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Sunday, July 03, 2016

रूसी उपन्यास "आझकल के हीरो" ; भाग-1 ; बेला - अध्याय-3



रूसी उपन्यास – “आझकल के हीरो”
भाग-1
1. बेला - अध्याय-3

"अइकी देखथिन, हम तेरेक के पार एगो किला में कंपनी के साथ हलिअइ - लगभग पाँच साल पहिले । एक तुरी, शरत्काल में रसद के साथ एगो गाड़ी अइलइ; गाड़ी में एगो अफसर हलइ, पचीस साल के एगो नौजवान । ऊ हमरा सामने पूरा वरदी में प्रस्तुत होलइ आउ बतइलकइ, कि ओकरा हमरा हीं किला में रहे के औडर मिलले ह । ऊ एतना पतरा, गोरा हलइ, ओकर वरदी एतना नावा हलइ, कि हम तुरतम्मे अंदाज लगा लेलिअइ, कि ऊ काकेशिया में हमन्हीं हीं हाले में अइले ह । "तोहर, शायद", हम ओकरा पुछलिअइ, "रूस से हियाँ बदली होलो ह?" - "बिलकुल सही, मिस्टर स्टाफ-कप्तान", ऊ उत्तर देलकइ । हम ओकरा हाथ से पकड़ लेलिअइ आउ कहलिअइ - "बहुत खुशी के बात हको, बहुत खुशी के बात हको । तोहरा जरी बोर होतो ... लेकिन तइयो हमन्हीं दुन्नु मित्रतापूर्वक रहबइ ... आउ, किरपा करके, हमरा खाली, माक्सीम माक्सीमिच पुकारऽ, आउ, काहे लगी एतना पूरा वरदी ? हमेशे हमरा भिर छज्जेदार टोपी (forage cap) में आवऽ ।" ओकरा क्वाटर ले जाल गेलइ, आउ ऊ किला में टिक गेलइ ।

"अइकी हम अपने के सुनावऽ हिअइ । किला से कोय छो विर्स्ता दूर एगो शांतिप्रिय राजकुमार रहऽ हलइ । ओकर बेटा के, जे लगभग पनरह साल के हलइ, हमन्हीं हीं आवे-जाय के चस्का लग गेलइ - हरेक दिन, कभी ई काम से, त कभी ऊ काम से; हमर आउ ग्रिगोरी अलिक्सांद्रविच के दुलार से ऊ बिगड़ गेलइ । आउ कइसन दुस्साहसी हलइ ऊ, जे चाहो ओकरा में तेज - पूरा सरपट घुड़सवारी के दौरान जमीन पर से टोपी उठा लेवे के बात रहइ, चाहे राइफल से निशाना लगावे के बात रहइ । ओकरा में एक खराबी हलइ - पैसा के बड़ी लोभी हलइ । एक तुरी, मजाक में, ग्रिगोरी अलिक्सांद्रविच ओकरा एगो सोना के सिक्का देवे के वादा कइलकइ, अगर  ओकरा लगी ऊ अपन बाप के रेवड़ (herd) में से एगो सबसे निम्मन बकरा चोराके ला देइ; आउ अपने की सोचऽ हथिन ? दोसरहीं रात ओकरा सींग से घसीटते ले अइलइ । कभी-कभी, हमन्हीं ओकरा चिढ़ावे लगी सोचिअइ, त ओकर आँख में खून उतर आवइ, आउ तुरतम्मे खंजर निकास लेइ ।
"ए अज़मात (अज़ऽमात), तोरा अपन जान जोखिम में नयँ डाले के चाही", हम ओकरा बोललिअइ, "तोर सिर लगी यामान [(तुर्की) - खराब] होतउ !"

