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Monday, December 04, 2017

2.20 रूसी कहानी "बरफीला तूफान"

बरफीला तूफान
मूल रूसी शीर्षकः Метель (मितेल) ; कहानीकार - पुश्किन ;    मगही अनुवाद - नारायण प्रसाद
घोड़वन टिल्हा पर दौड़ल जा हइ,
रौंदते बरफ के गहराई तक ...
अइकी, बगली में एगो गिरजाघर
दिखाय दे हइ बिलकुल एकांत ...
. . . . . . . . . . . . . . . . . . . .
अचानक बरफीला तूफान उट्ठऽ हइ चारो दने;
बरफ गिरऽ हइ लोंदे-लोंदे;
कार कौआ, सरसर करते डैना से,
मँड़रा हइ स्लेज के उपरे;

भविष्यसूचक कराह संकेत दे हइ कोय दुख के !
घोड़वन जल्दीबाजी में
ध्यान से देखऽ हइ धुँधला दूर के,
उठइते अपन अयाल के ...
--- झुकोव्स्की [1]


सन् 1811 के अंत में, हमन्हीं लगी एगो स्मरणीय युग में, गव्रीला गव्रीलोविच र** नामक सज्जन अपन जागीर (estate) नेनारादोवो में रहऽ हलथिन । ऊ अपन पूरे इलाका में अतिथि सत्कार आउ सहृदयता खातिर प्रसिद्ध हलथिन; पड़ोसी लोग मिनट-मिनट उनका हीं खाय, पीए, आउ उनकर पत्नी प्रस्कोवा पित्रोव्ना के साथ बोस्टन में पाँच कोपेक के दाँव लगाके जुआ खेले लगी अइते रहऽ हलइ, आउ कुछ लोग उनकर सुग्घड़, पीयर आउ सतरह साल के सुंदरी बेटी, मारिया गव्रीलोव्ना के एक नजर देखे लगी । ओकरा एगो धनगर भावी दुलहिन मानल जा हलइ, आउ कइएक लोग ओकरा से या तो खुद चाहे अपन बेटवन के साथ शादी करे के इरादा कइले हलइ ।
मारिया गव्रीलोव्ना के पालन-पोषण फ्रेंच उपन्यास सब पर होले हल आउ ओहे से प्रेमासक्त हो गेलइ । ओकर चुन्नल पात्र हलइ एगो निर्धन फौजी प्रापोर्शिक (अधिकृत अर्थात् कमीशन-प्राप्त अफसर में से निम्नतम रैंक के अफसर) हलइ, जे छुट्टी पर अपन गाँव अइले हल । ई बतावे के जरूरत नयँ हइ कि युवक के दिल में प्यार के ओतनहीं आग सुलग रहले हल, कि ओकर प्रेयसी के माता-पिता ओकन्हीं के परस्पर आकर्षण के नोटिस करके अपन बेटी के ओकरा बारे सोचहूँ से मना कर देते गेलथिन, आउ ओकरा एगो सेवा-निवृत्त कर-निर्धारक (assessor) से भी बत्तर तरह से स्वागत करते जा हलथिन ।
हमन्हीं के ई प्रेमी-युगल के बीच पत्राचार होवऽ हलइ, आउ हरेक दिन एकांत में चीड़ के झुरमुट में चाहे पुरनका छोटका गिरजाघर (chapel) के पास मिल्लऽ हलइ । हुआँ परी ओकन्हीं परस्पर शाश्वत प्रेम के कसम खा हलइ, अपन भाग्य पर रोवऽ हलइ आउ विभिन्न तरह के योजना बनावऽ हलइ । पत्राचार करते आउ ई तरह बातचीत करते, ओकन्हीं (जे अत्यंत स्वाभाविक हलइ) निम्नलिखित निष्कर्ष पर पहुँचते गेलइ - अगर हमन्हीं एक दोसरा के बेगर साँस नयँ ले सकऽ हिअइ, आउ क्रूर माता-पिता के इच्छा हमन्हीं के खुशी में बाधा डालऽ हइ, त की हमन्हीं एकरा बेगर काम नयँ चलइते जा सकऽ हिअइ ? जाहिर हइ, कि ई सुखद विचार पहिले नवयुवक के दिमाग में अइलइ आउ ई मारिया गव्रीलोव्ना के रोमानी कल्पना के बहुत निम्मन लगलइ ।
शरत्काल आ गेलइ आउ ओकन्हीं के मिलना-जुलना बंद हो गेलइ; लेकिन पत्राचार आउ अधिक सजीव हो गेलइ । व्लादीमिर निकोलायेविच हरेक पत्र में ओकरा अनुरोध करऽ हलइ कि ऊ ओकरा समर्पित कर दे, गुप्त रूप से शादी कर ले, कुछ समय खातिर छिपके रहल जाय, फेर माता-पिता के गोड़ पर गिर पड़ल जाय, जिनकर दिल निस्संदेह आखिरकार प्रेमी-युगल के वीरतापूर्ण निष्ठा आउ दुख से पिघल जइतइ आउ पक्का ओकन्हीं से कहथिन - "बच्चो ! आवऽ आउ हमर गले लग जइते जा ।"
