विजेट आपके ब्लॉग पर

Friday, October 07, 2016

रूसी उपन्यास "आझकल के हीरो" ; भाग-2 ; 2. राजकुमारी मेरी - अध्याय-12



रूसी उपन्यास – “आझकल के हीरो”
भाग-2
2. राजकुमारी मेरी - अध्याय-12

7 जून

एगारह बजे सुबह, जे बखत राजकुमारी लिगोव्स्काया साधारणतः येरमोलोव्स्की स्नानगृह में भाफ स्नान से पसेने-पसेने होल रहऽ हथिन, हम उनकर घर भिर से पैदल जा रहलिए हल । छोटकी राजकुमारी खिड़की बिजुन विचारमग्न होल बैठल हलथिन । हमरा देखके अचानक उठ खड़ी होलथिन ।  

हम ड्योढ़ी के अंदर गेलिअइ । नौकर-चाकर में से कोय नयँ हलइ, आउ बिन कोय सूचना के, हियाँ के मुक्त रीति-रिवाज के फयदा उठाके, हम उपरे अतिथि-कक्ष तक चल गेलिअइ ।

राजकुमारी के सुंदर चेहरा पर हलका पीलापन छाल हलइ । ऊ पियानो भिर खड़ी हलथिन, अरामकुरसी के पिछला हिस्सा पर एक हाथ टिकइले । ई हाथ बहुत धीमे से थरथराब करऽ हलइ । हम दबे पाँव उनका भिर गेलिअइ आउ कहलिअइ -
"अपने हमरा पर क्रोधित हथिन ? ..."
ऊ आँख उठाके हमरा पर एगो उदास आउ गंभीर दृष्टि डललथिन आउ सिर हिलइलथिन । उनकर ठोर कुछ तो कहे लगी चाह रहले हल, लेकिन कह नयँ सकलइ । आँख अश्रु से डबडबाल हलइ । ऊ अरामकुरसी में बैठ गेलथिन आउ अपन चेहरा हाथ से झाँप लेलथिन ।
"अपने के की हो गेले ह ?" उनकर हाथ पकड़के हम कहलिअइ ।
"अपने हमरा आदर नयँ करऽ हथिन ! ... ओह ! हमरा अकेल्ले छोड़ देथिन ! ..."

हम कुछ कदम चललिअइ ... ऊ अरामकुरसी पर टाठ होके बैठलथिन । उनकर आँख चमक रहले हल ...
दरवाजा के हैंडिल पकड़के हम रुक गेलिअइ, आउ कहलिअइ -
"हमरा क्षमा करथिन, राजकुमारी ! हम पागल नियन व्यवहार कइलिअइ ... अइसन फेर दोसरा तुरी नयँ होतइ । हम कदम उठइबइ ... अपने के ई जानला से की फयदा, कि हमर दिल में अभी तक की गुजरलइ ! अपने के ई कभी नयँ मालूम चलतइ, आउ अपने लगी एहे बेहतर होतइ । अलविदा ।"
जइते बखत हमरा लगऽ हइ, कि ऊ रो रहलथिन हल । शाम होवे तक हम पैदल माशूक पर्वत के तराई के परिसर में भटकते रहलिअइ, भयंकर रूप से थक गेलिअइ, आउ घर आके बिलकुल अशक्त होल बिछौना पर लुढ़क गेलिअइ।

हमरा हीं वेर्नर अइलथिन ।
"की ई सच हइ", ऊ पुछलथिन, "कि अपने राजकुमारी लिगोव्स्काया से विवाह करथिन ?"
"की बात हइ ?"         
"पूरा शहर बोलब करऽ हइ । हमर सब्भे रोगी लोग ई मुख्य समाचार के चर्चा कर रहले ह, आउ ई रोगी अइसन लोग हइ - ओकन्हीं के सब कुछ मालूम रहऽ हइ !"
"ई ग्रुशनित्स्की के चाल हइ !" हम सोचलिअइ ।
"अपने के ई सब अफवाह के झूठ के साबित करे लगी, डाक्टर, अपने के ई रहस्य बतावऽ हिअइ, कि हम बिहान किस्लोवोद्स्क जा रहलिए ह ..."
"आउ बड़की राजकुमारी भी ? ..."
"नयँ, ऊ एक सप्ताह आउ हिएँ ठहरथिन ..."
"त अपने विवाह नयँ करथिन ? ..."  
"डाक्टर, डाक्टर ! हमरा दने देखथिन - की वास्तव में हम मंगेतर नियन चाहे अइसने कुछ देखाय दे हिअइ ?"
"हम ई नयँ बोल रहलिए ह ... लेकिन अपने जानऽ हथिन, अइसन परिस्थिति होवऽ हइ ...", धूर्त मुसकान के साथ ऊ आगू बोललथिन, "जेकरा में एगो सज्जन व्यक्ति विवाह करे लगी कर्तव्यबद्ध हो जा हइ, आउ अइसन माय होवऽ हइ, जे कम से कम अइसन परिस्थिति के रोक नयँ सकऽ हइ ... ओहे से, एगो मित्र के हैसियत से, हम अपने के आउ सवधान रहे के परामर्श दे हिअइ ! हियाँ, स्पा के स्थान में, हावा बहुत खतरनाक हइ । हम अइसन केतना बहुत निम्मन निम्मन सुंदर नवयुवक लोग के देखलिए ह, जे बेहतर भाग्य के योग्य हलइ आउ हियाँ से सीधे विवाह मंडप में गेलइ ... विश्वास करथिन, कि लोग हमरो विवाह करावे लगी चाहऽ हलइ ! विशेष करके, एगो प्रांतीय प्यारी माय, जिनकर बेटी बड़ी पीयर हलइ । हमरा उनका ई बात कहे के दुर्भाग्य होलइ, कि विवाह के बाद चेहरा के रंग वापिस आ जइतइ । तब, ऊ आभार के लोर ढरकइते हमरा अपन बेटी के हाथ देवे के प्रस्ताव रखलथिन आउ अपन समुच्चा जयदाद - शायद पचास आत्मा के [1] । लेकिन हम उत्तर देलिअइ, कि हम एकर (अर्थात् अइसन प्रतिष्ठा के) लायक नयँ हिअइ ..."

वेर्नर ई पूरा पक्का विश्वास के साथ गेलथिन, कि ऊ हमरा सवधान कर देलथिन हल ।

उनकर बात से हम नोटिस कइलिअइ, कि हमरा आउ छोटकी राजकुमारी के बारे शहर में कइएक तरह के अनाप-सनाप अफवाह फैला देवल गेले हल । ग्रुशनित्स्की के एकर कीमत चुकावे पड़तइ !


अनूदित साहित्य             सूची            पिछला                     अगला

No comments: