विजेट आपके ब्लॉग पर

Friday, May 20, 2016

रूसी उपन्यास "कालापानी" ; भाग-2; अध्याय-7: शिकायत



कालापानी
(साइबेरिया में जेल के जिनगी)

भाग-2; अध्याय-7: शिकायत

ई अध्याय शुरू करते बखत, स्वर्गीय अलिक्सांद्र पित्रोविच गोर्यान्चिकोव के चिट्ठा के संपादक पाठक लोग हेतु निम्नलिखित रिपोर्ट प्रस्तुत करना अपन कर्तव्य समझऽ हथिन ।

"मुर्दाघर के चिट्ठा" के पहिला अध्याय में कुलीन घराना के एगो पितृहन्ता के बारे कुछ शब्द कहल जा चुकले ह । प्रसंगवश, ओकरा अइसन निर्दयता के उदाहरण के रूप में प्रस्तुत कइल गेलइ, जेकरा साथ कैदी लोग कभी-कभी अपन कइल अपराध के बारे बोलते जा हइ । एहो उल्लेख कइल गेलइ, कि कोर्ट के सामने हत्यारा अपन अपराध स्वीकार नयँ कइलकइ, लेकिन ओकर कहानी के सब विवरण जाने वलन लोग के वक्तव्य के आधार पर विचार कइला पर, तथ्य एतना स्पष्ट हलइ, कि ओकर अपराध पर नयँ विश्वास करना असंभव हलइ । एहे लोग "चिट्ठा" के लेखक के बतइलके हल, कि अपराधी के आचरण बिलकुल दुराचारी हलइ, कर्जा में पड़ गेले हल आउ अपन बाप के हत्या कर देलके हल, ओकर बाद उत्तराधिकार के लोभ में । लेकिन, समुच्चा शहर, जाहाँ ई पितृहन्ता नौकरी करऽ हलइ, एहे कहानी सुनइलकइ । ई अंतिम तथ्य के बारे "चिट्ठा" के संपादक के पास विश्वसनीय सूचना हइ । आखिरकार, "चिट्ठा" में बतावल गेले ह, कि जेल में हत्यारा हमेशे अत्युत्तम, अत्यंत प्रसन्न मुद्रा में हलइ; कि ई सनकी, बेपरवाह, हद दर्जा के अविवेकी व्यक्ति हलइ, हलाँकि मूर्ख बिलकुल नयँ हलइ, कि "चिट्ठा" के लेखक कभियो ओकरा में कइसनो विशेष प्रकार के निर्दयता नोटिस नयँ कइलकइ । आउ हिएँ परी ई शब्द जोड़ल हइ - "जाहिर हइ, ई अपराध में हमरा कभियो विश्वास नयँ हलइ ।"

कुछ दिन पहिले "मुर्दाघर के चिट्ठा" के संपादक के साइबेरिया से सूचना मिललइ, कि अपराधी के कहना वास्तव में सही हलइ आउ दस साल तक सश्रम कारावास के यातना बेकारे सहन कइलकइ; कि कोर्ट द्वारा औपचारिक रूप से ओकर निर्दोषता स्थापित कइल गेलइ । असली अपराधी लोग के पता चल गेलइ आउ ओकन्हीं अपन अपराध स्वीकार कर लेलकइ आउ अभागल के जेल से मुक्त कर देल गेलइ । ई समाचार के सच्चाई में संपादक के कोय शक्का नयँ हो सकऽ हइ ...

आउ कुछ एकरा में जोड़े लगी नयँ हइ । ई तथ्य में दुख के पूरा गहराई के बारे, आउ नवयौवन के जिनगी के अइसन भयंकर आरोप से सत्यानाश कर देवे के बारे, उल्लेख करे आउ विस्तृत विवरण देवे के कोय आवश्यकता नयँ हइ । तथ्य बिलकुल स्पष्ट हइ, अपने आप में बिलकुल आश्चर्यजनक हइ ।

हम एहो सोचऽ हिअइ, कि अगर अइसन तथ्य संभव प्रतीत होवइ, त ई संभावना स्वयं मुर्दाघर के विशिष्टता आउ पूर्ण चित्रण में आउ एगो नावा आउ अत्यंत चटकदार विशेषता जोड़ देतइ ।

आउ अब बात आगू बढ़ावऽ हिअइ ।
हम पहिलहीं उल्लेख कर चुकलिए ह, कि हम आखिरकार जेल में अपन परिस्थिति के अनुसार खुद के ढाल लेलिअइ । लेकिन ई "आखिरकार" बहुत दिक्कत आउ यातना से संभव होलइ, बिलकुल धीरे-धीरे । वस्तुतः एकरा लगी हमरा लगभग एक साल के समय के जरूरत पड़लइ, आउ ई हमर जिनगी के सबसे कठिन साल हलइ । ओहे से तो ऊ हमर स्मृतिपटल में एतना समुच्चे रूप में अंकित हो गेलइ । हमरा लगऽ हइ, हमरा ई साल के घंटा-घंटा के घटना आद हइ । हम एहो उल्लेख कइलिए हल, कि दोसरो कैदी लोग अइसन जिनगी के अभ्यस्त नयँ हो पावऽ हलइ । आद पड़ऽ हइ, कि कइसे हम ई पहिलौका साल हम अकसर मने मन सोचते रहऽ हलिअइ - "ओकन्हीं के मामले में की बात हइ, ओकन्हीं के कइसन लगऽ हइ ? की वास्तव में अभ्यस्त हो गेते गेलइ ? की वास्तव में ओकन्हीं शांत हइ ?" ई सब सवाल हमरा बहुत व्यस्त रक्खऽ हलइ । हम पहिलहीं उल्लेख कर चुकलिए ह, कि सब कैदी हियाँ अइसे रहऽ हलइ मानूँ अपन घर में नयँ हइ, बल्कि मानूँ कोय सराय में, अभियान पर, कोय अस्थायी पड़ाव पर । आजीवन कारावास के दंड के रूप में भेजल लोग भी बेचैन रहऽ हलइ चाहे उदास रहऽ हलइ, आउ आवश्यक रूप से ओकन्हीं में से हरेक कोय खुद के बारे लगभग असंभव चीज के सपना देखऽ हलइ । ई हमेशे के बेचैनी, जे हलाँकि चुप्पी में, लेकिन स्पष्ट रूप से, व्यक्त हो रहले हल; ई विचित्र उत्साह आउ अधीरता कभी-कभी अनजाने में अभिव्यक्त आशा, कभी-कभार एतना हद तक बेबुनियाद, कि ऊ मानूँ सरसाम से मिल्लऽ-जुल्लऽ हलइ, आउ जे सबसे जादे अचरज पैदा करऽ हलइ, जे अकसर सबसे व्यावहारिक दृश्यमान बुद्धिमान लोग में मौजूद रहऽ हलइ - ई सब कुछ ई जगह के एगो असाधारण आकृति आउ छाप (appearance and character) दे हलइ, एतना हद तक, कि शायद, एहे सब आकृति (features) ओकर सबसे विशिष्ट गुण हलइ । अइसन महसूस होवऽ हलइ, लगभग प्रथमदृष्ट्या, कि जेल के बाहर अइसन कुछ नयँ हइ । हियाँ सब कोय स्वप्नद्रष्टा हलइ, आउ ई नजर में आवऽ हलइ । ई कष्टदायक रूप से महसूस कइल जा सकऽ हलइ, ठीक ई कारण से, कि स्वप्नात्मकता बहुसंख्यक कैदी लोग के एगो उदास आउ धुंधला, एक प्रकार के अस्वस्थ आकृति (look) प्रदान करऽ हलइ । बड़गर बहुसंख्यक शांत आउ घृणा के हद तक द्वेषी हलइ, अपन आशा के प्रदर्शन पसीन नयँ करऽ हलइ । सलहृदयता, स्पष्टभाषिता के घृणा के दृष्टि से देखल जा हलइ । आशा जेतने अधिक असाध्य रहइ आउ खुद स्वप्नद्रष्टा जेतने अधिक ई असाध्यता के महसूस करइ, ओतने अधिक दृढ़ता आउ पवित्रता से ऊ खुद के बारे छिपावइ, लेकिन ओकरा से अस्वीकार नयँ कर पावइ । केऽ जानऽ हइ, शायद, कोय आंतरिक रूप से ऊ सब के मामले में लज्जित महसूस करऽ हलइ । रूसी व्यक्ति में दृष्टिकोण के एतना सकारात्मकता आउ विवेकशीलता होवऽ हइ, सबसे पहिले खुद पर एतना आंतरिक उपहास ... शायद, खुद के साथ एहे शाश्वत गुप्त असंतुष्टि दैनिक परस्पर संबंध के मामले में ई लोग के बीच एतना अधीरता हलइ, एक दोसरा लगी एतना असमाधेयता आउ उपहास हलइ । आउ अगर, मसलन, ओकन्हीं में से कोय, जादे नदानी से आउ अधीरतापूर्वक अचानक बाहर आ जाय आउ जोर से ऊ सब कुछ अपन मुँह से उगल देइ, जे बाकी सब के अपन मन के अंदर हलइ, सपना देखे लगइ आउ आशा करे लगइ, त ओकरा तुरतम्मे लोग रोक देइ, बीच में टोक देइ, मजाक उड़ावइ; लेकिन हमरा लगऽ हइ, कि अत्याचार करे वलन में से सबसे उत्साही बिलकुल ओकन्हिंएँ होतइ, जे शायद, अपन सपना आउ आशा में खुद्दे ओकरा से कहीं आगू गेले होत । नदान आउ सहृदय लोग के, जइसन कि हम पहिलहीं उल्लेख कर चुकलिए ह, हमन्हीं हीं लोग साधारणतः सबसे क्षुद्र मूर्ख समझऽ हलइ आउ ओकन्हीं के साथ घृणापूर्वक व्यवहार करऽ हलइ । हरेक कोय एतना हद तक खिन्नचित्त आउ स्वाभिमानी हलइ, कि दयालु आउ बिन स्वाभिमान वला अदमी के घृणा करे लगऽ हलइ । अइसन नदान आउ सरलबुद्धि के बातूनी लोग के अलावा, बाकी सब लोग, अर्थात् चुप रहे वलन, तीक्ष्ण रूप से दयालु आउ दुष्ट, उदास आउ प्रसन्न स्वभाव वला दू वर्ग में विभाजित हलइ । उदास आउ दुष्ट लोग अपेक्षाकृत अधिक हलइ; अगर ओकन्हींमें से कुछ लोग स्वभाव से बातूनी हलइ, त ओकन्हीं सब आवश्यक रूप से चंचल गप्पी आउ परेशान ईर्ष्यालु हलइ । ओकन्हीं हरेक दोसर कोय के मामला में दखल दे हलइ, हलाँकि खुद अपन दिल के बात, खुद अपन रहस्यमय बात ओकन्हीं केकरो नयँ जाहिर करऽ हलइ ।  ई फैशन नयँ हलइ, प्रचलन नयँ हलइ । निम्मन लोग - जेकर बहुत छोटगर समूह हलइ - शांत हलइ, चुपचाप अपना बारे अपन प्रत्याशा के गुप्त रक्खऽ हलइ, आउ जाहिर हइ, उदास लोग के अपेक्षा अधिक आशा के मनोवृत्ति वला आउ ओकरा में विश्वास करे वला हलइ । लेकिन, हमरा लगऽ हइ, कि जेल में पूर्ण रूप से निराश लोग के भी एगो वर्ग हलइ । अइसन हलइ, मसलन, स्तारोदूब्ये बस्ती के बूढ़ा भी; हरेक हालत में अइसन लोग के संख्या बहुत कम हलइ । बाहर से देखे में बुढ़उ शांत हलइ (हम ओकरा बारे पहिलहीं उल्लेख कर चुकलिए ह), लेकिन कुछ लक्षण के आधार पर हमरा लगऽ हइ कि ओकर आंतरिक स्थिति भयंकर हलइ । लेकिन, ओकर अप्पन बचाव (मोक्ष, मुक्ति) हलइ, अप्पन निकास (escape, way out) हलइ - प्रार्थना आउ प्राण के आहुति के बारे विचार । पगलाल, बाइबिल वाचक कैदी भी, जेकरा बारे हम पहिलहीं उल्लेख कर चुकलिए ह आउ जे मेजर पर अइँटा फेंकके आक्रमण कइलके हल, शायद, निराश लोग में से एक हलइ, ओइसनकन लोग में से, जेकरा अंतिम आशा भी परित्याग कर चुकले हल; आउ चूँकि बिलकुल बिन आशा के जीना असंभव हइ, त ऊ स्वैच्छिक, लगभग कृत्रिम प्राणाहुति (शहादत) में अपना लगी एगो निकास गढ़ लेलके हल । ऊ घोषणा कइलकइ, कि ऊ मेजर पर टूट पड़ले हल, बिन कोय द्वेष चाहे क्रोध के, खाली खुद पर कष्ट लेवे के इच्छा से । आउ केऽ जानऽ हइ, कइसन मनोवैज्ञानिक प्रक्रिया (psychological process) ओकर आत्मा में तखने चल रहले हल ! बिन कइसनो उद्देश्य के आउ एकरा साकार करे के प्रयास के कउनो जीवित अदमी नयँ जीयऽ हइ । उद्देश्य आउ आशा खोके, मानसिक अवसाद के साथ अदमी राक्षस बन जा हइ ... हमन्हीं सब्भे के उद्देश्य स्वतंत्रता आउ जेल से मुक्ति हलइ ।