मारिया गव्रीलोव्ना बहुत समय तक हिचकिचाहट में रहलइ; कइएक योजना ठुकरा देल गेलइ । आखिरकार ऊ राजी हो गेलइ - निश्चित कइल दिन के ओकरा रात के भोजन नयँ करे के हलइ आउ सिरदर्द के बहाने अपन कमरा में चल जाय के हलइ । ओकर नौकरानी साजिश में शामिल हलइ; दुन्नु के पिछलौका ड्योढ़ी से बहरसी निकसके बाग में चल जाय के हलइ, बाग के पीछू स्लेज (बरफगाड़ी) तैयार मिलतइ, ओकरा में बैठ जाय के हलइ आउ पाँच विर्स्ता नेनारादोवो से झाद्रिनो गाँव तक चल जाय के हलइ, सीधे गिरजाघर तक, जाहाँ परी व्लादिमिर ओकन्हीं के इंतजार करते मिलतइ ।
निर्णायक दिन के ठीक एक दिन पहिले मारिया गव्रीलोव्ना के रात भर नीन नयँ अइलइ; ऊ पैक कइलकइ, कपड़ा-लत्ता बन्हलकइ, एगो लमगर पत्र अपन भावुक सहेली के लिखलकइ, आउ दोसर अपन माता-पिता के। ऊ उनकन्हीं से अत्यंत मर्मस्पर्शी अभिव्यक्ति में विदा लेलकइ, भावावेश के अदम्य शक्ति के वश में अपन दुष्कर्म लगी माफी मँगलकइ, आउ अंत में लिखलकइ कि ऊ परम सुख के क्षण ओकरा मानतइ जब ओकरा अत्यंत प्रिय माता-पिता के गोड़ पर गिरे के अनुमति मिलतइ । दुन्नु पत्र के तूला [2] के मुहर लगाके बंद करके, जेकरा पर एगो उत्तम आलेख के साथ दू गो दहकइत दिल अंकित हलइ, ऊ भोर होवे के पहिले बिस्तर पर गिर पड़लइ आउ ओकरा झुकनी बरे लगलइ; लेकिन तइयो हियाँ परी ओकरा भयंकर सपना मिनट-मिनट पर ओकरा जगइते रहलइ । कभी ओकरा लगइ कि ठीक ओहे पल जब ऊ शादी करे खातिर प्रस्थान करे लगी स्लेज में बैठलइ, कि ओकर पिताजी ओकरा रोक लेलथिन आउ कष्टकारक गति से ओकरा बरफ पर घसीटते ले गेलथिन आउ एगो अन्हार अतल (bottomless) तहखाना में फेंक देलथिन ... आउ ऊ हृदय के अवर्णनीय स्तब्धता के साथ सिर के बल उड़ते निच्चे जाब करऽ हइ; त कभी लगइ कि ऊ घास पर बैटल व्लादिमिर के देख रहले ह, जेकर चेहरा पीयर होल आउ खून से लथपथ हइ । ऊ मरते-मरते ओकरा तीक्ष्ण स्वर में अपन साथ शादी करे में शीघ्रता करे के निवेदन कर रहले ह ... आउ दोसर-दोसर भद्दा, अनर्गल सपना ओकरा सामने एक पर एक देखाय देते रहलइ । आखिरकार हमेशे के अपेक्षा अधिक पीयर आउ बिन ढोंग वला सिरदर्द के साथ ऊ उठलइ। माता-पिता के ओकर बेचैनी पर दृष्टि गेलइ; उनकन्हीं के स्नेहमय चिंता आउ लगातार प्रश्न - "तोरा की हो गेलो ह, माशा ? कहीं तूँ बेमार तो नयँ हँ, माशा ?" ओकर हृदय के टुकड़े-टुकड़े कर रहले हल । ऊ उनकन्हीं के शांत करे, प्रसन्न देखाय देवे के प्रयास कइलकइ, आउ कर नयँ पइलकइ । शाम हो अइलइ । ई विचार कि अब आखिरी तुरी अपन परिवार के बीच दिन बिताब करऽ हइ, ओकर दिल बैठल जाब करऽ हलइ । ऊ मोसकिल से जिंदा हलइ; ऊ गुप्त रूप से अपन आसपास के सब लोग से, सब चीज से, विदा ले रहले हल ।
रात के भोजन परसल गेलइ; ओकर दिल जोर-जोर से धड़क रहले हल । काँपते स्वर में ऊ कहलकइ कि ओकरा खाय के मन नयँ करऽ हइ, आउ माता-पिता से विदा होवे लगलइ । उनकन्हीं ओकरा चुमलथिन आउ हमेशे नियन आशीर्वाद देलथिन - ऊ लगभग कन्ने-कन्ने नियन हो गेलइ । अपन कमरा में आके ऊ अरामकुरसी पर पड़ गेलइ आउ फूट-फूटके कन्ने लगलइ । ओकर नौकरानी ओकरा शांत होवे आउ हिम्मत बान्हे लगी समझइलकइ-बुझइलकइ । सब कुछ तैयार हलइ । आध घंटा के बाद माशा हमेशे लगी अपन माता-पिता के घर, अपन कमरा, शांत कुमारी जीवन के छोड़े वली हलइ ... बहरसी बरफीला तूफान हलइ; हावा सायँ-सायँ करब करऽ हलइ, शटर हिल आउ बज रहले हल; सब कुछ ओकरा खतरा आउ दुखद पूर्वलक्षण (शकुन) लगलइ। जल्दीए घर में सब कुछ शांत हो गेलइ आउ सब कोय सुत गेलइ । माशा शाल लपेट लेलकइ, गरम कपोत *  पेन्ह लेलकइ, हाथ में अपन बक्सा ले लेलकइ आउ पिछुऔनी वली ड्योढ़ी से बहरसी अइलइ । नौकरानी ओकर पीछू-पीछू दू गो