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Wednesday, October 12, 2016

रूसी उपन्यास "आझकल के हीरो" ; भाग-2 ; 2. राजकुमारी मेरी - अध्याय-15



रूसी उपन्यास – “आझकल के हीरो”
भाग-2
2. राजकुमारी मेरी - अध्याय-15

12 जून

आझ के शाम घटना से भरल-पूरल हलइ । किस्लोवोद्स्क से करीब तीन विर्स्ता दूर, दर्रा में, जाहाँ पोदकुमोक नदी बहऽ हइ, "छल्ला" (Ring) नाम के एगो खड़ी चट्टान हइ । ई प्रकृति द्वारा बनावल एगो फाटक हइ । ई उँचगर पहाड़ी पर उपरे उट्ठऽ हइ, जेकरा से होके अस्ताचलगामी सूर्य अपन अंतिम प्रज्वलित दृष्टि संसार पर डालऽ हइ । एगो बड़गो शोभायात्रा (जलूस) ओद्धिर पत्थल के खिड़की से होके सूर्यास्त देखे लगी रवाना होलइ । सच कहल जाय, तो हमन्हीं में से कोय भी सूर्य के बारे नयँ सोचब करऽ हलइ । हम छोटकी राजकुमारी के बगल-बगल घोड़ा पर सवार जाब करऽ हलइ । घर वापिस आवे बखत पोदकुमोक नदी पार करे के हलइ । सबसे छोटगर-छोटगर पहाड़ी नाला खतरनाक होवऽ हइ, खास करके ई बात से, कि ओकर तलहटी बिलकुल बहुरूपदर्शी (kaleidoscope) होवऽ हइ - हरेक दिन लहर के दबाव से ई बदलते रहऽ हइ; जाहाँ कल्हे पत्थल हलइ, हुआँ अभी गड्ढा हो सकऽ हइ । हम राजकुमारी के घोड़वा के लगाम हाथ में ले लेलिअइ आउ एकरा पानी में प्रवेश करइलिअइ, जे टेहुना से उपरे नयँ हलइ । हमन्हीं बहाव के विरुद्ध धीरे-धीरे तिरछे बढ़े लगलिअइ । ई जानल-बुझल बात हइ, कि तेज नाला के पार करते बखत पानी पर ध्यान नयँ देवे के चाही, काहेकि तुरतम्मे सिर चकराय लगऽ हइ । हम राजकुमारी मेरी के ई बात के मामले में सवधान करे लगी भूल गेलिअइ ।

हमन्हीं बीच धार में पहुँच चुकलिए हल, सबसे तेज धार में, जब ऊ अपन जीन पर अचानक एक दने झुक गेलथिन। "हमरा चक्कर नियन आवऽ हके !" ऊ क्षीण स्वर में बोललथिन ... हम तेजी से उनका तरफ झुकलिअइ, उनकर लचीला कमर के अपन बाँह से लपेट लेलिअइ ।
"उपरे दने देखथिन !" हम उनका कान में कहलिअइ, "एकरा से कुछ नयँ होतइ, खाली डरथिन नयँ; हम अपने के साथ हिअइ" ।
उनका बेहतर लगलइ । ऊ हमर बाँह से खुद के छोड़ावे लगी चाहऽ हलथिन, लेकिन हम आउ जादे कसके उनकर नाजुक, कोमल देह के जकड़ लेलिअइ । हमर गाल लगभग उनकर गाल से स्पर्श कर लेलकइ, जेकरा से मानूँ ज्वाला लहराब करऽ हलइ ।
"अपने हमरा साथ की कर रहलथिन हँ ? हे भगमान ! ..."

हम उनकर थरथराहट आउ संकोच पर कुछ ध्यान नयँ देलिअइ, आउ हमर ठोर उनकर कोमल गाल से स्पर्श कर लेलकइ । ऊ चौंक गेलथिन, लेकिन कुछ नयँ बोललथिन । हमन्हीं बाकी लोग के पीछू-पीछू जाब करऽ हलिअइ, कोय नयँ देखते गेलइ । जब तक हमन्हीं किनारे पहुँचलिअइ, तब तक सब कोय दुलकी चाल से (at a trot) चल पड़ले हल । राजकुमारी अपन घोड़ा रोक लेलथिन । हम उनका भिर खड़ी रहलिअइ । ई साफ देखाय दे हलइ, कि ऊ हमर मौन से बेचैन हलथिन, लेकिन हम एक्को शब्द नयँ बोले के कसम खा लेलिअइ - उत्सुकतावश । हम देखे लगी चाहऽ हलिअइ, कि ऊ ई कठिन परिस्थिति से कइसे निपटऽ हथिन ।

"या तो अपने हमरा से घृणा करऽ हथिन, नयँ तो बहुत प्यार करऽ हथिन !" आखिरकार ऊ अश्रुपूर्ण स्वर में कहलथिन । "शायद अपने हमरा पर हँस्से लगी, हमर आत्मा के दुखावे लगी आउ बाद में छोड़ देवे लगी चाहऽ हथिन ? ई एतना निकृष्ट, एतना नीच होतइ, कि खाली बस अनुमान ... ओह, नयँ ! की ई सच नयँ हइ", ऊ कोमल विश्वास के स्वर में बात आगू जोड़लथिन, "की ई सच नयँ हइ, कि हमरा में अइसन कुच्छो नयँ हइ, जे हमरा आदर से वंचित करतइ ? अपने के ढीठ हरक्कत ... हमरा अपने के, हमरा अपने के माफ कर देवे के चाही, काहेकि हम अइसन होवे देलिअइ ... जवाब देथिन, बोलथिन तो, हम अपने के अवाज सुन्ने लगी चाहऽ हिअइ ! ..."
अंतिम शब्द में अइसन स्त्रीजन्य अधीरता हलइ, कि हम जाने-अनजाने मुसका देलिअइ । भाग्यवश, अन्हेरा होवे लगले हल । हम कुछ नयँ जवाब देलिअइ ।
"अपने मौन हथिन ?" ऊ बात जारी रखलथिन, "अपने, शायद, चाहऽ हथिन, कि हम पहिले बोलिअइ, कि हम अपने के प्यार करऽ हिअइ ? ..."
हम मौन रहलिअइ ...
"की अपने एहे चाहऽ हथिन ?" तेजी से हमरा दने मुड़के ऊ बात जारी रखलथिन ... उनकर दृष्टि आउ स्वर में कुछ तो भयंकर हलइ ...
"काहे लगी ?" कन्हा उचकइते हम जवाब देलिअइ ।

ऊ अपन घोड़वा के चाबुक लगइलथिन आउ सँकरा, खतरनाक रस्ता से होके पूरा सरपट दौड़इते रवाना होलथिन। ई एतना तेजी से होलइ, कि हम मोसकिल से उनकर बराबरी में घोड़ा दौड़ा पइलिअइ, आउ ओहो तब, जब ऊ बाकी लोग के साथ मिल नयँ गेलथिन । घर पहुँचे तक ऊ मिनट-मिनट बोलऽ हलथिन आउ हँस्सऽ हलथिन । उनकर हलचल में कुछ तो ज्वरपीड़ित नियन हलइ । हमरा दने एक्को तुरी ऊ तकलथिन नयँ । सब कोय ई असाधारण प्रसन्नता के नोटिस करते गेलइ । आउ अपन बेटी दने देखके बड़की राजकुमारी अंदरे अंदर प्रसन्न हो रहलथिन हल, लेकिन बेटी के बस स्नायविक दौरा (nervous fit) हलइ । ऊ बिन नीन के रात गुजारथिन आउ रोते रहथिन । ई विचार हमरा असीम आनंद दे हइ । अइसन पल होवऽ हइ, जब हम वैम्पायर [1] के समझऽ हिअइ ... आउ फेर एगो भलमानुस के रूप में हमर नाम हइ आउ ई उपाधि के अनुसार व्यवहार करे के प्रयास करऽ हिअइ !

घोड़ा से उतरके, महिला सब राजकुमारी के निवास में गेते गेला । हम उत्तेजित हलिअइ आउ अपन दिमाग में एकत्र हो रहल विचार सब के दूर करे लगी सरपट पहाड़ पर गेलिअइ । ओस से भरल शाम आनंददायक ठंढक के साँस लेब करऽ हलइ । चान अन्हार पर्वत शिखर के पीछू से उग रहले हल । बिन नाल ठोकल हमर घोड़वा के हरेक टाप दर्रा के सन्नाटा में अस्पष्ट रूप से सुनाय दे हलइ । जलप्रपात बिजुन हम घोड़वा के पानी पिलइलिअइ, दखिनी रात के ताजा हावा के दू तुरी साँस लेलिअइ आउ वापसी यात्रा शुरू कइलिअइ । हम नगर के उपनगरीय क्षेत्र से होके जा रहलिए हल । खिड़की के रोशनी बुत्ते लगलइ; किला के परकोटा पर के संतरी आउ आसपास के चौकी सब पर के कज़ाक लोग एक दोसरा के चिल्लाके पुकारब करऽ हलइ ...