लेकिन, अइकी हम अभी समुच्चे जेल के (अर्थात् जेल के कैदी सब के) वर्गीकरण करे के प्रयास करब करऽ हिअइ; लेकिन की ई संभव हइ ? भावात्मक विचार (abstract thought) के सब, हियाँ तक कि सबसे चलाक, निष्कर्ष  के अपेक्षा वास्तविकता (अर्थात् वास्तविक जिनगी) अनंत प्रकार से विभिन्न हइ, आउ स्पष्ट आउ बड़गो भेद (sharp and big distinctions) सहन नयँ करऽ हइ । वास्तविकता के प्रवृत्ति पार्थक्य तरफ होवऽ हइ (अर्थात् वास्तविक जीवन में प्रत्येक व्यक्ति पृथक् होवऽ हइ आउ लोग के कुछ विशिष्ट वर्ग में स्पष्ट रूप से विभक्त नयँ कइल जा सकऽ हइ ) । आउ हमन्हिंयों के अपन विशेष जिनगी हलइ, बल्कि कइसनो तरह के, लेकिन तइयो हलइ, आउ खाली कार्यालयीन नयँ, बल्कि आंतरिक, खुद के विशेष जिनगी ।

लेकिन, जइसन कि पहिलहीं आंशिक रूप से उल्लेख कर चुकलिए ह, हम जेल के अपन शुरुआती दौर में ई जिनगी के आंतरिक गहराई में न तो हम प्रवेश कर पइलिअइ आउ न जानऽ हलिअइ कि कइसे प्रवेश कइल जाय, आउ ओहे से एकर सब बाह्य अभिव्यक्ति हमरा तखने अनिर्वचनीय (inexpressible) विषाद यातना दे रहले हल । हम कभी-कभी बस ई हमरे नियन कष्ट झेले वला लोग के घृणा करे लगलिअइ । हम ओकन्हीं से ईर्ष्या भी करऽ हलइ आउ भाग्य के दोष दे हलिअइ । हम ओकन्हीं से ई बात पर घृणा करऽ हलिअइ, कि ओकन्हीं कइसूँ तो अपने वर्ग के हइ, साथीदारी में, एक दोसरा के समझऽ हइ, हलाँकि असल में हमरे नियन ओकन्हीं सब्भे, कोड़ा आउ छरदेवारी के खंभा से ई साथीदारी से ऊब चुकले हल आउ (अइसन साथीदारी से) नफरत करऽ हलइ, ई थोपल अर्तेल (समूह) से, हरेक कोय अपना बारे बाकी सबसे कहीं अलगहीं कधरो देखऽ हलइ । हम फेर दोहरावऽ हिअइ, कि ई ईर्ष्या के, जे गोस्सा के समय हमरा भेंट दे हलइ, अपन वैध आधार हलइ । वस्तुतः, निश्चयात्मक रूप से ऊ सब सही नयँ हइ जेकर कहना हइ, कि भलमानुस, पढ़ल-लिक्खल वला आदि के हमन्हीं के सश्रम कारावास में बिलकुल ओतनहीं कष्ट हइ, जेतना हरेक मुझिक के । हमरा मालूम हइ, हम ई परिकल्पना के बारे हाल में सुनलिए ह, हम एकरा बारे पढ़लिए ह । ई विचार के आधार विश्वसनीय हइ, मानवीय हइ । सब (कैदी) लोग अदमी हइ, सब्भे मानव हइ । लेकिन विचार तो बहुत अभौतिक (abstract) हइ । कइएक व्यावहारिक पहलू के उपेक्षा कइल हइ, जे ठीक वास्तविकता में समझल जा सकऽ हइ, आउ दोसरा तरह से नयँ  । हम अइसन बात करऽ हिअइ ई कारण से नयँ, कि भलमानुस आउ शिक्षित लोग मानूँ अधिक परिष्कृत रूप में आउ अधिक दर्दनाक रूप में अनुभव करऽ हइ, कि ओकन्हीं अधिक विकसित हइ । आत्मा आउ ओकर विकास के कोय प्रदत्त मानदंड पर नयँ आँकल जा सकऽ हइ । ठीक शिक्षा भी ई दशा में कोय मानदंड नयँ हइ । हम सबसे पहिले ई बात के पुष्टि करे लगी तैयार हिअइ, कि ई कष्ट झेले वलन लोग के बीच सबसे अशिक्षित आउ सबसे दलित में सबसे परिष्कृत आत्मिक विकास के लक्षण हमरा देखे में अइलइ । जेल में कभी अइसनो होवऽ हलइ, कि कउनो अदमी के कइएक साल से जानऽ हो आउ ओकरा बारे सोचऽ हो, कि ई जानवर हइ, मानव नयँ, आउ ओकरा से घृणा करऽ हो । आउ अचानक संयोगवश ऊ पल आवऽ हइ, जब ओकर आत्मा एगो अनजान आवेश में बाहर दने खुल जा हइ, आउ अइसन प्रचुरता, अनुभूति, हृदय, आउ खुद के आउ दोसर के वेदना के अइसन सुस्पष्ट बोध तोहरा होवऽ हको, कि मानूँ तोहर आँख खुल जा हको, आउ पहिला क्षण में ई बात के विश्वासो नयँ होवऽ हको, जे तूँ खुद्दे देखलहो आउ सुनलहो । एकर उलटो होवऽ हइ - शिक्षा के साथ-साथ कभी-कभी अइसन बर्बरता, अइसन सनक रहऽ हइ, कि तोहरा घृणा आवऽ हको, आउ तूँ केतनो दयालु चाहे पूर्वाग्रही काहे नयँ रहहो, तोहरा एकरा लगी अपन हृदय में कोय बहाना, कोय औचित्य नयँ मिल्लऽ हको ।