मोटरी लेले आ रहले हल । ओकन्हीं बाग में गेलइ । बरफीला तूफान शांत नयँ होले हल; तेज हावा मुँह पर थपेड़ा मार रहले हल, मानूँ नवयुवती अपराधिनी के बलपूर्वक रोके के प्रयास करब कर रहल होवे । कठिनाई से ओकन्हीं बाग के अंतिम छोर तक पहुँचते गेलइ । रोड पर स्लेज ओकन्हीं के प्रतीक्षा कर रहले हल । ठिठुरल घोड़वन जगह पर खड़ी नयँ हो पा रहले हल; व्लादिमिर के कोचवान व्यग्र घोड़वन के काबू में रखते स्लेज के बम (shafts) के सामने चहलकदमी कर रहले हल । ऊ सुकुमारी आउ ओकर नौकरानी के बैठे आउ मोटरी रक्खे में मदत कइलकइ, रास पकड़लकइ आउ घोड़वन उड़ चललइ । सुकुमारी के भाग्य के संरक्षण आउ कोचवान तेरेश्का के दक्षता पर सौंपके अब अपन नवयुवक प्रेमी के तरफ मुड़ल जाय ।
पूरा दिन व्लादिमिर के स्लेज में घुमतहीं बितलइ । सुबह में ऊ झादरिनो के पादरी हीं गेलइ; मोसकिल से ओकरा समझा-बुझा पइलकइ; फेर आसपास के जमींदार लोग के बीच गोवाह खोजे लगी गेलइ । पहिला, जेकरा हीं ऊ पहुँचलइ, एगो सेवानिवृत्त चालीस साल के कॉर्नेट द्राविन हलइ जे स्वेच्छा से मान गेलइ । ऊ विश्वास देलइलकइ कि ई साहसिक कार्य ओकरा पहिलौका समय आउ हुस्सार लोग के शरारत के आद देलाब करऽ हइ । ऊ व्लादिमिर के दुपहर के भोजन तक रुक जाय के अनुरोध कइलकइ आउ ओकरा विश्वास देलइलकइ कि बाकी दू गो गोवाह खोजे में कोय दिक्कत नयँ होतइ । वास्तव में, भोजन के तुरते बाद अइलइ मोछैल आउ महमेज ** लगल बूट में सर्वेयर (अमीन) श्मिट (Schmidt) आउ कप्तान-इस्प्राव्निक *** के सोल्लह साल के बेटा, जे हाले में ऊलान **** में योगदान कइलके हल । ओकन्हीं व्लादिमिर के खाली प्रस्तावे के स्वीकार नयँ करते गेलइ, बल्कि ओकरा खातिर अपन जिनगी के बलिदान करे लगी तैयारी के भी कसम खइते गेलइ । भावावेश में ऊ ओकन्हीं के गले लगइलकइ आउ तैयारी करे लगी घर चल गेलइ ।  
अन्हेरा कब के छा चुकले हल । ऊ अपन विश्वासी तेरेश्का के अपन त्रोयका (तीन घोड़ा द्वारा घिंच्चल जाय वला घोड़ागाड़ी) के साथ आउ विस्तृत चरणबद्ध निर्देश (instructions) के साथ नेनारादोवो भेज देलकइ, आउ खुद लगी एक घोड़ा वला छोटकुन्ना स्लेज जोते लगी आदेश देलकइ, आउ अकेल्ले बिन कोचवान के झादरिनो रवाना हो गेलइ, जाहाँ परी दू घंटा के बाद मारिया गव्रीलोव्ना भी आवे वली हलइ । रस्ता ओकरा मालुम हलइ, आउ खाली बीस मिनट के यात्रा हलइ ।
लेकिन व्लादिमिर मोसकिल से गाँव के छरदेवाली (fence) से बहरसी मैदान दने अइलइ कि हावा जोर पकड़ लेलकइ आउ अइसन बरफीला तूफान चालू हो गेलइ कि ओकरा कुछ नयँ देखाय देवे लगलइ । मिनट भर में रस्ता बरफ से ढँक गेलइ; आसपास के सब कुछ धुँधला आउ पीयर कुहरा में गुम हो गेलइ, जेकरा से होके बरफ के उज्जर गोला उड़ रहले हल; आकाश जमीन के साथ मिल गेलइ । व्लादिमिर खुद के मैदान में पइलकइ आउ रोड पर वापिस आवे के व्यर्थ प्रयास कइलकइ; घोड़ा अंदाज से गोड़ आगू बढ़ाब करऽ हलइ आउ मिनट-मिनट पर कभी ऊ बरफ के ढेर पर चल जाय, त कभी गड्ढा में ढुलक जाय; स्लेज मिनट-मिनट पर पलट जाय; व्लादिमिर खाली वास्तविक दिशा नयँ खोवे के प्रयास कर रहले हल । लेकिन ओकरा लगलइ कि आध घंटा से जादे गुजर चुकले ह, आउ ऊ झादरिनो के झुरमुट तक पहुँच नयँ पइलके ह । आउ दस मिनट गुजर गेलइ;
       
*    कपोत - capote - (फ्रेंच) घर में पेन्हल जाय वला औरतानी कोट.
**   महमेज - spur; घुड़सवार के बूट के पीछू लगल एगो दाँतेदार चाहे चिकना पहिया वाला धातु के एक प्रकार के नाल, जे घोड़ा के एड़ी लगाके नियंत्रित करे में काम आवऽ हइ ।
