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Tuesday, January 12, 2016

रूसी उपन्यास "कालापानी" - भाग-1; अध्याय-8: दृढ़संकल्प लोग – लूचका



कालापानी
(साइबेरिया में जेल के जिनगी)

भाग-1; अध्याय-8: दृढ़संकल्प लोग – लूचका

दृढ़संकल्प लोग के बारे कुछ राय देना कठिन हइ; सगरो नियन जेल में ओकन्हीं के संख्या काफी कम हलइ । बाहर से देखे में, शायद, भयंकर अदमी भी लग सकऽ हइ; अगर कभी-कभार कल्पना कइल जाय, जे ओकरा बारे कहल जा हइ, त ओकरा से दूर रहल जा सकऽ हइ । एक प्रकार के अचेतन भावना शुरू-शुरू में हमरा अइसन लोग से बचके रहे लगी बाध्य कर देलकइ । बाद में सबसे भयंकर हत्यारा के मामले में भी हमर विचार बहुत कुछ बदल गेलइ । कुछ अइसनो हलइ, जे कोय हत्या नयँ कइलके हल, लेकिन दोसर अइसन कैदी से जादे भयंकर हलइ, जे छो-छो हत्या करके अइले हल । कुछ अपराध के मामले में बिलकुल प्रारंभिक राय भी बनाना मोसकिल हलइ - एतना हद तक ओकर निष्पादन में बहुत कुछ विचित्र हलइ । हम एहे लगी कहऽ हिअइ, कि हमन्हीं हीं सामान्य लोग के बीच कुछ हत्या के मामला बहुत आश्चर्यजनक कारण से होवऽ हइ । मसलन, अइसनो तरह के, आउ बहुत अकसर भी, हत्यारा के अस्तित्व हइ - अइसन अदमी चुपचाप आउ शांत रहऽ हइ । भाग्य कटु हइ - बरदास करऽ हइ । मान लेल जाय कि ऊ देहाती, घर के नौकर, कार्मिक चाहे सैनिक हइ । अचानक ओकरा साथ कुछ गड़बड़ हो गेलइ; ऊ बरदास नयँ कर पइलकइ आउ अपन दुश्मन आउ यातना देवे वला के छूरी भोंक देलकइ। हिएँ तो विचित्रता शुरू होवऽ हइ - कुछ समय लगी ऊ अदमी सब्भे सीमा के लाँघ जा हइ । सबसे पहिले ऊ गला रेतलकइ अत्याचारी के, अपन दुश्मन के; ई हलाँकि अपराध हइ, लेकिन बोधगम्य हइ; हियाँ परी एगो कारण (motive) हलइ; लेकिन बाद में ऊ गला रेत दे हइ दुश्मन लोग के नयँ, पहिले जे कोय ऐरा गैरा नत्थू खैरा मिल जा हइ ओकर गला रेत दे हइ, गला रेत दे हइ मनोरंजन खातिर, कोय रूखा शब्द पर, एगो नजर पर, शिकार के संख्या बराबर करे लगी, चाहे खाली ई बात लगी - "रस्ता से हट जो, बीच में मत आव, हम आ रहलियो ह !" ऊ मानूँ पीयल अदमी हइ, मानूँ सरसाम (delirium) में हइ । मानूँ एक तुरी पवित्र सीमा रेखा लाँघ गेला पर, ऊ अब अइसन चीज पसीन करे लगऽ हइ, जे अब ओकरा लगी बिलकुल पवित्र नयँ हइ; मानूँ एकरा धोखाड़ दे हइ एक्के तुरी सब्भे नियम-कानून के उल्लंघन करे लगी आउ प्रशासन के चुनौती देवे लगी, बिलकुल बेलगाम आउ असीम स्वतंत्रता के आनंद उठावे लगी, भय से दिल के कुम्हलाहट पर आनंद उठावे लगी, जेकरा खुद्दे नयँ अनुभव करना असंभव हलइ । एकरा अलावे ऊ एहो जानऽ हइ, कि ओकरा लगी भयंकर दंड प्रतीक्षा कर रहले ह । ई सब कुछ शायद ऊ संवेदना नियन हइ, जब अदमी उँचगर मीनार से हुलकके अपन गोड़ के निच्चे गहराई तरफ देखऽ हइ, ताकि आखिरकार सिर के बल निच्चे तरफ कूद जाय में खुशी होतइ - आउ जल्दी से जल्दी मामला के अंत हो जइतइ ! आउ ई सब कुछ सबसे शांतिप्रिय आउ बिलकुल सामान्य लोग के साथ भी पहिले होते रहले ह । ओकन्हीं में से कुछ लोग खुद के ई मामला में देखावा करऽ हइ । पहिले जेतना अधिक दबावल गेले हल, ओतने अधिक देखावा करऽ हइ, शेखी बघारऽ हइ, आउ लोग के बीच आतंक पैदा करऽ हइ । ओकरा ई आतंक में आनंद मिल्लऽ हइ, आउ ओकरा चलते दोसरा लोग के ओकरा प्रति जे घृणा उत्पन्न होवऽ हइ, ऊ ओकरा निम्मन लगऽ हइ । ऊ एक प्रकार के निराशा के देखावा करऽ हइ, आउ अइसन "निराश" कभी-कभी खुद्दे अपन दंड में शीघ्रता लावऽ हइ, प्रतीक्षा करऽ हइ, कि एकर निर्णय हो जाय, काहेकि आखिरकार ओकरा ई देखावा के निराशा के लम्मा समय तक ढोना बहुत भारी पड़ऽ हइ । विचित्र बात हइ, कि अधिकतर हालत में ई सब मनोदशा, ई सब देखावा, बिलकुल टिकठी (फाँसी के तख्ता, scaffold) भिर पहुँचे तक जारी रहऽ हइ, आउ फेर मानूँ एकाएक कट जा हइ - जइसे वस्तुतः ई अवधि कइसूँ निर्धारित हइ, मानूँ पहिलहीं से अइसन कानून लगी निश्चित कइल हइ । हियाँ परी अदमी अचानक आत्मसमर्पण कर दे हइ, शांत पड़ जा हइ, एक प्रकार से गुदड़ी में बदल जा हइ । टिकठी पर ऊ बहुत कन्नऽ हइ - लोग से माफी माँगऽ हइ । जेल आवऽ हइ, आउ देखऽ हइ - अइसन बेढंगा, अइसन गंदा, सहमल भी रहऽ हइ, कि ओकरा देखके अचरज होतो - "की ई ओहे हइ, जे पाँच-छो लोग के गला रेत देलके हल ?"  