एक तुरी खुद वृद्ध राजकुमार विवाह पर हमन्हीं के आमंत्रित करे लगी आवऽ हथिन - ऊ अपन बड़की बेटी के विवाह कर रहलथिन हल, आउ हमन्हीं कुनाक [दोस्त] हलिअइ - त जनवे करऽ हथिन, कि अइसन हालत में इनकार नयँ कइल जा सकऽ हलइ, हलाँकि कि ऊ तातार हलथिन । हमन्हीं रवाना होलिअइ । आउल [1] में कइएक कुत्ता हमन्हीं के देखके जोर-जोर से भुक्के लगलइ । औरतियन हमन्हीं के देखके नुक गेते गेलइ; ओकन्हीं, जेकर हमन्हीं चेहरा देख सकलिअइ, बिलकुल सुंदर नयँ हलइ । "चेर्केस औरतियन के बारे हमर बहुत निम्मन विचार हलइ", ग्रिगोरी अलिक्सांद्रविच हमरा से बोलला । "जरी ठहरथिन !" मुसकइते हम जवाब देलिअइ । हमर दिमाग में अपने विचार हलइ । राजकुमार के साक्ल्या में कइएक लोग जामा हलइ । एशियाई लोग के हियाँ, जनवे करऽ हथिन, कि विवाह के अवसर पर सब्भे ऐरा गैरा नत्थू खैरा के आमंत्रित करे के रिवाज हइ । हमन्हीं के पूरे आदर के साथ स्वागत कइल गेलइ आउ अतिथि-कक्ष में ले जाल गेलइ । हम, लेकिन, ई देखे लगी नयँ भुललिअइ, कि हमन्हीं के घोड़वन के काहाँ रक्खल गेलइ, जनवे करऽ हथिन, कोय अप्रत्याशित घटना लगी ।

"ओकन्हीं हीं विवाह के रसम कइसे कइल जा हइ ?" हम स्टाफ-कप्तान के पुछलिअइ ।
"सामान्ये ढंग से । सबसे पहिले मुल्ला ओकन्हीं लगी कुरान से कुछ तो पढ़ऽ हइ; फेर नवदंपति के आउ ओकन्हीं के सब्भे रिश्तेदार के भेंट (उपहार) दे हइ, खा हइ, बूज़ा [क्रीमिया आउ काकेशिया में एगो मादक पेय, जे बाजरा (millet), फाफर या कूटू, चाहे जो (जौ) से बनावल जा हइ] पीयऽ हइ; फेर जिगितोवका (उछलते-कूदते घोड़ा पर के अदा कइल कुछ रस्म-रिवाज) चालू होवऽ हइ, आउ हमेशे कोय एगो गुदड़िया, गंदा-संदा, लंगड़ा टट्टू पर छमकऽ हइ, जोकड़इ (विदूषक के काम) करऽ हइ, आदरणीय मंडली के हँसावऽ हइ; फेर, जब अन्हार होवे लगऽ हइ, तब अतिथि-कक्ष में शुरू होवऽ हइ, हमन्हीं के भाषा में कहल जाय तो, बॉल नृत्य । एगो बेचारा बूढ़ा तीन तार वला वाद्ययंत्र के झनझनाब करऽ हइ ... भूल गेलिअइ कि ओकन्हीं एकरा की कहके पुकारऽ हइ, कुछ हमन्हीं के बलालाइका नियन । लड़कियन आउ कम उमर के लड़कन दू कतार में एक दोसरा के सामने खड़ी होवऽ हइ, हाथ पर ताली दे हइ आउ गावऽ हइ । तब एक लड़की आउ एक लड़का कतार से बाहर निकसके बीच में जा हइ आउ एक दोसरा के, दिमाग में जे कुछ आ जा हइ, ऊ गीत गाके सुनावऽ हइ, आउ बाकी लोग कोरस (समूह) में गावऽ हइ । हम आउ पिचोरिन सम्मानजनक स्थान पर बैठल हलिअइ, आउ अइकी ओकरा भिर मालिक के छोटकी लड़की अइलइ, जे करीब सोल्लह साल के हलइ, आउ ओकरा लगी गइलकइ ... की कहल आवे ? ... एक प्रकार से प्रशंसा के रूप में ।

