेशे एक्के आउ ओहे अदमी जा हलइ, कइएक साल तक लगातार, अलमाज़ोव, जे कठोर, सामर आउ दुब्बर-पातर अदमी हलइ, वइसगर हो चुकले हल, आउ गैर-मिलनसार आउ चिड़चिड़ा हलइ ।  ऊ हमन्हीं से बहुत जादे नफरत करऽ हलइ । लेकिन, ऊ बहुत अल्पभाषी हलइ, एतना हद तक, कि ऊ हमन्हीं पर भुनभुनाहूँ में आसकत करऽ हलइ । ऊ शेड, जेकरा में सिलखड़ी जलाके कुट्टल जा हलइ, नद्दी के निर्जन आउ ढालू किनरवे पर हलइ । जाड़ा में, खास करके धुंधला दिन में, नद्दी दने आउ सामने वला दूर के किनारा दने देखना नीरस लगऽ हलइ । ई वहशी आउ निर्जन प्राकृतिक दृश्य (landscape) में कुछ तो विषादपूर्ण आउ हृदयविदारक हलइ । लेकिन लगभग जादे अधिक कष्टकारी होवऽ हलइ, जब बरफ के असीम उज्जर चादर (आवरण) पर तीव्र रूप से सूरज चमकऽ हलइ; ई स्तेप (घास के बृहत् मैदान) में कहीं उड़के जाय के केतना मन करते हल, जे दोसरा किनारा पर से शुरू होके दक्खिन में डेढ़ हजार विर्स्ता तक टेबुल के एगो विस्तृत चादर नियन पसरल हलइ । अलमाज़ोव साधारणतः चुपचाप आउ परिश्रमपूर्वक काम चालू कर दे हलइ; हमन्हीं के तो जइसे लाज बरऽ हलइ, कि ओकरा वास्तविक रूप से मदत नयँ कर पावऽ हिअइ, लेकिन ऊ जानबूझके अकेलहीं काम निपटावऽ हलइ, जानबूझके हमन्हीं से कोय मदत नयँ माँगऽ हलइ, मानूँ ई वजह से, कि हमन्हीं ओकरा सामने अपन सारा दोष (खामी) के अनुभव करऽ हिअइ आउ खुद के निकम्मापन के स्वीकार करऽ हिअइ । आउ कुल्लम जे कुछ काम हलइ, ऊ हलइ भट्ठी (kiln) के गरम करना, ताकि ओकरा में भरल सिलखड़ी के जलावल जाय, जे हमन्हिंएँ ओकरा लगी लाके देते जा हलिअइ । दोसरहीं दिन, जब सिलखड़ी पूरा पक चुकऽ हलइ, त भट्ठी से एकरा निकासना शुरू कइल जा हलइ । हमन्हीं में से हरेक कोय एगो भारी मुँगड़ी (मुँगरी) ले हलइ, एगो विशेष तरह के बक्सा में सिलखड़ी भरऽ हलइ आउ एकरा कुट्टे के काम चालू कर दे हलइ । ई बहुत रोचक काम हलइ । खस्ता (भंगुर, brittle) सिलखड़ी तेजी से उज्जर चमकीला चूर्ण में बदल जा हलइ, बड़ी असानी से, बड़ी निम्मन तरह से चूर-चूर हो जा हलइ । हमन्हीं भारी मुँगड़ी के चलावऽ हलिअइ आउ अइसन चर-चर अवाज करऽ हलिअइ, कि हमन्हीं के खुद्दे निम्मन लगऽ हलइ । आउ आखिरकार हमन्हीं थक जा हलिअइ, आउ साथे-साथ मन हलका लगे लगऽ हलइ; गाल लाल हो जा हलइ, रक्त संचालन तीव्रतर हो जा हलइ । हियाँ परी अलमाज़ोव हमन्हीं दने दयालु दृष्टि से देखे लगइ, जइसन कि कम उमर के बुतरुअन दने देखल जा हइ; चैन से अपन पाइप पीए लगइ आउ तइयो जब ऊ मुँह खोलइ, त बिन भुनभुनइते नयँ रहइ । लेकिन ऊ सब्भे लगी ओइसीं हलइ, हलाँकि वास्तव में, लगऽ हइ, ऊ निम्मन अदमी हलइ।

दोसर काम, जेकरा लगी हमरा भेजल जा हलइ, वर्कशॉप में शाण के चक्का घुमावे के हलइ । चक्का बड़का गो आउ भारी हलइ । एकरा घुमावे लगी बड़गो शक्ति के जरूरत होवऽ हलइ, विशेष करके जब (इंजीनियरी मेकेनिक में से) कोय खरादी (टर्नर) कोय अधिकारी लगी सरकारी फर्नीचर खातिर कुच्छो, जइसे ज़ीना के डंडा चाहे बड़गो टेबुल के टाँग, गढ़ऽ हलइ, जेकरा लगी लगभग एगो बड़गो लट्ठा (log) के जरूरत होवऽ हलइ । अइसन परिस्थिति में कोय एक अदमी के ताकत से चक्का घुम्मे वला नयँ हलइ, आउ साधारणतः दूगो के भेजल जा हलइ - हमरा आउ एगो आउ कुलीन घराना से, (जेकरा हम) बी॰ (नाम से व्यक्त करऽ हिअइ) [2] । त ई काम लगातार कुछ साल तक हमन्हीं दुन्नु के देल जा हलइ, अगर कुच्छो घुमावे के रहऽ हलइ । बी॰ जरी कमजोर हलइ, दुर्बल व्यक्ति, अभियो तरुण, जेकरा छाती के तकलीफ हलइ । ऊ हमरा से एक साल पहिले जेल में अइले हल, अपन दूगो साथी के साथ - एगो वृद्ध, जे अपन जेल के पूरे जिनगी के दौरान