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Friday, June 17, 2016

रूसी उपन्यास –"आझकल के हीरो" ; अप्पन बात



अप्पन बात
दस्तयेव्स्की के दू उपन्यास "अपराध आउ दंड" आउ "कालापानी (साइबेरिया में जेल के जिनगी)" के मगही अनुवाद के बाद विश्वप्रसिद्ध रूसी लेखक मिख़ाइल यूरियेविच ल्येरमन्तव (Mikhail Yuryevich Lermontov) (15 अक्तूबर 1814 - 27 जुलाई 1841) के उपन्यास "Герой Нашего Времени" (गिरोय नाशेवऽ व्रेमेनी),  शाब्दिक अर्थ "हमन्हीं के समय के हीरो", के मगही अनुवाद "आझकल के हीरो" प्रस्तुत कइल जा रहले ह । एकर अनुवाद अंग्रेजी में कइएक शीर्षक से प्रकाशित होले ह - "A hero of our own times" (1854), "The heart of a Russian" (1912), "A hero of nowadays" (1924), "A hero of our time" (1928) आउ एकर बाद ई अंतिम शीर्षक से ही अब तक कइएक तुरी प्रकाशित होले ह । अत्यल्प उमर में निधनप्राप्त (मात्र 26 साल 10 महिन्ना के उमर में) ई लेखक के लोकप्रियता आउ प्रसिद्धि ई बात से समझल जा सकऽ हइ कि 1959 तक ई उपन्यास के 32 विदेशी भाषा में अनुवाद हो चुकले हल (दे॰ - "गिरोय नाशेवऽ व्रेमेनी", संपा॰ बे.एम. एयख़ेनबाउम आउ ए.ए. नायदिच; मास्को, 1962, पृ॰203-218) - स्वेडिश (1844), जर्मन (1852), अंग्रेजी (1854), डैनिश (1855), हंगरियन (1855), सर्बो-क्रोटियन (1863), चेख़ (1879), फ़िन्निश (1882), स्लोवेनियन (1883), फ़्रेंच (1884), इटैलियन (1886), बुलगारियन (1888), एस्पेरान्तो (1889), पॉलिश (1896), रुमानियन (1903), पोर्तुगीज (1905), डच (1908), स्पैनिश (1918), जापानी (1920), चीनी (1930), ग्रीक (1935), तुर्की (1940), मैसिडोनियन (1948), स्लोवाकियन (1950), फारसी (1952), अल्बानियन (1955), कोरियन (1956), उर्दू (1958), मंगोलियन (1958), हिन्दी (1958), अरबी (1959), नार्वेजियन (1959) । एकर बाद अब तक आउ कइएक भाषा में अनुवाद प्रकाशित होले होत, जेकरा में मराठी में श्रीमती अनघा भट द्वारा अनूदित "नायक एका पिढीचा" (2009), पुणे से प्रकाशित हइ (कुल-167 पृष्ठ) ।
ल्येरमन्तव के संपूर्ण रचनावली आझतक दू खंड में, चार खंड में, छो खंड में आउ दस खंड में छपले ह । ई मगही अनुवाद लगी मास्को से सन् 2002 में प्रकाशित "मिख़ाइल ल्येरमन्तव - संपूर्ण रचनावली - 10 खंड में (2002)" के खंड-6 के प्रयोग कइल गेले ह, जेकरा में "गिरोय नाशेवऽ व्रेमेनी" के पाठ पृ॰212-367 में हइ । ई उपन्यास में लेखक के प्रस्तावना के बाद क्रमशः प्रकरण हइ -
              भाग-I
1. बेला
2. माक्सीम माक्सीमिच