"आउ ऊ कउची गा रहले हल, अपने के कुछ आद नयँ पड़ऽ हइ ?"
"हाँ, लगऽ हइ, अइकी कुछ अइसन हलइ - 'सुग्घड़ हथिन हमन्हीं के जिगीत [2] सब, आउ उनकन्हीं के कफ्तान (कोट) चानी से मढ़ल हइ, लेकिन नौजवान रूसी अफसर उनकन्हिंयों से सुग्घड़ हथिन, आउ उनकर गोटा (braid) हइ सोना के । उनकन्हीं बीच ऊ पोप्लर (poplar) नियन हथिन; खाली ऊ न बढ़ता, न फुलइता हमन्हीं के बाग में।' "
पिचोरिन खड़ी हो गेलइ, ओकरा तरफ झुकके अभिवादन कइलकइ, अपन हाथ के निरार आउ छाती पर दबाके, आउ हमरा ओकरा जवाब देवे लगी निहोरा कइलकइ, हम ओकन्हीं के भाषा निम्मन से जानऽ हिअइ आउ ओकर जवाब के अनुवाद कइलिअइ ।
जब ऊ हमन्हीं भिर से चल गेलइ, त हम ग्रिगोरी अलिक्सांद्रविच के कान में कहलिअइ - "की, कइसन हइ ?"
"मस्त !" ऊ जवाब देलकइ । "आउ ओकर नाम की हइ ?"
"ओकर नाम बेला हइ", हम जवाब देलिअइ ।

आउ वास्तव में ऊ सुत्थर हलइ - उँचगर, छररगर (दुब्बर-पातर), आँख करिया, पहाड़ी हिरन (chamois) नियन, मानूँ ऊ हमन्हीं के आत्मा में हुलकऽ हलइ । पिचोरिन विचारमग्न मुद्रा में ओकरा पर से नजर नयँ हटा रहले हल, आउ ऊ अपना दने से बीच-बीच में भौं चढ़ाके देख ले हलइ । ई सुग्घड़ राजकुमारी के खुशी से देखऽ हलइ खाली एगो अकेल्ले पिचोरिन नयँ - कमरा के कोना से दोसरा निर्निमेष (एकटक) आउ प्रज्वलित दूगो आँख देखब करऽ हलइ । हम ओकरा निहारे लगलिअइ आउ अपन पुरनका परिचित काज़बिच के पछान लेलिअइ । जानऽ हथिन, ऊ न तो शांतिप्रिय हलइ, आउ न अशांतिप्रिय । ओकरा पर शक्का बहुत हलइ, हलाँकि कोय हरक्कत करते नयँ नोटिस कइल गेले हल । कभी-कभी ऊ हमन्हीं हीं किला में भेंड़ लावऽ हलइ आउ सस्ता बेचऽ हलइ, खाली कभियो मोल-मोलई नयँ करइ - जे माँगइ, ऊ देहो - बल्कि ओकर गला काट लेहो, लेकिन ऊ टस से मस नयँ होतो । ओकरा बारे लोग बोलऽ हलइ, कि ऊ आब्रेक [3] के साथ कुबान [4] जाना पसीन करऽ हलइ, आउ सच कहल जाय तो, ओकर थोपड़ा बिलकुल डाकू नियन लगऽ हलइ - छोटगर, सुक्खल-साखल (मरियल), चौड़गर कन्हा वला ... आउ चलाक तो, चलाक तो हलइ, शैतान नियन ! ओकर बिशमेत [5] हमेशे फट्टल-चिट्टल, पेउँद लग्गल रहऽ हलइ, लेकिन ओकर हथियार चानी मढ़ल । आउ ओकर घोड़ा समुच्चे कबार्दा में मशहूर हलइ - आउ वस्तुतः, एकरा से बेहतर घोड़ा के बारे कुच्छो सोचना असंभव हलइ । सब्भे घुड़सवार बेकारे में ओकरा से ईर्ष्या नयँ करऽ हलइ आउ कइएक तुरी ओकरा चोरावे के प्रयास कइलकइ, लेकिन सफलता नयँ मिललइ । हमरा अभियो मानूँ ई घोड़ा देखाय दे हइ - अलकतरा नियन करिया, गोड़ - तार (नियन पतरा), आउ ओकर आँख बेला के आँख से बत्तर नयँ; आउ केतना ताकतवर ! पचासो विर्स्ता सरपट दौड़ सकऽ हलइ; आउ प्रशिक्षित (ट्रेनिंग देल) अइसन - जइसे कुत्ता अपन मालिक के पीछू दौड़ऽ हइ, ओकर अवाजो पछानऽ हलइ ! आउ ऊ ओकरा कभियो बान्हवो-छानवो नयँ करऽ हलइ। बिलकुल डाकू के घोड़ा ! ...

ई शाम के काज़बिच पहिले के अपेक्षा जादहीं उदास हलइ, आउ हम नोटिस कइलिअइ, कि ओकर बिशमेत  के निच्चे कवच (बख्तर) डालल हलइ । "ई कवच ओकरा में बेकार के नयँ डालल हइ", हम सोचलिअइ, "ऊ पक्का कुछ तो योजना बनइले हइ ।"

साक्ल्या दमघोंटू हो गेलइ, आउ हम ताजा हावा खातिर बाहर निकस गेलिअइ । पहड़वन पर रात हो चुकले हल, आउ दर्रा में कुहरा छाय लगले हल । हमर दिमाग में अइलइ कि शेड में एक नजर डाल लेउँ, जाहाँ परी हमन्हीं के घोड़वन के रक्खल गेल हल, ई देख लेउँ, कि ओकन्हीं लगी दाना-पानी हके कि नयँ, आउ सवधानी कभी भी बेकार नयँ होवऽ हइ - हमरो घोड़ा निम्मन हलइ, आउ कइएक कबार्दी लोग ओकरा पर ललचाल नजर डललके हल, ई कहते - "याक्शी थे, चेक याक्शी !" (तुर्की - निम्मन हइ, बहुत निम्मन !) चुपके चोरी हम छरदेवारी के किनारे-किनारे जाहूँ आउ अचानक हमरा अवाज सुनाय दे हके; एक अवाज तो हम तुरते पछान लेलूँ - ई हलइ निकम्मा अज़मात, हमन्हीं के मेजबान के बेटा; दोसरा कुछ कम आउ निचगर अवाज में बोल रहले हल । "कउची बारे ओकन्हीं हियाँ परी बतियाब करऽ हइ ?" हम सोचलिअइ, "कहीं हमरे घोड़वा के बारे तो नयँ ?"

हम चुक्को-मुक्को छरदेवारी भिर बइठ गेलूँ आउ ध्यान से सुन्ने लगलूँ, ई कोशिश करते कि एक्को शब्द नयँ चुक्के । कभी-कभी साक्ल्या से उड़ते, गीत आउ बोलचाल के शोरगुल से हमरा लगी उत्सुकता भरल बातचीत के दबा दे हल । "तोर घोड़ा तो निम्मन हउ !" अज़मात बोललइ, "अगर हम घर के मालिक होतियो हल आउ तीन सो घोड़ी के झुंड होतो हल, तो ओकर आधा हम तोर घोड़ा के बदले दे देतियो हल, काज़बिच !"
"अच्छऽ ! त काज़बिच हइ !" हम सोचलिअइ आउ हमरा बख्तर के आद पड़ गेलइ ।