***  कप्तान-इस्प्राव्निक - जिला स्तर के पुलिस चीफ़, जे हुएँ के जमींदार लोग द्वारा चुन्नल जा हलइ ।
**** ऊलान - uhlans; घुड़सवार भालाबरदार.


झुरमुट अभियो नयँ नजर आब करऽ हलइ । व्लादिमिर गहिड़ा गड्ढा (दर्रा) सब से आरपार काटल मैदान से जाब करऽ हलइ । बरफीला तूफान शांत नयँ होब करऽ हलइ, आसमान साफ नयँ हो रहले हल । घोड़वा के थकावट होवे लगलइ, आउ ओकर देह पसेना से तर-बतर हो रहले हल, ई बात के बावजूद कि ऊ मिनट-मिनट पर जाँघ तक बरफ में धँस जा हलइ । आखिर ऊ समझ गेलइ कि ऊ सही तरफ नयँ जाब करऽ हइ । व्लादिमिर रुक गेलइ - सोचे, आद करे, समझे लगलइ आउ ऊ आश्वस्त हो गेलइ कि ओकरा दहिना दने मुड़े के चाही हल। ऊ दहिना दने चल पड़लइ । ओकर घोड़ा मोसकिल से पग आगू बढ़ा पा रहले हल । ओकरा रस्ता पर चलते एक घंटा से जादे हो चुकले हल । झादरिनो नगीच होवे के चाही हल । ऊ  स्लेज से आगू बढ़ते जा रहले हल, आगू बढ़ते जा रहले हल, लेकिन मैदान के कोय अंत नयँ हो रहले हल । बस, खाली बरफ के ढेर आउ दर्रा हलइ; मिनट-मिनट स्लेज पलट जा रहले हल, मिनट-मिनट ऊ ओकरा उठाब करऽ हलइ । समय गुजर रहले हल; व्लादिमिर अत्यंत बेचैन होवे लगलइ ।
आखिरकार एक तरफ कुछ तो कार होते देखाय देवे लगलइ । व्लादिमिर ओद्धिर मुड़लइ । नगीच अइते ऊ एगो झुरमुट देखलकइ । "भगमान के किरपा हइ", ऊ सोचलकइ, "अब नगीच आ गेलूँ ।" ऊ झुरमुट के चक्कर लगइते आगू बढ़लइ, ई आशा करते कि तुरतम्मे जानल-पछानल रोड पर पहुँच जइतइ, चाहे झुरमुट के परिक्रमा कइल जइतइ - झादरिनो ठीक एकर पीछू में हलइ । जल्दीए ओकरा रोड मिल गेलइ आउ शरत्काल में झड़ल पत्ता वला पेड़ सब के बीच से अन्हरवे में गाड़ी घुसइलकइ । हावा हियाँ परी तेज नयँ हलइ; रोड समतल हलइ; घोड़ा के हिम्मत बढ़ गेलइ, आउ व्लादिमिर के चैन पड़लइ ।
लेकिन ऊ गाड़ी से आगू चलते रहलइ, चलते रहलइ, लेकिन झादरिनो नजर नयँ आब करऽ हलइ; झुरमुट के कोय अंत नयँ होब करऽ हलइ । व्लादिमिर ई समझके आतंकित हो गेलइ कि ऊ एगो अनजान जंगल में चल अइले हल । निराशा ओकरा पर हावी हो गेलइ । ऊ घोड़वा के चाबुक लगइलकइ; बेचारा जीव दुलकी चाल से चले लगलइ, लेकिन तुरतम्मे थक्के लगलइ आउ अभागल व्लादिमिर के केतनो जोर लगइला पर भी पनरह मिनट में ऊ एक-एक कदम करके आगू बढ़े लगलइ ।
धीरे-धीरे पेड़ कम होवे लगलइ, आउ व्लादिमिर जंगल से बहरसी अइलइ; झादरिनो कहीं देखाय नयँ दे हलइ। लगभग आधी रात हो चुकले होत । ओकर आँख से अश्रु फूट पड़लइ; ऊ अंदाज से जाय लगलइ । मौसम शांत पड़ गेलइ, बादर बिखर गेलइ आउ ओकरा सामने लहरदार उज्जर दरी से आच्छादित मैदान हलइ । रात काफी साफ हलइ । ओकरा थोड़हीं दूर पर चार या पाँच घर के एगो छोटकुन्ना गाँव देखाय देलकइ । व्लादिमिर गाड़ी ओधरे हँकलकइ । पहिला इज़्बा (लकड़ी के बन्नल झोपड़ी) के पास ऊ स्लेज से उछलके निच्चे उतर गेलइ, खिड़की बिजुन गेलइ आउ ओकरा खटखटावे लगलइ । कुछ मिनट बाद लकड़ी के खिड़की उपरे उठलइ, आउ एगो बुढ़उ अपन उज्जर दाढ़ी बाहर कइलकइ ।
"तोहरा की चाही ?"
"की झादरिनो दूर हइ ?"
"की, झादरिनो दूर हइ ?"
"हाँ, हाँ, दूर हइ ?"
"जादे दूर तो नयँ; कोय दस विर्स्ता होतइ ।"
ई उत्तर सुनके व्लादिमिर अपन सिर के बाल पकड़ लेलकइ आउ बुत नियन खड़ी रहलइ, एगो अइसन अदमी नियन, जेकरा मृत्यु-दंड के निर्णय सुनावल गेले ह ।
"आउ तूँ काहाँ से आ रहलऽ ह ?" बुढ़उ बात जारी रखलकइ ।
व्लादिमिर प्रश्न के उत्तर देवे के हालत में नयँ हलइ ।
"की तूँ, बाबा", ऊ कहलकइ, "झादरिनो पहुँचे खातिर घोड़ा के इंतजाम कर सकऽ ह ?"
"हमन्हीं हीं घोड़ा काहाँ से ?" मुझीक उत्तर देलकइ ।
"अच्छऽ त कोय गाइड मिल सकऽ हइ ? जेतना ऊ चाहतइ, हम भुगतान कर देबइ ।"
"ठहरऽ", शटर निच्चे करते बुढ़उ कहलकइ, "हम तोरा लगी अपन बेटवा के भेज दे हियो; ऊ तोरा साथ जइतो।"
व्लादिमिर इंतजार करे लगलइ । एक्को मिनट नयँ होले हल कि ऊ फेर से खिड़की खटखटावे लगलइ । शटर उपरे उठलइ, दाढ़ी नजर अइलइ ।
"तोरा की चाही ?"
"तोहर बेटवा कन्ने हको ?"
"अभी अइतो, जुत्ता पेन्ह रहलो ह । तूँ शायद ठिठुर गेलऽ होत । अंदर आके जरी गरमाऽ ल ।"
"नयँ, धन्यवाद, जल्दी से अपन बेटवा के भेज द ।"
दरवाजा चरमरइलइ; एगो छोकरा लाठी लेले निकसलइ आउ कभी रस्ता देखइते, त कभी बरफ के ढेरी से ढँक्कल रस्ता खोजते आगू-आगू जाय लगलइ ।
"केतना समय होले होत ?" व्लादिमिर ओकरा पुछलकइ ।
"अब फरीछ होहीं वला हको" , नौजवान मुझीक जवाब देलकइ । व्लादिमिर आगू कोय शब्द नयँ बोललइ ।
मुर्गा बांग देब करऽ हलइ आउ फरीछ हो चुकले हल, जब ओकन्हीं झादरिनो पहुँचते गेलइ । गिरजाघर में ताला लगल हलइ । व्लादिमिर गाइड के भुगतान कइलकइ आउ गाड़ी से पादरी के घर गेलइ । प्रांगण (अहाता) में ओकर त्रोयका नयँ हलइ । कइसन समाचार ओकर इंतजार कर रहले हल !
लेकिन अब हम नेनारादोवो के भला जमींदार के घर चलके देखते जा हिअइ कि हुआँ अभी की हो रहले ह ।
आउ कुछ नयँ ।
बुजुर्ग लोग जग गेते गेलथिन आउ बहरसी अतिथिकक्ष में अइते गेलथिन । गव्रीला गव्रीलोविच रात के टोपी आउ सूती फलालेन जैकेट में, प्रकोव्या पित्रोव्ना रूई के अस्तर लगल ड्रेसिंग गाउन में । सामोवार लावल गेलइ, आउ गव्रीला गव्रीलोविच एगो लड़की (नौकरानी) के मारिया गव्रीलोव्ना के पास ई जाने लगी भेजइलथिन कि ओकर स्वास्थ्य कइसन हइ आउ रात के नीन कइसन अइलइ । लड़की वापिस अइलइ, सूचित कइलकइ कि सुकुमारी बतइलथिन कि उनका रात के ठीक से नीन नयँ अइलइ, लेकिन अभी जरी बेहतर लगऽ हइ आउ अभिए अतिथिकक्ष में आ जइथिन । वास्तव में, दरवाजा खुललइ, आउ मारिया गव्रीलोव्ना अपन प्रिय पापा आउ मम्मी के अभिवादन करे लगी अइलइ ।
"तोर सिर-दर्द कइसन हउ, माशा ?" गव्रीला गव्रीलोविच पुछलथिन ।
"बेहतर हइ, पापा", माशा उत्तर देलकइ ।
"माशा, तोरा शायद कोयला के विषाक्त गैस से अइसे होलो ह", प्रस्कोव्या पित्रोव्ना कहलथिन ।
"हो सकऽ हइ, माय", माशा उत्तर देलकइ ।
दिन तो निम्मन से गुजर गेलइ, लेकिन रात में माशा बेमार पड़ गेलइ । शहर से डाक्टर के बोलावे लगी अदमी भेजल गेलइ । ऊ शाम में अइलइ आउ रोगी के बड़बड़इते पइलकइ । ओकरा तेज बोखार चढ़ गेलइ, आउ बेचारी रोगी दू सप्ताह तक लगभग मृत्यु-मुख में पड़ल रहलइ ।
घर में केकरो प्रस्तावित पलायन के बारे मालुम नयँ हलइ । पूर्वसंध्या पर के लिक्खल पत्र सब के आग के हवाले कर देल गेले हल; मालिक के गोस्सा के डर से ओकर नौकरानी केकरो कुछ नयँ बतइलके हल । पादरी, सेवनिवृत्त कॉर्नेट, मोछैल जमींदार आउ छोटकुन्ना ऊलान चुप हलइ, आउ बिन कारण नयँ । कोचवान तेरेश्का कभियो कुच्छो फालतू नयँ बकलइ, नशा में धुत्त रहलो पर नयँ । ओहे से आधा दर्जन से अधिक षड्यंत्रकारी द्वारा ई रहस्य सुरक्षित रहलइ । लेकिन मारिया गव्रीलोव्ना खुद्दे लगातार के बड़बड़ाहट में अपन रहस्य के खोल देलकइ । तइयो ओकर शब्द एतना असंबद्ध हलइ कि ओकर पलंग से कभियो अलगे नयँ होवे वली माय खाली एतने समझ पइलथिन कि उनकर बेटी व्लादिमिर निकोलायेविच के साथ जी-जान से प्रेमासक्त होल हइ, कि हो न हो, ई प्रेम ही ओकर बेमारी के कारण हइ । ऊ अपन पति आउ कुछ पड़ोसी के साथ राय-मशविरा कइलथिन, आउ आखिरकार सब कोय सर्वसम्मति से निर्णय करते गेलथिन कि ई मारिया गव्रीलोव्ना के भाग्य में शायद एहे बद्दल हइ, कि होनहार होहीं के रहऽ हइ, कि गरीबी कोय गुनाह नयँ हइ, कि धन-दौलत के साथ नयँ बल्कि अदमी के साथ जिनगी गुजारल जा हइ, इत्यादि । नैतिक कहावत ऊ परिस्थिति में आश्चर्यजनक रूप से उपयोगी होवऽ हइ, जब हम सब खुद के स्पष्टीकरण में खुद कम सोच पावऽ हिअइ ।
