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Sunday, June 11, 2017

विश्वप्रसिद्ध रूसी नाटक "इंस्पेक्टर" ; अंक-4 ; दृश्य-9

दृश्य-9
(ख़्लिस्ताकोव, आउ स्याही आउ कागज के साथ ओसिप)
ख़्लिस्ताकोव - त देखऽ हीं न, बेवकूफ, कि हमरा कइसे लोग खिलावऽ-पिलावऽ हइ आउ स्वागत करऽ हइ ? (लिक्खे लगऽ हइ ।)
ओसिप - हाँ, भगमान के किरपा ! लेकिन जानऽ हथिन, इवान अलिक्सांद्रोविच ?
ख़्लिस्ताकोव - (लिखते) की ?
ओसिप - हियाँ से निकस जाथिन । भगमान कसम, समय हो चुकले ह ।
ख़्लिस्ताकोव - (लिखते) ई तो बकवास हइ ! काहे लगी ?
ओसिप - अइसीं । भगमान ओकन्हीं के भला करे ! दू दिन मौज कर लेलथिन - अब बहुत हो गेलइ । ओकन्हीं के साथ आउ लमगर अवधि तक की करना ? ओकन्हीं पर थूक देथिन ! कोय दोसर कभी भी आ जा सकऽ हइ ... भगमान कसम, इवान अलिक्सांद्रोविच ! हियाँ के घोड़वन सब निम्मन हइ - बिजली के गति से जइतइ !...
ख़्लिस्ताकोव - (लिखते) नयँ, हमरा अभियो कुछ समय रहे के मन करऽ हइ । कल देखल जइतइ ।
ओसिप - हूँ, कल ! भगमान कसम, चलल जाय, इवान अलिक्सांद्रोविच ! लोग अपने के बड़गो आदर देब करऽ हइ, लेकिन जानऽ हथिन, तइयो बेहतर होतइ कि जल्दी से जल्दी हियाँ से प्रस्थान कर लेवल जाय - काहेकि सचमुच लोग अपने के कोय आउ समझ लेते गेलइ ... आउ पिताजी नराज हो जइथुन, कि एतना देर हो गेलइ। ओहे से, सचमुच, इज्जत से भाग निकसना चाही ! आउ हियाँ ओकन्हीं उम्दा घोड़ा देते जइतइ ।
ख़्लिस्ताकोव - (लिखते) अच्छऽ, ठीक हउ । खाली ई पत्र पहिले लेके जा; एकर साथ-साथ यात्रा पत्रक (traveling papers) भी लेते जा सकऽ हँ । आउ देख लीहँऽ, कि घोड़ा निम्मन होवे ! कोचवान सब के कहिहँऽ, कि हम हरेक के चानी के एक-एक रूबल देबइ; कि ओकन्हीं एगो सरकारी कुरियर नियन हाँकते जाय आउ गीत गइते जाय ! ... (लिखना जारी रखते) हमरा लगऽ हइ, त्र्यापिचकिन हँसते-हँसते लोटपोट हो जइतइ ...
ओसिप - सर, हम हिएँ के कोय अदमी के साथ ई भेज दे हिअइ, आउ बेहतर होतइ कि खुद सब समान बाँधिअइ, ताकि समय बेकार में बरबाद नयँ होवे ।
ख़्लिस्ताकोव - (लिखते) ठीक हउ । खाली मोमबत्ती लेके आ ।
ओसिप - (बहरसी चल जा हइ आउ नेपथ्य से बोलऽ हइ) ए, सुनना भाय ! ई पत्र डाकखाना लेके जाना, आउ पोस्टमास्टर के कह देना, कि ई बिन भुगतान के स्वीकारल जाय; आउ बता देना, कि मालिक खातिर तुरतम्मे सबसे निम्मन त्रोयका लावल जाय, कुरियर वला; आउ बता देना कि मालिक डाक-शुल्क के भुगतान नयँ करथिन - बता देना कि पत्र सरकारी हइ । आउ सब कुछ फुरती-फुरती होवे, नयँ तो मालिक नराज हो जइथिन। ठहर, पत्र अभियो तैयार नयँ हइ ।
ख़्लिस्ताकोव - (लिखना जारी रखते) नयँ मालुम, काहाँ ऊ अभी रहऽ हइ - पोच्ताम्त्स्कयऽ कि गोरोख़ोवयऽ रोड में ? ओहो बिन किराया चुकइले अकसर एक फ्लैट छोड़के दोसरा फ्लैट में जाना पसीन करऽ हइ । अंदाज से पोच्ताम्त्स्कयऽ रोड के पता लिख दे हिअइ । (पत्र के मोड़के ओकरा पर पता लिक्खऽ हइ ।)
(ओसिप मोमबत्ती लावऽ हइ । ख़्लिस्ताकोव पत्र के सील करऽ हइ । एतने में देर्झिमोर्दा के अवाज सुनाय दे हइ - "ए दाढ़ी, काहाँ जाब करऽ हीं ? तोरा बतावल जा रहलो ह, केकरो अंदर जाय के इजाजत नयँ ।")
ख़्लिस्ताकोव - (ओसिप के पत्र देके) हले ले, लेके जो ।
व्यापारी लोग के अवाज - अंदर जाय देथिन, बाबू ! अपने हमन्हीं के अंदर जाय से नयँ रोक सकऽ हथिन - हम सब काम से अइते गेलिए ह ।
देर्झिमोर्दा के अवाज - चल, चल ! केकरो से नयँ मिल्ले वला हथुन, सुत्तल हथुन ।
(शोर बढ़ जा हइ ।)
ख़्लिस्ताकोव - हुआँ की बात हइ, ओसिप ? देख तो जरी, कइसन शोर हइ ।
ओसिप - (खिड़की से नजर डालते) कुछ व्यापारी अंदर आवे लगी चाह रहले ह, लेकिन सिपाही आवे नयँ दे हइ । ओकन्हीं कागज लहराब करऽ हइ - शायद अपने से मिल्ले लगी चाहते जा हइ ।
ख़्लिस्ताकोव - (खिड़की भिर अइते) की बात हइ, प्रिय जन ?
व्यापारी सब के अवाज - अपने के मेहरबानी खातिर अइते गेलिए ह । हुजूर, अर्जी स्वीकार करे के औडर देथिन ।
ख़्लिस्ताकोव - अंदर आवे देल जाय, आवे देल जाय ! आ सकऽ हथिन । ओसिप, उनकन्हीं के कह देहीं - आ सकऽ हथिन ।
(ओसिप के प्रस्थान ।)
ख़्लिस्ताकोव - (खिड़की से अर्जी ले हइ, ओकरा में से एगो के खोलऽ हइ आउ पढ़ऽ हइ) "व्यापारी अब्दुलिन के तरफ से तत्र उच्चकुलीन (His High Well-born), वित्त विभाग के लॉर्ड के सेवा में ..." ई तो शैताने के मालुम कि ई की हइ - अइसन पदवी तो नयँ हइ !

  
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