                  पिचोरिन के डायरी - प्रस्तावना
1.    तमान

                          भाग-II
2. राजकुमारी मेरी
3. भाग्यवादी
एक मुख्य बात ई उपन्यास के बारे चर्चा करना उचित जान पड़ऽ हइ । एकरा में नायक के पात्र हइ पिचोरिन, जेकर डायरी में कुछ तारीख के उल्लेख हइ, मई आउ जून के । रूसी पाठ से J. H. Wisdom & Marr Murray के अंग्रेजी अनुवाद (इंटरनेट पर उपलब्ध) के मिलान करे पर हमरा एगो स्पष्ट अंतर ई तारीख सब के बीच नजर अइलइ, जेकरा दू कॉलम में निच्चे देल जा रहले ह । पहिलौका कॉलम में आझकल के रूसी पाठ के हइ आउ दोसरा Wisdom & Murray के अंग्रेजी अनुवाद के ।
11 मई  - 11 मई
13 मई  - 13 मई
16 मई  - 16 मई
21 मई  -  21 मई

22 मई  -  29 मई
23 मई  -  30 मई
29 मई  -    6 जून
  3 जून  - 11 जून
                         4 जून   -  12 जून
                         5 जून   - 13 जून
                         6 जून -  14 जून
                         7 जून   - 15 जून
10 जून  - 18 जून
11 जून  -  22 जून
12 जून  -  24 जून
14 जून  - 25 जून
15 जून  - 26 जून
16 जून  - 27 जून
ई अंतर के कारण हमरा अनूदित साहित्य में कहीं नयँ मिललइ । त एकर कारण जाने लगी हम मूल रूसी के पुरनका संस्करण 1891, 1900, 1934, 1943, 1948, 1957, 1958, 1972 के जाँच कइलिअइ । सन् 1957 के संस्करण के पहिले वला सब्भे संस्करण में Wisdom & Murray के अंग्रेजी अनुवाद के अनुसार तारीख मेल खा हइ, खाली 1891 आउ 1900 वला संस्करण में स्पष्ट रूप से एगो मुद्रण दोष के, जेकरा में दिनांक 11 जून, 12 जून, 13 जून के स्थान पर 13 जून, 12 जून, 13 जून छप्पल हइ । लेकिन सबसे पहिले ई सब घोटाला के कारण के चर्चा हमरा मानूयलोव के "रमान एम.यू.ल्येरमन्तवा गिरोय नाशेवऽ व्रेमेनी" (1966) अर्थात् "एम.यू.ल्येरमन्तव के उपन्यास गिरोय नाशेवऽ व्रेमेनी" के पृ॰158-159 पर मिललइ । आउ ई पुस्तक में विस्तृत सूचना हेतु संदर्भ देल हइ - "ल्येरमन्तव - संपूर्ण रचनावली, छो खंड में (1954-1957)" में से 1957 में प्रकाशित खंड-6 के पृ॰656-657 के । एकरे मगही अनुवाद निच्चे प्रस्तुत कइल जा रहले ह । ई खंड के संपादक बे.एम. एयख़ेनबाउम लिक्खऽ हथिन –  
"राजकुमारी मेरी" में हम पिचोरिन के डायरी के तारीख के पांडुलिपि के अनुसार पुनरुद्धार करऽ हिअइ, 22 मई से शुरू करके । मुद्रण में (सन् 1840 के संस्करण से ही) पांडुलिपि के विरुद्ध तारीख बदल देल गेले ह, लेकिन ई निस्संदेह कोय तो गलती के कारण होलइ । 21 मई के डायरी में कहल हइ - "रेस्तोराँ के  हॉल में चंदा के अनुसार बिहान बॉल नृत्य हइ"; अगला नोट, जे बॉल नृत्य के घटना के वर्णन करऽ हइ आउ, स्पष्टतः, कार्यान्वित ठीक ओकर बाद होवऽ हइ, पांडुलिपि में 22 मई तारीख अंकित हइ, लेकिन मुद्रण में - 29 मई । ई स्पष्ट अनर्थ उत्पन्न करऽ हइ, जे ई बात से बढ़ जा हइ, कि अगला नोट में, जेकरा पांडुलिपि में 23 मई तारीख देल हइ, लेकिन मुद्रण में - 30 मई । ग्रुशिनित्स्की पिचोरिन के ई बात लगी धन्यवाद दे हइ, कि पिचोरिन कल्हे (अर्थात् 22 मई, जइसन कि होवहूँ के चाही) मेरी के रक्षा कइलकइ । मुद्रण में आगू के तारीख में आउ एगो अनर्थ हइ - स्पष्ट रूप से अनवधानता के कारण - तारीख "6 जून" के बाद के तारीख "13 जून" हइ (पांडुलिपि में पहिलौका स्थिति में - "22 मई", दोसरा में "3 जून"), आउ तब - "12 जून" । त माने के चाही, कि मूल गलती, जेकरा में तारीख "22 मई" के "29 मई" में बदलल हइ, अपन पीछू आगू वला बदलाव आउ गलती के कारण बनलइ । सन् 1840 आउ 1841 के संस्करण में डायरी के तारीख (21 मई के बाद) ई प्रकार हइ - 29 मई, 30 मई, 6 जून, 13 जून, 12 जून, 13 जून, 14 जून, 15 जून, 18 जून, 22 जून, 24 जून, 25 जून, 26 जून, 27 जून । पूर्व संस्करण में (विस्कोवातोव के, व्वेदिनस्कोव के, अकादेमिक बिब्लियोतेका के संस्करण में, "अकादेमिया" संस्करण में) खाली एक्के सुधार कइल गेलइ - पहिलौका स्थिति में तारीख "13 जून" के बदलके "11 जून" कर देल गेलइ; बाकी तारीख के मामले में 1840 के संस्करण के नकल कर लेल गेलइ । हम साधारणतः पांडुलिपि के दिनांकन में लौटे के निर्णय कइलिअइ, काहेकि पहिलौके मुद्रित दिनांक, जे पांडुलिपि वला (29 मई) से भिन्न हइ, गड़बड़ी उत्पन्न करऽ हइ ।
ई उपन्यास के पहिला संस्करण सांक्त-पितिरबुर्ग से फरवरी 1840 में निकसले हल - दू खंड में, पहिला खंड - 173 पृष्ठ; दोसर खंड - 250 पृष्ठ । दोसरा संस्करण मई 1841 में दू खंड में निकसले हल - पहिला खंड – 173 पृष्ठ; दोसर खंड - VI+250 पृष्ठ; आउ तृतीय संस्करण 1843 में दू खंड में - पहिला खंड – 173 पृष्ठ; दोसर खंड - VI+250 पृष्ठ । उपर्युक्त प्रकरण में से तीन प्रकरण "बेला", “भाग्यवादी” आउ "तमान" पहिला संस्करण से पहिले पत्रिका "ओतेचेस्त्वेन्निए ज़पिस्की" (स्वदेशी टिप्पणी/ विवरण) में स्वतंत्र कहानी के रूप में प्रकाशित हो चुकले हल (मानूयलोव : 1966:17) -
(1) "बेला" - ओतेचेस्त्वेन्निए ज़पिस्की, 1839, खंड-2, अंक-3, पृ॰167-212.
(2) "फ़तलिस्त" (भाग्यवादी) - ओतेचेस्त्वेन्निए ज़पिस्की, 1839, खंड-6, अंक-11, पृ॰146-158.
(3) "तमान" - ओतेचेस्त्वेन्निए ज़पिस्की, 1840, खंड-8, अंक-2, पृ॰144-154.
पहिला संस्करण में पहिले तुरी "माक्सीम माक्सीमिच", “पिचोरिन के डायरी” के प्रस्तावना आउ "राजकुमारी मेरी" के प्रकाशन होले हल । एकरा में लेखक के कोय प्रस्तावना नयँ हलइ । पत्रिका आउ पहिला संस्करण पर पाठक लोग के आलोचना पर लेखक अपन प्रतिक्रिया के रूप में संक्षिप्त आउ सारगर्भित प्रस्तावना लिखलथिन आउ ओहो अंतिम बखत, जबकि समुच्चे पुस्तक के प्रकाशन हेतु संग्रह कइल जा चुकले हल आउ शायद मुद्रित भी हो चुकले हल आउ एकरा दोसरा खंड के प्रारंभ में रक्खल गेले हल । दोसरा संस्करण बाहर से देखे में बिलकुल पहिला संस्करण नियन हलइ, हियाँ तक कि पृष्ठ संख्या आउ पंक्ति संख्या भी हूबहू एक्के नियन (मानूयलोव : 17-18) । लेखक के ई प्रस्तावना के प्रशंसा में प्रसिद्ध रूसी साहित्य समीक्षक विसारियोन बेलिन्स्की (1811-1848) समुच्चे प्रस्तावना के उद्धरण देके अपन निम्नलिखित प्रतिक्रिया अभिव्यक्त कइलथिन हल (बेलिन्स्की, संपूर्ण ग्रंथावली, खंड-5, पृ॰454-455) –
महान प्रतिभाशाली नियन, ल्येरमन्तव तथाकथित "शैली" के मास्टर हलथिन । शैली के अर्थ खाली व्याकरण के दृष्टि से शुद्ध, धाराप्रवाह आउ सुगठित लिखना नयँ हइ - जेकर दक्षता अकसर बिन प्रतिभा के भी प्राप्त होवऽ हइ । "शैली" से हमर मतलब हइ - स्वाभाविक, नैसर्गिक रूप से प्राप्त लेखक के दक्षता - शब्द के ओकर वास्तविक अर्थ में प्रयोग करना, संक्षिप्त रूप से अभिव्यक्त करके अधिक कहना, शब्द बाहुल्य में संक्षिप्त होना आउ संक्षिप्तता में फलदार, आकार में विचार के ढंग से संकुचित करके उँड़ेलना, आउ सब कुछ पर अपन व्यक्तित्व, अपन आत्मा के विलक्षण, मौलिक छाप छोड़ना । "आझकल के हीरो" के द्वितीय संस्करण के  ल्येरमन्तव के प्रस्तावना ई बात के एक उत्कृष्ट उदाहरण हो सकऽ हइ, कि "शैली में निपुण" होवे के की मतलब होवऽ हइ । ई प्रस्तावना के प्रतिलिपि प्रस्तुत करऽ हिअइ –
(हियाँ परी समुच्चा प्रस्तावना उद्धृत कइल हइ, जेकर बाद समीक्षक के प्रतिक्रिया निम्नलिखित हइ)
“केतना बारीकी आउ स्पष्टता हइ प्रत्येक शब्द में, बिलकुल अपन स्थान पर आउ प्रत्येक शब्द कोय दोसरा शब्द से अप्रतिस्थापनीय (unexchangeable) ! केतना सीमितता, संक्षिप्तता, आउ साथे-साथ बह्वर्थीयता ! पंक्ति पंक्ति पढ़ते बखत पंक्तियन के बिच्चे में भी पढ़ऽ हो; लेखक द्वारा कथित स्पष्ट रूप से समझते, एहो समझऽ हो, जे ऊ नयँ बोले लगी चाहऽ हलथिन, बातूनी हो जाय के आशंका से । उनकर वाक्य केतना आलंकारिक आउ मौलिक हइ - ओकरा में से प्रत्येक एगो बड़गो रचना के सूक्ति हो सकऽ हइ । वस्तुतः, ई हइ "शैली", चाहे हम नयँ जानऽ हिअइ, कि "शैली" के की अर्थ होवऽ हइ ...”
ई पुस्तक के तृतीय संस्करण (1843) पर अपन प्रतिक्रिया व्यक्त करते बेलिन्स्की लिखलथिन (बेलिन्स्की, संपूर्ण ग्रंथावली, खंड-8, पृ॰116) –
“ई एगो अइसन पुस्तक हइ, जेकर भाग्य में कभी पुराना नयँ होवे के बद्दल हइ, काहेकि जन्म के बखते में, एकरा पर काव्य के अमृत (शाब्दिक "सजीव पानी") से छिड़काव कइल गेले हल ! ई पुरनका पुस्तक हमेशे नावा रहतइ । हम एकर पहिला संस्करण लेलिअइ, एकर प्रकाशन के वर्ष जाने लगी - कि हमर दृष्टि एकर पहिला पृष्ठ पर गेलइ - आउ हाथ से एक के बाद दोसरा पृष्ठ पलटाय लगलइ । ई पुस्तक के केतना तुरी हम पढ़लिअइ - कि एकरो शायद बोर होवे के समय हो गेले होत; अइसन कुछ नयँ होलइ - सब कुछ पुरनका ओकरा में एतना नावा हइ, एतना ताजा हइ, मानूँ एकरा हम पहिले तुरी पढ़ब करऽ हिअइ ।”
अब ई बात पर चर्चा करना हम आवश्यक समझऽ हिअइ, कि की ई उपन्यास में सब कहानी आउ लघु उपन्यास एक दोसरा से स्वतंत्र हइ, जइसन कि साधारणतः मानल जा हइ ? एकरा बारे बेलिन्स्की के मत प्रस्तुत हइ (बेलिन्स्की, संपूर्ण ग्रंथावली, खंड-4, पृ॰146) –
"ओतेचेस्त्वेन्निए ज़पिस्की" के पाठक लोग "आझकल के हीरो" के तीन भाग से पहिलहीं परिचित हथिन - "बेला", "भाग्यवादी", आउ "तमान", जेकर आधार पर ऊ लोग समुच्चे रचना के गुण के अंदाज लगा सकऽ हथिन । हम कहऽ हिअइ - अंदाज लगा सकऽ हथिन, काहेकि "आझकल के हीरो" दू खंड में संपादित आउ खाली एगो सामान्य शीर्षक के अंतर्गत जोड़ल कुछ कहानी के संग्रह बिलकुल नयँ हइ - नयँ, ई लघु उपन्यास आउ कहानी के संग्रह नयँ हइ - बल्कि ई उपन्यास हइ, जेकरा में एक हीरो हइ आउ कलात्मक ढंग से विकसित एक मौलिक विचार हइ । जे ई उपन्यास के सबसे बड़गर कहानी "राजकुमारी मेरी" नयँ पढ़लके ह, ऊ न तो विचार के बारे, आउ न समुच्चे रचना के गुण के बारे अनुमान लगा सकऽ हइ । उपन्यास के मुख्य विचार मुख्य रूप से प्रभावित करे वला पात्र पिचोरिन में विकसित हइ, लेकिन पिचोरिन के, उपन्यास के हीरो के रूप में अपने खाली द्वितीय भाग में देखऽ हथिन, जे "राजकुमारी मेरी" से शुरू होवऽ हइ; "बेला", "माक्सीम माक्सीमिच" आउ "प्रस्तावना" (जे पहिले कहूँ नयँ मुद्रित होले हल) खाली हीरो के गुप्त चरित्र से अपने के उत्सुकता के प्रचंड रूप से जागृत करऽ हइ, जेकरा से अपने पूरा तरह से परिचित होवऽ हथिन खाली "राजकुमारी मेरी" के माध्यम से; ई कहानी पढ़ लेले पर अपने के सामने "बेला" एक नावा प्रकाश में दृष्टिगोचर होवऽ हइ ।




पाठक सब के ई बताना आवश्यक समझऽ हिअइ, कि ई उपन्यास के मूल रूसी में भाग-1 के "बेला" आउ भाग-2 के "राजकुमारी मेरी" के प्रकरण के अध्याय में विभक्त नयँ कइल हइ । ई इंटरनेट संस्करण में सुविधा हेतु Wisdom & Murray के अंगरेजी अनुवाद में प्रयुक्त अध्याय में वर्गीकरण के अनुसार अध्याय में विभक्त कर देल गेले ह । पुस्तक रूप में प्रकाशन के दौरान ई अध्याय वर्गीकरण हटा देल जाय के चाही ।
अंत में हम खाली एतना सूचित करे लगी चाहबइ, कि ई उपन्यास मूल रूसी में कुल 155 पृष्ठ के हइ । आशा करऽ हिअइ कि एकर मगही अनुवाद करीब चार-पाँच महिन्ना में पूरा हो जइतइ ।

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