हम आदत, जीवन के तरीका, भोजन आदि के परिवर्तन के बारे भी कुछ नयँ बोल रहलिए ह, जे समाज के उच्च वर्ग के व्यक्ति खातिर वस्तुतः अधिक कठिन हइ, बनिस्बत मुझिक खातिर, जे अकसर अजादी में भुक्खल रहऽ हलइ, लेकिन जेल में कम से कम रजके खा हलइ । एकरो बारे हम विवाद नयँ करबइ । मान लेल जाय, कि बल्कि जरिक्को सन इच्छाशक्ति वला एगो व्यक्ति लगी ई सब बकवास हइ अपेक्षाकृत दोसर-दोसर असुविधा के, हलाँकि असल में आदत में परिवर्तन न तो बिलकुल निरर्थक चीज हइ आउ न निम्नतम कोटि के हइ । लेकिन अइसन असुविधा हइ, जेकरा सामने ई सब कुछ पीयर पड़ जा हइ, एतना हद तक, कि न तो माहौल के गंदगी पर ध्यान दे हकहो, न शिकंजा पर, न अपर्याप्त आउ गंदा खाना पर । सबसे बन्नल-ठन्नल उज्जर हाथ वला (शारीरिक परिश्रम वला कामचोर) अर्थात् भलमानुस, सुकुमार से सुकुमार, दिन भर पसेने-पसेने होल काम कइला के बाद, अइसे, जइसे ऊ अजाद रहला पर कभियो नयँ कइलके हल, कार रोटी खइतइ आउ इसरौरी (कॉक्रोच) भरल बंदागोभी के शोरबा । एकरो अभ्यस्त होल जा सकऽ हइ, जइसन कि कैदी के हास्यजनक गीत में उल्लेख कइल हइ, पहिले उज्जर हाथ वला के बारे, जे सश्रम कारावास के पाला में पड़ गेलइ -
देल जा हइ हमरा बंदागोभी पानी के साथ -
आउ हम खा हिअइ, जइसे लगऽ हइ कान चरचरा हइ ।
(अर्थात् बहुत जादे भुक्खल नियन गपगप खा हिअइ)
नयँ; ई सब से जादे मुख्य बात ई हइ, कि जेल में नयका आगंतुक में से हरेक अइला के दुइए घंटा के बाद ओइसने हो जा हइ, जइसन कि बाकी दोसर लोग, खुद के घर में रह रहल नियन अनुभव करऽ हइ, जेल के अर्तेल (संस्था) में ओइसने समानाधिकारसंपन्न मालिक नियन, जइसन कि हरेक दोसर कोय । ओकरा सब कोय समझऽ हइ, आउ खुद ऊ सबके समझऽ हइ, सब लगी ऊ परिचित हो जा हइ, आउ सब कोय ओकरा अपना नियन समझऽ हइ। एहे बात भलमानुस, अभिजात वर्ग वला के साथ नयँ हइ । ऊ चाहे केतनो सच्चा, दयालु, बुद्धिमान काहे नयँ होवइ, सालो-साल समुच्चे जनता ओकरा से घृणा करतइ; ओकरा लोग नयँ समझतइ, आउ मुख्य बात - ओकरा पर विश्वास नयँ करतइ । ऊ न तो दोस्त हइ, न साथी (comrade) हइ, आउ हलाँकि ऊ आखिरकार समय के साथ अइसन स्तर पर पहुँच जइतइ, कि ओकरा लोग अपमानित नयँ करतइ, लेकिन तइयो ऊ अपना नयँ होतइ आउ हमेशे लगी, दर्दनाक रूप से अपन पृथक्ता आउ एकाकीपन से अभिज्ञ (conscious ) रहतइ । ई पृथक्ता कभी-कभी कैदी लोग के तरफ से बिलकुल बिन कोय द्वेष के होवऽ हइ, आउ अइसे, अचेतन रूप से । अप्पन अदमी नयँ हइ, बस । अप्पन माहौल में नयँ जीए से कुच्छो अधिक भयंकर नयँ हइ । तागानरोग से पित्रोपावलोव्स्की बंदरगाह में स्थानांतरित होल एगो मुझिक (किसान/देहाती) तुरतम्मे हुआँ बिलकुल ओइसने रूसी मुझिक के खोज लेतइ, तुरतम्मे ओकरा साथ हिल-मिल जइतइ, आउ दू घंटा के बाद ओकन्हीं, शायद, बिलकुल शांत ढंग से एक्के लकड़ी के घर चाहे एक्के झोपड़ी में रहे लगतइ । एहे बात उच्चकुलीन लोग के साथ नयँ हइ । ओकन्हीं सर्वसामान्य लोग से एगो अत्यधिक गहरा रसातल से विभक्त हइ, आउ ई बात पूरा तरह से नोटिस कइल जा हइ तब, जब उच्चकुलीन अचानक खुद, बाहरी परिस्थिति के चलते, वास्तव में अपन पहिलौका सब अधिकार से वंचित हो जा हइ आउ एगो सर्वसामान्य व्यक्ति बन जा हइ । नयँ तो बल्कि जिनगी भर लोग से संबंध रखहो, बल्कि चालीस साल लगातार रोज दिन ओकन्हीं से मिलते-जुलते रहहो, सेवा के आधार पर, मसलन, पारंपरिक प्रशासनिक रूप में, चाहे अइसीं खाली दोस्ती के नाम पर, उपकारकर्ता के रूप में आउ कइसनो अर्थ में पिता के हैसियत से - कभियो (ओकन्हीं के) असलियत नयँ जान पइबहो । ई सब दृष्टिभ्रम होतइ, आउ एकरा से जादे कुछ नयँ । वस्तुतः हम जानऽ हिअइ, सब कोय, पक्का सब कोय, हमर टिप्पणी पढ़के, कहतइ, कि हम बात बढ़ा-चढ़ाके  प्रस्तुत कर रहलिए ह । लेकिन हमरा पक्का विश्वास हइ, कि ई सच हइ । हम आश्वस्त होलिअइ कोय पुस्तक के आधार पर नयँ, परिकल्पना के आधार पर नयँ, बल्कि वास्विकता में आउ अपन धारणा के सत्यापित करे लगी हमरा काफी समय हलइ । शायद, सब कोय के मालूम हो जइतइ, कि ई केतना हद तक सच हइ … घटना सब, मानूँ सोद्देश्य, पहिलौके चरण से हमर प्रेक्षण के पुष्टि कइलकइ आउ हमरा पर स्नायविक (nervous) आउ कष्टदायक प्रभाव डललकइ । ई पहिलौका ग्रीष्मकाल में हम जेल में एन्ने-ओन्ने लगभग अकेल्ले भटकलिअइ । हम पहिलहीं कह चुकलिए ह, कि हमर मानसिक अवस्था अइसन हलइ, कि हम ऊ कैदी लोग के भी मूल्यांकन आउ पहचान नयँ कर पइलिअइ, जे हमरा पसीन कर सकऽ हलइ, जे हमरा बाद में पसीन भी कइलकइ, हलाँकि कभियो हमरा साथ समान स्तर पर मेल-जोल नयँ करते गेलइ । उच्चकुलीन लोग में से भी हमर साथी (comrades) हलइ, लेकिन ई साथीदारी हमर आत्मा के बोझ हलका नयँ कर पइलकइ । कइसनो हालत में हम ई देख नयँ सकऽ हलिअइ, लेकिन एकरा से कहीं भागल नयँ जा सकऽ हलइ । आउ अइकी, मसलन, ओइसनकन घटना में से एक हइ, जे हमरा शुरुए से जेल में हमर  पृथक्ता आउ हमर स्थिति (position) के विशेषता  समझे देलकइ । एक रोज, एहे ग्रीष्मकाल में, अगस्त महिन्ना शुरू होवे के ठीक पहिले, साफ आउ झरक वला काम के दिन, दुपहर बारह आउ एक बजे के बीच, जब साधारणतः सब कोय दुपहर के भोजन के बाद के काम के पहिले सब कोय अराम करऽ हलइ, अचानक पूरा जेल एक अदमी नियन उठ गेलइ आउ जेल के प्रांगण में कतार में खड़ी होवे लगलइ । हमरा एकरा बारे अंतिम पल तक के पहिले कुछ मालूम नयँ हलइ । ई समय में कभी-कभी हम अपने आप में एतना लीन रहऽ हलिअइ, कि हम लगभग नोटिस नयँ कर पावऽ हलिअइ, कि हमर चारो तरफ की हो रहले ह । आउ तइयो कैदी लोग करीब तीन दिन पहिलहीं से दब्बल उत्तेजना में हलइ । शायद, ई उत्तेजना बहुत पहिलहीं शुरू हो चुकले हल, जइसन कि हम बादे में जाके समझ पइलिअइ, अनजाने में कैदी लोग के बातचीत से कुछ आद करके, आउ साथे-साथ कैदी लोग के वर्धित लड़ाय-झगड़ा के प्रवृत्ति, उदासी आउ विशेष रूप से हाल में ओकन्हीं में देखाय देल कटुतापूर्ण स्थिति से । हम एकर कारण समझऽ हलिअइ कठोर काम, ऊबाऊ लमगर ग्रीष्मकालीन दिन, अचेतन रूप से जंगल आउ अजाद जिनगी के बारे स्वप्न , छोटगर रात, जेकरा में काफी समय तक सुतना कठिन हलइ । शायद, ई सब कुछ अभी एक साथ जुड़ गेलइ, एक विस्फोट में, लेकिन ई विस्फोट के कारण हलइ - भोजन । पहिलहीं हाल में कइएक दिन जोरदार शिकायत कइल गेले हल, बैरक सब में गोस्सा जाहिर कइल गेले हल आउ खास करके भनसाघर में दुपहर आउ रात के खाना खाय के बेरा में सब्भे के जामा होला पर; ओकन्हीं स्त्र्यापका लोग से नराज हलइ, आउ ओकन्हीं में से एगो के बदले के कोशिश कइल गेले हल, लेकिन तुरतम्मे नयका के भगा देल गेलइ आउ पुरनका के वापिस लावल गेलइ। एक शब्द में, सब कोय एक प्रकार के अशांत मनोदशा में हलइ ।

