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Sunday, July 31, 2016

रूसी उपन्यास "आझकल के हीरो" ; भाग-1 ; 2. माक्सीम माक्सीमिच - अध्याय-2



रूसी उपन्यास – “आझकल के हीरो”
भाग-1
2. माक्सीम माक्सीमिच - अध्याय-2

ऊ मध्यम कद के हलइ; ओकर सुडौल, पतरगर कम्मर आउ चौड़गर कन्हा मजबूत काठी के सबूत दे हलइ, जे यायावरीय (खानाबदोश) जिनगी आउ जलवायु में परिवर्तन के सब प्रकार के दुख-तकलीफ सहन करे में सक्षम हलइ, जे न तो राजधानी के लंपट जिनगी से, आउ न आत्मिक झंझावात से प्रभावित हलइ; ओकर धूल-धूसरित मखमली कोट, जेकरा में खाली निचला दुन्नु बोताम लगल हलइ, चकाचौंध करे वला शुभ्र छालटी (linen) के साफ-साफ देखे के अनुमति दे रहले हल, जे (छालटी) एगो अभिजात व्यक्ति (gentleman) के स्वभाव के प्रकट करऽ हलइ; ओकर धूल-धूसरित दस्ताना लगऽ हलइ कि ओकर छोटगर कुलीन (aristocratic) हाथ लगी जान-बूझके बनावल गेले हल, आउ जब एक दस्ताना घींचके निकसलकइ, त हमरा ओकर उज्जर पतरगर अँगुरी देखके अचंभा होलइ । ओकर चाल बेपरवाह आउ आलसी हलइ, लेकिन हम नोटिस कइलिअइ, कि ऊ अपन हाथ नयँ झुलावऽ हलइ - जे ओकर चरित्र के एक प्रकार के रहस्यता के पक्का लक्षण हलइ । लेकिन, ई सब हमर व्यक्तिगत विचार हइ, जे हमर प्रेक्षण (observations) पर आधारित हइ, आउ हम ई बिलकुल नयँ चाहऽ हिअइ, कि अपने आँख मूनके ई सब पर विश्वास करथिन । जब ऊ बेंच पर बैठऽ हलइ, त ओकर सीधगर काठी वक्र हो जा हलइ, मानूँ ओकर रीढ़ में एक्को हड्डी नयँ हलइ; ओकर समुच्चे देह के मुद्रा (posture) स्नायविक दुर्बलता (nervous weakness) प्रकट करऽ हलइ - ऊ अइसे बैठऽ हलइ, जइसे एगो तीस साल के बलज़ाक [1] इश्कबाज (नखरेबाज) औरत थका देवे वला बॉल नृत्य के बाद अपन रोमिल (downy) आराम कुरसी पर बैठऽ हइ । ऊ तेइस साल से जादे उमर के नयँ होतइ, अइसन ओकर चेहरा पर पहिला नजर में देखके हम कह सकऽ हलिअइ, हलाँकि बाद में ओकरा तीस साल के उमर के कहे लगी तैयार हलिअइ । ओकर मुसकान में कुछ तो बचकाना हलइ । ओकर त्वचा में एक प्रकार के महिला के कोमलता हलइ; प्राकृतिक रूप से घुंघराला, सुंदर बाल, सजीवता से ओकर पीयर, उत्कृष्ट निरार के चित्रित करऽ हलइ, जेकरा पर खाली  देर तक के प्रेक्षण ही, एक दोसरा के काटते झुर्री के निशान नोटिस कइल जा सकऽ हलइ, आउ जे शायद गोस्सा चाहे मानसिक बेचैनी के क्षण में स्पष्ट रूप से दृष्टिगोचर होवऽ हलइ । ओकर केश भूरा (सुनहरा) रंग के बावजूद, ओकर मोंछ आउ भौं करिया हलइ - व्यक्ति के नसल के एगो लक्षण हइ ठीक ओइसीं, जइसे कि उज्जर रंग के घोड़ा के करिया अयाल आउ करिया पूँछ । रूपचित्र (portrait) पूरा करे खातिर, हम कहबइ, कि ओकर नाक कुछ उपरे दने उट्ठल हलइ, दाँत में चकाचौंध करे वला शुभ्रता आउ भूरा रंग के आँख; आँख के बारे हमरा आउ कुछ शब्द कहे के चाही ।

पहिला, ओकर आँख नयँ हँस्सऽ हलइ, जब ऊ हँस्सऽ हलइ ! - अपने के कुछ लोग में अइसन विचित्रता देखे के अवसर नयँ मिलले ह ? ... ई लक्षण हइ - या तो दुष्ट प्रकृति के, चाहे गहरा स्थायी उदासी के । ओकर अर्धनिमीलित पिपनी के पीछू से ओकर आँख एक प्रकार के स्फुरदीपी (phosphorescent) चमक के साथ चमकऽ हलइ, अगर ई तरह से एकरा अभिव्यक्त कइल जा सकइ । ई (चमक) आत्मिक उष्णता चाहे सहज कल्पना के प्रतिबिंब (झलक) नयँ हलइ - ई चमक हलइ चिकना इस्पात के चमक नियन, चकाचौंध करे वला, लेकिन शीतल; ओकर दृष्टि - चंचल, लेकिन सूक्ष्मदर्शी आउ गंभीर, धृष्ट प्रश्न के अप्रिय छाप छोड़ऽ हलइ आउ ढीठ प्रतीत हो सकऽ हलइ, अगर ओतना भावशून्यतापूर्वक शांत नयँ होते हल । ई सब टिप्पणी हमर मस्तिष्क में अइलइ, शायद, ई कारण से, कि हम ओकर जिनगी के कुछ विवरण पहिलहीं से जानऽ हलिअइ, आउ शायद, ओकर आकृति दोसरा केकरो पर बिलकुल अलगहीं छाप छोड़ते हल; लेकिन चूँकि ओकरा बारे अपने हमरा छोड़के आउ दोसरा केकरो से नयँ सुन पइथिन, त चाहथिन चाहे नयँ चाहथिन, अपने के ई चित्रण पर संतुष्ट होहीं पड़तइ । उपसंहार के रूप में हम कहबइ, कि सामान्य तौर पर ऊ बहुत सुंदर हलइ आउ ओकरा पास ओइसन मौलिक चेहरा-मोहरा (physiognomy, facial features) में से एक हलइ, जे उच्च वर्ग के महिला सब के विशेष करके पसीन पड़ऽ हइ।
घोड़वन जोतल हलइ; दुगा [2] के निच्चे बीच-बीच में घंटी टनटना हलइ, आउ नौकर दू तुरी पिचोरिन के पास आके बता चुकले हल, कि सब कुछ तैयार हइ, लेकिन माक्सीम माक्सीमिच के अभियो पता नयँ हलइ । भाग्यवश, पिचोरिन विचारमग्न हलइ, काकेशिया (पर्वत) के नीला दँतगर शिखर पर दृष्टि कइले हलइ, आउ शायद, ऊ आगू के यात्रा पर निकस जाय के कोय जल्दी में नयँ हलइ । हम ओकरा भिर गेलिअइ । "अगर अपने कुछ देर इंतजार करे लगी चाहथिन", हम कहलिअइ, "त अपने के एगो पुरनका दोस्त से मिल्ले के खुशी प्राप्त होतइ ..."
"ओह, हाँ !" तेजी से ऊ जवाब देलकइ, "हमरा कल्हे बतावल गेले हल - लेकिन ऊ काहाँ हथिन ?" हम चौक दने नजर डललिअइ आउ देखलिअइ, कि माक्सीम माक्सीमिच अपन पूरा जोर लगाके दौड़ल आ रहला ह ... कुछ मिनट के बाद ऊ हमन्हीं भिर पहुँच गेला; ऊ मोसकिल से साँस ले रहला हल; उनकर चेहरा से पसेना चू रहले हल; उनकर उज्जर केश के गीलगर लट, जे टोपी के निच्चे से बाहर निकसल हलइ, उनकर निरार पर चिपकल हलइ; उनकर टेहुना थरथरा रहले हल ... ऊ अपन बाँह पिचोरिन के गला में डालहीं वला हला, लेकिन काफी भावशून्य होके, हलाँकि स्वागतपूर्ण मुसकान के साथ, उनका दने अपन हाथ बढ़इलकइ । स्टाफ-कप्तान तो पल भर लगी स्तंभित रह गेला, लेकिन फेर उत्सुकतापूर्वक दुन्नु हाथ से ओकर हाथ पकड़ लेलका - ऊ अभियो तक बोल नयँ पइलका ।
"हमरा केतना खुशी होलइ, प्रिय माक्सीम माक्सीमिच । अच्छऽ, अपने कइसन हथिन ?" पिचोरिन कहलकइ ।
"आउ ... तूँ ? ... आउ अपने ?" बुजुर्ग अपन आँख में लोर के साथ बड़बड़इला ... - "केतना साल ... केतना दिन ... लेकिन ई काहाँ के यात्रा ? ..."
"फारस जा रहलिए ह - आउ आगू ..."
"की वास्तव में अभिए ? ... लेकिन कुछ देर तो ठहर जाथिन, प्रिय ! ... की वास्तव में अभिए विदा हो जइते जइबइ ? ... केतना दिन से हमन्हीं के भेंट नयँ होलइ ..."
"हमरा समय हो गेलइ, माक्सीम माक्सीमिच", - जवाब हलइ ।
"हे भगमान, हे भगमान ! एतना जल्दी-जल्दी काहाँ जाब करऽ हथिन ? ... हमरा केतना सारा अपने से कहे के हइ ... केतना सारा पुच्छे के हइ ... की हाल-चाल हइ ? रिटायर हो गेलथिन की ? ... कइसन हथिन ? ... अब तक की कर रहलथिन हल ? ..."
"ऊब रहलूँ हल !" मुसकइते पिचोरिन जवाब देलकइ ।
"आउ किला में हमन्हीं के रहन-सहन के आद आवऽ हलइ ? शिकार लगी एगो केतना निम्मन देश हलइ ! ... अपने तो एगो शौकीन शिकारी के रूप में शूटिंग करऽ हलथिन ... आउ बेला ? ..."
पिचोरिन के चेहरा लगभग पीयर पड़ गेलइ आउ ऊ अपन मुँह मोड़ लेलकइ ...
"हाँ, आद हइ !" ऊ कहलकइ, आउ लगभग तुरतम्मे विवश होके उबासी लेलकइ ...
माक्सीम माक्सीमिच अपना साथ आउ लगभग दू घंटा रहे लगी ओकरा मनावे लगला ।
"हमन्हीं निम्मन से दुपहर के खाना खइते जइबइ", ऊ बोलला, "हमरा पास दूगो तीतर हइ; आउ हियाँ काख़ेतिन शराब उत्तम होवऽ हइ ... जाहिर हइ, ऊ नयँ, जे जॉर्जिया में होवऽ हइ, बल्कि आउ बेहतर किसिम के ... हमन्हीं कुछ देर बात करते जइबइ ... अपने हमरा अपन पितिरबुर्ग के जिनगी के बारे बतइथिन ... ठीक हइ न ?"
"असल में, हमरा कुच्छो नयँ बतावे लायक हइ, प्रिय माक्सीम माक्सीमिच ... लेकिन अलविदा, हमरा जाय के अब समय हो गेले ह ... हम जल्दी में हिअइ ... हमरा नयँ भुलइलथिन, एकरा लगी धन्यवाद ...", उनकर हाथ पकड़के ऊ आगू बोललइ ।
बुजुर्ग के त्योरी चढ़ गेलइ ... ऊ दुखी आउ क्रुद्ध हो गेला, हलाँकि ई भाव के ऊ छिपावे के प्रयास कइलका ।
"भूल गेलिअइ !" ऊ बड़बड़इला, "हम तो कुच्छो नयँ भुलइलिअइ ... खैर, खुदा हाफ़िज़ ! ... लेकिन हम तो अपने के साथ ई तरह से भेंटे के प्रत्याशा नयँ कइलिए हल ..."
"अच्छऽ, बस, बस !" पिचोरिन उनका दोस्ताना ढंग से गले लिपटके कहलकइ । "की वास्तव में ओहे नयँ हिअइ ? ... की कइल जाय ? ... हरेक के अपन रस्ता होवऽ हइ ... फेर मिल्ले के मौका मिलतइ कि नयँ - भगमाने जानऽ हका ! ...", एतना कहते, ऊ कल्यास्का में चढ़ चुकले हल, आउ कोचवान लगाम सम्हारे लगलइ ।
"ठहर, ठहर !" कल्यास्का के दरवाजा पकड़के अचानक माक्सीम माक्सीमिच चिल्लइला, "एक बात तो हम बिलकुल भुलिए गेलिअइ ... हमरा पास अपने के कागज-पत्तर रह गेले ह, ग्रिगोरी अलिक्सांद्रविच ... हम ऊ सब के अपन साथ ढोले बुलऽ हिअइ ... सोचऽ हलिअइ, कि अपने जॉर्जिया में मिलथिन, लेकिन अइकी काहाँ भगमान हमन्हीं के मिलइलथिन ... हम ऊ सब के की करिअइ ? ..."
"जइसन अपने के मर्जी !" पिचोरिन जवाब देलकइ । "अलविदा ! ..."
"त अपने फारस चललथिन ? ... लेकिन कब लौटथिन ? ...", माक्सीम माक्सीमिच पीछू से चिल्लइला ...
कल्यास्का दूर जा चुकले हल; लेकिन पिचोरिन हाथ से इशारा कइलकइ, जेकर मतलब कुछ अइसन निकासल जा सकऽ हलइ - "ई संभव नयँ ! लेकिन आखिर काहे लगी ? ..."

घंटी के अवाज आउ कंकड़ीला रस्ता पर से चक्का के खड़खड़ कब के सुनाय देना बन हो चुकले हल - लेकिन बेचारा बुजुर्ग (बुढ़उ) गहरा विचार में मग्न अभियो तक ओज्जे परी खड़ी हला । "हाँ", भावशून्य मुद्रा बनावे के प्रयास करते आखिरकार ऊ कहलका, हलाँकि झुंझलाहट के लोर उनकर पिपनी पर बीच-बीच में कौंधऽ हलइ, "वास्तव में, हमन्हीं मित्र हलिअइ - लेकिन वर्तमान शताब्दी में मित्र के की महत्त्व हइ ! ... हमरा से ओरा की मतलब हइ ? हम धनगर नयँ हिअइ, कोय रैंक (बड़गर ओहदा) वला नयँ हिअइ, आउ उमर के हिसाब से हमर ओकरा साथ कोय जोड़ी नयँ हइ ... देखऽ, जइसीं ऊ फेर से पितिरबुर्ग होके अइलइ, ऊ कइसन छैला बन चुकल ह ... कइसन कल्यास्का (घोड़ागाड़ी) हइ ! ... केतना लगेज (सर-समान) हइ ! ..." ई सब शब्द व्यंग्य भरल मुसकान से उनकर मुख से निकसले हल । "बताथिन", हमरा दने मुड़के ऊ बात जारी रखलका, "त अपने एकरा बारे की सोचऽ हथिन? ... अच्छऽ, कउन भूत ओकरा फारस लेले जाब करऽ हइ ? ... हास्यास्पद हइ, वास्तव में, हास्यास्पद हइ ! ... हाँ, हम हमेशे जानऽ हलिअइ, कि ऊ सिरफिरा अदमी हइ, जेकरा पर कभी विश्वास करे के नयँ ... आउ, सच में, खेद हइ, कि ओकर अंत बुरा होतइ ... हाँ, आउ कुच्छो दोसर तरह नयँ ! ... हम हमेशे बोलऽ हलिअइ, कि जे अपन पुरनका दोस्त लोग के भूल जा हइ, ओकर कभी भला नयँ होवऽ हइ ! ..." एतना बोलला के बाद अपन बेचैनी छिपावे खातिर ऊ मुड़ गेला, प्रांगण में अपन गाड़ी भिर चहलकदमी करे खातिर रवाना हो गेला, ई देखइते, मानूँ ऊ चक्का के जाँच कर रहला ह, तखने उनकर आँख में मिनट-मिनट लोर भर जा हलइ ।

"माक्सीम माक्सीमिच", उनका भिर जाके हम कहलिअइ, "पिचोरिन अपने के पास कइसन कागज छोड़लकइ ?"
"भगमाने जानऽ हथिन ! कइसनो नोट हइ ..."
"अपने एकरा की करथिन ?"
"की करबइ ? एकरा से कारतूस बनावे के औडर दे देबइ ।"
"त बेहतर होतइ कि ई सब हमरा दे देथिन ।"
ऊ हमरा दने अचरज से देखलका, कुछ तो अपन दाँत के बीच से बड़बड़इला आउ सूटकेस में कुछ तो टटोलके देखे लगला; अइकी ऊ एगो नोटबुक निकसलका आउ नफरत के साथ जमीन पर ओकरा फेंक देलका; बाद में दोसरा, तेसरा आउ दसमा के ओहे हाल होलइ - उनकर झुंझलाहट में कुछ तो बचकाना हलइ; हमरा ई हास्यास्पद आउ खेदजनक लगलइ ...
"अइकी एहे सब हकइ ऊ", ऊ बोलला, "अपने के ई सब मिल गेलइ, एकरा लगी बधाई ..."
"आउ एकरा, जे कुछ चाहिअइ, कर सकऽ हिअइ ?"
"चाहथिन त अखबार में प्रकाशित कर देथिन । हमरा एकरा से की मतलब ? ... की, वास्तव में, हम ओकर कोय दोस्त हिअइ ? ... कि कोय रिश्तेदार ? ई सच हइ, कि हमन्हीं लम्मा समय तक दुन्नु एक्के साथ रहलिअइ ... आउ की अइसन कमती लोग हइ जेकरा साथ हम रहलिअइ ? ..."

हम कागज धर लेलिअइ आउ तुरतम्मे हुआँ से हटा लेलिअइ, ई भय से, कि कहीं स्टाफ-कप्तान पछतावा नयँ करे लगथिन । जल्दीए हमन्हीं के बतावल गेलइ, कि एक घंटा के बाद ओकाज़िया रवाना हो जइतइ; हम घोड़ा के जोते लगी औडर दे देलिअइ । स्टाफ-कप्तान कमरा में ऊ बखत घुसलथिन, जब हम टोपी पहन चुकलिए हल; ऊ, शायद, यात्रा करे लगी तैयारी नयँ कइलथिन हल; उनकर चेहरा पर अस्वाभाविक शांत भाव हलइ ।
"आउ अपने, माक्सीम माक्सीमिच, वास्तव में नयँ आ रहलथिन हँ ?"
"जी नयँ ।"
"आउ काहे ?"
"हमरा अभियो कमांडेंट से मोलकात नयँ होलइ, आउ हमरा उनका कुछ सरकारी समान सौंपे के हइ ..."
"लेकिन अपने तो उनका हीं जाके अइलथिन न ?"
"निस्संदेह होके अइलिअइ", ऊ असमंजस में पड़ते बोललथिन, "लेकिन ऊ घर पर नयँ हलथिन ... आउ हम इंतजार नयँ कइलिअइ ।"

हम उनकर बात समझ गेलिअइ - बेचारे बुढ़उ, जनम से पहिले तुरी, शायद, अगर कार्यालयीन भाषा में कहल जाय त अपन व्यक्तिगत आवश्यकता  खातिर सरकारी सेवा के काम के छोड़ देलका हल - आउ उनका कइसन पारितोषिक मिलले हल !
"बहुत खराब लगऽ हइ", हम उनका कहलिअइ, "बहुत खराब लगऽ हइ, माक्सीम माक्सीमिच, कि हमन्हीं के एतना जल्दी अलगे होवे पड़ रहले ह ।"
"काहाँ हमन्हीं अशिक्षित बुढ़वन के अपने सब के पीछू दौड़े के चाही ! ... अपने सब नौजवान फैशनदार, अभिमानी लोग - जब तक हियाँ, चिर्केस गोली सनसना हइ, तब तक अपने सब एद्धिर-ओद्धिर होथिन ... लेकिन बाद में भेंट होतइ, त हमन्हीं लोग से हथवो मिलावे में शरमइथिन ।"
"हम तो अइसन झिड़की (ताना) खाय के लायक नयँ हिअइ, माक्सीम माक्सीमिच ।"
"ओह, हम तो बात के माने कह रहलिए ह - लेकिन हम अपने के हरेक तरह के खुशी आउ शुभ यात्रा के कामना करऽ हिअइ ।"

हमन्हीं के विदाई काफी शुष्क हलइ । उदार माक्सीम माक्सीमिच जिद्दी, झगड़ालू स्टाफ-कप्तान बन गेलथिन हल! आउ कउन कारण से ? ई कारण से, कि पिचोरिन अन्यमनस्कता चाहे आउ कोय कारण से उनका सामने अपन हाथ बढ़इलके हल, जबकि ऊ ओकरा गले से लगावे लगी चाहऽ हलथिन ! देखे में तब खराब लगऽ हइ, जब कोय युवक अपन बेहतर आशा आउ सपना खो दे हइ, जब ओकरा सामने गुलाबी नकाब झटाक से खुल्लऽ हइ, जेकरा से ऊ मानवीय कर्म आउ भावना के देखलके हल, हलाँकि ई आशा रहऽ हइ, कि ऊ अपन पुरनका भ्रांत धारणा के नवीन धारणा में बदल लेतइ, जे कइसूँ कम क्षणिक नयँ होवऽ हइ, लेकिन तइयो कम मधुर नयँ रहऽ हइ ... लेकिन माक्सीम माक्सीमिच के उमर के लोग कउची से अदला-बदली करता ? जाने-अनजाने हृदय कठोर हो जा हइ आउ आत्मा अपने आप के बन कर ले हइ ...
हम अकेल्ले प्रस्थान कर गेलिअइ ।


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