दिन-रात भगमान के प्रार्थना करते रहऽ हलइ (जेकरा चलते कैदी लोग ओकरा आदर करऽ हलइ) आउ जे हमर जेल के जिनगी के दौराने मर गेले हल, आउ एगो दोसरा के साथ, जे अभियो बहुत तरुण हलइ, एगो जोशीला, गुलाबी रंग के, शक्तिशाली, साहसी व्यक्ति हलइ, जे रस्ता में आधे दूरी पर थकके चूर हो गेल बी॰ के ढोके लइलके हल, जे लगातार सात सो विर्स्ता के दूरी हलइ । ओकन्हीं दुन्नु के बीच आपस के दोस्ती देखे लायक हलइ । बी॰ एगो उत्तम शिक्षा प्राप्त कइल व्यक्ति हलइ, उदार, उच्च सहृदयता के चरित्र वला, लेकिन रोग से जर्जर आउ चिड़चिड़ा । चक्का के हमन्हीं दुन्नु साथे मिलके चलावऽ हलिअइ, आउ ई काम हमन्हीं दुन्नु लगी रोचक हलइ । ई काम हमरा लगी एगो उत्तम व्यायाम हलइ । खास करके बेलचा से बरफ हटाना भी हमरा पसीन पड़ऽ हलइ । ई साधारणतः बर्फीला तूफान (blizzard) के बाद होवऽ हलइ, आउ जादे अकसर जाड़ा में होवऽ हलइ । दिन-रात के बर्फीला तूफान के बाद कुछ घर के आधा खिड़की तक बरफ से ढँक जा हलइ, आउ कुछ तो लगभग बिलकुल ढँक जा हलइ । तब, जइसीं बर्फीला तूफान शांत हो जा हलइ आउ सूरज देखाय देवे लगऽ हलइ, हमन्हीं के बड़गर-बड़गर समूह में भेज देवल जा हलइ, आउ कभी-कभी तो जेल के पूरे कैदी लोग के - सरकारी बिल्डिंग पर से बरफ के ढेर के बेलचा से हटावे लगी । हरेक कोय के एगो चपड़ा देल जा हलइ, एक काम पूरे समूह के देल जा हलइ, कभी-कभी तो अइसन, कि अचरज होवऽ हलइ, कि कइसे एकरा पूरा कइल जाय, आउ सब कोय एकजुट होके काम में लग जाय । भुरभुरा अभी-अभी के पड़ल आउ उपरौका सतह पर जरी सुन जम्मल बरफ असानी से पूरा चपड़ा भर उठ जा हलइ, आउ फेंकला पर चारो तरफ बिखर जा हलइ, आउ हवा में रहते बखत चमकीला चूर्ण के रूप में देखाय दे हलइ । सूरज के किरण में बरफ के चमकइत उज्जर ढेर चपड़ा से असानी से कट जा हलइ । कैदी लोग लगभग हमेशे प्रसन्नतापूर्वक ई काम करते जा हलइ । जाड़ा के ताजा हावा आउ काम के गति ओकन्हीं के गरमा दे हलइ । सब कोय अधिक प्रसन्न हो जा हलइ; ठहाका, चीख, हँसी-मजाक सुनाय दे हलइ । बरफ के गोला से खेले लगऽ हलिअइ, जाहिर हइ, एहो थोड़े-बहुत सही हइ, कि मिनट भर के बाद विचारशील लोग चिल्लाना बन कर देते जा हलइ, आउ हँसी-खुशी पर गोस्सा करे लगऽ हलइ, आउ सामान्य उमंग साधारणतः डाँट-फटकार आउ गारी-गल्लम से अंत होवऽ हलइ ।

धीरे-धीरे हम अपन जान-पहचान के मंडली (circle) बढ़ावे लगलिअइ । हलाँकि, हम खुद परिचय के बारे नयँ सोचऽ हलिअइ - हम अभियो बेचैन, उदास आउ अविश्वासी हलिअइ । हमर जान-पहचान अपने आप शुरू होलइ। प्रारंभिक लोग में से हमरा पास कैदी पित्रोव भेंट करे लगी आवे लगलइ । हम कह रहलिए ह भेंट करे लगी आउ विशेष रूप से हम ई शब्द पर जोर दे हिअइ । पित्रोव विशेष विभाग में रहऽ हलइ आउ हमरा से सबसे दूर के बैरक में । हमन्हीं दुन्नु के बीच, प्रतीयमानतः (apparently), कोय संबंध नयँ हो सकऽ हलइ; आउ हमन्हीं बीच कुच्छो सामान्य (common) न हलइ आउ न हो सकऽ हलइ । आउ तइयो, ई पहिलौका समय में पित्रोव मानूँ अपन कर्तव्य समझके लगभग हर रोज हमरा से बैरक में मिल्ले लगी आवऽ हलइ, चाहे फुरसत के बखत जब हम बैरक के पीछू, यथासंभव सब कोय के नजर से दूर, घूमते-फिरते रहऽ हलिअइ, त ऊ हमरा रोक ले हलइ । शुरू-शुरू में हमरा ई अच्छा नयँ लगऽ हलइ । लेकिन ऊ कइसूँ आखिर अइसन करे में सफल हो गेलइ, कि जल्दीए भेंट-मोलकात लगी ओकर आना हमर मन फेर देलकइ, ई बात के बावजूद कि ई बिलकुल विशेष मिलनसार आउ बातूनी अदमी नयँ हलइ । देखे में ऊ गर-उँचगर, मजबूत काठी के, धूर्त, चंचल, चेहरा से काफी मनोहर, पीयर हलइ, आउ चौड़गर गंडास्थि (cheek-bones), साहसी नजर, उज्जर साफ आउ नियमित (close-set) दाँत वला हलइ, ओकर निचला होंठ के पीछू हमेशे चुटकी भर चूर्ण तमाकू (खैनी) रहऽ हलइ । होंठ के पीछू तमाकू रखना कइएक कैदी के आदत हलइ । ऊ अपन उमर से जादे तरुण लगऽ हलइ । ऊ चालीस साल के हलइ, लेकिन देखे में तीस के लगऽ हलइ । ऊ हमरा साथ हमेशे अत्यंत सहजता से बात करऽ हलइ, ऊ हमरा साथ बिलकुल बराबर के हैसियत से व्यवहार करऽ हलइ, मतलब अत्यंत शिष्टता आउ नम्रतापूर्वक । जब ऊ समझ जा हलइ, मसलन, कि हम एकांत चाहऽ हिअइ, त हमरा साथ लगभग दू मिनट बतियाके, तुरतम्मे हमरा छोड़ दे हलइ आउ हरेक तुरी ध्यान से सुन्ने खातिर धन्यवाद दे हलइ, जे, जाहिर हइ, जेल के सब्भे कैदी लोग में से आउ केकरो साथ कभियो नयँ करऽ हलइ । ई कौतूहल के बात हइ, कि अइसने संबंध हमन्हीं दुन्नु बीच खाली पहिलौके कुछ दिन जारी नयँ रहलइ, बल्कि लगातार कइएक साल तक जारी रहलइ आउ लगभग कभियो हमन्हीं बीच घनिष्ठ संबंध नयँ हो पइलइ, हलाँकि वास्तव में ऊ हमरा प्रति अनुरक्त (निष्ठावान) हलइ । हम अभियो निश्चय नयँ कर पावऽ हिअइ - ऊ हमरा हीं से की चाहऽ हलइ, काहे लगी ऊ हमरा हीं रोज दिन भेंट करे लगी आवऽ हलइ ? हलाँकि ऊ बाद में हमरा हीं चोरियो करऽ हलइ, लेकिन ऊ चोरी करऽ हलइ कइसूँ बिन सोचले-समझले; पइसा तो ऊ लगभग कभियो हमरा हीं से नयँ मँगलकइ, मतलब, ऊ हमरा हीं पइसा लगी बिलकुल नयँ आवऽ हलइ, न आउ कउनो स्वार्थवश ।

हम एहो नयँ जानऽ हिअइ, कि काहे हमरा हमेशे अइसन लगऽ हलइ, कि ऊ मानूँ हमरा साथ जेल में बिलकुल नयँ रह रहले हल, बल्कि कहीं दूर दोसर घर में, शहर में, आउ जेल में खाली पास से गुजरते बखत बीच में आ जा हलइ, ताकि समाचार जान सकइ, हमरा से मिल सकइ, ई देख सकइ कि हमन्हींसब कइसे रहऽ हिअइ । हमेशे ओकरा कहीं जाय के जल्दीबाजी रहऽ हलइ, मानूँ कहीं केकरो छोड़के अइले ह आउ हुआँ ऊ ओकर इंतजार करब करऽ हइ, चाहे कहीं परी कुछ तो काम अधूरा छोड़के अइले ह। तइयो मानूँ ऊ बहुत हड़बड़ी में नयँ रहऽ हलइ । ओकर नजरो एक तरह से विचित्र हलइ - निर्निमेष, साहस के झलक आउ एक तरह के व्यंग्य के साथ, लेकिन ऊ कइसूँ नजर में आवल सब कुछ से दूर; मानूँ सब चीज से दुराहूँ, अपन नाक के सीध में, ऊ देखे के प्रयास करऽ हलइ कुछ तो दोसर, आउ अधिक दूर में । ई ओकरा एगो अन्यमनस्क रूप (look) दे हलइ । हम कभी-कभी जानबूझके देखऽ हलिअइ - हमरा हीं से पित्रोव काहाँ जा हइ ? काहाँ ओकरा इंतजार कइल जा हइ ? लेकिन हमरा भिर से ऊ तेजी से कहीं बैरक दने, चाहे भनसाघर में चल जाय, हुआँ गपशप करते लोग में से केकरो बगली में बइठ जाय, ध्यान से सुन्नइ, कभी-कभी ऊ खुद गरमजोशी के साथ गपशप में शामिल हो जाय, लेकिन बाद में अचानक बोलना बन कर देइ आउ चुप हो जाय । लेकिन ऊ चाहे बात करइ, चाहे चुपचाप बइठल रहइ, आउ तइयो ई प्रतीत होवइ, कि ऊ खाली अइसीं, बीच रस्ता में गुजरते अइसन करऽ हइ, कि कहीं तो हुआँ ओकरा काम हइ आउ हुआँ ओकर इंतजार कइल जा रहले ह । सबसे विचित्र ई लगइ, कि ओकरा कभियो कोय काम नयँ रहइ, कइसनो नयँ; ऊ बिलकुल अइसे जीअइ, मानूँ ओकरा फुरसते फुरसत हइ (जाहिर हइ, सरकारी काम छोड़के) । कोय काम-धंधा नयँ जानऽ हलइ, आउ पइसा ओकरा पास कभियो नयँ रहऽ हलइ । लेकिन ऊ पइसा के जादे फिकिर नयँ करऽ हलइ । आउ कउची के बारे हमरा से बात करऽ हलइ ? ओकर बातचीत ओकरे नियन विचित्र होवऽ हलइ । जब ऊ देखइ, मसलन, कि हम जेल के पिछुआनी में कहीं पर अकेल्ले घूम-फिर रहलिए ह, कि अचानक हमरा दने मुड़ जाय । ऊ हमेशे तेजी से चल्लऽ हलइ, आउ मुड़वो करऽ हलइ एकाएक । डेग बढ़इते आवइ, लेकिन लगइ, जइसे ऊ दौड़ब करऽ हइ ।
"प्रणाम !"
"प्रणाम !"
"हम अपने के बाधा तो नयँ डाल रहलिए ह ?"
"नयँ ।"
"हम अपने के नेपोलियन के बारे पुच्छे लगी चाहऽ हलिअइ । वस्तुतः ऊ एगो ओक्कर रिश्तेदार हलइ, जे सन् 12 (अर्थात् 1812) में हियाँ अइले हल न ?" (पित्रोव एगो कान्तोनिस्त [3] आउ पढ़ल-लिक्खल हलइ ।)
"हाँ, एगो रिश्तेदार ।"
"कहल जा हइ, कि ऊ अध्यक्ष (president) हइ - कइसन अध्यक्ष ?"

हमेशे ऊ प्रश्न तेजी से, आउ अचानक करऽ हलइ, मानूँ ओकरा जल्दी से जल्दी कोय चीज के बारे जाने के रहऽ हलइ । अइसन लगइ कि जइसे कोय तो महत्त्वपूर्ण मामले में अन्वेषण कर रहले ह, जेकरा में जरिक्को सनी देरी नयँ कइल जा सकऽ हइ । हम समझइलिअइ, कि ऊ कइसन अध्यक्ष हइ, आउ आगू बतइलिअइ, कि शायद जल्दीए ऊ सम्राट् बन जइतइ ।
"ई कइसे ?"
आउ यथासंभव ई बात के हम समझइलिअइ । पित्रोव ध्यान से सुनलइ, पूरा-पूरा समझते आउ तेजी से सोचते, आउ (बेहतर से सुन्ने खातिर) हमरा दने अपन कनमो के झुकइते ।
"हूँ, आउ हम ई पुच्छे लगी चाहऽ हलिअइ, अलिक्सांद्र पित्रोविच - की ई सही बात हइ, जइसन कि कहल जा हइ, कि अइसनो वानर होवऽ हइ, जेकर बाँह एड़ी तक लम्मा रहऽ हइ, आउ सबसे लमछड़ अदमी एतना उँचगर रहऽ हइ ?"
"हाँ, अइसन होवऽ हइ ।"
"ई कइसन होवऽ हइ ?"
हम जेतना जानऽ हलिअइ, ओतना समझइलिअइ ।
"आउ ऊ सब काहाँ रहऽ हइ ?"
"गरम प्रदेश में । सुमात्रा के द्वीप में ।"
"ई की अमेरिका में हइ ? लोग के कहना हइ, कि हुआँ के लोग सिर निच्चे करके चल्लऽ हइ, सच हइ ?"
"सिर निच्चे करके नयँ । ई पताल लोक के बारे पूछ रहलथिन ह ।"
हम समझइलिअइ, कि अमेरिका के की मतलब होवऽ हइ, आउ यथासंभव, पताल लोक के बारे । ऊ एतना ध्यान से सुनलकइ, मानूँ जानबूझके खाली पताल लोक के बारे सुन्ने खातिर दौड़ल अइले हल ।
"ओऽ ! आउ अइकी हम पिछले साल काउंटेस ला वाल्येर (Countess la Vallière) के बारे पढ़लिए हल, आरेफ़्येव ऐज्युटेंट से उधार लइलके हल (adjutant - कोय मिलिट्री अफसर, जे अपन वरिष्ठ अधीकारी के प्रशासनिक सहायक होवे) । त की ई सही हइ, कि ई खाली कल्पित हइ ? ई द्यूमा (Duma) के रचना हइ ।"
"जाहिर हइ, कल्पित हइ ।"
"अच्छऽ, चल्लऽ हिअइ । धन्यवाद !"
आउ पित्रोव गायब हो गेलइ, आउ असल में कभियो लगभग अइसने बात के छोड़के आउ कुछ नयँ बात करते गेलिअइ ।

हम ओकरा बारे पूछताछ करे लगलिअइ । एम॰ ई जान-पहचान के बारे जान गेला पर, हमरा सवधानो कइलकइ । ऊ हमरा बतइलकइ, कि कइएक कैदी ओकरा (अर्थात् एम॰) में भय पैदा करऽ हलइ, विशेष करके शुरुआत में, जेल के पहिलौका दिन से, लेकिन न तो ओकन्हीं में से एक्को गो, आउ न तो गाज़िन, ओकर दिमाग में भय के ओइसन छाप छोड़लके हल, जइसन कि ई पित्रोव ।
"सब्भे कैदी लोग के बीच ई सबसे अधिक दृढ़संकल्प, सबसे अधिक निर्भय अदमी हइ", एम॰ बोललइ, "ऊ सब कुछ करे में सक्षम हइ; ऊ कुच्छो मामले में नयँ रुक्कऽ हइ, अगर ओकरा खाली सनक चढ़ जाय । ऊ अपनहूँ के गला रेत दे सकऽ हइ, खाली अगर ओकर दिमाग में ई बात घुस जाय, त सीधे ऊ गला रेत देइ, आउ एकरा लगी ऊ न तो अपन नाक-भौं सिकोड़तइ (हिचकिचइतइ) आउ न पछतइतइ । हमरा तो एहो लगऽ हइ, कि ओकर दिमागो पूरा काम नयँ करऽ हइ ।"

ई विचार हमरा बहुत रोचक लगलइ । लेकिन एम॰ कइसूँ हमरा ई जवाब नयँ दे पइलकइ, कि काहे ओकरा अइसन लगऽ हलइ । आउ ई बात विचित्र हलइ - बाद में कइएक बरिस लगातार हम पित्रोव के जनलिअइ, लगभग रोज दिन ओकरा साथ बात कइलिअइ; हमेशे ऊ हमरा प्रति दिल से लगाव रखलकइ (हलाँकि पक्का हमरा मालूम नयँ कि कउन कारण से) - आउ ई पूरे कइएक बरिस के अवधि के दौरान, हलाँकि ओहो जेल में निम्मन से रहलइ आउ कुच्छो भयानक कर्म नयँ कइलकइ, तइयो हरेक तुरी, ओकर चेहरा के निहारते आउ ओकरा साथ बातचीत करते, हमरा विश्वास हो जा हलइ, कि एम॰ के कहना सही हइ आउ पित्रोव, शायद, बहुत दृढ़संकल्प, बहुत निर्भय आउ अपन उपरे कइसनो प्रकार के बंधन नयँ जाने वला अदमी हइ । काहे हमरा अइसन लगऽ हलइ - एकरो हम कारण नयँ बता सकऽ हिअइ ।

लेकिन, ई उल्लेखनीय हइ, कि ई पित्रोव ओहे हलइ, जे मेजर के जान से मार देवे लगी चहलके हल, जब ओकरा दंडित करे लगी ओकर नाम लेल गेलइ आउ जब मेजर "चमत्कारवश बच गेलइ", जइसन कि कैदी लोग बोलऽ हलइ - ठीक दंड देवे के पहिलहीं ऊ (मेजर) चल गेले हल। दोसरा तुरी, कठोर सश्रम कारावास में आवे के पहिले, घटले हल, जब कर्नल, ड्रिल (परेड) के बखत, ओकरा पर प्रहार कइलके हल । शायद, ओकरा ई घटना के पहिलहूँ कइएक तुरी पिटाय होले हल; लेकिन ई तुरी ऊ बरदास नयँ कर पइलकइ आउ खुल्लल तौर पे, दिन दहाड़े, पूरे रेजिमेंट के सामने अपन कर्नल के हत्या कर देलकइ । लेकिन हमरा ई घटना के पूरा विवरण मालूम नयँ हइ; ऊ कभियो ई बारे हमरा से चर्चा नयँ कइलके हल । वस्तुतः, ई खाली भावावेश (उबाल) हलइ, जब ओकर स्वभाव अचानक पूरे तरह से प्रकट हो गेलइ । लेकिन तइयो अइसन उबाल ओकरा में बहुत विरले होवऽ हलइ । ऊ वास्तव में समझदार आउ शांतिप्रिय भी हलइ । भावावेश ओकरा में गुप्त हलइ, प्रबल आउ ज्वलंत भी; लेकिन ज्वलंत कोयला हमेशे राख से आच्छादित रहऽ हलइ आउ शांति से सुलगते रहऽ हलइ । शेखी आउ घमंड ओकरा में हम लेशमात्र भी नयँ नोटिस कइलिअइ, जइसन कि, मसलन, दोसरा लोग में । ऊ विरले लड़ाय-झगड़ा करऽ हलइ, बल्कि ऊ केकरो साथ विशेष रूप से दोस्ती भी नयँ बरतऽ हलइ, शायद खाली सिरोत्किन के छोड़के, आउ ओहो जब ओकरा ओकर जरूरत रहऽ हलइ। एक तुरी लेकिन हम देखलिअइ, कि ऊ गंभीर रूप से गोसाल हइ । ओकरा कुछ तो नयँ देल गेले हल, कोय प्रकार के चीज; (वितरण करते बखत) ओकर हिस्सा से वंचित कर देल गेले हल । ओकरा साथ बहस कर रहले हल असैनिक विभाग के एगो कैदी-पहलवान वसिली अंतोनोव, जे उँचगर कद के, विद्वेषी, झगड़ालू, हँसोड़ हलइ, आउ कायर तो बिलकुल नयँ हलइ । ओकन्हीं दुन्नु बहुत देर से चिल्लाब करऽ हलइ, आउ हम सोचलिअइ, कि बात जादे से जादे खाली कुछ मुक्का-मुक्की में खतम हो जइतइ, काहेकि पित्रोव हलाँकि बहुत विरले, लेकिन कभी-कभी, सबसे नीच कैदी नियन, झगड़ो करऽ हलइ आउ गारियो-गल्लम । लेकिन ई तुरी ओइसन नयँ होलइ - पित्रोव अचानक पीयर पड़ गेलइ, ओकर होंठ कँप्पे लगलइ आउ जरी नीला पड़ गेलइ; ओकरा साँस लेवे में तकलीफ हो रहले हल । ऊ अपन जगह से उठलइ आउ धीरे-धीरे, बहुत धीरे-धीरे, अपन अश्रवणीय, नंगे कदम के साथ (गरमी में ऊ खाली गोड़ बुल्ले लगी बहुत पसीन करऽ हलइ) अंतोनोव भिर पहुँचलइ । अचानक एक्के तुरी पूरा शोरगुल आउ चीख से भरल बैरक बिलकुल शांत हो गेलइ; एगो मक्खी के उड़के गेलो पर सुनाय पड़ जइते हल । सब कोय इंतजार कर रहले हल, कि अब की होतइ। अंतोनोव ओकरा तरफ उछलके आगू बढ़लइ; ओकर चेहरा पीयर पड़ गेलइ ... हमरा ई देखल पार नयँ लगलइ आउ हम बैरक से बाहर हो गेलिअइ । हमरा लग रहले हल, कि हम ड्योढ़ी के सीढ़ी भी पार नयँ कर पइबइ, कि हमरा गला रेत देल गेल अदमी के चीख सुनाय देतइ । लेकिन अबरी अइसन कुछ नयँ होलइ - अंतोनोव, पित्रोव के ओकरा भिर पहुँच पावे के पहिलहीं, चुपचाप आउ जल्दी से जल्दी विवादित चीज के ओकरा दने फेंक देलकइ। (मामला एक तरह के बिलकुल तुच्छ चीज से संबंधित हलइ, गोड़ में लपेटे वला एक प्रकार के पट्टी ।) जाहिर हइ, लगभग दू मिनट के बाद अंतोनोव तइयो ओकरा जरी मनी गरिअइलकइ, अपन अंतःकरण के स्वच्छ करे खातिर आउ अपन शान रक्खे लगी, ई देखावे लगी, कि ऊ बिलकुल नयँ भयभीत हलइ । लेकिन गारी-गल्लम पर पित्रोव जरिक्को ध्यान नयँ देलकइ, जवाबो नयँ देलकइ - मामला गारी से संबंधित नयँ हलइ आउ ऊ व्यावहारिक रूप से जीत गेले हल; ऊ बहुत संतुष्ट हो गेलइ आउ अपन चीज ले लेलकइ । लगभग पनरह मिनट बाद ऊ पहिलहीं नियन जेल के आसपास घुम्मे-फिरे लगलइ, जइसे कुछ नयँ होले हल आउ मानूँ अइसन माहौल ढूँढ़ रहले हल, कि कहीं लोग जरी अधिक कौतूहल भरल बातचीत शुरू तो नयँ कर रहले ह, ताकि हुआँ ऊ अपन नाक घुसेड़ सकइ आउ सुन्ने लगइ । प्रतीत होवऽ हलइ, जइसे ओकरा सब कुछ दिलचस्प लगऽ हलइ, लेकिन कइसूँ अइसन होलइ, कि सब कुछ में अधिकतर ऊ भावशून्य रहऽ हलइ आउ जेल के इर्द-गिर्द अइसीं बिन काम के घुमते-फिरते रहऽ हलइ, कभी एद्धिर खिंचाल चल जाय, कभी ओद्धिर । ओकरा एगो अइसन कार्मिक से तुलना कइल जा सकऽ हलइ, एगो तगड़ा कार्मिक, जेकरा से काम चुटकी में हो जइतइ, लेकिन जेकरा अभी कोय काम नयँ देल जा हइ, आउ ओहे से आशा में इंतजार कइले बइठल हइ आउ छोटकन बुतरुअन साथ खेलब करऽ हइ । हमरा एहो बात समझ में नयँ आवऽ हलइ, कि ऊ जेल में काहे लगी हकइ, भाग काहे नयँ जा हइ ? ऊ भागे के बारे सोचे में बखतो नयँ गुजारते हल, अगर खाली ओकरा भागे के दृढ़संकल्प होते हल । पित्रोव जइसन लोग पर तर्क हावी तभिए तक रहऽ हइ, जब तक कि ओकन्हीं कुछ चाहऽ हइ नयँ । आउ जब ओकन्हीं के मन में कोय चीज के इच्छा हो जा हइ, त दुनियाँ के कोय बाधा ओकन्हीं के रस्ता में रोड़ा नयँ अटका सकऽ हइ । आउ हमरा ई बात के पक्का विश्वास हइ, कि ऊ चलाँकी से निकस भागते हल, सबके चकमा दे सकते हल, कहीं जंगल में चाहे कोय नदी के सरपत (reed) में छिप्पल सप्ताहो भर बिन रोटी के रह सकते हल । लेकिन, स्पष्टतः, ई विचार ओकर दिमाग में घुसलइ नयँ आउ पूरे तरह से अइसन चाहऽ नयँ हलइ । हम ओकरा में कभियो बड़गो तर्कशक्ति, सुस्पष्ट सहज बुद्धि (marked common sense) नोटिस नयँ कइलिअइ । अइसन लोग अइसीं पैदे होते जा हइ एक्के धारणा के साथ, जे समुच्चे जिनगी अनजाने में ओकन्हीं के एन्ने-ओन्ने चलइते रहऽ हइ; ओइसीं ओकन्हीं एन्ने-ओन्ने भटकते रहऽ हइ, जब तक कि अपन मन लायक लक्ष्य नयँ खोज लेते जा हइ; तब ओकन्हीं कइसनो नतीजा के परवाह नयँ करऽ हइ । कभी-कभी हमरा अचरज होवऽ हलइ, कि कइसे ई अदमी, जे अपन अधिकारी के एगो फटका पर गला रेत देलकइ, बिन कुछ चूँ-चाँ कइले हमन्हीं हीं (अर्थात् जेल में) कोड़ा के मार सहे लगी आत्मसमर्पण कर दे हइ । ओकरा कभी-कभी फटको पड़ऽ हलइ, जब ऊ दारू के तस्करी में पकड़ा जा हलइ । बाकी सब, बिन धंधा के कैदी नियन, ऊ कभी-कभी तस्करी करके जेल में दारू ले आवऽ हलइ । लेकिन ऊ कोड़ा के मार खाय लगी मानूँ खुद अपन सहमति से तैयार हो जा हलइ, मतलब जइसे ई बात के ऊ समझऽ हलइ, कि मामला की हइ; एकर विपरीत परिस्थिति में, ऊ कभियो दंडित होवे लगी तैयार नयँ होते हल, चाहे ओकरा मार काहे नयँ देल जाय । हमरा तभियो अचरज होवइ, जब ऊ, हमरा में स्पष्ट रूप से लगाव के बावजूद, हमरा हीं चोरी करऽ हलइ । ऊ अइसन मानूँ मूड अइला पर करऽ हलइ । ई ओहे हलइ जे हमर बाइबिल चोरा लेलकइ, जे हम ओकरा एक जगह से दोसरा जगह ले जाय लगी देलिए हल । कुछ हीं डेग के रस्ता हलइ, लेकिन रस्ते में ओकरा एगो खरीदार पावे के मोक्का मिल गेलइ, आउ ओकरा बेच देलकइ आउ तुरतम्मे मिल्लल पइसा के पी-पाके फूँक देलकइ । स्पष्टतः ओकरा पीए के बहुत मन हो गेले हल, आउ कुच्छो बहुत मन कर गेलइ, त एकर पूर्ति होवहीं के चाही हल । त ई अइसन प्रकार के हलइ, जे खाली पचीस कोपेक  खातिर एगो अदमी के गला रेत देतइ, ताकि ई पचीस कोपेक में एक चौथाई लीटर वला गिलास के दारू पी लेइ, हलाँकि दोसर बखत कोय एक लाख (रूबल) लेले गुजर रहल अदमी के भी छोड़ देतइ । सँझिया के ऊ खुद्दे हमरा चोरी के बारे बता देलकइ, खाली बिन कोय संकोच आउ पछतावा के, बिलकुल भावशून्य मुद्रा में, जइसे कि कोय सामान्य घटना होवइ । हम ओकरा अच्छा से बात सुनावे के कोशिश कइलिअइ; हमरा अपन बाइबिल खोवे के अफसोस होल । ऊ बिन कोय नराजगी के सुनते रहलइ, बल्कि बहुत शांति से भी; सहमत होलइ, कि बाइबिल बहुत उपयोगी पुस्तक हइ, दिल से खेद प्रकट कइलकइ, कि ऊ हमरा पास अब नयँ हइ, लेकिन ई बात के ओकरा कोय खेद नयँ हलइ, कि एकरा ऊ चोरइलके हल; ऊ हमरा तरफ अइसन आत्मविश्वास से एकटक देख रहले हल, कि हम तुरतम्मे ओकरा झिड़की देवे लगी बन कर देलिअइ । हमर झिड़की तो ऊ बरदास कर लेलकइ, शायद ई सोचके, कि अइसन काम के चलते झिड़की सुनावे बेगर नयँ रहल जा सकऽ हइ, ताकि, जइसन कि कहल जा हइ, बात सुनइला से जरी दिल के भार उतर जा हइ आउ मन शांत हो जा हइ; लेकिन असल में ई सब बकवास हलइ, अइसन बकवास, कि एगो गंभीर व्यक्ति लगी एकरा बारे बोलना शरम के बात हलइ । हमरा लगऽ हइ, कि ऊ हमरा एक तरह से एगो बुतरू समझऽ हलइ, लगभग एगो फोहवा, जेकरा दुनियाँ के सबसे असानो बात समझ में नयँ आवऽ हइ । यदि, उदाहरणस्वरूप, हम खुद ओकरा साथ कोय चीज के बारे, विज्ञान आउ पुस्तक के बात छोड़के, बात करे लगऽ हलिअइ, त ऊ वास्तव में हमरा उत्तर दे हलइ, लेकिन मानूँ खाली नम्रता के कारण, अपन उत्तर के कम से कम शब्द में सीमित रखके । अकसर हम खुद के सवाल करऽ हलिअइ - ओकरा ई सब किताबी ज्ञान से की मतलब हलइ, जेकरा बारे ऊ साधारणतः पूछते रहऽ हलइ ? कभी-कभी अइसन होवऽ हलइ, कि ई सब बातचीत के दौरान हम नयँ-नयँ आउ फेर ओकरा तिरछा नजर से देखिअइ - कहीं ऊ हमरा पर हँस तो नयँ रहले ह ? लेकिन नयँ; साधारणतः ऊ गंभीरतापूर्वक सुन्नऽ हलइ, ध्यान से, लेकिन हलाँकि, ओतना नयँ, आउ तब हम अइसन परिस्थिति से झल्ला उठिअइ । ओकर प्रश्न सही-सही (exact), निश्चित रहऽ हलइ, लेकिन कइसूँ ओकरा हमरा हीं से प्राप्त सूचना पर अचरज नयँ होवऽ हलइ, आउ एकरा अन्यमनस्क रूप से ले हलइ - हमरा एहो लगऽ हलइ, कि हमरा बारे ऊ निर्णय कर लेलके हल, जादे समय तक अपन माथा बिन गरम कइले, कि हमरा साथ ओकरा बात नयँ करे के चाही, कि, किताब के बारे चर्चा छोड़के, हमरा कुच्छो दोसर बात समझ में नयँ आवऽ हइ आउ हमरा में समझहूँ के क्षमता नयँ हइ, ओहे से हमरा परेशान करे के कोय बात नयँ हइ ।
हमरा पक्का विश्वास हइ, कि ऊ हमरा पसीनो करऽ हलइ, आउ ई बात हमरा बहुत विचित्र लगलइ । हमरा मालूम नयँ, कि ऊ हमरा अविकसित समझऽ हलइ, पूरा अदमी नयँ, कि हमरा प्रति विशेष तरह के सहानुभूति अनुभव करऽ हलइ, जे सहज रूप से कोय बलवान जीव दोसरा कोय दुर्बल के प्रति अनुभव करऽ हइ, हमरा अइसने दुर्बल समझके । आउ हलाँकि ई सब ओकरा हमरा हीं चोरी करे से रोक नयँ सकलइ, लेकिन, हमरा पक्का विश्वास हइ, कि चोरी करते बखत ओकरा हमरा पर तरस आवऽ होतइ । "ओह !", शायद ऊ सोचलके होत, हमर चीज पर हाथ मारते, "ई कइसन अदमी हइ, जे अपन समान के रक्षा भी नयँ कर सकऽ हइ !" लेकिन शायद एहे लगी तो ऊ हमरा पसीन करऽ हलइ । ऊ खुद्दे हमरा एक तुरी कहलकइ, कइसूँ संयोगवश, कि हम "एगो बहुत उदार हृदय के व्यक्ति हिअइ", आउ "अपने एतना सीधगर हथिन, एतना सीधगर, कि अपने पर हमरा तरस आवऽ हइ । खाली अपने, अलिक्सांद्र पित्रोविच, ई बात मन में नयँ लेथिन", एक मिनट के बाद ऊ बोललइ, "हम ई बात अइसीं दिल से कहलिअइ ।"

अइसन लोग के साथ कभी-कभी जिनगी में होवऽ हइ, कि ओकन्हीं अचानक प्रचंड आउ बड़गो रूप में सामने आवऽ हइ आउ कइसनो उच्च सार्वजनिक आंदोलन चाहे क्रांति के बखत दृष्टिगोचर होवऽ हइ आउ ई तरह एकाएक अपन पूर्ण सक्रिय रूप में आ जा हइ । ओकन्हीं, शब्द के लोग नयँ होते जा हइ (अर्थात् अल्पभाषी होवऽ हइ) आउ (कोय आंदोलन चाहे क्रांति जइसन) बड़गर काम के दुष्प्रेरक (उसकावे वला) आउ मुख्य नेता नयँ हो सकऽ हइ; लेकिन ओकन्हीं ओकर मुख्य निष्पादक (कार्यपालक) होवऽ हइ आउ काम शुरू करे में आगू रहऽ हइ । बिलकुल सहज ढंग से शुरू करऽ हइ, बिन कोय विशेष उद्घोष के, लेकिन सबसे पहिले मुख्य बाधा के पार करऽ हइ, बिन कुछ विचार कइले, बिन कोय भय के, सीधे अपन गोड़ पर जइते - आउ बाकी सब्भे ओकर पीछू-पीछू टूट पड़ऽ हइ आउ आँख मूनके आगू बढ़ऽ हइ, बिलकुल अंतिम देवाल तक जा हइ, जाहाँ परी साधारणतः अपन प्राण त्याग दे हइ । हमरा विश्वास नयँ हइ, कि पित्रोव के अंत शांतिमय होतइ; ऊ कोय क्षण अचानक खतम हो जइतइ, आउ अभी तक अगर ऊ नयँ मर पइले ह, त एकर मतलब हइ, कि ओकर समय अभी नयँ अइले ह । लेकिन केऽ जानऽ हइ ? शायद, केश उज्जर होवे तक जीतइ आउ बुढ़ारी में बिलकुल शांति से मरतइ, बिन कोय उद्देश्य के एन्ने-ओन्ने भटकते । लेकिन, हमरा लगऽ हइ, कि एम॰ सही हलइ, जब ऊ कहलके हल, कि सब्भे कैदी के बीच ऊ सबसे अधिक दृढ़संकल्प व्यक्ति हइ ।




सूची            पिछला                     अगला

No comments: