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Friday, September 01, 2017

रूसी उपन्यास - "कप्तान के बिटिया" ; अध्याय-11

अध्याय - 11
विद्रोही गाँव

ऊ बखत सिंह हलइ तृप्त, हलाँकि जन्मजात हइ ऊ भयंकर ।
"काहे लगी भेंट देवे के किरपा कइलऽ हमर माँद में ?" -
पुछलकइ ऊ प्यार से ।
--- अ॰ सुमारोकोव [48]
हम जेनरल के हियाँ से निकस पड़लिअइ आउ त्वरित गति से अपन क्वार्टर दने रवाना होलिअइ । सावेलिच हमेशे नियन अपन उपदेश के साथ हमर स्वागत कइलकइ ।
"तोरा तो, मालिक, पियक्कड़ डाकू लोग के साथ हिसाब-किताब चुकावे के धुन लग्गल रहऽ हको ! की ई कोय कुलीन के काम हइ ? भाग्य चंचल हइ - खाली-पीली बरबाद हो जइबऽ । तुर्क आउ स्वेड लोग के विरुद्ध लड़े लगी जइतऽ हल त कोय बात होते हल, लेकिन ई तो बोलहूँ में शरम लगऽ हइ कि केकरा से उलझे जाहो ।"
हम ओकरा ई प्रश्न करके टोक देलिअइ - "हमरा हीं कुल केतना पैसा हइ ?"
"तोरा लगी काफी हको", ऊ प्रसन्न मुद्रा में उत्तर देलकइ । "बदमाश लोग हुआँ केतनो छान मालकइ, तइयो हम कुछ तो नुका लेवे में सफल हो गेलिअइ ।" एतना कहके ऊ अपन जेभी से चानी के सिक्का से भरल लमगर सीयल थैली निकसलकइ ।
"अच्छऽ, सावेलिच", हम ओकरा कहलिअइ, "एकरा में से आधा अभी हमरा दे दे; आउ आधा खुद लगी रख ले। हम बेलागोर्स्क किला जा रहलियो ह ।"
"बबुआ, प्योत्र अंद्रेइच !" हमर प्राथमिक शिक्षक कँपते स्वर में बोललइ । "भगमान से तो डरऽ; अइसन बखत में कइसे रोड पर जा सकऽ हो, जबकि डाकू लोग के चलते कधरो जाय के संभावना नयँ हइ ! अगर खुद के खियाल नयँ हको त कम से कम अपन माता-पिता पर तो दया करहो । काहाँ तोरा जाय के हको ? काहे लगी? जरी सुन इंतजार करऽ - सेना अइतइ, बदमाश लोग के पकड़ लेतइ; तब चारो दने जन्ने जाय के मर्जी करो, चल जा ।"
लेकिन हमर इरादा पक्का हलइ ।
"अब तर्क-वितर्क करे लगी समय नयँ", हम बुढ़उ के उत्तर देलिअइ । "हमरा जाना आवश्यक हइ, हम बेगर गेले नयँ रह सकऽ हिअइ । शोक मत कर, सावेलिच; भगमान दयालु हथिन; शायद हमन्हीं के फेर भेंट होतइ! लेकिन खियाल रहे, कोय बात लगी संकोच नयँ करना आउ न कंजूसी करना । जेकर जरूरत रहे, ऊ खरीद लेना, चाहे ऊ तेगना महँग होवे । ई पैसा हम तोरा दे हिअउ । अगर हम तीन दिन में नयँ लौटिअउ ..."
"तूँ ई की कह रहलहो ह, मालिक ?" सावेलिच हमरा बिचहीं में टोक देलकइ । "जइसे कि हम तोरा अकेल्ले छोड़ देबो ! ई बात तो सपनो में मत सोचिहऽ । अगर तूँ जाहीं लगी निश्चय कर लेलऽ, त बल्कि हम पैदले तोरा पीछू अइबो, लेकिन तोरा हम छोड़बो नयँ । जइसे कि हम ई पत्थल के देवाल के पीछू हम तोरा बेगर बैठल रहबइ ! की हम वास्तव में पगलाऽ गेलिए ह ? तोर मर्जी, मालिक, लेकिन हम तोर साथ नयँ छोड़बो ।"
हम जानऽ हलिअइ कि सावेलिच के साथ बहस करना बेकार हइ, आउ ओकरा यात्रा के तैयारी करे लगी अनुमति दे देलिअइ । आध घंटा के बाद हम अपन उम्दा घोड़ा पर सवार हो गेलिअइ, आउ सावेलिच एगो मरियल आउ लंगड़ी घोड़ी पर, जे ओकरा एगो नगरवासी फोकट में दे देलके हल, जेकरा खिलावे-पिलावे खातिर ओकरा पास कोय साधन नयँ हलइ । हमन्हीं नगर के फाटक भिर पहुँचते गेलिअइ; संतरी सब हमन्हीं के जाय देलकइ; हमन्हीं ओरेनबुर्ग से बाहर निकस गेलिअइ ।
अन्हेरा छाय लगलइ । हमर रस्ता बेर्दा गाँव से होके जा हलइ, जे पुगाचोव के आश्रयस्थल हलइ । सीधा रस्ता बरफ से आच्छादित हलइ; लेकिन पूरे स्तेप (steppe) में घोड़वन द्वारा बन्नल पदचिह्न देखाय दे हलइ, जे हर दिन नावा हो जा हलइ । हम तेज दुलकी चाल से घोड़ा दौड़ाब करऽ हलिअइ । सावेलिच बड़ी मोसकिल से हमर पीछू-पीछू आ पा रहले हल आउ दूरहीं से मिनट-मिनट पर चिल्लाब करऽ हलइ - "जरी धीरे, मालिक, भगमान के खातिर जरी धीरे । हमर अभिशप्त मरियल घोड़ी तोहर लमगर गोड़ वला दैत्य के ठीक पीछू-पीछू चल नयँ पावऽ हइ । काहाँ जाय के जल्दीबाजी हको ? अगर भोज में जाय के रहतो हल त बात दोसर रहतो हल, लेकिन ई तो कुल्हाड़ी के निच्चे सिर रक्खे के बात हको, एकरो ध्यान रक्खऽ ... प्योत्र अन्द्रेइच ... बबुआ प्योत्र अन्द्रेइच ! ... हमर जान मत लऽ ! ... हे भगमान, मालिक के बुतरू अपन जान गमावे जा रहल ह !"
जल्दीए बेर्दा के बत्ती जगमगाय लगलइ । हमन्हीं लमगर-लमगर गड्ढा भिर पहुँचते गेलिअइ, जे बस्ती के नैसर्गिक किलाबंदी (fortifications) हलइ । सावेलिच हमरा से पीछू न तो जादे दूर पर हलइ, न अपन करुण निवेदन बंद करऽ हलइ । हमरा आशा हलइ कि ई बस्ती के चक्कर काटते बाहरे-बाहरे सही-सलामत निकस जइबइ, कि अचानक अन्हरवा में अपन सामने करीब पाँच मुझीक (किसान) के लठ लेले देखलिअइ - ई पुगाचोव के छावनी के पहिला बाहरी गार्ड हलइ । हमन्हीं के ललकारल गेलइ । चूँकि हमरा गुप्त संकेत-शब्द (password) मालुम नयँ हलइ, हम चुपचाप ओकन्हीं भिर से होते गुजर जाय लगी चहलिअइ; लेकिन ओकन्हीं हमरा तुरतम्मे घेर लेते गेलइ, आउ ओकन्हीं में से एक हमर घोड़वा के लगाम से पकड़ लेलकइ । हम तलवार निकास लेलिअइ आउ मुझीक के सिर पर प्रहार कइलिअइ; टोपी ओकरा बचा लेलकइ, लेकिन ऊ लड़खड़ा गेलइ आउ अपन हाथ से लगाम छोड़ देलकइ । दोसर सब घबरा गेलइ आउ भाग गेलइ; हम ई मौका के फयदा उठइलिअइ, घोड़वा के एड़ लगइलिअइ आउ सरपट भगइलिअइ ।
नगीच आ रहल रात के अन्हेरा हमरा हर तरह के खतरा से बचा ले सकऽ हलइ, कि अचानक पीछू मुड़ला पर देखलिअइ कि सावेलिच हमरा साथ नयँ हइ । बेचारा बुढ़उ अपन लँगड़ी घोड़ी पर डाकू सब के सामने से भाग नयँ सकलइ । की करतिए हल ? कुछ मिनट तक इंतजार कइला के बाद आउ ई बात के विश्वास हो गेला के बाद कि ओकरा पकड़ लेल गेलइ, हम अपन घोड़वा के मोड़ लेलिअइ आउ ओकरा बचावे खातिर रवाना हो गेलिअइ। खाई भिर पहुँचते बखत हमरा दूर में शोर, चीख आउ हमर सावेलिच के अवाज सुनाय देलकइ । हम जरी आउ तेजी से घोड़वा के दौड़इलिअइ आउ जल्दीए ओहे मुझीक गार्ड लोग के बीच पहुँच गेलिअइ, जे हमरा कुछ मिनट पहिले रोकलके हल । सावेलिच ओकन्हिंएँ बीच हलइ । ओकन्हीं ओकरा घोड़िया पर से घसीटके निच्चे कइलके हल आउ ओकरा बान्हे-छान्हे के तैयारी करब करऽ हलइ । हमर आगमन से ओकन्हीं बड़ी प्रसन्न होलइ । ओकन्हीं चीखते हमरा पर झपट पड़ते गेलइ आउ पल भर में घोड़वा से निच्चे घींच लेलकइ । ओकन्हीं में से एगो, शायद मुखिया, घोषणा कइलकइ कि ऊ हमन्हीं के महाराज के पास ले जइतइ । "आउ हमन्हीं के पिता", ऊ बात आगू बढ़इलकइ, "अपन मर्जी से औडर देथुन कि तोहन्हीं के अभिए फाँसी देल जाय कि सुबह होला पर ।" हम विरोध नयँ कइलिअइ; सावेलिच हमर उदाहरण के अनुकरण कइलकइ, आउ संतरी सब विजयोल्लास के साथ हमन्हीं के ले गेलइ ।
हमन्हीं खाई पार करते गेलिअइ आउ गाँव के अंदर प्रवेश कइलिअइ । सब्भे  इज़्बा (लकड़ी के बन्नल झोपड़ी) में बत्ती जल रहले हल । सगरो शोर आउ चीख सुनाय देब करऽ हलइ । गल्ली में हमन्हीं के कइएक लोग से भेंट होलइ; लेकिन अन्हरवा में हमन्हीं पर केकरो ध्यान नयँ गेलइ आउ हमरा ओरेनबुर्ग के अफसर के रूप में नयँ पछनलकइ । हमन्हीं के सीधे ऊ इज़्बा भिर ले जाल गेलइ, जे एगो चौराहा के कोना पर हलइ । फाटक भिर शराब के कुछ पीपा आउ दू गो तोप हलइ । "अइकी हइ राजमहल", मुझीक लोग में से एक कहलकइ, "अभी तोहन्हीं के बारे सूचित करबो ।" ऊ इज़्बा में प्रवेश कइलकइ । हम सावेलिच पर नजर डललिअइ; मने-मन प्रार्थना करते बुढ़उ क्रॉस कइलकइ । हम देर तक इंतजार कइलिअइ; आखिरकार मुझीक वापिस अइलइ आउ हमरा कहलकइ - "अंदर जा - हम सब के पिता अफसर के अंदर जाय के आदेश दे देलथुन हँ ।"
