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Sunday, April 24, 2016

सेल्फी वाला नयका समाजसेवक

[हिंदुस्तान दैनिक पत्रिका में मगही स्तंभ "अरझी-परझी" के अभी यूनिकोड वर्सन ऑनलाइन प्रकाशित नयँ होवे से ई टेक्स्ट गूगल सर्च (या और कोई सर्च इंजिन) से प्रदर्शित (डिस्प्ले) नयँ होवऽ हइ । ई कमी के पूर्ति खातिर एकर यूनिकोड वर्सन 21 अप्रैल 2016 से शुरू कइल जा रहले ह । अगर किनको पास एकरा से पहिले के प्रकाशित लेख उपलब्ध रहइ, त भेजे के कोशिश करथिन, ताकि ओकरा ऑनलाइन सर्चेब्ल यूनिकोड टेक्स्ट के रूप में अपलोड कर देल जाय ।]



21-04-2016 (गुरुवार)

डॉ.अशोक कुमार प्रियदर्शी
मगही लेखक

सेल्फी वाला नयका समाजसेवक

सेल्फी मतलब अप्पना से होवो हय। सेल्फी के सेल्फिश से जोड़ सको हऽ । सेल्फिश के मतलब स्वारथी होवो हय। लेकिन जहिया से स्मार्टफोन आउ ओटोमेटिक कैमरा हाथ में आ गेल हे तहिया से सेल्फी वायरल होल हे । अब जिनखरा देखऽ उ सेल्फी लेवे में मस्त हकै ।

असल सवाल इ हकै कि सेल्फी अब नयका समाज सेवक के हथियार बन गेल हे। हाल इ हे नयका माजसेवक समाज से जादे सेलफिये में बिजी देखाए पड़ रहलथिन हे । एन्ने फोटो खिंचाल अउ ओन्ने सोशल साइट पर इ डला गेल। फेर लाइक अउ कमेंट पाके तय कर लेल जाहे कि समाजसेवा के उनखर ग्राफ केतना ऊपर गेल।

तोहरा पंचायत चुनाव के उदाहरण देखथिन। जे कहियो गांव आउ गरीब से नाता नय रखलथीन उहो अदमी गांववाला के साथ सेल्फी खिंचाके अप्पन चेहरा चमका रहलथीन। कोय अपराधी हकैय कोय माफिया हकैय कोय भ्रष्टाचारी हकै । जे कहियो मानवता से लगाव नञ् रखलथीन। अइसन सउ महानुभाव पंचायत चुनाव में अप्पन पत्नी इया परिवार के जितावे ले गरीब के साथ सेल्फी खिंचा रहला हे। सेल्फी के फैदा इ हे कि फोटो में खोस देखकर सउ के बुझाय लगऽ हे जैसे गाम-गिराम में खाली खोसहाली बरसे हे । भले गाम-गिराम में रहे वलन के हाल पूरे खस्ता होवे। सेल्फी एगो फैदा अउ होल हे कि नयका समाजसेवक के संस्कार बदल गेल हे । एकरा से केकरो कोय फैदा होवे चाहे नञ् बकी ऐंठल रहे वलन के नयका रंग-ढंग से समाज में कुछ दिन राहत जरूर हो जाहे । अब देखथीन, जे कहियो अप्पन माय बाप के आगे भी हाथ नञ् जोड़लथीन हल, उ जनता के बीच में हाथ जोड़के खड़ा हथीन। ठीक हे खाली सेल्फी खिंचवाना उनखर सोच हे । बकी रंग तो बदलल हय ने। राजनीतिये तक इ बीमारी सिमटल नञ् हकै । सेल्फी खिंचावेवाला समाजसेवक के आउ भी केतना अवतार होवो हे । जे अप्पन वेपार से जिनगी भर गाहक आउ करमचारी के खून चूसलका। मिलावटी समान बेचके पइसा कमा लेलका उहो सेल्फीवाला समाजसेवक बनल हथीन। इहे नञ्। अभिभावक के खून चूसके बड़का बिल्डिंग बना लेलका। बुतरूअन के किताब में कमीशन खाके मोटा गेला। उहो दु चार गो कंबल आउ गमछा बांटके सेल्फीवाला समाजसेवक बनल हथीन। सेल्फीवाला बीमारी से कोय अछुता नञ् बचल हे अब। अप्पन सेल्फी पर अप्पन अधिकार हकै । बकी इ सेल्फी में जब समाज के शामिल करो हका तो समाज से सरोकार भी रखे के चाहीं। ऐकर बाद बतावे के जरूरत नञ् पड़तो।

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