वस्तुतः, कुछ लोग जेल में तुरतम्मे नयँ झुक्कऽ हइ । अभियो एक तरह के शेखी रह जा हइ, एक तरह के घमंड; जे मानूँ कह रहल होवे, "हम ऊ नयँ हिअइ, जे तूँ सोच रहलहो ह; हम 'छो गो के मारके अइलिए ह' " । लेकिन आखिर में तइयो शांत पड़ जा हइ । कभी-कभी खाली खुद के मन बहलइतइ, अपन साहसी क्रियाकलाप, अपन रंगरेली के आद करके, जे पहिले ओकर जिनगी में मनावे के अवसर मिलले हल, जब ऊ "निराश अवस्था" में हलइ, आउ ओकरा बड़ी निम्मन लगऽ हइ, अगर खाली ओकरा कोय सीधा-सादा मिल जा हइ, जेकरा सामने अत्यधिक आदर से पेश आवऽ हइ, डींग हाँकऽ हइ आउ ओकरा अपन उपलब्धि के बारे बतावऽ हइ, लेकिन ओकरा ई भान नयँ होवे दे हइ, कि ओकरा ई सब कुछ बतावे के मन करऽ हइ । मानूँ ऊ कह रहल होवे, "देखहीं, हम कइसन अदमी हलिअइ !"

आउ कइसन सूक्ष्मता से ई अहंकारपूर्ण सावधानी बरतल जा हइ, केतना आसकत से लापरवाह कभी-कभी अइसन खिस्सा रहऽ हइ ! तान (tone) में केतना अध्ययन कइल फैशन रहऽ हइ, कहानी सुनावे वला के हरेक शब्द में ! आउ काहाँ अइसन लोग सिखलकइ !

अइसनकन पहिलौके दिन के दौरान एक तुरी, एक लमगर साँझ के, पटरा वला बिछौना पर अइसीं बेकार आउ उदास पड़ल-पड़ल, हम ओइसने कहानी में से एक कहानी सुनलिअइ आउ कोय अनुभव नयँ रहला से कहानी सुनावे वला के हम कउनो भीमकाय, भयंकर दुर्जन, अनसुन्नल लौहपुरुष मान बइठलिअइ, जबकि तखने पित्रोव के लगभग मजाक उड़इलिअइ । ई कहानी के विषय हलइ, कि कइसे ऊ, लूका कुज़मिच, आउ कुछ दोसर कारण से नयँ, बल्कि अपन मनबहलाव खातिर, एगो मेजर के मार देलके हल । ई लूका कुज़मिच हमन्हीं के बैरक के ठीक ओहे छोटकुन्ना, पतरका, नोकदार नाक वला, नौजवान कैदी हलइ, एगो यूक्रेनी, जेकर हम पहिलहीं उल्लेख कर चुकलिए ह । असल में ऊ रूसी हलइ, खाली दक्खिन में पैदा होले हल, शायद, एगो घरेलू नौकर के रूप में । ओकरा में वस्तुतः कुछ तो सक्रियता आउ घमंड हलइ - "चिरईं तो छोटगर हइ, लेकिन ओकर पंजा तेज हइ" । लेकिन कैदी लोग अपरूपी (सहज ढंग से) अदमी के असलियत भाँप ले हइ । ओकरा लोग बहुत कम आदर करऽ हलइ, चाहे, जइसन कि कठोर सश्रम कारावास में कहल जा हइ, "ओकरा लगी बहुत कम आदर हलइ" । ऊ भयंकर रूप से अहंकारी हलइ । ऊ ई साँझ के पटरा पर बइठल कमीज सी रहले हल । कपड़ा-लत्ता के सिलाई करना ओकर धंधा हलइ । ओकर बगली में पटरा पर बइठल हलइ ओकर पड़ोसी, कैदी कोबिलिन, जे मंदबुद्धि आउ संकीर्ण मस्तिष्क के एगो छोकरा हलइ, लेकिन स्वभाव से निम्मन आउ स्नेहमय, मोटा-ताजा आउ उँचगर हलइ । लूचका, एगो पड़ोसी नियन, अकसर ओकरा साथ झगड़ा करते रहऽ हलइ आउ साधारणतः घमंड, मजाक आउ निरंकुशता से पेश आवऽ हलइ, जेकरा कोबिलिन अपन सीधापन के चलते आंशिक रूप से उपेक्षा कर दे हलइ । ऊ एगो ऊनी पेताबा बुन रहले हल आउ लूचका के शून्यभाव से सुन रहले हल । ऊ काफी जोर-जोर से आउ साफ-साफ अपन कहानी सुना रहले हल । ओकरा मन कर रहले हल, कि सब कोय ओकर बात सुन्नइ, हलाँकि, एकर विपरीत, अइसन ढोंग करे के कोशिश कर रहले हल, कि ऊ खाली कोबिलिन के सुना रहले ह ।
"हमरा तो, भाय, हमर प्रदेश से भेजल गेले हल", सूय घोंपते ऊ शुरू कइलकइ, "चे-व [1] में, शायद आवारागर्दी के कारण ।"
"ई कबके बात हइ, बहुत पहिले के ?" कोबिलिन पुछलकइ ।
"जब केराव पक जइतइ, त हमर दोसरा साल अइतइ (अर्थात् एक साल पूरा हो जइतइ) । हूँ, त जइसीं हमन्हीं का-व [1] पहुँचलिअइ - त हमरा थोड़े समय लगी जेल में डाल देल गेलइ । देखऽ हिअइ - हमरा साथ बारह लोग बइठल हइ, सब यूक्रेनी, उँचगर, तंदुरुस्त, तगड़ा-तगड़ा, अनमन साँढ़ नियन । लेकिन शांत अइसन - भोजन खराब, ओकन्हीं के मेजर नचावइ, जइसन कि महामहिम के हनक (अर्थात् "सनक") होवइ (लूचका जानबूझके शब्द के विकृत कर देइ) । एक दिन बइठिअइ, दोसरा दिन बइठिअइ; देखिअइ - लोग डरपोक हइ । "ई की", हम बोलऽ हिअइ, "ओइसनका घनचक्कर के अइसीं मनमाना करे देते जा हो ?" - "अगर हिम्मत हको, त तूँहीं जाके बतिया ओकरा साथ !" हमरा पर अंदर-अंदर हँसवो करते जा हइ । हम चुप रहऽ हिअइ ।
"आउ एक यूक्रेनी तो बहुत हास्यास्पद हलइ, भाय लोग", ऊ अचानक बात आगू बढ़इलकइ, कोबिलिन के छोड़ते आउ सामान्य रूप से सबके संबोधित करते । बता रहले हल, कि कोर्ट में कइसे ओकर फैसला सुनावल गेलइ आउ ऊ कोर्ट के सामने कइसे बात कर रहले हल, आउ खुद कन्नऽ हइ; बतावऽ हइ, कि ऊ अपन बाल-बुतरू आउ घरवली के पीछू छोड़ देलके हल । खुद उमरगर एतना, उज्जर केश, मोटगर । बोलऽ हइ, "हम ओकरा देखऽ हिअइ - नयँ ! आउ ऊ राक्षस के बेटा, लिखते जा हइ, लिखते जा हइ । हूँ, हम खुद से बोलऽ हिअइ, तोर दम टूट जाव, आउ हम देखिअउ ! लेकिन ऊ खाली लिखते जा हइ, लिखते जा हइ, आउ केतना तीखा अवाज में बोलतइ! ... आउ तब हमर दिमाग गरम हो गेल !" वास्या, जरी धागा तो दे; जेल के (धागा) तो सड़ल हइ ।
"ई बजार के हकउ", धागा देते वास्या जवाब देलकइ ।
"हमन्हीं हीं के सिलाई के दोकान के धागा बेहतर रहऽ हइ । दोसरा दिन अपंग के भेजल गेले हल, आउ ऊ नयँ मालूम कइसन नीच औरत के हियाँ से लावऽ हइ ?" रोशनी में सूय में धागा डालते लूचका बात जारी रखलकइ ।
"अपन सहधर्ममाता से, लगऽ हइ ।"
"लगऽ हइ, अपन सहधर्ममाता से ।"
"त फेर मेजर के की होलइ ?" अब तक बिलकुल भुला देल गेल कोबिलिन पुछलकइ ।