हम इज़्बा में, चाहे जइसन कि मुझीक लोग ओकरा कहऽ हलइ, राजमहल में, प्रवेश कइलिअइ । ई दू गो मेदबत्ती (tallow candles) से प्रकाशित हलइ, आउ देवाल सब पर सुनहरा कागज चिपकावल हलइ; लेकिन बेंच, टेबुल, रस्सी से लटकल वाश-बेसिन (हाथ-मुँह धोवे के चिलमची), खुँट्टी पर टँग्गल तौलिया, कोना में चूल्हा के चिमटा आउ चूल्हा के सामने वला हिस्सा के उपरे वला चौड़गर चबूतरा पर रक्खल बरतन सब - सब कुछ ओइसीं हलइ जइसे एगो सामान्य इज़्बा में होवऽ हइ । पुगाचोव प्रतिमा सब के निच्चे बैठल [49] हलइ, लाल कफ़्तान आउ बड़गर टोपी में, आउ शान से अपन दुन्नु हाथ कमर पर रखले । ओकर आसपास ओकर सथीवन में से कुछ मुख्य-मुख्य लोग बनावटी अधीनता के मुद्रा में खड़ी हलइ । स्पष्ट हलइ कि ओरेनबुर्ग के अफसर के आगमन के समाचार विद्रोही लोग के मन में तीव्र उत्सुकता उत्पन्न कर देलकइ आउ ओकन्हीं हमरा से शान के साथ मिल्ले के तैयारी कइलकइ । पुगाचोव तो हमरा पहिलहीं नजर में पछान गेलइ । ओकर बनावटी शान अचानक गायब हो गेलइ । "ओह, अत्र उच्चकुलीन !" ऊ उत्साह से हमरा कहलकइ । "कइसन हकऽ ? कइसे तोरा भगमान हियाँ लइलथुन ?" हम उत्तर देलिअइ कि हम अपन काम से जाब करऽ हलिअइ आउ ओकर अदमी लोग हमरा रोक लेते गेलइ । "लेकिन कइसन काम से ?" ऊ हमरा पुछलकइ । हमरा समझ में नयँ अइलइ कि कउची जवाब दिअइ । पुगाचोव, ई समझके कि हम गोवाह सब के सामने बतावे लगी नयँ चाहऽ हिअइ, अपन सथीवन दने मुड़लइ आउ ओकन्हीं के बाहर चल जाय के आदेश देलकइ । सब कोय आदेश के पालन कइलकइ, सिवाय दू गो के, जे अपन जगह से टस से मस नयँ होलइ । "एकन्हीं के उपस्थिति में निःसंकोच बतावऽ", पुगाचोव हमरा से बोललइ, "एकन्हीं से हम कुछ नयँ छिपावऽ हिअइ ।" हम नकली सम्राट् के विश्वासपात्र दने तिर्यक् दृष्टि से देखलिअइ । ओकन्हीं में से एगो हलइ कमजोर आउ कुबड़ा, उज्जर दाढ़ी वला बूढ़ा, जेकरा में ध्यान देवे लायक कोय विशेष बात नयँ हलइ, सिवाय धूसर अर्म्याक [50] के कन्हा पर डालल नीला रिब्बन [51] के । लेकिन ओकर साथी के हम कभी नयँ भूलबइ । ऊ उँचगर कद के, स्थूलकाय आउ चौड़गर कन्हा वला हलइ, आउ हमरा कोय पैंतालीस साल के प्रतीत होलइ । घनगर लाल दाढ़ी, चमकइत धूसर आँख, बिन नथुना के नाक, आउ निरार आउ गाल पर लाल धब्बा ओकर चेचकरू (pockmarked) चौड़गर चेहरा के अनिर्वचनीय मुद्रा (indescribable expression) प्रदान करऽ हलइ । ऊ लाल कमीज, किर्गिज़ लबादा आउ कज़ाक शलवार धारण कइले हलइ । पहिला (जइसन कि हमरा बाद में पता चललइ) भगोड़ा कार्पोरल बेलोबोरोदोव हलइ; दोसरा - अफ़ानासी सोकोलोव (उर्फ़ ख़्लोपुशा), जे निर्वासित अपराधी हलइ, आउ साइबेरिया के खान से तीन तुरी भाग गेले हल । ऊ भावना के बावजूद, जे विशेष करके हमरा कष्ट दे रहले हल, जे संगति में हम अइसन अप्रत्याशित ढंग से खुद के पइलिअइ, ऊ हमर कल्पना के तीव्र रूप से उद्वेलित कर देलकइ । लेकिन पुगाचोव अपन प्रश्न से हमरा अपन आपा में ला देलकइ - "बोलऽ, तूँ ओरेनबुर्ग से कउन काम से अइलऽ ह ?"
एगो विचित्र विचार हमर मस्तिष्क में अइलइ - हमरा लगलइ कि भाग्य, जे हमरा दोसरा तुरी पुगाचोव के पास लइलके ह, हमरा अपन इरादा के साकार रूप देवे के अवसर देब करऽ हइ । हम एकर फयदा उठावे के निश्चय कइलिअइ, आउ जे कुछ निश्चय कइलिअइ ओकरा पर सोचे-विचारे के कोय समय नयँ रहे से हम पुगाचोव के प्रश्न के उत्तर देलिअइ -
"हम ऊ अनाथ लड़की के बचावे लगी बेलागोर्स्क किला जाब करऽ हलिअइ, जेकरा पर हुआँ परी दुर्व्यवहार कइल जा रहले ह ।"
पुगाचोव के आँख कौंध गेलइ । "हमर लोग में से केऽ अनाथ लड़की के साथ दुर्व्यवहार करब करऽ हइ ?" ऊ चिल्ला उठलइ । "ओकर निरार सात इंच के काहे नयँ होवइ (अर्थात् केतनो बड़गो धूर्त चाहे प्रतिभाशाली काहे नयँ होवइ), ऊ हमर न्याय से बच नयँ सकतइ । बतावऽ - केऽ दोषी हइ ?"
"शवाब्रिन दोषी हइ", हम उत्तर देलिअइ । "ऊ, ऊ लड़की के बंदी बनइले हइ, जेकरा तूँ पादरिन के हियाँ बेमार देखलहो हल, आउ जबरदस्ती ओकरा से शादी करे लगी चाहऽ हइ ।"
"हम श्वाब्रिन के सबक सिखइबइ", क्रोधावेश में पुगाचोव कहलकइ । "ऊ जान लेतइ कि लोग के साथ मनमानी करे आउ दुर्व्यवहार करे के की नतीजा होवऽ हइ । हम ओकरा फाँसी पर लटका देबइ ।"
"कुछ शब्द निवेदन करे के अनुमति दऽ", भर्राल स्वर में ख़्लोपुशा कहलकइ । "तूँ श्वाब्रिन के किला के कमांडर नियुक्त करे में जल्दीबाजी कइलऽ, आउ अब ओकरा फाँसी पर लटकावे लगी जल्दीबाजी करब करऽ ह । तूँ पहिलहीं एगो कुलीन व्यक्ति के कज़ाक सब के प्राधिकारी बनाके ओकन्हीं के अपमानित कर चुकलऽ ह; अब पहिला चुगलखोरी के आधार पर ओकन्हीं के प्राणदंड देके कुलीन लोग के मत डेराहो ।"
"कोय जरूरत नयँ हइ ओकन्हीं पर दया करे के, चाहे अनुग्रह करे के !" नीला रिब्बन वला बुढ़उ कहलकइ । "श्वाब्रिन के फाँसी देवे में कोय हर्ज नयँ हइ; लेकिन ई अफसर साहेब से निम्मन से पूछताछ करना भी खराब बात नयँ होतइ कि हियाँ आवे के काहे लगी किरपा कइलथिन हँ । अगर ई तोहरा सम्राट् नयँ मानऽ हको, त तोहरा से न्याय माँगे के भी आशा नयँ करे के चाही, आउ अगर मानऽ हको, त ई आझतक तोर शत्रु लोग के साथ ओरेनबुर्ग मैं बैठल की करब करऽ हला ? की तोहरा इनका गार्ड-हाउस ले जाय के आउ हुआँ परी जरी आग लहरावे के आदेश देना ठीक नयँ होतइ ? हमर दिल कहऽ हइ कि ई महानुभाव के ओरेनबुर्ग के कमांडर लोग द्वारा हमन्हीं हीं भेजल गेले ह ।"
ई शैतान बूड्ढा के तर्क हमरा काफी विश्वासजनक (convincing) लगलइ । हम कइसन लोग के हाथ में पड़ गेलूँ हँ, ई विचारे से हमर सारा शरीर में शीत लहर दौड़ गेल । पुगाचोव हमर घबराहट के ताड़ गेलइ । "हूँ, अत्र उच्चकुलीन ?" ऊ आँख मारते हमरा से कहलकइ । "हमर फ़ील्डमार्शल, लगऽ हइ, अक्ल के बात कहब करऽ हइ । तोर की खियाल हको ?"
पुगाचोव के व्यंग्य हमर हौसला वापिस ला देलकइ । हम शांतिपूर्वक उत्तर देलिअइ कि हम ओकर वश में हिअइ आउ ऊ हमरा साथ जे चाहे कर सकऽ हइ ।
"ठीक हको", पुगाचोव बोललइ । "अब बतावऽ, तोहन्हीं के शहर कइसन हालत में हको ?"
"भगमान के किरपा से", हम उत्तर देलिअइ, "सब कुशल हइ ।"
"कुशल हइ ?" पुगाचोव दोहरइलकइ । "लेकिन शहर तो भुखमरी से मरब करऽ हइ !"
नकली सम्राट् सच कह रहले हल; लेकिन हम कर्तव्यबद्ध होवे के कारण ओकरा विश्वास देलावे लगलिअइ कि ई सब बकवास हइ, कि ओरेनबुर्ग में सब कुछ के पर्याप्त भंडार हइ ।
"देख रहलहो ह न", बुढ़उ बात पकड़ लेलकइ, "कि ई तोर आँख में धूल झोंकब करऽ हको । सब भगोड़ा लोग एकमत से रिपोर्ट करऽ हइ कि ओरेनबुर्ग में भुखमरी आउ महामारी हइ, कि हुआँ परी लोग जानवर के लाश खइते जा हइ, आउ ओहो मिल जाय पर भाग्यशाली समझते जा हइ; आउ ई महानुभाव विश्वास देलावऽ हथिन कि सब कुछ के पर्याप्त भंडार हइ । अगर तूँ श्वाब्रिन के फाँसी पर लटकावे लगी चाहऽ हो, त ओहे टिकठी पर एहो नौजवान के फाँसी चढ़ा देवे के चाही, ताकि केकरो जलन नयँ होवे ।"
ई अभिशप्त बुढ़उ के शब्द, लगलइ, पुगाचोव के मन हिला देलकइ । भाग्यवश, ख़्लोपुशा अपन साथी के विरोध करे लगलइ ।
"बहुत हो गेलो, नऊमिच", ऊ ओकरा कहलकइ । "तूँ तो सबके खाली गला घोंटे आउ काटे लगी उतारू रहऽ हो । तूँ कइसन रुस्तम हकहो ? देखे में तो लगऽ हको कि कइसूँ तोर देह में आत्मा अँटकल हको । खुद कब्र में गोड़ लटकइले हकऽ, आउ दोसरा के जान मारे पर उतारू हकऽ । तोर अंतःकरण में की वास्तव में बहुत कम खून बच गेलो ह ?"
"आउ तूँ कइसन संत हकहो ?" बेलोबोरोदोव एतराज कइलकइ । "तोर दिल में काहाँ से दया आ गेलो ?"
"निस्संदेह", ख़्लोपुशा उत्तर देलकइ, "हमहूँ पापी हिअइ, आउ ई हाथ (हियाँ परी ऊ अपन हड़गर मुट्ठी भींच लेलकइ, आउ अपन आस्तीन उपरे चढ़ाके अपन झबरा बाँह उघरलकइ), आउ ई बाँह भी ईसाई लोग के खून बहावे के दोषी हइ । लेकिन हम दुश्मन के हत्या कइलिअइ, अपन मेहमान के नयँ; खुल्लल चौराहा पर आउ घना जंगल में हत्या कइलिअइ, चूल्हा भिर बैठके, घर पर नयँ; लाठी आउ फरसा से, औरत नियन चुगलखोरी से नयँ ।"
बुढ़उ मुँह फेर लेलकइ आउ बड़बड़इलइ - "नकटा !" ...
"तूँ हुआँ की फुसफुसाब करऽ हीं, बुड्ढे खूसट ?" ख़्लोपुशा चिल्लइलइ । "हम तोरा देबउ कट्टल नाक; ठहर, तोरो समय अइतउ; भगमान चहलथुन, त तोरो चिमटा  सुँग्घे लगी मिलतउ ... आउ अभी लगी तो ध्यान दीहँऽ, अइसन नयँ कि हम तोर दाढ़ी नोच लिअउ !"
"एनरल (जेनरल) महानुभावो !" पुगाचोव शान से घोषणा कइलकइ । "बहुत हो गेलो तोहन्हीं सब के लड़ना-झगड़ना । कोय हर्ज नयँ, अगर ओरेनबुर्ग के सब्भे कुत्ता टिकठी के एक्के अर्गला (crossbeam) से अपन-अपन टँगरी झटकारइ; लेकिन आफत होतइ, अगर हमन्हीं के कुतवन सब आपस में एक दोसरा के मार-काट डालइ। हूँ, सुलह कर लेते जा ।"
ख़्लोपुशा आउ बेलोबोरोदोव एक्को शब्द नयँ बोललइ आउ रुखाई से एक दोसरा दने तकते रहलइ । हम ई बातचीत के विषय बदले के आवश्यकता देखलिअइ, जेकर अंत हमरा लगी बहुत खराब हो सकऽ हलइ, आउ पुगाचोव तरफ मुखातिब होके हम प्रसन्न मुद्रा में कहलिअइ - "ओह ! हम तो तोरा घोड़ा आउ तुलूप (जानवर के खाल के कोट) खातिर धन्यवाद देवे लगी लगभग भूलिए गेलियो हल । तोहर सहायता के बेगर हम तो शहर तक पहुँच नयँ पइतूँ हल आउ रस्ते में ठिठुरके मर जइतूँ हल ।"
हमर ई चाल सफल हो गेलइ । पुगाचोव खुशी से फूला नयँ समइलइ । "उपकार के बदले उपकारे सुंदर" (अर्थात् उपकार के बदले उपकार करे के चाही), ऊ आँख मारते आउ मिचकइते कहलकइ । "अच्छऽ, अब हमरा बतावऽ, ऊ लड़की से तोरा की मतलब, जेकरा साथ श्बाब्रिन दुर्व्यवहार कर रहले ह ? कहीं ई नौजवान के दिल के प्रेयसी तो नयँ ? ऐं ?"