"हाँ", कुछ देर चुप रहला के बाद काज़बिच जवाब देलकइ, "समुच्चे कबार्दा में अइसन नयँ मिलतउ । एक तुरी - ई घटना तेरेक के पार घटले हल - हम आब्रेक लोग के साथ रूसी घोड़ा के झुंड उड़ावे लगी गेलिए हल; हमन्हीं के भाग्य साथ नयँ देलकइ, आउ हमन्हीं जन्ने-तन्ने तितर-बितर हो गेलिअइ । चार कज़ाक (Cossacks) लोग हमर पीछू पड़ गेलइ; हमरा अपन पीछू ग्याउर (काफिर) लोग के चीख सुनाय देवे लगले हल, आउ हमरा सामने एगो घना जंगल हलइ । जीन पर हम जरी निच्चे हो गेलिअइ, हम खुद के अल्लाह के भरोसे छोड़ देलिअइ आउ जिनगी में पहिले तुरी हम चाभुक के मार से घोड़ा के अपमानित कइलिअइ । एगो पंछी नियन डाल सब के बीच होके छलाँग भरते गेलइ; तेज कँटवन हमर पोशाक के फाड़ देलकइ आउ करागाच [तुर्की - एल्म वृक्ष] के सुक्खल टहनी हमर चेहरा पर चोट कर रहले हल । हमर घोड़ा ठूँठ सब के उपरे से उछलके पार करब करऽ हलइ, झाड़ी सब के अपन छाती से चीरके रस्ता बनइते जाब करऽ हलइ । अच्छा तो एहे होते हल कि हम ओकरा जंगल के किनारहीं छोड़ देतिए हल आउ पैदले हम जंगल में नुक जइतिए हल, लेकिन हमरा ओकरा से अलग होना कष्टकारी होत हल - आउ पैगंबर हमरा पुरस्कार देलका । कुछ गोली हमर सिर के उपरे से सनसनइते गुजर गेलइ; हमरा सुनाय देबे लगले हल, कि कइसे तेजी से कज़ाक लोग हमर पीछू दौड़ल आब करऽ हइ ... अचानक हमरा सामने एगो गहिड़ा गड्ढा अइलइ; हमर घोड़वा जरी हिचकिचइलइ - आउ छलाँग लगा देलकइ । अगला किनारा से ओकरा पिछलौका गोड़ के खुर फिसल गेलइ, आउ ऊ अगला गोड़वा पर खुद के सँभालले रखलकइ; हम रास (लगाम) छोड़ देलिअइ आउ हम दर्रा में गिर पड़लिअइ; एकरा से हमर घोड़वा बच गेल - ऊ उपरे निकसे में कामयाब हो गेल । कज़ाक लोग ई सब देख रहले हल, खाली ओकन्हीं में से कोय हमरा खोजे लगी निच्चे नयँ उतरलइ - ओकन्हीं, शायद, सोच लेलकइ, कि हम गिरके मर गेलिए होत, आउ हमरा सुनाय देब करऽ हलइ, कि ओकन्हीं कइसे हमर घोड़वा के पकड़े लगी झपट रहले हल । हमर दिल तो खून से लथपथ हो गेल; हम दर्रा में घना घास से होके रेंगते आगू बढ़लूँ, कि देखऽ हूँ - जंगल खतम हो गेल, कुछ कज़ाक ओकरा से बाहर निकसके खुल्लल छोटगरका मैदान (clearing) में आब करऽ हइ, आउ अइकी सीधे ओकन्हीं के सामने हमर कराग्योज़ (Karagyoz) सरपट आब करऽ हके; सब कोय चीखते ओकरा पीछू झपट पड़लइ; बहुत देर, बहुत देर तक ओकन्हीं ओकरा पीछा कइलकइ, खास करके एगो तो दू तूरी कमंद फेंकके ओकर गरदन में लगभग डालिए चुकले हल; हम तो काँप गेलिअइ, आँख निच्चे कर लेलिअइ आउ भगमान के प्रार्थना करे लगलिअइ । कुछ पल के बाद हम अपन नजर उपरे कइलूँ - देखऽ ही - हमर कराग्योज़ अपन पूँछ लहरइते उड़ल जा रहल ह, हावा नियन अजाद, जबकि ग्याउर (काफिर) लोग अपन थक्कल-माँदल घोड़वन पर एक के पीछू दोसरा, स्तेप से होके ओकरा बहुत दूर से पिछुअइले हइ । वल्लाह ! ई सच हइ, बिलकुल सच ! हम अपन दर्रा में देर रात तक बइठल रहलिअइ । अचानक, तूँ की सोचऽ हीं, अज़मात ? अन्हरवा में हमरा सुनाय दे हइ, दर्रा के किनारे-किनारे घोड़ा दौड़ऽ हइ, फुफकारऽ हइ, हिनहिना हइ, आउ जमीन पर खुर पटकऽ हइ; हम अपन कराग्योज़ के अवाज पछान लेलिअइ; ई ऊ हलइ, हमर साथी ! ... तब से हमन्हीं अलगे नयँ होलिअइ ।"
आउ सुनाय देब करऽ हलइ, कि कइसे ऊ अपन घोड़वा के सुंदर गरदनियाँ के थपथपा रहले हल, ओकरा तरह-तरह के प्यार भरल नाम देते ।

"अगर हमरा पास तीन सो घोड़ी के रेवड़ (झुंड) होतो हल", अज़मात कहलकइ, "त ऊ पूरा के पूरा हम तोर कराग्योज़ के बदले दे देतियो हल ।"
"योक [ तुर्की - नयँ], नयँ चाही", काज़बिच भावशून्य मुद्रा में (बेफिकिर होके) उत्तर देलकइ ।
"सुन, काज़बिच", अज़मात ओकरा दुलारते बोललइ, "तूँ निम्मन अदमी हकँऽ, तूँ एगो बहादुर जिगीत [4] हकँऽ, आउ हमर बाऊ जी के रूसी लोग से डर लगऽ हइ आउ हमरा पहाड़ पर जाय नयँ दे हका; अपन घोड़ा हमरा दे दे, आउ हम ऊ सब कुछ करबउ, जे तूँ चाहमऽ, बाऊ जी हीं से तोरा लगी निम्मन राइफल चाहे तलवार चोराके देबउ, जे कुछ तोरा पसीन पड़उ - आउ उनकर तलवार असली गूर्दा [6] हइ - एकर धार के अपन हाथ में रखहीं, कि तोर देह में घुस जइतउ; आउ बख्तर (कवच) - अइसन, जइसन कि तोर हउ, कोय काम के नयँ ।"
काज़बिच चुप रहलइ ।

"पहिले तुरी जब हम तोर घोड़वा के देखलिअउ", अज़मात बात जारी रखलकइ, "जब ऊ तोरा अधीन चक्कर मार रहलो हल आउ उछल-कूद रहलो हल, अपन थुथुना फुलइले, चकमक के चिनगारी ओकर खुर के निच्चे से उड़ रहलो हल, तब हमर आत्मा में कुछ तो अनजान होल, आउ तब से सब कुछ से हमरा नफरत हो गेल - अपन बाऊ जी के बेहतरीन घोड़वन के हम नफरत से देखे लगलूँ, हमरा ऊ सब पर सवारी करते नजर आवे में शरम लगऽ हले, आउ अवसाद (depression) हमरा पर हावी हो गेल; आउ अवसाद में पड़ल हम खड़ी चट्टान (cliff) पर पूरे दिन बैठके गुजार दे हलूँ, आउ अपन शानदार चाल आउ निम्मन, तीर नियन सीधगर पीठ वला तोर करिया घोड़ा हरेक मिनट हमर विचार में रहऽ हले; ऊ अपन चमकदार आँख से हमरा दने अइसे देखऽ हल, मानूँ हमरा साथ बात करे लगी चाहऽ हल । हम तो मर जाम, काज़बिच, अगर तूँ ओकरा हमरा नयँ बेचमँऽ !" कँपते स्वर में अज़मात कहलकइ ।"
हमरा सुनाय देलकइ, कि ऊ रो पड़लइ - आउ ई अपने के बता देवे के चाही, कि अज़मात बहुत जिद्दी छोकरा हलइ, आउ कइसहूँ, शायद, ओकर आँख से लोर नयँ टपका सकऽ हलहो, तबहिंयों जबकि ऊ जरी कम उमर के हलइ ।
ओकर लोर के जवाब में एक तरह के हँस्सी सुनाय देलकइ ।
"सुन !" अज़मात दृढ़ स्वर में बोललइ, "देख, हम कुच्छो करे लगी तैयार हिअउ । चाहहीं, त हम तोरा लगी अपन बहिनियों के अपहरण करके ले अइबउ । ऊ कइसन नृत्य करऽ हइ ! कइसन गावऽ हइ ! आउ ओकर ज़री के कशीदाकारी - शानदार ! तुर्की पदिशाह (बादशाह) के भी अइसन बेगम नयँ होतइ ... चाहहीं, त बिहान रात के हुआँ दर्रा में हमर इंतजार कर, जाहाँ परी झरना बहऽ हइ - हम पड़ोस के आउल के रस्ता से होते ओकरा साथ गुजरबउ - आउ ऊ तोर हो जइतउ । की वास्तव में बेला तोर घोड़वा के बराबरी के नयँ हकइ ?"
बहुत, बहुत देर तक काज़बिच चुप रहलइ; आखिरकार जवाब के बदले एगो पुरनका गीत धीमे स्वर में गुनगुनाय लगलइ [*] –
 
केतना सुंदरी हइ हमन्हीं के आउल में,
ओकन्हीं के आँख के अन्हेरा में तरिंगन चमकऽ हइ ।
मधुर लगऽ हइ ओकन्हीं के प्यार करना, स्पृहणीय भाग्य;
लेकिन कहीं अधिक खुशी दे हइ तगड़ा जवान के स्वच्छंदता ।
स्वर्ण खरीद ले हइ चर-चर गो जन्नी,
लेकिन बहादुर घोड़ा के कोय मोल नयँ हइ -
ऊ चक्रवातो से स्तेप में पीछू नयँ हट्टऽ हइ,
ऊ न विश्वासघात करऽ हइ, आउ न धोखा दे हइ ।

अज़मात ओकरा मनावे के व्यर्थ प्रयास कइलकइ, आउ रोलकइ-धोलकइ, ओकर चापलूसी कइलकइ, कसम खइलकइ; आखिरकार काज़बिच के असहनीय हो गेलइ आउ ओकरा बीच में टोकलकइ - "चल, हट, बेवकूफ लड़के! तोरा हमर घोड़ा पर सवारी करे के लूर हउ ? पहिलौके तीन कदम के बाद ऊ तोरा फेंक देतउ, आउ तोर सिर पत्थल पर पटकाके चुन्नी-चुन्नी हो जइतउ ।"
"हमरा !" तमतमाल अज़मात चीख उठलइ, आउ बचकाना खंजर के लोहा के, बख्तर से खनखनाय के अवाज अइलइ । एगो बरियार हाथ ओकरा पीछू ढकेल देलकइ, आउ ऊ सुक्खल टहनी के बन्नल बाड़ा से अइसन टकरइलइ, कि ई हिल्ले लगलइ । "अब मनोरंजन होतइ !" हम सोचलिअइ, अस्तबल में दौड़ल गेलिअइ, अपन घोड़वन के लगाम लगइलिअइ आउ ओकरा पिछलौका प्रांगण में बाहर लइलिअइ । दू मिनट के बाद साक्ल्या में भयंकर शोरगुल होलइ । अइकी ई घटना घटलइ - अज़मात टुट्टल-फुट्टल बिशमेत  में ओन्ने अंदर दौड़के गेलइ, ई बोलते, कि काज़बिच ओकरा जान मार देवे लगी चाहऽ हलइ । सब कोय दौड़ल बहरसी अइलइ, राइफल पकड़ लेलकइ - आउ मनोरंजन चालू हो गेलइ ! चीख, शोरगुल, गोली चल्ले के अवाज; खाली काज़बिच घोड़ा पर सवार हो चुकले हल आउ गलियन में भीड़ के बीच दौड़-धूप कर रहले हल, राक्षस नियन, तलवार से भीड़ के दूर करते ।

"दोसर लोग के दोष लगी कष्ट झेलना खराब बात हइ", हम हाथ से पकड़के ग्रिगोरी अलिक्सांद्रविच के कहलिअइ, की ई बेहतर नयँ हइ कि हमन्हीं के जल्दी से जल्दी हियाँ से निकस जाल जाय ?"
"जरी रुक जाथिन, देखल जाय कउची से एकर अंत होवऽ हइ ।"
"एकर अंत तो पक्का खराब होवे वला हइ; ई एशिआई लोग के साथ हमेशे अइसीं होवऽ हइ - बूज़ा चढ़ा लेलकइ, कि मार-काट शुरू !"
हमन्हीं घोड़ा पर सवार हो गेते गेलिअइ आउ घर रवाना हो गेलिअइ ।
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* हम पाठक सब से ई बात के क्षमायाचना करऽ हिअइ, कि हम काज़बिच के गीत के कविता के रूप में परिवर्तित कर देलिअइ, जे हमरा, जाहिर हइ, गद्य के रूप में सौंपल गेले हल; लेकिन आदत एगो दोसर प्रकृति हइ । (मूल लेखक ल्येरमन्तव के टिप्पणी ।)
 

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