एहे तो खाली लूचका के चाही हल । लेकिन ऊ अभी अपन कहानी जारी नयँ रखलकइ, जइसे मानूँ कोबिलिन ध्यान देवे लायक नयँ हलइ । शांति से ऊ धागा सीधा कइलकइ, शांति आउ आलस से अपन गोड़ मोड़लकइ आउ आखिरकार बोले लगलइ –
“हम आखिरकार अपन यूक्रेनी लोग के उसकइलिअइ, त मेजर के बोलावल गेलइ । आउ हम सुबह में पड़ोसी से झूलिक [शाब्दिक अर्थ ‘ठग’, चोरभाषा में ‘छूरी’ लगी प्रयुक्त] मँगलिअइ, लेलिअइ आउ नुका लेलिअइ, मतलब, हो सकऽ हइ कि कहीं जरूरत पड़ जाय । मेजर आग बबूला हो गेलइ । आवऽ हइ । हम बोलऽ हिअइ, ‘अच्छऽ, डरे के नयँ, यूक्रेनी लोग !’ ओकन्हीं के दिल तो एड़ी में चल गेलइ (अर्थात् ओकन्हीं बहुत डेराऽ गेलइ); अइसीं कँप्पे लगलइ । दौड़ल अइलइ मेजर; नीसा में धुत्त । ‘केऽ हइ हियाँ ! कइसे हइ हियाँ ! हम (तोहन्हीं के) राजा, आउ हमहीं भगमान हिअउ !’ जइसीं ऊ बोललइ – ‘हम राजा, आउ हमहीं भगमान हिअउ’, लूचका बात जारी रखलकइ, ‘त हमहूँ आगू बढ़लिअइ, आउ छूरी हमर आस्तीन में हलइ’ ।"
"नयँ", हम बोलऽ हिअइ, "महामहिम (Your Honour)", आउ खुद धीरे-धीरे आगू बढ़ऽ हिअइ आउ आगू बढ़ते जा हिअइ, "नयँ, ई कइसे हो सकऽ हइ", हम बोलऽ हिअइ, "महामहिम, कि अपने हमन्हीं के राजा आउ भगमानो हो सकऽ हथिन ?"
"ओ ! त ई तूँ हकहीं, त ई तूँ हकहीं ?" मेजर चिल्लइलइ । "विद्रोही !"
"नयँ", हम बोलऽ हिअइ, (आउ खुद लगातार नगीच आउ नगीच जा हिअइ), "नयँ", बोलऽ हिअइ, "महामहिम, ई कइसे हो सकऽ हइ, ई तो अपनहूँ के मालूम हइ, आउ जानऽ हथिन, कि हमन्हीं के भगमान, सर्वशक्तिमान आउ सर्वत्रविद्यमान, एक्के गो हथिन", बोलऽ हिअइ । "आउ हमन्हीं के राजा एगो हथिन, जे हमन्हीं के उपरे खुद भगमाने द्वारा स्थापित हथिन । ऊ, महामहिम", बोलऽ हिअइ, "सम्राट् हथिन । आउ अपने", बोलऽ हिअइ, "महामहिम, खाली मेजर हथिन - हमन्हीं के संचालक, महामहिम, राजा के किरपा से", बोलऽ हिअइ, "आउ अपन सेवा के बल पर ।"
"की-की-की-की !" अइसीं कुड़कुड़ाय लगलइ, बोल नयँ पावऽ हइ, गला रुँध जा हइ । बहुत अचरज हो गेलइ ।
"हाँ, बिलकुल एहे बात हइ", हम बोलऽ हिअइ; आउ हम ओकरा पर टूट पड़लिअइ आउ ठीक पेटवे में समुच्चे छूरी आखिर घोंप देलिअइ । असानी से ई काम हो गेलइ । लोघड़नियाँ खइलकइ आउ खाली गोड़ पटकते रहलइ । हम छूरी फेंक देलिअइ । "देखहो", हम बोलऽ हिअइ, "यूक्रेनी लोग, उठाहो ओकरा अभी !"

हियाँ परी हम एगो विषयांतर (digression) करबइ । अभाग्यवश, "हम राजा, हमहीं भगमान हिअउ" जइसन अभिव्यक्ति आउ कइएक दोसर अइसने पुरनका जमाना में अकसर कइएक कमांडर के बीच प्रचलित हलइ । हम एहो टिप्पणी करे लगी चाहबइ, कि अइसन अभिव्यक्ति के देखावा करना आउ पसीन करना अधिकतर ओहे कमांडर सब करते जा हलइ, जे खुद्दे सबसे निचला पद से उपरे उठले हल । अफसर के पद मानूँ ओकन्हीं के अंदरूनी भाग के पूरा पलट दे हइ, आउ साथे-साथ सिर के भी । कोल्हू के बैल नियन लम्मा समय तक काम करते आउ सब्भे श्रेणी के अधीनता (subordination) से गुजरते, ओकन्हीं अचानक खुद के अफसर, कमांडर, भलमानुस (gentlemen) के रूप में देखते जा हइ, आउ अनभ्यस्तता आउ प्रथम मादकता (intoxication)  के चलते अपन शक्ति आउ महत्त्व के संकल्पना के बहुत जादहीं बढ़ा-चढ़ाके देखावऽ हइ; जाहिर हइ, खाली अपन अधीनस्थ निचला पद पर काम करे वला सब के मामले में । वरिष्ठ अधिकारी के सामने तो ओकन्हीं पहिलहीं नियन चापलूसी करते रहऽ हइ, जे कइएक वरिष्ठ अधिकारी के बिलकुल जरूरत नयँ होवऽ हइ आउ बल्कि प्रतिकूल भी होवऽ हइ । कुछ चापलूस लोग तो विशेष हृदयस्पर्शी आवेग के साथ अपन वरिष्ठ कमांडर लोग के सामने उद्घोषणा करे में शीघ्रता करऽ हइ, कि हलाँकि ओकन्हीं अफसर हइ, तइयो ओकन्हीं निचला पद (रैंक) से हइ, आउ "अपन स्थान हमेशे आद रक्खऽ हइ ।" लेकिन निचला ओहदा के लोग के सापेक्ष ओकन्हीं लगभग असीम शासक के तरह हो जा हलइ । वस्तुतः, आझकल मोसकिल से ओइसन अस्तित्व में हइ, आउ खोजे पर मोसकिल से ओइसन मिल्लऽ हइ, जे चिल्लाके बोलइ - "हम राजा, हमहीं भगमान हिअउ" । लेकिन ई सब के बावजूद, हम तइयो टिप्पणी करबइ, कि कुच्छो कैदी सब के ओतना उत्तेजित नयँ करऽ हइ, आउ सामान्यतः सब्भे निचला ओहदा वला के, जेतना कि अफसर सब के अइसनकन अभिव्यक्ति । आत्मश्लाघा के ई धृष्टता, अपन दंडाभाव (impunity) के बारे अतिरंजित विचार सबसे विनम्र व्यक्ति में भी घृणा उत्पन्न करऽ हइ आउ अंतिम सहन सीमा के बाहर कर दे हइ । भाग्यवश, ई सब अब बित्तल बात हइ, पुरनको जमाना में कड़ाई से प्राधिकारी द्वारा मोकदमा चलावल जा हलइ । ई मामले में हमरा कइएक उदाहरण मालूम हइ ।