"ऊ हमर मंगेतर हइ", हम पुगाचोव के उत्तर देलिअइ, मौसम के अनुकूल परिवर्तन देखके आउ सच्चाई छिपावे के जरूरत नयँ समझते ।
"तोर मंगेतर !" पुगाचोव चिल्लइलइ । "तूँ पहिले काहे नयँ बतइलहो ? हम सब तोर शादी करबो आउ तोर शादी के दावत उड़इते जइबो !" फेर, बेलोबोरोदोव दने मुड़के बोललइ - "सुनऽ, फ़ील्डमार्शल ! हम आउ तत्र उच्चकुलीन पुरनका मित्र हिअइ; साथ में बैठके भोजन करते जइबइ; सुबह के फैसला शाम के फैसला से कहीं बेहतर होवऽ हइ । बिहान देखल जइतइ कि इनका साथ की कइल जाय ।"
हम खुशी से ई प्रस्तावित सम्मान के अस्वीकार कर देतिए हल, लेकिन कोय चारा नयँ हलइ । दू गो कज़ाक नवयुवती, जे इज़्बा के मालिक के बेटी हलइ, टेबुल पर सफेद मेजपोश (tablecloth) बिछा देलकइ, पावरोटी, मछली के शोरबा आउ वोदका आउ बियर के कुछ बोतल लइलकइ, आउ दोसरा तुरी हमरा अप्रत्याशित रूप से पुगाचोव आउ ओकर भयंकर साथी लोग के साथ-साथ भोजन करे पड़लइ ।
जे रंगरेली के हम अनैच्छिक साक्षी हलिअइ, ऊ देर रात तक चललइ । आखिरकार नशा सब पर हावी होवे लगलइ । पुगाचोव अपन जगह पर बैठले-बैठले झुक्के लगलइ; ओकर सथीवन उठ गेते गेलइ आउ ओकरा छोड़ देवे के हमरा इशारा कइलकइ । हम ओकन्हिंएँ साथ बहरसी हो गेलिअइ । ख़्लोपुशा के औडर पर संतरी हमरा गार्ड-हाउस ले गेलइ, जाहाँ परी हम सावेलिच के भी पइलिअइ आउ जाहाँ हमरा ओकरा साथ छोड़के बहरसी से ताला लगा देल गेलइ । प्राथमिक शिक्षक ई सब हो रहल घटना पर एतना आश्चर्यचकित हलइ कि हमरा से एक्को प्रश्न नयँ कइलकइ । ऊ अन्हरवे में पड़ रहलइ आउ देर तक आह आउ ओह करते रहलइ; आखिरकार खर्राटा भरे लगलइ, आउ हम कइएक तरह के विचार में खो गेलिअइ, जे हमरा रातो भर एक्को मिनट लगी पलक नयँ झपकावे देलकइ ।
सुबह में पुगाचोव के तरफ से हमर बोलाहट होलइ । हम ओकरा हीं गेलिअइ । ओकर फाटक भिर एगो किबित्का खड़ी हलइ, जे तातार घोड़वन से त्रोयका में जोतल हलइ । लोग सड़क पर भीड़ लगइले हलइ । ड्योढ़ी पर हमरा पुगाचोव से भेंट होलइ - ऊ यात्रा लगी फ़रकोट आउ किर्गिज़ टोपी धारण कइले हलइ । कल रात के साथी सब ओकरा घेरले हलइ, चापलूसी के अइसन मुद्रा बनइले, जे ऊ सब कुछ से बिलकुल भिन्न हलइ, जेकर पूर्वसंध्या पर हम साक्षी हलिअइ । पुगाचोव हमरा खुशी से स्वागत कइलकइ आउ हमरा अपन साथ किबित्का में बैठे लगी औडर देलकइ ।
हमन्हीं बैठते गेलिअइ । "बेलागोर्स्क किला !" पुगाचोव चौड़गर कन्हा वला तातार ड्राइवर के कहलकइ, जे त्रोयका के खड़े-खड़े हाँकऽ हलइ । हमर दिल जोर-जोर से धड़कब करऽ हलइ । घोड़वन चल पड़लइ, घंटी टनटनाय लगलइ, किबित्का हावा से बात करे लगलइ ...
"ठहरऽ, ठहरऽ", हमर बहुत जानल-पछानल अवाज सुनाय देलकइ, "आउ हमन्हीं तरफ दौड़ल आ रहल सावेलिच के हम देखलिअइ । पुगाचोव रुक्के के आदेश देलकइ । "बबुआ, प्योत्र अन्द्रेइच !" प्राथमिक शिक्षक चिखलइ । "हमरा बुढ़ारी में मत छोड़ऽ अइसन बदमा..."
"ओह, खूसट बूढ़ा !" पुगाचोव ओकरा कहलकइ । "भगमान फेर से हमन्हीं के मिला देलका । अच्छऽ, कोचवान के सीट पर बैठ जा ।"
"धन्यवाद, सम्राट्, धन्यवाद, प्रिय पिता !" बैठते सावेलिच बोललइ । "हमरा नियन बूढ़ा पर ध्यान देवे आउ सांत्वना देवे खातिर भगमान तोहरा सो बरिस स्वस्थ रक्खे । हमेशे तोरा लगी भगमान के प्रार्थना करते रहबो, आउ खरगोश के तुलूप के अब कभी आद नयँ देलइबो ।"
ई खरगोश के तुलूप, आखिरकार, पुगाचोव के क्रोधावेश में ला सकऽ हलइ । भाग्यवश, नकली सम्राट् या तो सुन नयँ पइलकइ, चाहे अप्रासंगिक इशारा के उपेक्षा कर देलकइ । घोड़वन सरपट दौड़े लगलइ; लोग सड़क पर रुक जाय आउ कमर तक झुकके अभिवादन करइ । पुगाचोव दुन्नु तरफ अपन सिर हिलावइ । एक मिनट के बाद हमन्हीं बस्ती से बहरसी आ गेलिअइ आउ निम्मन सड़क पर तेजी से जाय लगलिअइ ।
ई असानी से कल्पना कइल जा सकऽ हइ कि ई पल हम की अनुभव कर रहलिए हल । कुछ घंटा के बाद हम ओकरा देखे वला हलिअइ, जेकरा हम खुद लगी खोवल मान चुकलिए हल । हम अपन मिलन के पल के चित्र दिमाग में उभार लेलिअइ ... हम ओहो व्यक्ति के बारे सोचलिअइ, जेकर हाथ में हमर भाग्य हलइ आउ जे परिस्थिति के विचित्र संयोग से हमरा साथ रहस्यपूर्ण ढंग से जुड़ल हलइ । हमरा ओकर आवेशी (impulsive) क्रूरता, रक्तपिपासु आदत के बारे आद अइलइ, जे हमर प्रेयसी के मुक्तिदाता होवे वला हलइ ! पुगाचोव के मालुम नयँ हलइ कि ऊ कप्तान मिरोनोव के बेटी हइ; क्रूर श्बाब्रिन ओकरा सब कुछ बता दे सकऽ हलइ; पुगाचोव दोसरो तरीका से सच्चाई जान सकऽ हलइ ... तब मारिया इवानोव्ना के साथ की होतइ ? हमर देह में शीतलहर दौड़ गेलइ, आउ हमर रोंगटा खड़ी हो गेलइ ...
अचानक पुगाचोव हमरा दने मुड़के हमर विचार शृंखला के ई प्रश्न से भंग कर देलकइ - "अत्र उच्चकुलीन, कइसन सोच में पड़े के किरपा कइलहो ?"
"कइसे नयँ सोच में पड़ल जाय", हम ओकरा उत्तर देलिअइ । "हम अफसर आउ कुलीन हिअइ; कल तक तोहर विरुद्ध लड़ब करऽ हलियो, आउ आझ तोरा साथ एक्के किबित्का में जाब करऽ हियो, आउ हमर पूरे जिनगी के खुशी तोरा पर निर्भर हको ।"
"त की ?" पुगाचोव पुछलकइ । "तोरा भय लग रहलो ह ?"
हम जवाब देलिअइ कि ओकरा से एक तुरी माफ कइल जा चुकला पर हम खाली ओकर दया के ही नयँ आशा करऽ हलिअइ, बल्कि सहायता के भी ।
"आउ तूँ ठीक कहऽ हो, भगमान कसम, ठीक !" नकली सम्राट् कहलकइ । "तूँ देखवे कइलहो कि हमर लड़कन सब तोरा दने कनखी से देखऽ हलो; आउ बुढ़उ आझो ई बात पर अड़ल हलो कि तूँ गुप्तचर हकहो आउ तोरा यातना देल जाय के चाही आउ फाँसी पर लटका देवे के चाही; लेकिन हम सहमत नयँ होलिअइ", ऊ आगू बोललइ, अपन स्वर जरी धीमे करके ताकि सावेलिच आउ तातार ओकर बात सुन नयँ पावइ, "तोर शराब के गिलास आउ खरगोश के तुलूप के आद करके । तूँ देखवे करऽ हो कि हम ओइसन रक्तपिपासु नयँ हिअइ, जइसन कि तोहर भाय लोग हमरा बारे बोलते जा हको ।"
हमरा बेलागोर्स्क किला पर कब्जा के आद पड़ गेलइ; लेकिन हम ओकर बात के खंडन करना आवश्यक नयँ समझलिअइ आउ हम जवाब के रूप में एक्को शब्द नयँ कहलिअइ ।
"लोग हमरा बारे ओरेनबुर्ग में की कहते जा हइ ?" थोड़े देर चुप्पी साधला के बाद पुगाचोव पुछलकइ ।
"लोग के कहना हइ कि तोरा वश में करना कठिन काम हइ; ई बात के अस्वीकार नयँ कइल जा सकऽ हइ कि तूँ अपन धाक जमा लेलऽ ह ।"
नकली सम्राट् के मुखमुद्रा में संतुष्ट अहंभाव देखाय देलकइ ।
"हाँ !" ऊ प्रसन्न मुद्रा में कहलकइ । "हम कहीं भी लड़ाई करऽ हिअइ । की तोहन्हीं हीं ओरेनबुर्ग के लोग के युज़ेयेवो के लड़ाई [52] के बारे मालुम हको ? चालीस एनरल (जेनरल) मारल गेलइ, चार सेना के बंदी बना लेवल गेलइ । तोर की खियाल हको - की प्रुशिया के राजा हमरा साथ मुकाबला कर सकऽ हइ ?"
डाकू के शेखी हमरा मनोरंजक लगलइ । "तूँ खुद की सोचऽ हो ?" हम ओकरा पुछलिअइ, "की तूँ फ़्रेड्रिक [53] के सामना कर सकऽ हलहो ?"
"फ़्योदर फ़्योदरोविच [54] के साथ ? काहे नयँ ? तोहन्हीं के एनरल के साथ तो हम निपटिए लेलिअइ; आउ ओकन्हीं ओकरा पराजित कइलके हल । अब तक तो हमर हथियार भाग्यशाली सिद्ध होलइ । थोड़ा इंतजार करहो, अभी आउ कुछ होतइ, जब हम मास्को पर धावा बोलबइ ।"
"त तोर इरादा मास्को पर धावा बोले के हको ?"
नकली सम्राट् थोड़े देर विचारमग्न रहलइ आउ धीमे स्वर में बोललइ - "भगमान जाने । हमर रस्ता सकेत हइ; हमरा लगी अजादी कम हइ । हमर लड़कन लोग कुछ जादहीं अपन बुद्धि से काम ले हइ । ओकन्हीं चोर हइ । हमरा अपन कान खड़ा रक्खे पड़ऽ हइ; पहिलौके नाकामयाबी पर ओकन्हीं अपन गरदन के बचावे लगी हमर सिर के दाँव पर लगा देते जइतइ ।"
"एहे तो बात हइ !" हम पुगाचोव के कहलिअइ । "की ओकन्हीं से खुद्दे, बखत रहते, अलग हो जाना आउ खुद के साम्राज्ञी के दया पर छोड़ देना तोरा लगी बेहतर नयँ होतो ?"
पुगाचोव कटुता से मुसकइलइ ।
"नयँ", ऊ उत्तर देलकइ, "हमरा लगी पश्चात्ताप करे खातिर बहुत देर हो चुकले ह । हमरा क्षमा नयँ मिलतइ। जइसे शुरू कइलिए हल, ओइसीं चालू रखबइ । केऽ जानऽ हइ ? हो सकऽ हइ कि सफल हो जइअइ ! ग्रिश्का ओत्रेप्येव [55] तो मास्को पर आखिर शासन करवे कइलके हल ।"
"आउ जानऽ हो न कि ओकर अंत कइसे होले हल ? ओकरा खिड़की से बाहर फेंक देल गेले हल, काट डालल गेले हल, जला देवल गेले हल, ओकर राख के तोप में भरके उड़ा देल गेले हल !"
"सुन्नऽ", एक प्रकार के वहशी जोश में पुगाचोव कहलकइ । "हम तोरा एगो खिस्सा सुनावऽ हियो, जे हमरा बचपन में एगो कल्मीक बूढ़ी औरत सुनइलके हल । एक तुरी एगो उकाब एगो कौआ के पुछलकइ - 'बताव, कौए, कइसे तूँ ई बड़गो संसार में तीन सो साल जीयऽ हीं, जबकि हम कुल्लम खाली तेतीस साल ?' - 'ई कारण से, प्रिय मित्र', ओकरा कौआ उत्तर देलकइ, 'कि तूँ ताजा खून पीयऽ हो, आउ हम मरी खा हिअइ ।' उकाब सोचलकइ - 'ठीक हइ, ओइसीं खाके अजमावल जाय ।' उकाब आउ कौआ उड़ चललइ । एगो मरल घोड़ा नजर अइलइ, निच्चे उतरते गेलइ आउ लाश पर बैठ गेलइ । कौआ चोंच मारे लगलइ आउ प्रशंसा करे लगलइ। उकाब एक तुरी चोंच मालकइ, दोसरा तुरी चोंच मालकइ, अपन डैना हिलइलकइ आउ कौआ के कहलकइ - 'नयँ, भाय कौआ, मरी खाके तीन सो साल जीए के बजाय एक तुरी ताजा खून पीना बेहतर हइ, आउ फेर जे कुछ भगमान भेजे !' - त कइसन लगलो ई कल्मीक खिस्सा ?"
"विचित्र", हम ओकरा उत्तर देलिअइ । "लेकिन हत्या आउ लूट-मार के मतलब, हमर विचार से, मरी पर चोंच मारे नियन हइ ।"
पुगाचोव हमरा दने अचरज से देखलकइ आउ कुच्छो जवाब नयँ देलकइ । हमन्हीं दुन्नु चुप हो गेलिअइ, हरेक अपन-अपन विचार शृंखला में डूब गेते गेलिअइ । तातार (कोचवान) एगो करुण गीत छेड़लकइ; सावेलिच, झुकते-झुकते, कोचवान के सीट पर डोल रहले हल । किबित्का जाड़ा के चिक्कन रस्ता पर उड़ल जाब करऽ हलइ ... अचानक हमरा याइक नदी के खड़ा तट पर, बाड़ आउ घंटाघर (belfry) सहित, एगो छोटगर गाँव देखाय देलकइ - आउ पनरह मिनट बाद हमन्हीं बेलागोर्स्क किला के अंदर प्रवेश करते गेलिअइ ।

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