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Tuesday, May 02, 2017

विश्वप्रसिद्ध रूसी नाटक "इंस्पेक्टर" ; अंक-2 ; दृश्य-7

दृश्य-7
(ख़्लिस्ताकोव, बाद में ओसिप)
ख़्लिस्ताकोव - सच में, लगऽ हइ जइसे हम खइवे नयँ कइलूँ; ई खाली हमर भूख आउ तेज कर देलक । अगर हमरा पास रेजकी (खुदड़ा) पैसा होत हल, त हम ब्रेड रोल लावे लगी बजार भेज देतूँ हल ।
ओसिप - (अंदर आवऽ हइ) मेयर कोय कारण से आ गेलथिन, पूछताछ करब करऽ हथिन आउ अपने के बारे पूछ रहलथिन हँ ।
ख़्लिस्ताकोव - (डरते) हलऽ लऽ ! ई सराय-मालिक के बच्चा शिकायत करियो चुकलइ ! अरे, अगर कहीं ऊ हमरा वास्तव में जेल में डाल देइ ? अगर हम कुलीन तौर-तरीका से शायद जइअइ त ... नयँ, नयँ, हम नयँ जाय लगी चाहऽ हूँ ! हुआँ शहर में अफसर आउ लोग चक्कर मारते रहऽ हइ, आउ हम, मानूँ जान-बूझके, फैशन बना लेलूँ, एगो व्यापारी के लड़की के साथ आँख लड़इलूँ ... नयँ, नयँ, नयँ चाहऽ हूँ ... आउ ऊ हइ केऽ, वास्तव में ऊ जुर्रत कइसे करऽ हइ ? हम ओकरा लगी कीऽ हकिअइ, कोय व्यापारी कि कोय मजूर ? (ढाढ़स बान्हऽ हइ आउ सँभल जा हइ) हाँ, हम ओकरा सीधे कहबइ - "अपने जुर्रत कइसे करऽ हथिन, कइसे अपने ..."
(दरवाजा के हैंडिल घुम्मऽ हइ; ख़्लिस्ताकोव के चेहरा पीयर पड़ जा हइ आउ ऊ डरके सिकुड़ जा हइ ।)

  
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