आउ साधारणतः कोय तरह के भी तिरस्कारपूर्ण उपेक्षा से, कइसनो तिरस्कारपूर्ण व्यवहार से निचला ओहदा वला चिढ़ जा हइ । कुछ लोग सोचऽ हइ, मसलन, कि अगर कैदी लोग के निम्मन से खिलावल जाय, निम्मन से रक्खल जाय, सब कुछ कानून के अनुसार क्रियान्वित कइल जाय, त बात हुएँ खतम हो जा हइ । एहो भ्रम हइ । हरेक कोय, चाहे ऊ कोय होवइ, चाहे ऊ केतनो अपमानित रहइ, बल्कि सहज रूप से (instinctively) भी, बल्कि अचेतन रूप से भी, तइयो अपन मानवीय गौरव खातिर सम्मान के अपेक्षा करऽ हइ । कैदी खुद जानऽ हइ, कि ऊ कैदी हइ, समाज से बहिष्कृत हइ, आउ प्राधिकारी के सामने अपन स्थान जानऽ हइ; लेकिन कइसनो दागल निशान से, कइसनो बेड़ी से, ओकरा से ई बात भुलवावल नयँ जा सकऽ हइ, कि आखिर ऊ एगो मानव हइ। आउ चूँकि ऊ वास्तव में मानव हइ, त ओहे से ओकरा साथ मानव जइसन व्यवहार कइल जाय के चाही । हे भगमान ! मानवीय व्यवहार तो ओकरो मानव बना दे सकऽ हइ, जेकरा में कब के भगमान के छवि धूमिल हो चुकले ह [2] । ई "अभागल" लोग के साथ तो आउ अधिक मानवीय ढंग से व्यवहार करे के चाही । एहे ओकन्हीं के उद्धार आउ खुशी हइ । हम अइसन निम्मन आउ सहृदय कमांडर से मिललिए ह । हम अइसन प्रभाव देखलिए ह, जे ओकन्हीं ई अपमानित लोग पर डालते गेला ह । कुछ मधुर शब्द - आउ कैदी लोग लगभग नैतिक पुनरुद्धार प्राप्त करते गेलइ । ओकन्हीं, बुतरू नियन, खुश हो गेते गेलइ, आउ बुतरू नियन, प्यार करे लगलइ । हम एगो आउ विचित्रता के बारे ध्यान आकृष्ट करबइ - खुद कैदी लोग प्राधिकारी के तरफ से बहुत जादे अपनापन आउ बहुत जादे कोमलतापूर्वक व्यवहार पसीन नयँ करऽ हइ । ओकरा प्राधिकारी के आदर करे के इच्छा होवऽ हइ, आउ हियाँ परी (अर्थात् अधिक अपनापन आउ कोमलतापूर्वक व्यवहार से) ऊ कइसूँ ओकरा आदर करना बन कर दे हइ । कैदी के ई बात पसीन पड़ऽ हइ, मसलन, कि ओकर कमांडर के बहुत सारा पदक होवइ, कि ऊ देखे में फैशनदार (smart) लगइ, अपन कोय उच्चतर अधिकारी के कृपापात्र रहइ, कि ऊ नियम के प्रति कठोर रहइ, आउ महत्त्वपूर्ण आउ ईमानदार होवइ, आउ अपन सम्मान (dignity) के बनइले रक्खइ । अइसन अफसर के कैदी लोग जादे पसीन करऽ हइ - मतलब, कि अपन सम्मान के सुरक्षित रखले, ओकन्हीं के अपमानित नयँ करइ, मतलब, सब कुछ निम्मन आउ सुंदर हइ ।
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"अच्छऽ, त एकरा लगी तोरा तो, शायद, अच्छा से भूँज देवल गेलो होत ?" शांतिपूर्वक कोबिलिन टिप्पणी कइलकइ ।
"हूँ । भूँज त देवे कइल गेलइ, भाय, ई बात तो सही हइ, कि भूँज देवल गेलइ । अली, कैंची तो जरी दे ! की, भाय लोग, आझ मयदान नयँ हइ ?"
"ओकन्हीं पइसा पी-पाके फूँक देते गेले ह", वास्या टिप्पणी कइलकइ, "अगर पइसा नयँ उड़इते हल, त शायद, होते हल ।"
"अगर ! ई 'अगर' लगी मास्को में सो रूबल देते जा हइ", लूचका टिप्पणी कइलकइ ।
"आउ, लूचका, तोरा कुल मिलाके केतना देते गेलउ ?" कोबिलिन फेर बोललइ ।

"हमरा देल गेलइ, प्यारे दोस्त, एक सो पाँच (फटका) । आउ हम ई कहबो, भाय लोग, वस्तुतः हमरा लगभग मारिए देल गेलो", लूचका बात जारी रखलकइ, फेर से कोबिलिन के (संबोधित करना) छोड़के । "जब हमरा एक सो पाँच (फटका) के फैसला सुनावल गेलइ, त हमरा पूरा वरदी में ले जाल गेलइ । एकर पहिले हम कभियो कोड़ा के मार नयँ अनुभव कइलिए हल । बहुत सारा लोग के भीड़ जामा हो गेलइ, पूरा शहर दौड़ पड़लइ - डाकू के दंड देल जइतइ, मतलब, हत्यारा के । ई लोग भी कइसन मूरख होवऽ हइ, हमरा समझ में नयँ आवऽ हइ, कि कइसे बतावूँ कइसन (मूरख) । तिमोश्का [जल्लाद (लेखक के नोट)] हमर कपड़ा उतरलकइ, हमरा पाड़ देलकइ, आउ चिल्ला हइ - "सँभल जो, कोड़ा लगावे वला हकिअउ !" - हम इंतजार करऽ हिअइ - की होतइ ? जइसीं ऊ पहिला फटका लगावऽ हइ - कि हम चिल्लाय लगी चहलिअइ, मुँह खोललिअइ, लेकिन मुँह से चीख नयँ निकसइ । अवाज, मतलब, रुक गेलइ । जइसीं दोसरा फटका लगइलकइ, हूँ, तब विश्वास करऽ चाहे नयँ करऽ, हमरा तो सुनाइयो नयँ देलकइ, कि कब 'दू' गिन्नल गेलइ । आउ जब होश में अइलिअइ, त सुन्नऽ हिअइ, गिन्नल जा रहले ह - सतरह । अइसे हमरा, भाय लोग, चार तुरी बाद में कोबिला (गरदन आउ हाथ डाले लगी बन्नल खाँच वला बेंच, जेकरा में शारीरिक दंड देवे लगी अपराधी के जकड़ल जा हलइ) से हटावल गेलइ, आध घंटा अराम कइलिअइ - हमरा पर पानी उँड़ेलल गेलइ । सबके तरफ हम आँख फाड़के देखऽ हिअइ आउ सोचऽ हिअइ - "अब तो हम मरे वला हिअइ ..."
"लेकिन मरलहीं तो नयँ न ?" कोबिलिन बचकाना ढंग से पुछलकइ ।
लूचका ओकरा तरफ उपरे से निच्चे तक अत्यंत घृणा भरल दृष्टि से तकलकइ; जोर के ठहाका सुनाय देलकइ ।
"कइसन जड़बुद्धि हइ !"
"अटारी (अर्थात् खोपड़ी) में कुछ ठीक नयँ हइ", लूचका टिप्पणी कइलकइ, जइसे ओकरा खेद होलइ, कि अइसन अदमी से बात कइलकइ ।
"लगऽ हइ, एकर दिमाग फिर गेले ह", वास्या बात के सुदृढ़ कइलकइ ।

लूचका हलाँकि छो लोग के हत्या कइलके हल, लेकिन जेल में कभियो आउ कउनो ओकरा से नयँ डरऽ हलइ, ई बात के बावजूद, कि शायद, ऊ दिल से चाहऽ हलइ कि ओकर भयंकर अदमी के रूप में नाम होवइ ...




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