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Wednesday, June 14, 2017

विश्वप्रसिद्ध रूसी नाटक "इंस्पेक्टर" ; अंक-4 ; दृश्य-11

दृश्य-11
(ख़्लिस्ताकोव, तालासाज के पत्नी आउ सर्जेंट के पत्नी)
तालासाज के पत्नी - (गोड़ तक झुकते) दया के भीख माँगऽ हिअइ ...
सर्जेंट के पत्नी - दया के भीख माँगऽ हिअइ ...
ख़्लिस्ताकोव - अपने महिला सब केऽ हथिन ?
सर्जेंट के पत्नी - सर्जेंट इवानोव के पत्नी ।
तालासाज के पत्नी - हमर पिता, हम तालासाज के पत्नी, फ़िवरोन्या पित्रोवा पशल्योपकिना, हियाँ व्यापार करऽ हिअइ ...
ख़्लिस्ताकोव - ठहरऽ, पहिले एगो बोलऽ । तोहरा की चाही ?
तालासाज के पत्नी - दया करथिन - मेयर के विरुद्ध शिकायत करे के हइ ! भगमान ओकरा हर तरह के तकलीफ देइ ! न तो ओकर बाल-बुतरू, न ऊ बदमाश, न तो ओकर चाचा-चाची के कइसनो प्रगति होवइ !
ख़्लिस्ताकोव - लेकिन काहे ? की बात हइ ?
तालासाज के पत्नी - हमर पति के सैनिक के रूप में भरती करे के औडर दे देलकइ, जबकि उनकर पारी नयँ हलइ, अइसन ऊ बदमाश हइ ! आउ अइसन कानूनन नयँ कइल जा सकऽ हइ - ऊ शादी-शुदा हथिन ।
ख़्लिस्ताकोव – त आखिर अइसन ऊ कर कइसे सकलइ ?
तालासाज के पत्नी - ऊ बदमाश अइसन कइलकइ, अइसन कइलकइ - भगमान ओकरा ऊ लोक आउ ई लोक में सत्यानाश करइ ! ओकरा, आउ अगर ओकरा चाची भी हइ, तो चाची के साथ भी हरेक तरह के गंदा हरक्कत होवइ, आउ अगर ओकर बाप जिंदा हइ, त ऊ दुर्जन भी मर जाय चाहे हमेशे लगी ओकर दम घुट जाय, अइसन ऊ बदमाश हइ ! दर्जी के बेटा के पारी हलइ, ऊ तो पियक्कड़ हलइ, लेकिन ओकर माय-बाप बेशकीमती भेंट देलकइ, त ऊ व्यापारी पन्तेलेयेव के विधवा के बेटा के पीछू पड़लइ, लेकिन पन्तेलेयेवा भी ओकर घरवली खातिर तीन टुक पोशाक भेजलकइ; तब ऊ हमरा पीछू पड़ गेलइ । बोलऽ हइ - "तोरा पति काहे लगी चाही? ऊ तोर काम के नयँ हउ ।" लेकिन हम तो जानऽ हिअइ - काम के हइ कि नयँ, ई तो हम्मर मामला हइ, बदमाश कहीं के ! ऊ बोलऽ हइ - "ऊ तो चोर हउ; हलाँकि ऊ अभी चोरी नयँ कइलको ह, तइयो बात एक्के हउ", बोलऽ हइ, "ऊ चोरी करतउ, एकरा बेगर भी ओकरा अगले साल रंगरूट में लेल जइतउ ।" "लेकिन हमरा बिन पति के कइसन लगतइ, बदमाश ! हम एगो कमजोर औरत हकूँ, नीच कहीं के ! तोर कोय रिश्तेदार भगमान के प्रकाश नयँ देखउ ! आउ अगर ओकरा सास हइ, त ओकर सास के भी ..."
ख़्लिस्ताकोव - ठीक हको, ठीक हको । अच्छऽ, आउ तूँ ? (बूढ़ी के बाहर जाय के संकेत करऽ हइ ।)
तालासाज के पत्नी - (बाहर जइते) भुलाथिन नयँ, हमर पिता ! हमरा पर दया करथिन !
सर्जेंट के पत्नी - हम मेयर के मामले में अइलिए ह, महोदय ...
ख़्लिस्ताकोव - अच्छऽ, की बात हइ, काहे लगी ? संक्षेप में बतावऽ ।
सर्जेंट के पत्नी - हमरा पर कोड़ा बरसइलकइ, महोदय !
ख़्लिस्ताकोव - कइसे ?
सर्जेंट के पत्नी - गलती से, हमर पिता ! हमन्हीं के दल के कुछ औरत सब बजार में झगड़ रहले हल, आउ पुलिस समय पर पहुँच नयँ पइलइ आउ बाद में हमरा पकड़ लेलकइ । आउ अइसन रिपोर्ट करते गेलइ कि दू दिन तक हम बैठ नयँ पइलिअइ ।
ख़्लिस्ताकोव - त अब की कइल जा सकऽ हइ ?
सर्जेंट के पत्नी - वास्तव में अब कइल तो कुछ नयँ जा सकऽ हइ । लेकिन ओकर गलती के खातिर ओकरा पर जुरमाना भरे के औडर तो देइए सकऽ हथिन । हम अपन खुशी के मौका तो खोवे लगी नयँ चाहऽ ही, आउ नगद पैसा तो हमरा लगी बहुत काम के होतइ ।
ख़्लिस्ताकोव - अच्छऽ, अच्छऽ । अब जा, अब जा ! हम सब ठीक कर देबो ।
(खिड़की में कइएक हाथ अर्जी लेले देखाय दे हइ ।)
आउ, आउ हुआँ कउन हइ ? (खिड़की बिजुन जा हइ) नयँ चाही, नयँ चाही ! जरूरत नयँ, जरूरत नयँ ! (दूर हटते) हमरा तो बोर कर देते गेल, भाड़ में जाय ! केकरो अंदर मत आवे दे, ओसिप !
ओसिप - (खिड़की से चिल्ला हइ) जा, जा ! अभी समय नयँ, बिहान अइते जइहऽ !
(दरवाजा खुल्लऽ हइ, फ़्रीज़-कोट (frieze-coat) में एगो शक्ल प्रकट होवऽ हइ, जेकर दाढ़ी बढ़ल हइ, होंठ सुज्जल हइ आउ गाल पर पट्टी बन्हल हइ; ओकर पीछू आउ कइएक लोग देखाय दे हइ ।)
जो, जो ! घुस्सल काहाँ आब करऽ हीं ? (पहिला अदमी के पेट पर हाथ रखके ओकरा पीछू ढकेलते खुद भी बहरसी निकस जा हइ आउ अपन पीछू दरवाजा बन कर दे हइ ।)

  
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