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Saturday, October 22, 2016

रूसी उपन्यास "आझकल के हीरो" ; भाग-2 ; 2. राजकुमारी मेरी - अध्याय-20



रूसी उपन्यास – “आझकल के हीरो”
भाग-2
2. राजकुमारी मेरी - अध्याय-20

त अइकी हमन्हीं बाहर तरफ उभरल (projecting) खड़ी चट्टान पर पहुँचते गेलिअइ । छोटकुन्ना मैदान महीन बालू से आच्छादित हलइ, मानूँ सोद्देश्य द्वंद्वयुद्ध लगी बन्नल होवे ।  चारो तरफ, अनगिनत रेवड़ नियन, सुबह के सुनहरा कुहरा में हेराल, पर्वत के शिखर सब एक दोसरा से सटकल हलइ; आउ दक्खिन में एलबोरूस (Elbrus) के उज्ज्वल पुंज खड़ी हलइ, बर्फीला शिखर श्रेणी के अंतिम कड़ी, जेकर बीच पूरब से बहते रेशेदार बादर उमड़-घुमड़ रहले हल । हम मैदान के किनारे तक गेलिअइ आउ निच्चे हुलकलिअइ, हमर सिर लगभग चक्कर खाय लगलइ। हुआँ निच्चे अन्हेरा आउ ठंढक हलइ, जइसन कि कबर में । तूफान आउ समय द्वारा फेंकल पत्थर के काईदार दाँता (jags) अपन शिकार के इंतजार करब करऽ हलइ ।

ऊ छोटका मैदान, जेकरा पर हमन्हीं के लड़े के हलइ, एगो लगभग पक्का त्रिभुज हलइ । बाहर दने उभरल कोना भिर से छो कदम नापल गेलइ आउ फैसला कइल गेलइ, कि ऊ, जेकरा पहिले अपन दुश्मन के गोली के आग के सामना करे पड़तइ, ठीक कोना भिर खड़ी होतइ, अपन पीठ के खाई दने कइले; अगर ऊ मारल नयँ जइतइ, त दुन्नु प्रतिद्वंद्वी अपन-अपन जगह के अदला-बदली कर लेते जइतइ ।

हम ग्रुशनित्स्की के हरेक फयदा देवे के फैसला कर लेलिअइ । हम ओकरा जाँचे लगी चाहऽ हलिअइ । ओकर आत्मा में अगर विशालहृदयता के चिनगारी जागृत हो सकऽ हलइ, आउ तब सब कुछ बेहतर होतइ । लेकिन स्वाभिमान आउ स्वभाव के दुर्बलता के जीत होवे वला हलइ ! ... हम खुद के पूरा अधिकार देवे लगी चाहऽ हलिअइ, कि अगर भाग्य हमरा पर कृपा कइलकइ, त ओकरा हम बकसबइ नयँ । अइसन परिस्थिति में केऽ नयँ अपन अंतःकरण के साथ अइसन समझौता कइलके ह ?
"ओद्दी-सुक्खी करथिन, डाक्टर !" कप्तान कहलकइ ।
डाक्टर जेभी से चानी के सिक्का निकसलथिन आउ ओकरा उपरे उठइलथिन ।
"सुक्खी !" ग्रुशनित्स्की शीघ्रतापूर्वक चिल्लइलइ, एगो अइसन अदमी नियन, जेकरा अचानक मानूँ दोस्ताना धक्का देके जगावल गेल होवे ।
"ओद्दी !" हम कहलिअइ । सिक्का उपरे उड़लइ आउ झन्न करके गिरलइ । सब कोय ओकरा दने दौड़ल गेलइ ।
"अपने भाग्यशाली हथिन", हम ग्रुशनित्स्की के कहलिअइ, "अपने पहिले फायर करथिन ! लेकिन आद रखथिन, कि अगर अपने हमरा नयँ मार पइथिन, त हम नयँ चुकबइ - ई हम अपने के वचन दे हिअइ ।"

ओकर चेहरा लाल हो गेलइ । ओकरा एगो बिन हथियार वला के हत्या करे में शरम आ रहले हल । हम ओकरा दने एकटक देख रहलिए हल । एक पल लगी हमरा लगलइ, कि ऊ हमर गोड़ पर गिर जइतइ, आउ माफी माँगतइ। लेकिन अइसन नीच षड्यंत्र में कइसे स्वीकार कइल जाय ? ... ओकरा पास एक्के उपाय हलइ - हावा में फायर करना । हम आश्वस्त हलिअइ, कि ऊ हावा में फायर करतइ ! एक बात एकरा में आड़े आ सकऽ हलइ - ई विचार कि हम एगो दोसर द्वंद्वयुद्ध के माँग कर सकऽ हिअइ ।

"समय हो गेलइ !" हमर आस्तीन (बाँह) घींचते डाक्टर फुसफुसइलथिन, "अगर अपने अभी नयँ कहथिन, कि हम ओकन्हीं के इरादा जानऽ हिअइ, त सब कुछ समाप्त होल समझथिन । देखथिन, ऊ गोली बोज रहले ह ... अगर अपने कुछ नयँ कहथिन, त हम खुद्दे ..."
"कउनो हालत में नयँ, डाक्टर !" उनकर हाथ पकड़ले हम उत्तर देलिअइ, "अपने सब कुछ बरबाद कर देथिन । अपने हमरा वचन देलथिन हल कि बाधा नयँ डालथिन ... अपने के एकरा से की मतलब हइ ? शायद, हम चाहऽ हिअइ कि हम मारल जइअइ ..."
ऊ हमरा दने अचरज से देखलथिन ।
"ओह, ई दोसर बात हइ ! ... खाली परलोक में हमरा पर दोष नयँ लगइथिन ..."
कप्तान ई दौरान अपन पिस्तौल में गोली बोजलथिन । एगो ग्रुशनित्स्की के देलथिन, मुसकइते कुछ कान में ओकरा कहते; आउ दोसरका हमरा देलथिन ।

हम मैदान के कोना में खड़ी होलिअइ, पत्थल से अपन बामा गोड़ के टिकइले आउ आगू दने जरी सुन झुक्कल, ताकि हलका घायल होवे के हालत में पीछू नयँ उलट जावँ ।
ग्रुशनित्स्की हमरा सामने खड़ी होलइ आउ इशारा देला पर पिस्तौल उठावे लगलइ । ओकर टेहुना थरथराब करऽ हलइ । ऊ सीधे हमर निरार पर निशाना सधलकइ ...
अनिर्वचनीय क्रोध हमर छाती में भड़क उठलइ ।
अचानक ऊ पिस्तौल के नली निच्चे कर लेलकइ, ओकर चेहरा के रंग उड़ गेलइ, आउ ऊ अपन सहायक दने मुड़ गेलइ ।
"हमरा से नयँ होत", ऊ हलके अवाज में बोललइ ।
"कायर कहीं के !" कप्तान जवाब देलकइ ।
फायर के अवाज सुनाय देलकइ । गोली हमर टेहुना के स्पर्श करते निकस गेलइ । हम जाने-अनजाने कुछ कदम आगू बढ़ गेलूँ, ताकि किनारे से यथाशीघ्र दूर हट जावँ ।
"अच्छऽ, भाय ग्रुशनित्स्की, दुख के बात हको, कि तूँ चूक गेलऽ !" कप्तान बोललइ, "अब तोर पारी हको, अपन जगह पर जा ! पहिले हमरा साथ आलिंगन कर ल - हमन्हीं अब एक दोसरा के देख नयँ पाम !"
ओकन्हीं आलिंगन करते गेलइ । कप्तान मोसकिल से अपन हँसी रोक पइलकइ ।
"डरऽ मत", ऊ आगू बोललइ, ग्रुशनित्स्की दने धूर्ततापूर्वक दृष्टि डालते, "दुनियाँ में सब कुछ बकवास हइ ! ... प्रकृति मूर्ख हइ, भाग्य तुर्की (एगो पक्षी) हइ, आउ जिनगी कोपेक (दमड़ी) हइ !" (अर्थात् अदमी मूर्ख हइ, भाग्य आन्हर हइ, आउ जिनगी के मोल नगण्य हइ !)

ई शोकात्मक वाक्य, उचित महत्त्व के साथ बोलके, ऊ अपन जगह पर चल गेलइ । ओइसीं इवान इग्नातिच अश्रु के साथ ग्रुशनित्स्की के गले मिललइ, आउ अइकी अब ऊ अकेल्ले हमर सामने रह गेलइ । हम अभियो तक खुद के समझावे के कोशिश करते अइलिए ह, कि तखने हमर छाती में कइसन भावना उबल रहले हल । ई भावना हलइ अपमानित स्वाभिमान के निराशा के, आउ घृणा आउ द्वेष के, जे पैदा होले हल ई विचार पर, कि ई व्यक्ति, जे अभी एतना विश्वास आउ एतना शांत ढिठाई के साथ हमरा दने देखब करऽ हइ, ओहे दू मिनट पहिले, बिन कइसनो खतरा उठइले, हमरा कुत्ता नियन मार देवे लगी चाहऽ हलइ, काहेकि गोड़ में जरिक्को सनी आउ गंभीर रूप से घायल हो गेला पर, हम पक्का खड़ी चट्टान के निच्चे लुढ़क जइतिए हल ।
हम कुछ मिनट तक एकटक ओकर चेहरा देखते रहलिअइ, पछतावा के बल्कि लेशमात्र चिन्हा भी नोटिस करे के प्रयास करते । लेकिन हमरा लगलइ, कि ऊ मुसकान के नियंत्रित कइले हलइ ।
"हम अपने के मौत से पहिले भगमान के प्रार्थना करे के सलाह दे हिअइ", हम ओकरा तखने कहलिअइ ।
"हम्मर आत्मा के बारे अप्पन खुद के आत्मा के अपेक्षा अधिक चिंता नयँ करथिन । हमर एक्के विनती हइ - जल्दी से जल्दी फायर करथिन ।"
"आउ अपने अपन लगावल तोहमत वापिस नयँ लेथिन ? हमरा से माफी नयँ माँगथिन ? ... ठीक से सोच लेथिन - की अपने के अंतःकरण कुच्छो नयँ कहऽ हइ ?"
"मिस्टर पिचोरिन !" सेना के कप्तान चिल्लइलइ, "ई बतावे के हमरा अनुमति देथिन, कि अपने हियाँ परी पाप स्वीकारोक्ति (confession) सुन्ने लगी नयँ हथिन ... मामला जल्दी से जल्दी खतम कर लेल जाय, नयँ तो हो सकऽ हइ कि कोय घुड़सवार ई दर्रा से होते गुजरइ आउ हमन्हीं के देख लेइ ।"
"ठीक हइ, डाक्टर, हमरा भिर आथिन ।"
डाक्टर पास अइलथिन । बेचारे डाक्टर ! ऊ दस मिनट पहिले के ग्रुशनित्स्की से भी जादे पीयर हलथिन । हम आगू के ई शब्द जानबूझके रुक-रुकके, जोर से आउ साफ-साफ, बोललिअइ, जइसे कि मृत्युदंड सुनावल जा हइ -
"डाक्टर, ई महाशय लोग, निस्सन्देह, जल्दीबाजी में, हमर पिस्तौल में गोली बोजना भूल गेते गेलथिन । हम अपने के एकरा फेर से बोजे लगी निवेदन करऽ हिअइ - आउ निम्मन से !"
"अइसन नयँ हो सकऽ हइ !" कप्तान चिल्लइलइ, "अइसन नयँ हो सकऽ हइ ! हम दुन्नु पिस्तौल में गोली बोजलिए ह। शायद गोली अपने वला से बाहर लुढ़क गेलइ ... ई हमर दोष नयँ हइ ! आउ फेर से लोड करे के अपने के अधिकार नयँ हइ ... कइसनो अधिकार नयँ ... ई नियम के बिलकुल खिलाफ हइ । हम एकर अनुमति नयँ देबइ..."
"ठीक हइ !" हम कप्तान के कहलिअइ, "अइसन बात हइ, त हमन्हीं दुन्नु ओहे शर्त पर एक दोसरा पर फायर करते जइबइ ..."
ऊ असमंजस में पड़ गेलइ ।

ग्रुशनित्स्की खड़ी हलइ, सिर निच्चे छाती पर टिकइले, सकुचाल आउ उदास ।
"ओकन्हीं के छोड़ देहो !" आखिर ऊ कप्तान के कहलकइ, जे डाक्टर के हाथ से हमर पिस्तौल छीन लेवे लगी चाह रहले हल ... । "तूँ खुद्दे जानऽ हो, कि ओकन्हीं सही हथिन ।"
बेकारे में कप्तान ओकरा दने कइएक तरह के इशारा कइलकइ - ग्रुशनित्स्की देखहूँ लगी नयँ चहलकइ ।
एहे दौरान डाक्टर पिस्तौल में गोली बोजलथिन आउ हमरा दे देलथिन । ई देखके, कप्तान थूक देलकइ आउ गोड़ जमीन पर पटकलकइ ।
"तूँ तो मूरख हकऽ, भाय", ऊ कहलकइ, "एक नंबर के मूरख ! ... तूँ हमरा पर विश्वास कइलऽ हल, त तोरा हमर सब बात सुन्ने के चाही ... तोरा अइसने चाही ! मक्खी नियन मरऽ ..."
ऊ मुड़ गेलइ, आउ दूर जइते बड़बड़इलइ - "आउ तइयो ई बिलकुल नियम के खिलाफ हइ ।"
"ग्रुशनित्स्की !" हम कहलिअइ, "अभियो तोरा पास टैम हको; अपन लगावल तोहमत वापिस ले ल, आउ हम तोरा सब कुछ माफ कर देबो । तूँ हमरा मूरख बनावे में सफल नयँ होलऽ, आउ हमर स्वाभिमान के संतुष्टि मिल गेलो । आद करहो, हमन्हीं कभी तो दोस्त हलिअइ ..."
ओकरा चेहरा तमतमा उठलइ, आँख चमके लगलइ ।
"गोली चलाथिन !" ऊ जवाब देलकइ, "हमरा खुद से घिन बरऽ हके, आउ अपने से घृणा हइ । अगर अपने हमरा नयँ मारथिन, त हम अपने के कोय कोना के पीछू से गला रेत देबइ । ई पृथ्वी पर हमन्हीं दुन्नु लगी जगह नयँ हइ..."
हम फायर कर देलिअइ ...
जब धुआँ साफ हो गेलइ, त ग्रुशनित्स्की मैदान में नयँ हलइ । खड़ी चट्टान के किनारे खाली धूरी के एगो हलका स्तंभ अभियो घूम रहले हल ।
सब कोय समवेत स्वर में चीख उठलइ ।
"Finita la comedia!" [फ़िनिता ला कोमेदिया ! - (इटैलियन) खेल खतम !] - हम डाक्टर के कहलिअइ ।
ऊ जवाब नयँ देलथिन आउ भय से मुड़ गेलथिन ।
हम अपन कन्हा उचकइलिअइ आउ ग्रुशनित्स्की के सहायक लोग के साथ अभिवादन के आदान-प्रदान होलइ ।


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