"काम कठिन हइ, आउ हमन्हीं के (मांस के बदले) अँतड़ी खिलावल जा हइ", कोय तो भनसाघर में भुनभुनाय लगइ ।
"अगर नयँ पसीन पड़ऽ हउ, त ब्लाँमाँझ (blancmange) के औडर दे दे", दोसरा कोय ओकर बात पर टिप्पणी कइलकइ ।
"अँतड़ी के साथ बंदागोभी के शोरबा, भाय लोग, हमरा बहुत निम्मन लगऽ हइ", तेसरा कोय बोलऽ हइ, "ई स्वादिष्ट होवऽ हइ ।"
"आउ अगर तोरा हमेशे खाली अँतड़ी खिलावल जाव, त स्वादिष्ट रहतउ ?"
"अभी तो वस्तुतः मांस के समय हइ", चौठा बोलऽ हइ, "हमन्हीं तो फैक्ट्री में रेहटऽ ही, रेहटऽ ही; सौंपल काम हो गेला के बाद तो खाय के मन करऽ हइ । आउ अँतड़ी कइसन भोजन हइ !"
"आउ अगर अँतड़ी नयँ रहऽ हइ, त करेजी रहऽ हइ ।"
"हाँ त ई करेजी भी लेवे के । अँतड़ी आउ करेजी, बस एक्के चीज हर तुरी । ई कइसन भोजन हइ ! ई बात सही हइ कि नयँ ?"
"हाँ, भोजन तो खराब हइ ।"
"अपन जेभी भरऽ होतइ शायद ।"
"ई तोर बुद्धि के काम नयँ हउ ।"
"त केक्कर हइ ? पेट तो हम्मर हइ । सबके शांति से अपन शिकायत करे के चाही, त काम बन सकतइ ।"
"शिकायत ?"
"हाँ ।"
"जइसे तोरा मालुमे नयँ हउ कि एहे शिकायत चलते तोरा पिटम्मस कइल गेलउ । मूर्त्ति (मूरख) !"
"ई तो सही हइ", अब तक चुप रहल दोसरा कोय बड़बड़ा हइ, "जल्दी के काम शैतान के । शिकायत में कउची कहम्हीं, ई तो पहिले बताव, घनचक्कर !"
"ठीक हइ, बतइबइ । अगर सब लोग चलइ, त हम सबके साथ बोलिअइ । मतलब, गरीबी । हमन्हीं हीं कोय तो अप्पन (खरीदके) खा हइ, आउ कोय खाली जेल के खाना खाके रहऽ हइ ।"
"अच्छऽ, तेज आँख वला जलनखोर ! दोसर के खाना पर नजर !"
"दोसर के रोटी खाय लगी अपन मुँह मत खोल, बल्कि जल्दी उठ आउ अप्पन अर्जित कर ।"
"अर्जित कर ! ... हम तोरा साथ केश पक्के तक ई मामला में विवाद करबउ । मतलब, तू धनगर हीं, अगर हाथ मोड़-माड़के बइठे लगी चाहऽ हीं ?"
"धनगर हइ एरोश्का, ओकरा पास हइ कुत्ता आउ बिल्ली ।"
"आउ वास्तव में भी, भाय लोग, बइठल काहे लगी रहल जाय ! मतलब, बहुत हो गेलइ ओकन्हीं के बेवकूफी के बरदास । (हमन्हीं के) खाल उधेड़ल जा हइ । (ओकन्हीं भिर) काहे नयँ जाल जाय ?"
"काहे ! तूँ शायद चाहऽ हीं कि पहिले चिबा लेल जाय आउ तब तोर मुँह में डालल जाय; तोरा चिबावल खाना खाय के आदत हउ । मतलब, ई कठोर सश्रम कारावास हइ - ओहे से !"
"मतलब निष्कर्ष निकसऽ हइ - भगमान, लोग लड़इ, आउ जेनरल मजा करइ ।"
"बिलकुल ठीक । अठअँक्खा (मेजर) मोटाऽ गेले ह । एक जोड़ा भूरा रंग के (घोड़ा) खरदलके ह ।"
"हूँ, आउ ऊ पीना पसीन नयँ करऽ हइ ।"
"हाल में पशुचिकित्सक के साथ ताश के खेल के दौरान लड़ाय-झगड़ा कइलकइ ।"
"रातो भर तुरुप (trump) चाल चलते गेलइ । हमर अदमी तो दू घंटा तक मुक्का बान्हले रहलइ । फ़ेदका बता रहले हल ।"
"ओहे चलते तो करेजी के साथ बंदागोभी के शोरबा हमन्हीं के मिल्लऽ हइ ।"
"ए, बेवकूफ लोग ! हमन्हीं के तरफ से आगू बढ़े के जरूरत नयँ हइ ।"
"लेकिन अइकी हमन्हीं सब्भे मिल चलिअइ, आउ देखिअइ, कि ऊ अपन सफाई में की कहऽ हइ । हमन्हीं के ई बात पर दृढ़ रहे के चाही ।"
"सफाई ! ऊ तोर थोपड़वा (दँतवा) पर एक लगइतउ आउ बस हो जइतउ ।"
"आउ साथे-साथ तोरा कोर्ट तक घसीटतउ ..."

एक शब्द में, सब कोय उत्तेजित हलइ । एहे समय वास्तव में हमन्हीं हीं खाना खराब हलइ । आउ एक के बाद दोसर समस्या जुड़ रहले हल । आउ मुख्य बात हलइ - सामान्य वेदना के मनोदशा (मूड), हमेशे के दबावल पीड़ा । कैदी अपन स्वभावे से झगड़ालू आउ विद्रोही होवऽ हइ; लेकिन विरले सब कोय एक्के साथ चाहे बड़गो समूह में विद्रोह पर उतारू होवऽ हइ । एकर कारण हमेशे के मतभेद हइ । ओकन्हीं में से हरेक खुद महसूस करऽ हलइ - हमन्हीं हीं काम से जादे गारी-गल्लम होवऽ हलइ । आउ तइयो, अबरी ई उत्तेजना बेकार नयँ गेलइ । ओकन्हीं समूह में जामा होवे लगलइ, बैरक सब में चर्चा करऽ हलइ, गारी-गल्लम करऽ हलइ, गोस्सा से हमन्हीं के मेजर के पूरे प्रशासन के आद कइलकइ; पूरा तह तक जाय के कोशिश कइलकइ । विशेष करके कुछ लोग उत्तेजित हो गेलइ । हरेक अइसन परिस्थिति में हमेशे  उसकावे वला आउ गुटनेता (ringleaders) प्रकट हो जा हइ । गुटनेता अइसन स्थिति में, मतलब शिकायत के स्थिति में, साधारणतः असाधारण लोग होवऽ हइ, आउ नयँ खाली जेल में, बल्कि सब्भे अर्तेल (संस्था), टीम आदि में । ई लोग विशेष तरह के होवऽ हइ, सगरो आपस में एक्के नियन । ई लोग जोशीला, न्याय लगी लगनउताहुल आउ बिलकुल नदान आउ ईमानदार तरीका से एकर पक्का, अविवादित आउ मुख्य रूप से त्वरित संभावना में आश्वस्त । ई लोग दोसर लोग से जादे बेवकूफ नयँ होवऽ हइ, ओकन्हीं में से कुछ लोग बहुत बुद्धिमान भी रहऽ हइ, लेकिन ओकन्हीं एतना जादे गरममिजाज होवऽ हइ, कि चलाक आउ चौकस नयँ हो सकऽ हइ । ई सब स्थिति में अगर अइसन लोग होवो करऽ हइ, जे सामान्य लोग के दक्षतापूर्वक नेतृत्व कर पावऽ हइ आउ विजेता सिद्ध होवऽ हइ, त जनता के ई दोसरे तरह के पथप्रदर्शक आउ स्वाभाविक नेता होवऽ हइ, अइसन प्रकार के जे हमन्हीं हीं अत्यंत विरले होवऽ हइ । लेकिन ई लोग, जेकरा बारे अभी हम बात कर रहलिए ह, शिकायत के उसकावे वला आउ गुटनेता, लगभग हमेशे अपन काम में विफल हो जा हइ आउ एकरा लगी जेल आउ कातोर्गा (कठोर सश्रम कारावास, लेबर कैंप) में पहुँच जा हइ । अपन जोश-खरोश के चलते ओकन्हीं विफल होवऽ हइ, लेकिन जोशे-खरोश के चलते ओकन्हीं सामान्य जनता पर असर डालऽ हइ । आखिरकार लोग ओकन्हीं के स्वेच्छा से अनुयायी बन जा हइ । ओकन्हीं के जोश आउ सत्यनिष्ठ क्रोध सबके प्रभावित करऽ हइ, अंत में सबसे अनिश्चयी भी ओकन्हीं के साथ हो जा हइ । सफलता में ओकन्हीं के अंधविश्वास सबसे अधिक कट्टर संशयवादी (sceptics) के भी प्रलोभित करऽ हइ, ई बात के बावजूद कि कभी-कभी ई विश्वास अइसन अस्थिर, अइसन बचकाना आधार होवऽ हइ, कि एगो बाहरी व्यक्ति अचंभित हो जा हइ कि कइसे लोग ओकन्हीं के अनुयायी बन गेते गेलइ । आउ मुख्य बात ई हइ, कि ओकन्हीं सबसे पहिले आगू बढ़ऽ हइ, आउ कइसनो बात के बिन भय के । ओकन्हीं, साँढ़ नियन, सींघ निच्चे कइले सीधे झपटऽ हइ, अकसर काम के बिन जनकारी के, बिन सवधानी बरते, बिन ऊ व्यावहारिक धर्माधर्मविचार (casuistry) के, जेकरा से सबसे नीच आउ मैला-कुचैला बस्तर वला अदमी भी अकसर काम में सफल हो जा हइ, उद्देश्य प्राप्त कर ले हइ आउ पानी से सुक्खल बाहर आ जा हइ । ओकन्हीं निश्चय अपन सींघ तोड़ ले हइ । सामान्य जीवन में ई लोग पित्तल (bilious), बड़बड़ करे वला, चिड़चिड़ा आउ असहनशील होवऽ हइ । सबसे जादे अकसर भयंकर रूप से संकुचित विचार के होवऽ हइ, जे बल्कि आंशिक रूप से ओकन्हीं के शक्ति के रूप में होवऽ हइ । सबसे जादे खेदजनक बात ओकन्हीं में ई होवऽ हइ, कि सीधे लक्ष्य के बदले, ओकन्हीं अकसर तिरछे झपटऽ हइ, मुख्य उद्देश्य के बदले छोटगर चीज पर । एहे तो ओकन्हीं के बरबाद कर दे हइ । लेकिन ओकन्हीं के सामान्य जनता समझऽ हइ; एकरे में ओकन्हीं के बल हइ ... लेकिन, ई बात के बारे दू शब्द बतावे के चाही, कि शिकायत के कीऽ मतलब होवऽ हइ ...

हमन्हीं के जेल में कइएक लोग अइसन हलइ, जे शिकायत करे के चलते अइले हल । ओकन्हिंएँ सबसे जादे उत्तेजित हलइ । खास करके एगो, मार्तिनोव, जे पहिले हुस्सार के रूप में सेवा कइलके हल, एगो जोशीला, बेचैन आउ शंकालु व्यक्ति, लेकिन ईमानदार आउ सच्चा । दोसर हलइ वसीली अन्तोनोव, कइसूँ भावशून्य मुद्रा में भड़के वला व्यक्ति, निर्लज्ज दृष्टि, अभिमानी, व्यंग्यात्मक मुसकाहट, अत्यंत विकसित विचार, लेकिन ईमानदार आउ सच्चा । लेकिन सब के वर्णन नयँ कइल जा सकऽ हइ; अइसनकन बहुत लोग हलइ । पित्रोव, एकरा अलावे, अइसीं आगू-पीछू चक्कर मारऽ हलइ, सब्भे समूह के बात सुन्नऽ हलइ, बहुत कम बोलऽ हलइ, लेकिन, स्पष्टतः, उत्तेजित हलइ आउ सबसे पहिले बैरक से बाहर लपकके गेलइ, जब लोग लाइन बनाके खड़ी जामा होवे लगते गेलइ ।

हमन्हीं के जेल सर्जेंट, जे सर्जेंट मेजर के ड्यूटी निभावऽ हलइ, तुरतम्मे भयभीत होल बाहर निकसलइ । लाइन में खड़ी होल, लोग नम्रतापूर्वक ओकरा मेजर से कहे लगी प्रार्थना कइलकइ, कि कातोर्गा के लोग ओकरा से बात करे लगी आउ व्यक्तिगत रूप से ओकरा से कुछ बिंदु के बारे प्रश्न करे लगी चाहऽ हइ । सर्जेंट के साथ सब्भे अपंग सैनिक भी बहरसी अइते गेलइ आउ दोसरा बगल से लाइन बनाके खड़ी हो गेते गेलइ, कातोर्गा लोग के सामने । सर्जेंट के देल ज्ञापन असाधारण हलइ आउ ओकरा भयभीत कर देलकइ । लेकिन ऊ मेजर के तुरतम्मे रिपोर्ट नयँ करे के हिम्मत नयँ कर पइलकइ । पहिला, अगर कातोर्गा कैदी लोग विद्रोह पर उतर गेलइ, त कुछ तो बत्तर हो सकऽ हलइ । हमन्हीं के प्राधिकारी लोग कातोर्गा के बारे कइसूँ अत्यंत भयभीत हलइ । दोसरा, अगर कु्च्छो नहिंयों होलइ, आउ सब कोय तुरतम्मे सोच-विचारके अपन राय बदल लेते गेलइ आउ तितर-बितर हो गेते गेलइ, तइयो तखनहूँ सर्जेंट के तुरतम्मे सब कुछ घट्टल घटना के बारे प्राधिकारी के रिपोर्ट करहीं पड़ते हल । पीयर आउ भय से कँपते, ऊ जल्दी से मेजर के हियाँ रवाना हो गेलइ, खुद कैदी लोग के बिन कोय पूछताछ के कोशिश कइले आउ बिन कोय नसीहत देले । ऊ देखलकइ, कि ओकरा साथ ओकन्हीं अभी बातो करे लगी तैयार नयँ होतइ ।

बिन बिलकुल कुच्छो जानले, हमहूँ लाइन में खड़ी होवे लगी निकस पड़लिअइ । मामला के सब विवरण हमरा बादे में पता चललइ । अभी तो हम सोच रहलिए हल, कि कोय तरह के हाजिरी हो रहले ह; लेकिन, गार्ड के नयँ देखके, जे हाजिरी लेते जा हइ, हमरा अचरज होलइ, आउ चारो बगली देखे लगलिअइ । लोग के चेहरा उत्तेजित आउ नराज हलइ । कुछ लोग के चेहरा पीयर भी पड़ल हलइ । सामान्य रूप से सब कोय विचार में लीन आउ चुपचाप हलइ, ई बात के इंतजार में, कि मेजर के सामने कइसूँ तो बोले पड़तइ । हम नोटिस कइलिअइ, कि कइएक लोग हमरा दने बड़ी अचरज से तकलकइ, लेकिन चुपचाप मुड़ गेलइ । ओकन्हीं स्पष्टतः ई बात से अचंभित हलइ, कि हमहूँ ओकन्हीं साथ लाइन में खड़ी हो गेलिअइ । ओकन्हीं के प्रत्यक्षतः विश्वास नयँ हो रहले हल, कि हमहूँ कोय शिकायत प्रस्तुत करबइ । जल्दीए, हलाँकि, लगभग सब कोय जे हमर चारो बगली होते जा हलइ, फेर से हमरा दने मुड़ गेलइ । सब कोय हमरा दने प्रश्नात्मक मुद्रा में तक्के लगलइ ।
"तूँ हियाँ काहे लगी ?" रूखाई आउ जोर से हमरा वसीली अन्तोनोव पुछलकइ, जे बाकी लोग के अपेक्षा हमरा भिर से जरी सुनी जादे दूरी पर खड़ी हलइ आउ अब से पहिले तक हमेशे हमरा "अपने" कहके बात करऽ हलइ आउ हमरा आदर के साथ संबोधित करऽ हलइ ।
हम ओकरा तरफ किंकर्तव्यविमूढ़ होल तकलिअइ, अभियो तक ई समझे के प्रयास करते, कि एकर की मतलब हइ, आउ अब तक अंदाज लगइते, कि कुछ तो असामान्य होब करऽ हइ ।
"असल में तोरा हियाँ खड़ी होवे के की जरूरत हकउ ? बैरक चल जो", एगो नवयुवक बोललइ, जे मिलिट्री वला हलइ, जेकरा साथ हम अभी तक अपरिचित हलिअइ, आउ जे दयालु आउ शांत किसिम के लड़का हलइ । "एकरा में तोर बुद्धि के काम नयँ हउ ।"
"लेकिन लोग तो लाइन में खड़ी हो रहले ह", हम ओकरा जवाब देलिअइ, "हम सोचलिअइ, कि हाजिरी हो रहले ह ।"
"अरे, त एहो घुसकके बहरसी आ गेलइ", एगो चिल्लइलइ ।
"लोहा के नाक", दोसर कोय बोललइ ।
"मक्खीमार !" अनिर्वचनीय (inexpressible) घृणा के साथ तेसर बोललइ ।
ई नयका उपनाम सामान्य रूप से ठहाका पैदा कइलकइ ।
"मेहरबानी करके एकरा भनसाघर में रक्खल गेले ह", आउ कोय तो बोललइ ।
"ओकन्हीं लगी सगरो स्वर्ग हइ । हियाँ कातोर्गा (कठोर सश्रम कारावास) हइ, लेकिन ओकन्हीं कलाची खा हइ आउ सूअर के मांस खरदऽ हइ । तूँ जो आउ अप्पन खाना खो; हियाँ काहे लगी दखल दे हकँऽ ।"
"हियाँ अपने लगी कोय जगह नयँ हइ", निस्संकोच हमरा भिर अइते कुलिकोव बोललइ; ऊ हमर हथवा पकड़ लेलकइ आउ लाइन से बाहर कर देलकइ ।"

खुद ओकर चेहरा पीयर पड़ल हलइ, ओकर कार आँख कौंध रहले हल, आउ निचला होंठ दाँत से अँटकइले हलइ। ऊ भावशून्य मुद्रा में मेजर के इंतजार नयँ कर रहले हल । संयोगवश - हमरा अइसनकन स्थिति में कुलिकोव के देखना बहुत पसीन हलइ, मतलब ऊ सब्भे ओइसन स्थिति में, जब ओकरा खुद के प्रदर्शित करे के रहऽ हलइ । ऊ भयंकर देखाय दे हलइ, लेकिन अपन काम कर रहले हल । हमरा लगऽ हइ, कि ऊ टिकठी (वधस्तंभ, scaffold) पर भी सज-धजके बाँका नियन चल जइते हल । अभी, जब सब कोय हमरा "तूँ" बोलऽ हलइ आउ हमरा गरियावऽ हलइ, ऊ स्पष्टतः सोद्देश्य हमरा साथ अपन आदरभाव दोगना कर देलकइ, आउ साथे-साथ ओकर शब्द कइसूँ खास हलइ, हियाँ तक कि घमंडपूर्वक दृढ़, जे कइसनो एतराज के मौका नयँ दे हलइ ।

"हमन्हीं हियाँ परी अपन काम से हिअइ, अलिक्सांद्र पित्रोविच, आउ अपने के हियाँ कोय काम नयँ हइ । कहीं चल जाथिन, तब तक प्रतीक्षा करथिन ... अपने के सब लोग अउकी भनसाघर में हथिन, हुएँ चल जाथिन ।"
"नौमा बल्ली के निच्चे, जाहाँ अन्तिपका बिस्प्याती (रूसी मिथक के अनुसार, एगो अपवित्र आत्मा वला राक्षस) रहऽ हइ !" कोय तो बात आगू बढ़इलकइ ।

भनसाघर के खुल्लल खिड़की से हम वास्तव में हमन्हीं के पोलिस्तानी लोग के देखलिअइ; लेकिन हमरा लगलइ, कि हुआँ, ओकन्हीं के अलावे, बहुत लोग हइ । अचंभित होल, हम भनसाघर दने रवाना होलिअइ । हँसी, गारी-गल्लम आउ च्च-च्च-च्च (जे कैदी लोग के सीटी के अवाज के बदले प्रयोग कइल जा हलइ) के अवाज पीछू से सुनाय पड़लइ । "ओकरा पसीन नयँ पड़लइ ! ... च्च-च्च-च्च ! लियो-लियो ! (धर ओकरा !) ..."

जेल में हम अभी तक कभियो एतना अपमानित नयँ होलूँ हल, आउ अबरी हमरा बहुत कष्ट हो रहल हल । लेकिन हम अइसन पल के पाला में पड़ गेलूँ हल । भनसाघर के प्रवेशमार्ग पर हमरा उच्च घराना के ते-व्स्की [1] से भेंट हो गेलइ, जे एगो दृढ़ इच्छाशक्ति वला आउ बड़गो दिल वला नवयुवक हलइ, बिन बड़गर शिक्षा-दीक्षा के आउ बे॰ के भयंकर रूप से मानऽ हलइ । कैदी लोग ओकरा बाकी सब से अंतर करऽ हलइ आउ आंशिक रूप से पसीन भी करऽ हलइ । ऊ बहादुर, साहसी आउ शक्तिशाली हलइ, आउ ई कइसूँ ओकर हरेक मुद्रा में देखाय दे हलइ ।

"की बात हकइ, गोर्यान्चिकोव", ऊ हमरा संबोधित करते चिल्लइलइ, "हियाँ आथिन !"
"लेकिन हुआँ की चल रहले ह ?"
"ओकन्हीं शिकायत प्रस्तुत कर रहले ह, वास्तव में अपने नयँ जानऽ हथिन की ? जाहिर हइ, ओकन्हीं के सफलता नयँ मिलतइ - कातोर्गा कैदी लोग पर केऽ विश्वास करतइ ? उसकावे वलन के खोजबीन कइल जइतइ, आउ अगर हमन्हीं हुआँ होबइ, त जाहिर हइ, कि हमन्हीं पर विद्रोह के दोष सबसे पहिले लगावल जइतइ । आद करथिन, कि काहे लगी हमन्हीं हियाँ अइते गेलिअइ । ओकन्हीं के बस पिटम्मस होतइ, आउ हमन्हीं पर मोकदमा चलतइ । मेजर हम सब से घृणा करऽ हइ आउ हमन्हीं के बरबाद करके खुश होतइ । ऊ हमन्हीं के बल पे खुद के बचा लेतइ ।"
"आउ कातोर्गा कैदी लोग सब दोष हमन्हीं के मत्थे मढ़ देतइ", एम-त्स्की बोललइ, जब हमन्हीं भनसाघर में घुसलिअइ ।
"चिंता नयँ करथिन, हमन्हीं पर तरस नयँ खइते जइतइ !" ते-व्स्की बात आगू बोललइ ।

भनसाघर में, भलमानुस लोग के अलावे, आउ बहुत लोग हलइ, कुल लगभग तीस । सब ओकन्हीं रह गेले हल, शिकायत प्रस्तुत करे के बिन कोय इच्छा कइले - कुछ लोग कायरता से, आउ दोसर लोग कइसनो प्रकार के शिकायत के पूरा-पूरा व्यर्थता में पक्का धारणा के चलते । हियाँ परी अकीम अकीमिच भी हलइ, जे अइसन सब्भे शिकायत के कट्टर आउ स्वाभाविक शत्रु हलइ, काहेकि अइसन शिकायत से काम के नियमित प्रवाह आउ  निम्मन आचार-व्यवहार में बाधा होवऽ हलइ । ऊ चुपचाप आउ अत्यंत शांतिपूर्वक ई मामला के समाप्ति के प्रतीक्षा कर रहले हल, एकर परिणाम के बारे जरिक्को नयँ परवाह करते, बल्कि एकर विपरीत, प्राधिकारी के नियम आउ इच्छा के अपरिहार्य सफलता पर बिलकुल आश्वस्त हलइ । हियाँ परी इसाय फ़ोमिच भी हलइ, अत्यंत किंकर्तव्यविमूढ़ होल खड़ी, नाक निच्चे तरफ झुक्कल, उत्सुकतापूर्वक आउ कायरतापूर्वक हमन्हीं के बातचीत सुनते । ऊ  बहुत चिंतित हलइ । हियाँ सब्भे सामान्य पोलिस्तानी कैदी हलइ, जेहो उच्चकुलीन लोग के पक्षधर हलइ । कुछ भीरु रूसी लोग हलइ, जे हमेशे चुपचाप रहऽ हलइ आउ दलित हलइ । दोसर लोग के साथ बाहर आवे के हिम्मत नयँ कइलकइ, आउ उदासीन भाव से इंतजार कर रहले हल, कि मामला के अंत कइसे होतइ । आखिरकार, कुछ उदासीन आउ हमेशे लगी कठोर कैदी हलइ, जे कायर नयँ हलइ । ओकन्हीं दृढ़ आउ दुष्तोषणीय (तुनकमिजाज) धारणा के आधार पर पीछू रह गेलइ, कि ई सब बकवास हइ आउ खराब के अलावा आउ कुछ नयँ होतइ । लेकिन हमरा लगऽ हइ, कि ओकन्हीं तइयो अभी कइसूँ परेशानी अनुभव कर रहले हल, खुद के आश्वस्त नयँ पा रहले हल । ओकन्हीं हलाँकि समझऽ हलइ, कि शिकायत के मामले में ओकन्हीं बिलकुल सही हइ, कि जेकर बाद में पुष्टि भी होलइ, लेकिन तइयो ओकन्हीं खुद के मानूँ अलग-थलग समझऽ हलइ, अर्तेल (समूह) के त्याग देलके हल, मानूँ साथी सबके साथ विश्वासघात करके मेजर के सौंप देलके हल । हियाँ येल्किन भी देखाय देलकइ, ठीक ओहे साइबेरिया के धूर्त मुझिक, जे नकली सिक्का बनावे के कारण अइले हल आउ कुलिकोव के पशुचिकित्सा के प्रैक्टिस पर ग्रहण लगा देलके हल । स्तारोदुब्ये बस्ती के बुढ़उ भी हिएँ हलइ । स्त्र्यापका लोग भी एक-एक व्यक्ति तक भनसेघर में रह गेले हल, शायद ई धारणा के आधार पर, कि ओकन्हिंयों प्रशासन के अंश हइ, आउ ओहे से ओकन्हीं के ओकर (प्रशासन के) विरुद्ध बहरसी निकसना अनुचित हइ ।
"हलाँकि", हम हिचकिचइते एम-त्स्की के तरफ मुड़के बात शुरू कइलिअइ, "ई सब के छोड़के, लगभग सब कोय बाहर निकसलइ ।"
"लेकिन हमन्हीं के एकरा से की ?" बे॰ बड़बड़इलइ ।
"हमन्हीं सो गुना जादे जोखिम उठइतिए हल, अगर बाहर निकसतिए हल; आउ काहे लगी ? Je hais ces brigands [ज ए से ब्रिगाँ (फ्रेंच) - हमरा ई डाकू सब से नफरत हइ] । की अपने सोचऽ हथिन, बल्कि एक्को मिनट लगी, कि ओकन्हीं के शिकायत में कोय जान हइ ? अइसन बकवास में काहे लगी पड़ल जाय ?"
"एकरा से कुछ फयदा नयँ होतइ", एगो जिद्दी आउ गुस्सैल बुढ़उ बोललइ । अलमाज़ोव, जे हिएँ उपस्थित हलइ, ओकरा "हाँ" में उत्तर देवे के शीघ्रता कइलकइ ।
"एकरा से कुच्छो फयदा नयँ होतइ, जब तक कि पचास लोग के फटका नयँ लगावल जइतइ ।"
"मेजर पहुँच गेलइ !" कोय तो चिल्लइलइ, आउ सब कोय उत्सुकतापूर्वक खिड़की दने लपकलइ ।

मेजर उड़ते (अर्थात् बहुत शीघ्रतापूर्वक) अंदर अइलइ - गोस्सा से लाल होल, चश्मा लगइले । चुपचाप, लेकिन दृढ़तापूर्वक ऊ अगला पंक्ति में अइलइ । अइसन हालत में ऊ वास्तव में ऊ साहसी हलइ आउ अपन आपा नयँ खोलकइ । लेकिन, ऊ लगभग हमेशे आधा नीसा में होवऽ हलइ । ओकर चिक्कट (चिक्कन) छज्जेदार टोपी (forage cap) भी, जेकरा में नारंगी रंग के पट्टी आउ चानी के गंदा स्कंधिका (epaulettes) हलइ, ई बखत कुछ तो अपशकुनसूचक हलइ । ओकरा पीछू लिपिक द्यातलोव चल रहले हल, जे हमन्हीं के जेल में अत्यंत महत्त्वपूर्ण व्यक्ति हलइ, जे असल में जेल में सब कुछ के इन-चार्ज हलइ, आउ मेजर पर भी ओकर प्रभाव हलइ, एगो चलाक अदमी हलइ, बहुत बुधगर, लेकिन अदमी खराब नयँ हलइ । कैदी लोग ओकरा से खुश हलइ । ओकर पीछू हमन्हीं के सर्जेंट चल रहले हल, जे स्पष्टतः पहिलहीं अत्यंत भयंकर डाँट खा चुकले हल आउ आउ दस गुना अधिक के प्रत्याशा कर रहले हल; ओकर पीछू मार्गरक्षी (convoys) हलइ, तीन चाहे चार अदमी, जादे नयँ । कैदी लोग, जे बिन टोपी के खड़ी हलइ, लगऽ हइ, ठीक ओहे समय से, जखने मेजर के बोलावल गेले हल, अब तनके खड़ी हो गेते गेलइ आउ क्रम से कतार में लग गेलइ; ओकन्हीं में से हरेक अपन एक गोड़ से दोसरा गोड़ बदललकइ, आउ फेर सब कोय ओइसीं एक जगुन स्थिर रहलइ, उच्च प्राधिकारी से पहिला शब्द के इंतजार में, चाहे बेहतर कहल जाय, पहिला चीख के । ई तुरतम्मे अइलइ; दोसर शब्द के साथ मेजर गला फाड़के चिल्लइलइ, अबरी एक प्रकार के कर्णभेदी चीख के साथ भी - ऊ बहुत आग बबूला होल हलइ । खिड़की से हमन्हीं के देखाय देब करऽ हलइ, कि कतार से होके ऊ कइसे दौड़ रहले हल, तेजी से लपकऽ हलइ, सवाल करऽ हलइ । लेकिन, ओकर सवाल आउ ओइसीं कैदी के जवाबो हमन्हीं के जगह से जादे दूर होवे के चलते सुनाय नयँ दे हलइ । हमन्हीं के खाली ओकर कर्णभेदी चीख सुनाय दे हलइ –
"विद्रोही लोग ! ... व्यूह के बीच [2] ... उसकावे वला लोग ! तूँ उसकइलहीं ! तूँ उसकइलहीं !" ऊ केकरो पर झपटलइ ।

जवाब सुनाय नयँ देलकइ । लेकिन एक मिनट के बाद देखलिअइ, कि एगो कैदी अलगे होलइ आउ कोर-द-गार्द (गार्ड-हाउस) तरफ रवाना हो गेलइ । आउ एक मिनट बाद ओकर पीछू एगो दोसरा कोय रवाना होलइ, फेर तेसरा ।
"सब्भे पर मोकदमा ! हम तोहन्हीं के ! ई केऽ हइ हुआँ भनसाघर में ?" हमन्हीं के खुललका खिड़की से देखके ऊ चिल्लइलइ । "सबके एद्धिर ! ओकन्हीं सबके हाँकके अभी एद्धिर लावल जाय !"
लिपिक द्यातलोव हमन्हीं दने भनसाघर लगी रवाना होलइ । भनसाघर में ओकरा बतावल गेलइ, कि कोय शिकायत नयँ हइ । ऊ तुरतम्मे वापिस चल गेलइ आउ मेजर के रिपोर्ट कइलकइ ।
"ओ, कोय शिकायत नयँ हइ !" ऊ दू तान निच्चे बोललइ, स्पष्टतः खुश होके । "खैर, सबके एद्धिर !"
हमन्हीं बहरसी अइलिअइ । हम अनुभव कइलिअइ, कि कइसूँ हमन्हीं के बाहर निकसना शरमनाक हइ । लेकिन तइयो हमन्हीं सब चललिअइ, सिर निच्चे कइले ।

"ओ, प्रोकोफ़्येव ! येल्किन भी, ई तूँ, अलमाज़ोव ... ठहर, एज्जी ठहर, समूह में", हमन्हीं दने प्रेमपूर्ण दृष्टि से देखते, एक प्रकार से त्वरित लेकिन कोमल ध्वनि में मेजर हमन्हीं से बोललइ । "एम-त्स्की, तूहूँ हियाँ ... एहो नोट कर लेल जाय । द्यातलोव ! अभिए सूची बना लेल जाय ऊ सबके जे संतुष्ट हइ आउ सबके जे असंतुष्ट हइ, सबके एक-एक अदमी के, आउ कागज हमरा पास भेज देल जाय । हम तोहन्हीं सबपर ... मोकदमा चलइबउ ! हम तोहन्हीं के, शैतान लोग !"
सूची अपन प्रभाव देखइलकइ ।
"हमन्हीं संतुष्ट हिअइ !" असंतुष्ट लोग के भीड़ से उदासी के साथ एगो जोर के अवाज अइलइ, लेकिन कइसूँ बहुत दृढ़ स्वर में नयँ ।
"अच्छऽ, संतुष्ट ! केऽ-केऽ संतुष्ट हइ ? जे-जे संतुष्ट हइ, ऊ सब आगू आवे ।"
"हमन्हीं संतुष्ट हिअइ, संतुष्ट !" कइएक अवाज जुड़लइ ।
"संतुष्ट ! मतलब, तोहन्हीं के उसकावल गेलउ ? मतलब, उसकावे वला, विद्रोही हलइ ? ओकन्हीं लगी आउ बत्तर होतइ ! ..."
"हे भगमान ! ई की हो रहले ह !" भीड़ में से केकरो अवाज सुनाय देलकइ ।
"केऽ, केऽ ई चिखलइ, केऽ ?" मेजर गरजलइ, ओकरा दने लपकते, जन्ने से अवजवा सुनाय देलके हल । "ई तूँ, रस्तोरगुएव, तूँ चिल्लइलहीं ? चल कोर-द-गार्द (गार्ड-हाउस) !"
रस्तोरगुएव, फुल्लल चेहरा आउ उँचगर कद के नवयुवक छोकरा, बाहर निकसलइ आउ धीरे-धीरे कोर-द-गार्द दने रवाना हो गेलइ । चिल्लइले हल ऊ बिलकुल नयँ, लेकिन चूँकि ओकरा दने इशारा कइल गेलइ, त ओहो विरोध नयँ कइलकइ ।
"तोरा जादे चरबी चढ़ गेलो ह !" मेजर ओकरा पर गरजलइ । "अरे, मोटका थोथुना, तीन दिन में नयँ ... ! अइकी हम तोहन्हीं के खोज लेबउ ! जे लोग संतुष्ट हइ, ऊ बाहर आवे !"
"हमन्हीं संतुष्ट हिअइ, महामहिम !" कुछ दस लोग के क्षीण स्वर सुनाय देलकइ; बाकी लोग दृढ़तापूर्वक चुप रहलइ । लेकिन मेजर के एकरे जरूरत हलइ । ओकरा, स्पष्टतः खुद के जल्दी से जल्दी मामला के लाभदायक ढंग से समाप्त करे के हलइ, आउ कइसूँ सहमति के साथ समाप्त करे के ।
"ओ, अब सब लोग संतुष्ट हका !" शीघ्रतापूर्वक ऊ बोललइ । "हम ई बात समझऽ हलिअइ ... जानऽ हलिअइ । ई सब उसकावे वला हइ ! ओकन्हीं बीच, स्पष्टतः, उसकावे वला लोग हइ !" द्यातलोव दने मुड़के ऊ बात जारी रखलकइ । "एकरा बारे आउ विस्तार से जाँच करे के चाही । लेकिन अभी ... अभी काम के बखत हो गेलइ । ढोल बजाव !"

काम के बँटवारा के बखत ऊ खुद उपस्थित हलइ । कैदी लोग चुपचाप आउ उदासी के साथ काम पर तितर-बितर हो गेते गेलइ, कम से कम ई बात से संतुष्ट होल, कि जल्दी से जल्दी ओकर नजर से दूर हो गेते गेलइ । लेकिन काम के वितरण के बाद मेजर तुरतम्मे कोर-द-गार्द में भेंट देलकइ आउ "उसकावे वलन" के मामला निपटा लेलकइ, लेकिन बहुत क्रूरतापूर्वक नयँ । आउ ई काम त्वरित गति से भी कइलकइ । ओकन्हीं में से एगो तो, जइसन कि बाद में लोग बतइते गेलइ, माफी माँग लेलकइ, आउ ऊ ओकरा तुरतम्मे माफ कर देलकइ । ई बात साफ हलइ, कि मेजर आंशिक रूप से कुछ असहज महसूस कर रहले हल, शायद, भयभीत हो गेले हल । माँग कइसनो हालत में एगो नाजुक चीज हइ, आउ हलाँकि कैदी के शिकायत असल में माँग नयँ कहल जा सकऽ हलइ, काहेकि एकरा उच्च प्राधिकारी के सामने प्रस्तुत नयँ कइल गेले हल, बल्कि खुद मेजर के, लेकिन तइयो कइसूँ ई उचित नयँ हलइ, ठीक नयँ हलइ । खास करके परेशानी के बात ई हलइ, कि सब कोय एक्के साथ विरोध में उठ खड़ी होले हल । मामला के कइसनो हालत में कुचल देवे के हलइ । "उसकावे वलन" के जल्दीए मुक्त कर देल गेलइ । दोसरे दिन खाना सुधर गेलइ, हलाँकि, तइयो लम्मा समय तक नयँ । मेजर पहिलौका कुछ दिन तक जेल में जादे अकसर भेंट देवे लगलइ आउ जादे अकसर अव्यवस्था (disorders) पइलकइ । हमन्हीं के सर्जेंट एन्ने-ओन्ने परेशान आउ भ्रमित होल चक्कर लगावऽ हलइ, मानूँ अभियो तक अचरज से उबर नयँ पइले हल । जाहाँ तक कैदी लोग के संबंध हइ, त ई घटना से बहुत लम्मा समय बाद तक ओकन्हीं शांत नयँ हो पइते गेलइ, लेकिन अब पहिले नियन उत्तेजित नयँ हलइ, बल्कि चुपचाप चिंतित हलइ, आउ कइसूँ हैरान हलइ । कुछ लोग सिर भी लटकइले हलइ । दोसर लोग ई सब मामले में बड़बड़इते, हलाँकि अल्पभाषिता के साथ, अपन विचार अभिव्यक्त कइलकइ । कइएक लोग कइसूँ कटुतापूर्वक आउ जोर से अपने आप पर हँसलइ, मानूँ अपन शिकायत पर खुद के दंड देते ।

"त भाय, ले आउ चख !" कोय बोलइ । (अर्थात् जे कुछ जेल में मिल्लऽ हको खाय लगी, ओहे खाके संतोष करऽ।)
"जेकरा पर हँस्सऽ हकहो, ओकरे लगी काम करऽ हो !" दोसरा कोय बोलऽ हइ ।
"काहाँ परी ऊ चूहा हइ, जे बिल्ली के गला में घंटी टँगलकइ ?" तेसर टिप्पणी करऽ हइ ।
"हमन्हीं के भाय के बिन लाठी के विश्वास नयँ होवऽ हइ, ई मालूम हइ । एहो गनीमत हइ, कि सब कोय के ऊ फटका नयँ देलकइ ।"
"आउ तूँ पहिले जाने के कोशिश जादे कर, आउ बड़बड़ कमती कर, बेहतर होतउ !" गोस्सा में कोय तो टिप्पणी करऽ हइ ।
"त तूँ की पढ़ाब करऽ हीं, शिक्षक ?"
"हम काम जानऽ हिअइ, पढ़ाब करऽ हिअइ ।"
"आउ तूँ केऽ हीं जे आगू अइलहीं ?"
"हम तो अभियो अदमी हकिअइ, आउ तूँ केऽ हकहीं ?"
"कुत्ता के हड्डी, अइकी ई तूँ हकँऽ ।"
"ई तो तूँ खुद हकँऽ ।"
"बस, बस, बहुत हो गेलउ तोहन्हीं के ! काहे लगी शोर-गुल मचा रहते गेलहीं हँ !" विवाद करे वलन पर सब तरफ से लोग चिल्ला हइ ...

ओहे साँझ के, मतलब ठीक शिकायत के दिन, काम से वापिस अइला पर, बैरक के पिछुआनी में हमरा पित्रोव से भेंट होलइ । ऊ हमरा खोज रहले हल । हमरा भिर अइते, ऊ कुछ तो बड़बड़इलइ, कुछ तो दु-तीन अस्पष्ट विस्मय के रूप में, लेकिन जल्दीए अन्यमनस्क रूप से चुप हो गेलइ आउ यांत्रिक रूप से हमरा साथ चलते रहलइ । ई सब मामला अभियो हमर दिल पर दर्दनाक रूप से अंकित रहलइ, आउ हमरा लगलइ, कि पित्रोव हमरा कुछ स्पष्ट करतइ ।
"बतावऽ, पित्रोव", हम ओकरा पुछलिअइ, "तोहन्हीं सब हमन्हीं पर गोस्सा तो नयँ करऽ हो ?"
"कउन गोस्सा करऽ हइ ?" ऊ पुछलकइ, मानूँ ऊ होश में आ गेले हल ।
"हमन्हीं कैदी पर ... उच्चकुलीन लोग पर ।"
"लेकिन काहे लगी अपने सब पर गोस्सा करतइ ?"
"ई कारण से, कि हमन्हीं शिकायत के वास्ते बाहर नयँ निकसते गेलिअइ ।"
"लेकिन अपने के शिकायत करे के की जरूरत हइ ?" ऊ पुछलकइ, मानूँ हमरा समझे के कोशिश कर रहल होवे, "अपने सब तो खुद के खाना खइते जा हथिन ।"
"हे भगमान ! लेकिन तोहन्हिंयों में से कुछ अइसन हका, जे अप्पन खाना खा हका, आउ तइयो बाहर अइला । हमन्हिंयों के चाही हल ... साथीदारी के आधार पर ।"
"लेकिन ... लेकिन अपने हमन्हीं के कइसन साथी हथिन ?" ऊ किंकर्तव्यविमूढ़ होल पुछलकइ ।

हम तेजी से ओकरा दने तकलिअइ - ऊ पक्का हमर बात नयँ समझलइ, ई बात नयँ समझलइ कि हमर कहे के की मतलब हइ । लेकिन ई पल हम ओकरा बिलकुल समझ गेलिअइ । पहिले तुरी अब एगो विचार, जे लम्मा समय से हमर दिमाग में आ रहले हल आउ हमर पीछा कर रहले हल, आखिरकार हमरा स्पष्ट हो गेलइ, आउ हमरा अचानक ऊ बात समझ में आ गेलइ, जेकरा बारे हम अभी तक जरी-मनी अंदाजे लगावऽ हलिअइ । हमरा समझ में आ गेलइ, कि हमरा कभियो ओकन्हीं साथीदारी में स्वीकार नयँ करतइ, चाहे हम शताब्दी तक  हमेशे लगी कैदी काहे नयँ रहिअइ, बल्कि विशेष विभाग में भी । लेकिन खास करके पित्रोव के ई पल के चेहरा के मुद्रा हमर स्मृति में रहलइ । ओकर सवाल - "अपने हमन्हीं खातिर कइसन साथी हथिन ?" में केतना अकृत्रिम निष्कपटता, केतना सरलहृदय (भोला) किंकर्तव्यविमूढ़ता सुनाय देलकइ । हम सोचलिअइ - की ई शब्द में कइसनो व्यंग्य, द्वेष, उपहास नयँ हइ ? अइसन कुच्छो नयँ हलइ - तूँ साथी बिलकुल नयँ हकऽ, बस । तूँ अप्पन रस्ते जा, आउ हमन्हीं अप्पन; तोर अप्पन काम हको, आउ हमन्हीं के अप्पन ।

आउ वास्तव में, हम सोचऽ हलिअइ, कि शिकायत के बाद ओकन्हीं खाली हमन्हीं के सतइतइ आउ हमन्हीं के जीना हराम हो जइतइ । अइसन कुछ नयँ होलइ - जरिक्को सन ताना नयँ, न जरिक्को सन कउनो तिरस्कार के संकेत हमन्हीं के सुनाय देलकइ, कइसनो विशेष प्रकार के द्वेष नयँ बढ़लइ । अवसर पाके हमन्हीं के जरी-मनी तंग करते जा हलइ, जइसन कि पहिले करऽ हलइ, आउ एकरा से जादे कुछ नयँ । लेकिन, ओकन्हिंयों सब पर जरिक्को सनी गोस्सा नयँ करते गेलइ, जे शिकायत प्रस्तुत करे लगी नयँ चाहऽ हलइ आउ भनसाघर में रह गेते गेले हल, आउ ठीक ओइसीं ओकन्हिंयो सब पर, जे सबसे पहिले चिल्लइले हल, कि ओकन्हीं सब संतुष्ट हइ । एकरा बारे कोय उल्लेख भी नयँ कइलकइ । खास करके ई अंतिम वला तो हम समझ नयँ सकलिअइ ।


सूची            पिछला                   अगला

No comments: