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Sunday, August 28, 2016

रूसी उपन्यास "आझकल के हीरो" ; भाग-2 ; 2. राजकुमारी मेरी ; अध्याय-1



रूसी उपन्यास – “आझकल के हीरो”
भाग-2
2. राजकुमारी मेरी ; अध्याय-1

11 मई

कल हम पितिगोर्स्क [1] पहुँचलिअइ, शहर के अंतिम छोर पर, माशूका पर्वतशिखर के तलहटी में, सबसे उँचगर जगह पर क्वाटर किराया पर लेलिअइ - गरजवाला तूफान के बखत बादर हमर छत तक निच्चे उतर जइतइ । आझ पाँच बजे सुबह, जब हम खिड़की खोललिअइ, त हमर कमरा फूल के खुशबू से भर गेलइ, जे सामने के (वाड़ा लगल) एगो छुटकुन्ना बाग में फुला हइ । फुलाल चिरेश्न्या (चेरी) के डाली हमरा खिड़की से देखऽ हइ, आउ हावा कभी-कभी ओकर उजरका पंखुड़ी के हमर लिक्खे वला टेबुल पर लाके बिखेर दे हइ । तीन तरफ से दृश्य अत्यंत मनोहर हइ । पच्छिम तरफ पाँच शिखर वला बेश्तू (पर्वत) नीला देखाय दे हइ, "मंद पड़ गेल तूफान के आखरी बादर" [2] नियन; उत्तर में रोएँदार फारसी टोपी नियन माशूक पर्वत हइ, आउ ई पूरे भाग के क्षितिज के व्याप्त करऽ हइ; पूरब तरफ के दृश्य अधिक मनोरम हइ - निच्चे हमरा सामने साफ-सुथरा, नयका छोटकुन्ना शहर कइएक रंग में देखाय दे हइ, स्वास्थ्यप्रद झरना के शोर सुनाय दे हइ, बहुभाषी लोग के भीड़ के शोर सुनाय दे हइ - आउ हुआँ, आउ आगू, अधिकाधिक नीला आउ कुहरा से आच्छादित पर्वत के रंगभूमि (amphitheatre) हइ, आउ क्षितिज के छोर पर बरफ के शिखर के रजत शृंखला हइ, जे कज़बेक से प्रारंभ होके द्विशिखर एलबोरूस (Elbrus) से अंत होवऽ हइ ... अइसन प्रदेश में रहना केतना आनंद के बात हइ ! एक प्रकार के आनंदमय संवेदना हमर नस-नस में पसरल हइ । हावा स्वच्छ आउ ताजा हइ, एगो फोहबा के चुंबन नियन; सूरज चमक रहले ह, आकाश नीला हइ - त लगऽ हइ, आउ की चाही ? - काहे लगी हियाँ भावावेश, कामना, खेद चाही ? ... लेकिन अभी समय हो चुकले ह । हम एलिज़ावेतिन्स्की झरना भिर जइबइ - हुआँ, कहल जा हइ, सुबह में पूरा स्पा [सखनिज झरना (के स्थान)] समाज जामा होवऽ हइ ।
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शहर के बीच में उतरके हम बुलवार लगी रवाना हो गेलिअइ, जाहाँ परी हमरा कइएक उदास समूह से भेंट होलइ, जे धीरे-धीरे पर्वत पर चढ़ रहले हल; ई अधिकतर स्तेप के जमींदार-कुलीन (landed-gentry) लोग के परिवार हलइ; ई बात के तुरतम्मे अंदाज लगावल जा सकऽ हलइ - पति लोग के फट्टल-फुट्टल, पुरनका फैशन के फ्रॉक-कोट आउ पत्नी आउ पुत्री लोग के परिष्कृत पोशाक से; ई बात साफ हलइ, कि ओकन्हीं में से स्पा तरुण लोग के संख्या गिन्नल-गोथल हलइ, काहेकि ओकन्हीं हमरा स्नेहमय उत्सुकता से देख रहले हल - हमर पितिरबुर्ग कट फ्रॉक-कोट से ओकन्हीं के गलतफहमी होलइ, लेकिन, जल्दीए हमर सैन्य स्कंधिका (military epaulettes) पछानके, घृणा से ओकन्हीं मुँह मोड़ लेते गेलइ ।

स्थानीय प्राधिकारी लोग के पत्नी, तथाकथित स्पा के मालकिन, अनुकूल प्रवृत्ति के हलइ; ओकन्हीं के पास लॉर्न्येत (lorgnette - चश्मा, दूरबीन) रहऽ हइ, ओकन्हीं वरदी पर कम ध्यान दे हइ, काकेशिया में ओकन्हीं नंबर वला बोताम में संवेदनशील हृदय आउ उज्जर मिलिट्री टोपी में सुसंस्कृत बुद्धि वला से मिल्ले के आदी हो चुकले ह । ई महिला सब बहुत मनमोहक होवऽ हका; आउ लम्मा समय तक मनमोहक रहऽ हका ! हरेक साल उनकन्हीं के प्रशंसक सब नावा-नावा होवऽ हका, आउ एकरे में तो, शायद, उनकन्हीं के अथक शिष्टाचार के रहस्य हइ । सँकरा रस्ता से होके एलिज़ावेतिन्स्की झरना तरफ चढ़ते, हम मरद लोग के भीड़ के आगू हो गेलिअइ, जेकरा में सिविल आउ मिलिट्री लोग हला, जेकन्हीं, जइसन कि बाद में मालूम चललइ, अइसन विशेष वर्ग के लोग होवऽ हथिन, जे स्पा के औषधीय लाभ के इच्छुक होवऽ हथिन । उनकन्हीं पीयऽ हका - लेकिन पानी नयँ, टहलऽ हका कम, इश्कबाजी (देखावटी प्रेम-प्रदर्शन) विरले करऽ हका; (ताश से जुआ) खेलऽ हका आउ ऊब (boredom) के शिकायत करऽ हका । उनकन्हीं छैला हका - अपन बेंत के मूठ लगल गिलास के गंधकयुक्त पानी में डुबइते विद्वत्ता के मुद्रा धारण करऽ हका - सिविल लोग हलका नीला टाई लगावऽ हका, मिलिट्री वलन अपन कोट के कॉलर में से झालर बाहर प्रदर्शित करऽ हका । उनकन्हीं के प्रांतीय घर के प्रति बहुत घृणा होवऽ हइ आउ राजधानी के अभिजात-वर्गीय बैठकखाना (aristocratic drawing rooms) के कामना करऽ हका, जाहाँ परी उनका प्रवेश के अनुमति नयँ मिल्लऽ हइ ।

आउ अइकी हियाँ आखिर में कुआँ हइ ... ओकर नगीच के छोटका चौक (square) में एगो छोटगर घर बन्नल हइ जेकरा में स्नानगृह के उपरे लाल छत हइ, आउ ओकरा से थोड़े सनी आगू गैलरी हइ, जाहाँ परी बारिश के बखत लोग टहलते जा हइ । कुछ घायल अफसर, अपन बैसाखी उपरे तरफ कइले, बेंच पर बैठल हला - पीयर, उदास । कुछ महिला तेज गति से छोटका चौक पर आगू-पीछू चहलकदमी कर रहले हल, पानी के प्रभाव के प्रतीक्षा में । ओकन्हीं बीच दु-तीन गो सुत्थर चेहरा वली हलइ । माशूक पर्वत के ढलान पर अंगूर के लत्तर से आच्छादित उद्यानपथ (alley) में कभी-कभार दूगो के एकांत पसीन करे वलन के रंग-बिरंगा (चितकबरा) टोपी के झलक मिल जा हलइ, काहेकि अइसन टोपी के नगीच हमेशे हम या तो मिलिट्री टोपी, चाहे कुरूप गोल-गाल टोपी नोटिस कइलिअइ । उच्च ढलान के चट्टान पर, जाहाँ परी "एओलियन हार्प" नामक पविलियन (ग्रीष्मगृह, सज्जल-धज्जल आश्रयस्थल) बन्नल हइ, प्राकृतिक दृष्य के प्रेमी लोग जामा होल हलइ आउ अपन दूरबीन के एलबोरूस पर निर्दिष्ट कइले हलइ; ओकन्हीं में अपन-अपन शिष्य के साथ दूगो निजी शिक्षक हलइ, जे घेघा (कंठमाला, scrofula) के इलाज लगी अइते गेले हल । उपरदम होल हम पहाड़ के किनारे पर रुक गेलिअइ, आउ घरवा के कोनमा से थोड़े झुकके आसपास के वातावरण के देखे लगलिअइ, कि अचानक हम अपन पीछू में जानल-पछानल अवाज सुन्नऽ हिअइ –
"पिचोरिन ! हियाँ अइला बहुत दिन हो गेलो की ?"
हम घुमके देखऽ हिअइ - ग्रुशनित्स्की ! हमन्हीं दुन्नु गले-गले मिललिअइ । हमन्हीं के जान-पछान तैनात टुकड़ी (active service detachment) में होले हल । ओकर गोड़ में गोली लगे से ऊ जखमी हो गेले हल आउ हमरा से एक सप्ताह पहिलहीं हियाँ लगी रवाना हो चुकले हल ।  

ग्रुशनित्स्की कैडेट हइ । सैन्य सेवा में रहला ओकरा एक्के साल होले ह, लेकिन एगो खास फैशन के रूप में एगो मोटगर ओवरकोट पेन्हऽ हइ । ओकरा पास सैनिक के सेंट जॉर्ज क्रॉस हइ । ऊ निम्मन काठी के, सामर आउ कार केश वला हइ; देखे से ओकर उमर पचीस साल बतावल जा सकऽ हइ, हलाँकि मोसकिल से ऊ एकइस साल के हइ। ऊ जब बोलऽ हइ, त अपन सिर पीछू तरफ कर ले हइ, आउ मिनट-मिनट अपन बामा हाथ से मोंछ पर ताव दे हइ, काहेकि सहारा लेवे खातिर दहिना हाथ से बैसाखी के पकड़ले रहऽ हइ । ऊ तेजी से आउ शब्दाडंबर के साथ बोलऽ हइ - ऊ ओइसन लोग में से हइ, जेकर जिनगी के हरेक अवसर लगी लच्छेदार शब्दावली तैयार रहऽ हइ, जेकरा सरल सौंदर्य स्पर्श नयँ करऽ हइ आउ जे असाधारण भावना, उँचगर जोश आउ अपवादात्मक पीड़ा के धूमधाम से प्रदर्शन करऽ हइ । प्रभाव उत्पन्न करना ओकन्हीं लगी आनंद के बात हइ; प्रांतीय रोमांटिक लड़कियन के ओकन्हीं पागलपन के हद तक पसीन पड़ऽ हइ । बुढ़ारी तक ओकन्हीं या तो शांतिप्रिय जमींदार बन जा हइ, चाहे पियक्कड़ - कभी-कभी दुनहूँ । ओकर आत्मा में अकसर बहुत कुछ निम्मन गुण होवऽ हइ, लेकिन  एक अद्धी भर के काव्य के नयँ । ग्रुशनित्स्की के शौक हलइ अपन विचार दोसरा के सुनावे के - जइसीं बातचीत सामान्य विचार के क्षेत्र से बाहर निकसलइ कि ऊ अपने के ऊपर शब्द के बौछार कर देतइ; ओकरा साथ हम कभियो बहस नयँ कर सकलिअइ । ऊ अपने के आपत्ति (एतराज) के जवाब नयँ दे हइ, ऊ अपने के बात नयँ सुन्नऽ हइ । जइसीं अपने रुक्कऽ हथिन, कि ऊ एगो लम्मा भाषण शुरू कर दे हइ, देखे में लगऽ हइ कि अपने जे कुछ कहलथिन ओकरा से एकर कोय संबंध हइ, लेकिन जे वास्तव में खाली ओकर अपन भाषण के निरंतरता (continuation) होवऽ हइ। ऊ काफी तेज हइ - ओकर चुटकुला अकसर मनोरंजक होवऽ हइ, लेकिन कभियो सही आउ कड़वा नयँ होवऽ हइ - ऊ कभियो केकरो एक शब्द से नयँ मारतइ; ऊ लोग के आउ ओकर कमजोर नस के नयँ जानऽ हइ, काहेकि सारी जिनगी ऊ अपने में व्यस्त रहले ह । ओकर लक्ष्य हइ - कोय उपन्यास के हीरो बनना । ऊ संसार लगी सृष्ट कइल जीव नयँ हइ, जेकरा कइसनो रहस्यमय यंत्रणा से मरे के लिक्खल हइ - ई बात के ऊ एतना अकसर दोसरा सब के विश्वास देलावे के प्रयास कइलकइ, कि ऊ खुद एकरा में लगभग आश्वस्त हो गेलइ । ओहे से तो ऊ एतना शान से अपन मोटगर सैनिक ओवरकोट पेन्हऽ हइ । हम ओकरा समझ गेलिए ह, आउ एहे से ऊ हमरा पसीन नयँ करऽ हइ, हलाँकि हमन्हीं बीच बाहर से बहुत दोस्ताना रिश्ता हइ । ग्रुशनित्स्की के श्रेष्ठ शूर-वीर के रूप में नाम हइ; हम ओकरा प्रत्यक्ष युद्ध के दौरान देखलिए ह; ऊ तलवार भाँजऽ हइ, चिल्ला हइ आउ आँख मूनके आगू लपकके जा हइ। ई तो कइसनो रूसी शूरता नयँ हइ ! ...

हमहूँ ओकरा नयँ पसीन करऽ हिअइ - हमरा लगऽ हइ, कि हमन्हीं दुन्नु कभी कोय सकेत (सँकरा) रोड पर टकरा जइते जइबइ, आउ हमन्हीं में से एगो लगी अच्छा नयँ होतइ ।

काकेशिया में ओकर आगमन भी ओकर रोमांटिक सनक के नतीजा हलइ । हमरा विश्वास हइ, कि ऊ अपन पैतृक गाँव से रवाना होवे के पूर्वसंध्या पर पड़ोस के कोय तो सुत्थर लड़की से उदास मुद्रा में बोलले हल, कि ऊ खाली सैन्य सेवा लगी नयँ जा रहले ह, बल्कि ऊ अपन मौत खोजऽ हइ, काहेकि ... हियाँ परी शायद ऊ अपन हाथ से आँख बन कर लेलकइ आउ ई तरह बात जारी रखलकइ - "नयँ, अपने के (चाहे तोरा) ई नयँ जाने के चाही ! अपने के साफ दिल काँप उठतइ ! आउ काहे लगी ? हम अपने के केऽ लगऽ हिअइ ! समझऽ हथिन न हमर बात ?" – इत्यादि, इत्यादि ।

ऊ हमरा खुद्दे बोलले हल, कि ओकरा के॰ (K) रेजिमेंट में योगदान करे लगी प्रेरित करे वला कारण, ओकरा आउ भगमान के बीच हमेशे लगी एगो रहस्य रहतइ ।
लेकिन ऊ पल में, जब ऊ शोकात्मक चोला उतार दे हइ, ग्रुशनित्स्की काफी प्यारा आउ मनोरंजक होवऽ हइ । ओकरा औरतियन के साथ देखे के हमरा उत्सुकता हइ - अइसने अवसर पर तो ऊ, हमरा लगऽ हइ, पूरा प्रयास करऽ हइ !

हमन्हीं पुरनका दोस्त नियन मिलते गेलिअइ । हम ओकरा स्पा भिर के जिनगी आउ हियाँ के विशिष्ट चेहरा (व्यक्ति) के बारे पूछताछ करे लगलिअइ ।

"हमन्हीं काफी नीरस जिनगी गुजारऽ हिअइ", एगो उच्छ्वास लेके ऊ कहलकइ, "सुबह में पानी पीए वलन, सब्भे रोगी नियन सुस्त रहऽ हइ, आउ शाम के दारू पीए वलन, सब्भे नीरोग नियन असहनीय होवऽ हइ । महिला समाज हइ; लेकिन ओकरा से बहुत कम सांत्वना मिल्लऽ हइ - ओकन्हीं विस्ट (whist) खेलते जा हइ, अनाड़ी नियन बस्तर पेन्हऽ हइ आउ भयानक रूप के फ्रेंच बोलऽ हइ । इमसाल मास्को से खाली राजकुमारी लिगोव्स्काया अपन बेटी के साथ हका; लेकिन हमरा उनकन्हीं से परिचय नयँ हइ । हमर सैनिक ओवरकोट हइ - मानूँ अस्वीकृति के ठप्पा हइ । ई जे सहानुभूति उत्पन्न करऽ हइ, ऊ खैरात नियन दर्दनाक होवऽ हइ ।"

एहे क्षण कुआँ बिजुन हमन्हीं भिर से गुजरते दूगो महिला गेलथिन - एगो वइसगर, आउ दोसरकी एगो सुग्घड़ नवयुवती । उनकन्हीं के टोप के पीछू चेहरा हम देख नयँ पइलिअइ, लेकिन उनकन्हीं के पोशाक कठोर नियम के अनुसार सबसे निम्मन ढंग के हलइ - कुच्छो फालतू नयँ हलइ ! दोसरकी के बंद गला (high-necked) के मुक्ताधूसर (pearl-grey) पोशाक हलइ, ओकर लचीला गरदन के चारो तरफ एगो हलका रेशमी दुपट्टा लपेटल हलइ । गाढ़ा-भूरा रंग के जुत्ती घुट्ठी भिर ओकर पतरगर गोड़ में एतना सुंदर ढंग से चुस्त बैठल हलइ, कि सौंदर्य के रहस्य से अपरिचित के मुँह से भी निस्संदेह "आह !" निकस पड़ते हल, बल्कि चाहे ई आश्चर्य से होवइ । ओकर सहज, लेकिन कुलीन चाल में कुछ तो अपने आप में कौमार्यदर्शक हलइ, जेकरा परिभाषित नयँ कइल जा सकऽ हलइ, लेकिन जेकरा नजर से समझल जा सकऽ हलइ । जब ऊ हमन्हीं भिर से गुजरलइ, त ओकरा से अवर्णनीय सुगंध अइलइ, जे कभी-कभी प्रिय स्त्री के नोट (पत्र) से निकसऽ हइ ।
"ई हथिन राजकुमारी लिगोव्स्काया", ग्रुशनित्स्की कहलकइ, "आउ उनका साथ उनकर पुत्री मेरी, जइसन कि ऊ उनका अंग्रेजी शैली में पुकारऽ हथिन । उनकन्हीं के हियाँ अइला खाली तीन दिन होले ह ।"  
"लेकिन तूँ उनकर नाम पहिलहीं से जानऽ हो ?"
"हाँ, हम संयोग से सुनलिअइ", तमतमाल चेहरा के साथ ऊ जवाब देलकइ, "हम स्वीकार करऽ हिअइ, कि उनकन्हीं के साथ परिचित होवे के हमर इच्छा नयँ हइ । ई अभिमानी अभिजात वर्ग (aristocrats) हमन्हीं सैनिक लोग के जंगली (आदिम) नियन देखऽ हइ । आउ ओकन्हीं के ई बात से की मतलब हइ, कि ई नंबर वला मिलिट्री टोपी के अंदर बुद्धि आउ ई मोटगर ओवरकोट के अंदर दिल हइ कि नयँ ?"
"बेचारा ओवरकोट !" हम हँसते कहलिअइ, "आउ ई कउन महाशय हथिन, जे उनकन्हीं भिर आ रहलथिन हँ आउ एतना सेवापरायणता से उनकन्हीं के गिलास थमा रहलथिन हँ ?"
"ओह ! ई मास्कोवासी छैला रायेविच हइ ! ऊ एगो जुआड़ी हइ - ई तो तुरतम्मे ओकर नीला वास्कट (वेस्टकोट) से लटकल बड़गो सोना के चेन से समझल जा सकऽ हइ । आउ कइसन मोटगर छड़ी हइ - बिलकुल रॉबिन्सन क्रुसो वला नियन ! आउ ओकरो पर संयोग से दाढ़ी, आउ मुझीक (किसान, देहाती) के स्टाइल के केश ।"
"तूँ त पूरे मानवता के विरुद्ध द्वेषी हकहो ।"
"आउ एकर कारण हइ ..."
"ओह, वास्तव में ?"
एतने समय में दुन्नु महिला कुआँ भिर से चल अइते गेलथिन आउ हमन्हीं के नगीच पहुँच गेते गेलथिन । ग्रुशनित्स्की के अपन बैसाखी के सहायता से एगो नाटकीय मुद्रा धारण कर लेवे के समय मिल गेलइ आउ जोर अवाज में हमरा फ्रेंच में जवाब देलकइ -
"Mon cher, je haïs les hommes pour ne pas les mépriser, car autrement la vie serait une farce trop dégoûtante" [मौँ शेर, ज आय लेज़ौम पुर न पा ले मेप्रिज़े, कार ओत्रमाँ ला वी सेरे यून फ़ार्स त्रो देगुताँत – हमर प्यारे, हम पुरुष लोग से घृणा करऽ हिअइ, ओकन्हीं के नापसंद करे लगी नयँ, अन्यथा जिनगी एगो बड़गो घृणित तमाशा बन जइतइ] ।

सुंदर (अविवाहित) राजकुमारी (मेरी) अपन सिर घुमा लेलथिन आउ वक्ता दने एगो लमगर उत्सुकतापूर्ण दृष्टि डललथिन । ई दृष्टि के मुद्रा बहुत अनिश्चित हलइ, लेकिन व्यंग्यात्मक नयँ, जेकरा चलते हम मने मन दिल से ओकरा बधाई देलिअइ ।
"ई राजकुमारी मेरी अत्यंत सुंदर हथिन", हम ओकरा कहलिअइ । "उनकर आँख केतना मखमली हइ - बिलकुल मखमली । हम तोरा सलाह दे हियो कि उनखर आँख के बारे बोलते बखत ई अभिव्यक्ति के ध्यान में रखिहो; निचलौका आउ उपरला पिपनी एतना लमगर हइ, कि सूरज के किरण उनकर आँख के पुतली में प्रतिबिंबित नयँ होवऽ हइ । हमरा बिन चमक वला अइसन आँख पसीन हइ - ई एतना कोमल होवऽ हइ, मानूँ तोरा सहलावऽ हको ... लेकिन, लगऽ हइ, उनकर चेहरा में खाली एहे एगो निम्मन विशेषता हइ ... आउ, की उनकर दाँत उज्जर हइ ? ई बहुत महत्त्वपूर्ण हइ ! खेद हको, कि ऊ तोर भव्य वाक्य पर मुसकइलथुन नयँ ।"

"तूँ सुत्थर औरत के बात करऽ हो, एगो अंग्रेजी घोड़ी नियन", गोस्सा से ग्रुशनित्स्की कहलकइ ।
हम ओकर तान (tone) के नकल करते ओकरा उत्तर देलिअइ, "Mon cher, je méprise les femmes, pour ne pas les aimer, car autrement la vie serait un mélodrame trop ridicule" [मौँ शेर, ज मेप्रिज़ ले फ़म, पुर न पा ले एमे, कार ओत्रमाँ ला वी सेरे अँ मेलोद्राम त्रो रिदिक्यूल – हमर प्यारे, हम औरत लोग के नापसंद करऽ हिअइ, ओकन्हीं के प्यार करे लगी नयँ, अन्यथा जिनगी एगो अत्यधिक हास्यास्पद अतिनाटक (melodrama) हो जइतइ] ।
हम मुड़ गेलिअइ आउ ओकरा भिर से सीधे चल गेलिअइ । आध घंटा हम अंगूर के लत्तर वला उद्यानपथ से,  चूना-पत्थर के खड़ा चट्टान (limestone cliffs) आउ ओकर बीच लटकते झाड़ी से होके टहलते रहलिअइ । झरक (झुलसावे वला गरमी) चले लगलइ, आउ हम तेजी से घर लगी रवाना हो गेलिअइ । गंधक के सोता भिर से गुजरते बखत, हम आच्छादित गैलरी बिजुन रुक गेलिअइ, ओकर छाया में जरी दम लेवे खातिर, जे हमरा एगो काफी कौतूहल दृश्य के दर्शक बने के अवसर देलकइ । (ई दृश्य के) पात्र अइकी अइसन हालत में होते जा हलइ । राजकुमारी, मास्को छैला के साथ, आच्छादित गैलरी में बेंच पर बैठल हलथिन, आउ दुन्नु, शायद, गंभीर बातचीत में व्यस्त हलथिन । राजकुमारी, अपन आखिरी गिलास के पानी पीना खतम करके विचारमग्न होल कुआँ बिजुन चहलकदमी कर रहलथिन हल । ग्रुशनित्स्की ठीक कुआँ बिजुन खड़ी हलइ; छोटका चौक पर आउ कोय नयँ हलइ ।

हम आउ नगीच अइलिअइ आउ गैलरी के कोना में छिप गेलिअइ । एतने में ग्रुशनित्स्की के हाथ से गिलास बालू पर गिर गेलइ आउ ओकरा उठावे खातिर पूरा जोर लगाके झुकलइ - ओकर घायल गोड़ से बाधा आ रहले हल । बेचारा ! ऊ अपन बैसाखी के सहारा लेते केतना प्रयास कइलकइ, लेकिन सब बेकार । ओकर भावदर्शी (expressive) चेहरा वास्तव में ओकर वेदना प्रकट कर रहले हल ।  

राजकुमारी ई सब घटना के हमरा से बेहतर देखलथिन ।

पंछी से भी अधिक फुरती से ऊ ओकरा भिर लपकके गेलथिन, झुक गेलथिन, गिलास उठइलथिन आउ अनिर्वचनीय रमणीयता भरल अपन शरीर के हलचल के साथ ओकरा दे देलथिन; फेर भयंकर रूप से उनकर चेहरा पर लाली छा गेलइ, गैलरी के चारो दने नजर फेरलथिन, आउ ई आश्वस्त होके, कि उनकर माताजी कुछ नयँ देखलका, लगऽ हइ, तुरतम्मे चैन के साँस लेलथिन । जब तक ग्रुशनित्स्की उनका धन्यवाद देवे लगी मुँह खोललकइ, तब तक ऊ दूर जा चुकलथिन हल । एक मिनट के बाद ऊ अपन माताजी आउ छैला के साथ बाहर निकस गेलथिन, लेकिन, ग्रुशनित्स्की भिर से गुजरते बखत, ऊ औपचारिक आउ गंभीर मुद्रा धारण कर लेलथिन - मुड़के देखवो नयँ कइलथिन, ओकर भावाकुल दृष्टि पर ध्यान नयँ देलथिन, जेकरा से ऊ देर तक उनकर पीछा करते रहले हल, जब तक कि पहाड़ से निच्चे उतरके बुलवार के लिंडेन वृक्ष के पीछू ऊ आड़ नयँ हो गेलथिन ... । लेकिन उनका रस्ता पर चलते बखत हमरा उनकर टोपी झलकते रहलइ; पितिगोर्स्क के कइएक शानदार घरवन में से एगो के गेट के अंदर ऊ लपकते घुस गेलथिन, उनकर पीछू-पीछू बड़की राजकुमारी गेलथिन आउ गेट बिजुन रायेविच के साथ विदाई के रूप में सिर झुकाके अभिवादन के आदान-प्रदान होलइ ।  

खाली तखनिएँ जाके बेचारा कैडेट के हमर उपस्थिति के भान होलइ ।
"तूँ देखलहो ?" कसके हमर हाथ दबइते ऊ कहलकइ, "ऊ तो बस देवदूत हथिन !"
"काहे ?" हम बिलकुल सरलहृदय के मुद्रा में पुछलिअइ ।
"की वास्तव में तूँ नयँ देखलहो ?"
"नयँ, देखलिअइ - ऊ तोर गिलास उठइलथुन । अगर हुआँ परी कोय संतरी रहते हल, त ओहो ओहे करते हल, आउ बल्कि आउ फुरती से, वोदका खातिर बख्शिश के आशा में । लेकिन, ई बात बिलकुल साफ हलइ, कि उनका तोरा पर तरस अइलो - तूँ अपन चेहरा के केतना भयंकर विकृत मुद्रा बनइलहो, जब अपन पूरा भार गोली से घायल होल गोड़ पर डाल लेलहो ..."
"आउ ऊ पल उनका दने तकते बखत तूँ बिलकुल द्रवीभूत नयँ होलहो, जब उनकर आत्मा उनकर चेहरा पर चमक रहले हल ? ..."
"नयँ ।"
हम झूठ बोललिअइ; लेकिन हमरा ओकरा जरी चिढ़ावे के मन कइलकइ । विरोध करे के हमरा जन्मजात मनोवृत्ति हइ; हमर पूरा जिनगी, हृदय चाहे विवेक खातिर, खाली उदास आउ विफल विरोध के शृंखला रहले ह । उत्साही मनुष्य के उपस्थिति हमरा तीव्र जाड़ा के ठंढक दे हइ, आउ हमरा लगऽ हइ, कि उदासीन आउ मुर्दादिल अदमी के साथ अकसर मेलजोल से हम एगो भावाकुल स्वप्नद्रष्टा बन जइतिए हल । हम एहो कबूल करऽ हिअइ, कि ई क्षण में हमर हृदय में एगो अप्रिय लेकिन परिचित भावना हलके से दौड़ रहले हल; ई भावना ईर्ष्या हलइ । हम बिलकुल स्पष्ट रूप से "ईर्ष्या" बोलऽ हिअइ, काहेकि हमरा सब कुछ खुद के कबूल कर लेवे के आदत हो गेले ह । आउ शायदे अइसन नवयुवक मिलतइ, जे अइसन एगो सुत्थर औरत से मिलला पर, जे ओकरा पर निरर्थक ध्यान में जकड़ चुकले हल, आउ अचानक ऊ नवयुवक के सामनहीं स्पष्ट रूप से कोय अइसन दोसरा नवयुवक पर ध्यान देवे लगऽ हइ, जे ऊ औरतिया लगी समान रूप से अनजान हइ, त शायदे, हम दोबारा कहऽ हिअइ, अइसन नवयुवक (जाहिर हइ, ई बड़गो संसार में रहे वला आउ अपन आत्मसम्मान से प्यार करे वला अभ्यस्त) मिलतइ, जे अइसन हालत में अप्रिय तरह से अचंभित नयँ होतइ ।

चुपचाप हम आउ ग्रुशनित्स्की पहाड़ पर से उतरते गेलिअइ आउ ऊ घर के खिड़की बिजुन वला बुलवार से होके टहलते गेलिअइ, जाहाँ हमन्हीं के सुंदरी गायब हो गेला हल । ऊ खिड़की भिर बइठल हला । ग्रुशनित्स्की, हमर बाँह के धकियाके, उनका पर एगो अइसन धुँधला-नाजुक नजर डललकइ, जे औरतियन पर बहुत कम असर डालऽ हइ । हम लॉर्न्येत (lorgnette - चश्मा, दूरबीन) उनका दने सीधिअइलिअइ (निर्दिष्ट कइलिअइ) आउ देखलिअइ, कि ऊ ओक्कर नजर से तो मुसकइला, लेकिन हमर ढीठ लॉर्न्येत से बहुत नराज होला । आउ कइसे, वास्तव में, एगो काकेशियाई सैन्य अफसर एगो मास्कोवासी राजकुमारी दने लॉर्न्येत सीधिआवे के जुर्रत करऽ हइ ? ...

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