खड़ी चट्टान के अंत में बन्नल, उपनगर के घरवन में से एक में, हमरा एगो असाधारण प्रकाश देखाय देलकइ । बीच-बीच में अव्यवस्थित (discordant) बातचीत आउ चीख सुनाय दे हलइ, जे फौजी लोग के मौज-मस्ती के तरफ इशारा करब करऽ हलइ । हम घोड़वा पर से उतर गेलिअइ आउ दबे पाँव खिड़की भिर पहुँचलिइ । अधूरा बंद झिलमिली (shutter) के कारण हम रंगरेली मना रहल लोग के देख सकऽ हलिअइ आउ ओकन्हीं के बात सुन सकऽ हलिअइ । लोग हमरा बारे बतियाऽ रहले हल ।

पैदल सेना के कप्तान, शराब से लाल होल, ध्यान आकर्षित करे के नीयत से, टेबुल पर अपन मुक्का से प्रहार कइलकइ ।
"भद्र जन !" ऊ कहलकइ, "केकरो से एकर तुलना नयँ हो सकऽ हइ । पिचोरिन के सबक सिखावे के चाही ! ई सब पितिरबुर्ग के पंछी, जे अपन खोंथा से बाहर अभी-अभी उड़हीं ल सिखलके ह, हमेशे अकड़के चल्लऽ हइ, जब तक कि ओकन्हीं के नाक पर प्रहार नयँ कइल जाय ! ऊ सोचऽ हइ, कि ऊ अकेल्ले ई फैशन के दुनियाँ में जीले ह, खाली ई कारण कि ऊ हमेशे साफ दस्ताना आउ निम्मन से पॉलिश कइल बूट धारण करऽ हइ ।"
"आउ कइसन घमंडी मुसकान ! तइयो हमरा ई पक्का विश्वास हइ, कि ऊ कायर हइ - हाँ, कायर !"
"हमरो एहे लगऽ हइ", ग्रुशनित्स्की बोललइ । "ओकरा कोय बात के हँसके टाल देना पसीन हइ । एक तुरी हम ओकरा अइसन चीज के बारे बहुत कुछ कह गेलिअइ, कि दोसरा कोय हमरा ओज्जे परी काटके खुंडी-खुंडी कर देते हल, लेकिन पिचोरिन एकरा एगो हास्यास्पद रंग दे देलकइ । हम, जाहिर हइ, ओकरा चुनौती नयँ देलिअइ, काहेकि ई ओक्कर मामला हलइ; आउ हम एकरा में उलझे लगी नयँ चाहऽ हलिअइ ..."
"ग्रुशनित्स्की ओकरा पर ई बात से उखड़ल हइ, कि ऊ ओकरा से राजकुमारी के छीन लेलकइ", कोय तो बोललइ ।
"ई कइसन सोच हइ ! हम तो, वास्तव में, राजकुमारी के पीछू जरी सुन लगलिअइ, लेकिन तुरतम्मे हट गेलिअइ, काहेकि हम विवाह करे लगी नयँ चाहऽ हिअइ, आउ एगो लड़की के साथ समझौता करना हमर सिद्धांत के खिलाफ हइ ।"
"हाँ, हम अपने सब के विश्वास देलावऽ हिअइ, कि ऊ हद दर्जा के कायर हइ, मतलब पिचोरिन, ग्रुशनित्स्की नयँ - ओह, ग्रुशनित्स्की तो निम्मन अदमी हइ, आउ एकरा सिवाय ऊ हम्मर सच्चा दोस्त हइ !" फेर से सेना के कप्तान बोललइ । "भद्र जन ! की हियाँ के कोय नयँ ओकर पक्ष में ? कोय नयँ ? बेहतर हइ ! त ओकर बहादुरी के जाँचे लगी चाहऽ हथिन ? ई हमन्हीं लगी मजेदार होतइ ..."
"चाहऽ हिअइ; लेकिन कइसे ?"
"त अइकी सुनते जाथिन - ग्रुशनित्स्की ओकरा पर खास करके गोसाल हइ - ओकर पहिला भूमिका हइ ! ऊ कोय बहुत तुच्छ बात पर मीन-मेख निकासतइ आउ पिचोरिन के द्वंद्वयुद्ध लगी ललकारतइ ... नयँ, जरी ठहरथिन; अइकी एकरे में तो खास बात हइ ... द्वंद्वयुद्ध लगी चुनौती देतइ - ठीक ! ई सब कुछ - चुनौती, तैयारी, शर्त - यथासंभव शानदार आउ भयंकर होतइ । ई सब व्यवस्था हम देखबइ । हम तोर सहायक (second) होबउ, हमर बेचारे दोस्त ! ठीक ! खाली अइकी हियाँ हइ चाल - पिस्तौल में गोली हमन्हीं नयँ भरते जइबइ । हियाँ परी हम अपने सब के जवाब दे हिअइ, कि पिचोरिन डर जइतइ - छो कदम पर हम दुन्नु के रखबइ, भाड़ में जाय ! त भद्र जन, की अपने सब सहमत हथिन ?"  
"शानदार प्लान ! सहमत ! काहे नयँ ?" सगरो से अवाज सुनाय देलकइ ।
"आउ तूँ, ग्रुशनित्स्की ?"

हम दिल के तेज धड़कन के साथ ग्रुशनित्स्की के उत्तर के प्रतीक्षा करे लगलिअइ । रूक्ष क्रोध हमरा ई विचार पर घर कर गेलइ, कि अगर संयोग नयँ होते हल, त हम ई मूरख लोग के हास्य पात्र (laughing stock) बन जइतिए हल । अगर ग्रुशनित्स्की सहमत नयँ होते हल, त हम लपकके ओकर गरदन से लिपट जइतिए हल । लेकिन बाद में कुछ देर के मौन के बाद ऊ अपन जगह से उठलइ, अपन हाथ कप्तान दने बढ़इलकइ आउ शान से कहलकइ - "ठीक हइ, हम सहमत हिअइ" ।
ई पूरे आदरणीय कंपनी के हर्षातिरेक के वर्णन करना मोसकिल हइ ।

हम घर वापिस अइलिअइ, दू गो भिन्न भावना से उत्तेजित होल । पहिला हलइ उदासी । "काहे लगी ओकन्हीं सब्भे हमरा से ईर्ष्या करऽ हइ ?" हम सोच रहलिए हल । "काहे लगी ? की हम केकरो ठेस पहुँचइलिअइ ? नयँ । की वास्तव में हम ओइसनकन लोग के गिनती में हिअइ, जेक्कर एक नजर भी मन में दुर्भावना पैदा करऽ हइ ?" आउ हम अनुभव कइलिअइ, कि एगो जहरीला दुर्भाव धीरे-धीरे हमर दिल में भरे लगलइ ।
 "सावधान, मिस्टर ग्रुशनित्स्की !" हम बोललिअइ, कमरा में चहलकदमी करते । "हमरा साथ लोग अइसन मजाक नयँ करते जा हइ । अपन मूरख साथी सब के अनुमोदन खातिर अपने के भारी कीमत चुकावे पड़तइ । हम अपने के खिलौना नयँ हिअइ ! ..."

हमरा रात भर नीन नयँ अइलइ । सुबह होवे तक हम खट्टा नारंगी नियन पीयर हो गेलिअइ ।
सुबहे हमरा कुआँ बिजुन छोटकी राजकुमारी से भेंट होलइ ।
"अपने बेमार हथिन ?" हमरा दने एकटक देखते ऊ पुछलथिन ।
"हमरा रात भर नीन नयँ आल ।"
"आउ हमरो नयँ ... हम अपने के दोषी ठहरइलिअइ ... शायद, व्यर्थ में ? लेकिन स्पष्टीकरण देथिन, हम अपने के सब कुछ माफ कर दे सकऽ हिअइ ..."
"वास्तव में सब कुछ ? ..."
"सब कुछ ... खाली सच बोलथिन ... खाली आउ जल्दी ... देखऽ हथिन, हम बहुत सोचलिअइ, अपने के व्यवहार के व्याख्या करे आउ स्पष्टीकरण करे के प्रयास कइलिअइ; शायद, अपने हमर रिश्तेदार के तरफ से बाधा से भयभीत हथिन ... ई कोय बात नयँ हइ; जब उनकन्हीं के मालूम पड़तइ ... (उनकर स्वर में कंपन हलइ) हम उनकन्हीं के मना लेबइ । कि अपने के खुद के परिस्थिति ... लेकिन ई जान लेथिन, कि हम जेकरा प्यार करऽ हिअइ ओकरा लगी सब कुछ के बलिदान कर सकऽ हिअइ ... ओह, जरी जल्दी उत्तर देथिन, दया करथिन ... अपने हमरा से घृणा नयँ करऽ हथिन, सच हइ न ?"
ऊ हमर हाथ धर लेलथिन ।

बड़की राजकुमारी हमन्हीं से आगू वेरा के पति के साथ जा रहलथिन हल आउ कुछ नयँ देख रहलथिन हल; लेकिन टहल रहल रोगी, उत्सुक लोग में से सबसे अधिक उत्सुक गप्पी लोग, हमन्हीं के देख सकते जा हलइ, आउ तेजी से हम उनकर भावपूर्ण पकड़ से अपन हाथ छोड़ा लेलिअइ ।
"हम अपने के सब कुछ सच-सच बतइबइ", हम राजकुमारी के कहलिअइ, "हम न तो खुद के मामले में सफाई देबइ, आउ न अपन व्यवहार के व्याख्या करबइ । हम अपने के प्यार नयँ करऽ हिअइ ..."
उनकर ठोर जरी पीयर पड़ गेलइ ...
"हमरा अकेल्ले छोड़ देथिन", मोसकिल से सुनाय देवे वला अवाज में ऊ कहलथिन ।
हम कन्हा उचकइलिअइ, मुड़ गेलिअइ आउ चल गेलिअइ ।


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