एहे दौरान सुकुमारी चंगा होवे लगलइ । व्लादिमिर बहुत दिन से गव्रीला गव्रीलोविच के घर में देखाय नयँ दे हलइ । हमेशे नियन (उपेक्षा भाव से) होल स्वागत से ऊ डर गेले हल । ओकरा बोलावे के निर्णय कइल गेलइ आउ ओकरा लगी अप्रत्याशित सौभाग्य के घोषणा करे के  - शादी लगी सहमति । लेकिन नेनारादोवो के जमींदार लोग के कइसन हैरानी होलइ, जब उनकन्हीं के आमंत्रण के जवाब में उनकन्हीं के ओकर अधपगला-पत्र मिललइ ! ऊ उनकन्हीं के बतइलके हल कि ओकर गोड़ कभी उनकन्हीं के घर में नयँ पड़तइ, आउ अभागल के बारे भूल जाय के अनुरोध कइलके हल, जेकरा लगी मौत ही एकमात्र आशा हलइ । कुछ दिन के बाद उनकन्हीं के पता चललइ किव्लादिमिर सेना में भरती हो गेले हल । ई सन् 1812 के घटना हइ [3] ।
लंबा समय तक उनकन्हीं, चंगा हो रहल माशा के ई बात बतावे के हिम्मत नयँ करते गेलथिन । ऊ व्लादिमिर के कभी उल्लेख नयँ कइलकइ । कइएक महिन्ना बाद  बोरोदिनो के लड़ाई [4] में पराक्रमी आउ गंभीर रूप से घायल लोग के सूची में ओकर नाम देखके ऊ मूर्छित हो गेलइ, आउ उनकन्हीं ई बात से आतंकित हो गेते गेलथिन कि कहीं ओकर बोखार वापिस नयँ आ जाय । लेकिन, भगमान के दया से, ई मूर्छा के कोय दुष्परिणाम नयँ होलइ ।
एगो दोसर दुख ओकरा घेर लेलकइ - गव्रीला गव्रीलोविच गुजर गेलथिन, आउ ओकरा पूरा जागीर के उत्तराधिकारिणी छोड़ गेलथिन । लेकिन उत्तराधिकार ओकरा सांत्वना नयँ देलकइ; ऊ (अपन माय) बेचारी प्रस्कोव्या पित्रोव्ना के शोक में दिल से हिस्सा बँटावऽ हलइ, आउ ओकरा से कभी अलग नयँ होवे के कसम खइलकइ; ओकन्हीं दुन्नु नेनारादोवो छोड़ देते गेलइ, जे दुखद स्मृति के जगह हलइ, आउ जागीर *** में रहे लगी चल गेते गेलइ ।
विवाहेच्छुक लड़कन हियों परी विवाह योग्य प्यारी आउ धनी माशा के घेरले रहऽ हलइ; लेकिन ऊ केकरो लेशमात्र आशा भी नयँ देलकइ । ओकर माय कभी-कभार ओकरा खुद लगी एगो जीवन साथी चुन लेवे लगी समझावऽ हलइ; मारिया गव्रीलोव्ना सिर हिला दे हलइ आउ विचारमग्न हो जा हलइ । व्लादिमिर अभी जीवित नयँ हलइ - फ्रेंच लोग के मास्को में प्रवेश के पूर्वसंध्या पर ऊ मर गेले हल । ओकर स्मृति माशा लगी पवित्र लगऽ हलइ; कम से कम ऊ सब कुछ संजोगले हलइ, जे ओकरा आद करे में सहायता कर सकऽ हलइ; ओकर कभी पढ़ल पुस्तक, ओकर चित्रांकन, माशा लगी ओकर नकल कइल संगीत के स्वर आउ कविता । पड़ोसी लोग ई सब जानके ओकर प्रेम-निष्ठा से आश्चर्यचकित हो गेते गेलइ आउ उत्सुकतापूर्वक ऊ हीरो के प्रतीक्षा कर रहते गेले हल, जेकर ई कुमारी अर्तेमिसिया [5] के करुण निष्ठा पर आखिरकार विजय प्राप्त करे के कर्तव्य हलइ।
एहे दौरान युद्ध गौरव के साथ अंत हो गेले हल । हमन्हीं के रेजिमेंट विदेश से वापिस आब करऽ हलइ । लोग ओकन्हीं के स्वागत करे लगी दौड़ब करऽ हलइ । जित्तल गीत के धुन में संगीत बज रहले हल - "Vive Henri-Quatre" [वीव हेन्री-कात्र - (फ्रेंच) हेन्री-चतुर्थ दीर्घायु हो], तिरोली वाल्ज़ आउ जोकोन्द (Joconde) ऑपेरा के धुन [6] । अफसर लोग, जे अभियान पर लगभग किशोरावस्था में गेते गेला हल, युद्धक्षेत्र के हावा में तगड़ा होके आउ पदक लटकइले वापिस आ रहते गेला हल । सैनिक सब आनंदित मुद्रा में आपस में बात कर रहले हल, मिनट-मिनट अपन बातचीत में जर्मन आउ फ्रेंच के शब्द के मिश्रित करते । एगो कभी नयँ भुलाय वला समय ! गौरव आउ भावावेश के समय ! पितृभूमि  शब्द पर रूसी दिल केतना जोर से धड़कऽ हलइ ! मिलन के अश्रु केतना मधुर हलइ ! राष्ट्र-गौरव आउ सम्राट् के प्रति प्यार के भावना के हम सब कइसन सर्वसम्मति से जोड़ देते जा हलिअइ ! आउ उनका लगी कइसन पल हलइ!
नारी, रूसी नारी ऊ बखत अद्वितीय हलइ । ओकन्हीं के हमेशे के उदासीनता गायब हो गेले हल । ओकन्हीं के हर्षातिरेक वस्तुतः आनंददायक हलइ, जब विजेता लोग से मिलते समय ओकन्हीं चिल्ला हलइ - हुर्रा !
आउ हावा में टोपी उछालऽ हलइ [7] ।
ऊ बखत के अफसर लोग में से केऽ नयँ स्वीकार करतइ कि ऊ अपन सर्वोत्तम आउ सबसे अधिक मूल्यवान पुरस्कार लगी रूसी नारी के आभारी हइ ? ...
अइसन उज्ज्वल समय में मारिया गव्रीलोव्ना अपन माय के साथ *** प्रांत में रहऽ हलइ आउ ई नयँ देख पावऽ हलइ कि दुन्नु रजधानी में सेना के वापसी के कइसे उदसो (उत्सव) मनाब करऽ हलइ । लेकिन जिला आउ गाँव में लोग के हर्षातिरेक, शायद, आउ जादे तीव्र हलइ । ई सब स्थान में अफसर के आगमन ओकरा लगी एगो वास्तविक विजय हलइ, आउ फ्रॉक-कोट में एगो (असैनिक) प्रेमी लगी ओकरा सामने भारी गुजरऽ हलइ ।
हम पहिलहीं उल्लेख कर चुकलिए ह कि अपन उदासीनता के बावजूद मारिया गव्रीलोव्ना हमेशे पहिलहीं नियन विवाहेच्छुक लोग से घिरल रहऽ हलइ । किन्तु सबके पीछू हट जाय पड़लइ, जब घायल हुस्सार कर्नल बुर्मीन ओकर किला में अइलइ, अपन काज (buttonhole) में सेंट जॉर्ज के पदक के साथ आउ चेहरा पर मनोहर पीलापन  के साथ, जइसन कि स्थानीय नवयुवती सब कहते जा हलइ । ऊ लगभग छब्बीस साल के हलइ । मारिया गव्रीलोव्ना के गाँव के पास के अपन जागीर पर ऊ अवकाश पर अइले हल । मारिया गव्रीलोव्ना के ऊ बहुत विशेष लगलइ । ओकरा सामने ओकर हमेशे के विचारमग्नता गायब हो जाय आउ ओकरा में सजीवता आ जाय । ई नयँ कहल जा सकऽ हलइ कि ऊ ओकरा साथ अपन भाव-भंगिमा के प्रदर्शन करऽ हलइ; लेकिन एगो कवि ओकर आचरण के देखके कह सकऽ हलइ -
Se amor non è, che dunque?.. [8]
[से आमोर नोन ए, चे दुनक्वे ? (इटैलियन) - अगर ई प्रेम नयँ हइ, त फेर की हइ ? ...]
बुर्मीन वास्तव में एगो बहुत प्रिय नवयुवक हलइ । ऊ बिलकुल ओहे प्रकार के व्यक्ति हलइ, जे नारी जाति के पसीन पड़ऽ हइ - शिष्टाचार आउ अवलोकन के समझ वला, बिन कोय देखावा के आउ बेफिकर होके हँसमुख। मारिया गव्रीलोव्ना के साथ ओकर व्यवहार सहज आउ उन्मुक्त हलइ; लेकिन मारिया कुच्छो कहइ चाहे करइ, ओकर आत्मा आउ दृष्टि ओकरे पीछा करऽ हलइ । ऊ शांत आउ नम्र स्वभाव के लगऽ हलइ, लेकिन अफवाह ई बात के आश्वासन दे हलइ कि कभी तो ऊ लंपट हलइ, लेकिन ई बात मारिया गव्रीलोव्ना के दृष्टि में ओकरा कोय हानि नयँ पहुँचइलकइ, जे (साधारणतः सब्भे नवयुवती नियन) खुशीपूर्वक ओकर ऊ सब हरक्कत के माफ कर दे हलइ, जे ओकर साहस आउ जोश अभिव्यक्त करऽ हलइ ।
लेकिन सबसे अधिक ... (ओकर कोमलता से अधिक, मनोहर बातचीत से अधिक, मनोरम पीलापन से अधिक, पट्टी बन्हल हाथ से अधिक) युवक हुस्सार के चुप्पी सबसे अधिक ओकर उत्सुकता आउ कल्पना के उत्तेजित करऽ हलइ । ऊ ई बात समझले बेगर नयँ रहलइ कि युवक के ऊ बहुत पसीन पड़ऽ हलइ; शायद ओहो अपन बुद्धि आउ अनुभव से ई नोटिस कर चुकले हल कि मारिया ओकरा विशेष समझऽ हलइ - ई कइसे होलइ कि मारिया ओकरा अभी तक अपन गोड़ पर पड़ल नयँ देखलकइ आउ ओकर (प्रेम के) स्वीकारोक्ति अभियो तक नयँ सुनलकइ ? कउची ओकरा रोक रहले हल ? की ई सच्चा प्रेम से अविच्छेद्य (inseparable) लज्जा हलइ, कि गौरव चाहे धूर्त औरतबाज के नाज-नखरा हलइ ? ई ओकरा लगी पहेली हलइ । निम्मन से सोच-विचार करके ऊ निश्चय कइलकइ कि लज्जा एकमात्र एकर कारण हइ, आउ ओकरा अधिक ध्यानपूर्वक हौसला बढ़ावे के निश्चय कइलकइ, आउ परिस्थिति के अनुसार, स्नेहपूर्वक भी । ऊ अत्यंत अप्रत्याशित परिणाम के तैयारी कइलकइ आउ अधीरतापूर्वक रोमानी प्रेम-स्वीकृति के पल के प्रतीक्षा करे लगलइ । रहस्य, चाहे ऊ कइसनो प्रकार के रहइ, हमेशे नारी-हृदय लगी कष्टदायक होवऽ हइ । ओकर दाँव से वांछित सफलता मिललइ - कम से कम बुर्मीन अइसन विचारमग्न हो जा हलइ आउ ओकर करिया आँख मारिया गव्रीलोव्ना पर अइसन उद्दीप्त रूप में जम जा हलइ कि लगइ, निर्णायक पल नगीच आ चुकले ह । पड़ोसी लोग तो विवाह के बारे में एगो पक्का हो चुकल बात के रूप में बोलते जा हलइ, आउ नेकदिल प्रस्कोव्या पित्रोव्ना के ई बात से खुशी होवऽ हलइ कि ओकर बेटी के आखिरकार योग्य वर मिल गेलइ ।
बूढ़ी एक दिन अतिथि-कक्ष में ग्राँद-पाश्याँस (grande patience, ताश के एगो खेल) खेल रहला हल, जब बुर्मीन कमरा के अंदर प्रवेश कइलकइ आउ तुरते मारिया गव्रीलोव्ना के बारे पुछलकइ ।
"ऊ बाग में हको", बूढ़ी उत्तर देलथिन, "ओकरा पास जा, आउ हम तोहर हियाँ परी इंतजार करबो ।"
बुर्मीन चल गेलइ, आउ बूढ़ी क्रॉस कइलका आउ सोचे लगला - "शायद मामला आझे तय हो जइतइ !"
बुर्मीन मारिया गव्रीलोव्ना के पोखरा के पास पइलकइ, जे एगो भिसा (willow) वृक्ष के निच्चे हाथ में किताब लेले उज्जर पोशाक में कोय उपन्यास के वास्तविक नायिका लग रहले हल । पहिला कुछ प्रश्न के बाद मारिया गव्रीलोव्ना जान-बूझके बातचीत के जारी रक्खे लगी बंद कर देलकइ, आउ ई तरह से आपसी परेशानी बढ़ा देलकइ, जेकरा से वास्तव में अचानक आउ निर्णायक प्रेम-निवेदन द्वारा हीं छुटकारा मिल सकऽ हलइ । आउ अइसीं होलइ - बुर्मीन अपन विकट स्थिति के अनुभव करते घोषणा कइलकइ कि बहुत दिन से अइसन संयोग के प्रतीक्षा कर रहले हल ताकि ऊ ओकरा सामने अपन दिल खोल सकइ, आउ कुछ समय ध्यान देवे लगी निवेदन कइलकइ । मारिया गव्रीलोव्ना किताब बंद कर देलकइ आउ सहमति के रूप में आँख निच्चे कर लेलकइ।
"हम अपने के प्यार करऽ हिअइ", बुर्मीन कहलकइ, "हम अपने के दिलोजान से प्यार करऽ हिअइ ..." (मारिया गव्रीलोव्ना के चेहरा लाल हो गेलइ आउ ऊ अपन सिर आउ निच्चे कर लेलकइ ।) "हम असावधानी में व्यवहार कइलिअइ कि खुद के एगो मधुर हिसका (आदत) में डाल देलिअइ, अपने के रोज दिन देखे आउ सुन्ने के हिसका..." (मारिया गव्रीलोव्ना के St. Preux [9] के पहिला पत्र के आद पड़लइ ।) "अभी हमरा अपन किस्मत से लड़े खातिर बहुत देर हो चुकले ह; अपने के बारे आद, अपने के प्रिय अनुपम छवि अब से हमर जिनगी के यातना आउ आनंद होतइ; लेकिन हमरा अभियो एगो भारी उत्तरदायित्व पूरा करे के हइ, अपने के सामने एगो भयंकर रहस्य खोले के हइ आउ हमन्हीं बीच एगो अलंघ्य बाधा खड़ी करे के हइ ..."
"ई बाधा हमेशे अस्तित्व में हलइ", मारिया गव्रीलोव्ना सजीवता से बीच में बात काटते बोललइ, "हम कभियो अपने के पत्नी नयँ बन सकऽ हलिअइ ..."
"जानऽ हिअइ", ऊ ओकरा शांतिपूर्वक उत्तर देलकइ, "जानऽ हिअइ कि कभी अपने प्यार करऽ हलथिन, लेकिन मौत आउ तीन साल के शोक ... दयालु आउ प्रिय मारिया गव्रीलोव्ना ! हमरा ई आखरी सांत्वना से वंचित करे के प्रयास नयँ करथिन - ई विचार कि अपने हमरा सुखी बनावे लगी सहमत हो सकऽ हलथिन, अगर  ... अपने चुप रहथिन, भगमान के वास्ते, चुप रहथिन । अपने हमरा यातना देब करऽ हथिन । हाँ, हम जानऽ हिअइ, हम अनुभव करऽ हिअइ कि अपने हम्मर हो सकऽ हलथिन, लेकिन -- हम एगो सबसे अभागल जीव हिअइ ... हम विवाहित हिअइ !"
मारिया गव्रीलोव्ना ओकरा दने हैरत से नजर डललकइ ।
"हम विवाहित हिअइ", बुर्मीन बात जारी रखलकइ, "हमर विवाह होल चार साल हो गेलइ आउ हमरा ई नयँ मालुम कि केऽ हमर पत्नी हइ, ऊ काहाँ हइ, आउ हमर ओकरा से कभी भेंट होवो करतइ कि नयँ !"
"अपने की बोल रहलथिन हँ ?" मारिया गव्रीलोव्ना आश्चर्य के उद्गार प्रकट कइलकइ, "ई केतना विचित्र बात हइ ! बात जारी रखथिन; हम बाद में बतइबइ ... लेकिन अपने बात जारी रखथिन, किरपा करथिन ।"
"सन् 1812 के शुरू में", बुर्मीन कहलकइ, "हम विल्नो पहुँचे के जल्दी में हलिअइ, जाहाँ परी हमन्हीं के रेजिमेंट हलइ । एक रोज देर रात के डाक स्टेशन पहुँचके हम जल्दी से जल्दी घोड़ा जोते के औडर देवे कइलिए हल कि अचानक बरफीला तूफान उठलइ, आउ स्टेशन मास्टर आउ कोचवान लोग हमरा तूफान शांत पड़े तक इंतजार करे के सलाह देते गेलइ । हम ओकन्हीं के बात मान लेलिअइ, लेकिन एगो अबोध बेचैनी हमरा पर हावी हो गेलइ; हमरा लग रहले हल कि कोय तो हमरा ढकेल रहल ह । ई दौरान तूफान के जोर कम नयँ होलइ; हम खुद के रोक नयँ पइलिअइ, फेर से घोड़ा जोते लगी औडर देलिअइ आउ ठीक तूफाने में चल पड़लिअइ । कोचवान के दिमाग में नदी के किनारे-किनारे गाड़ी ले जाय के विचार अइलइ, जेकरा से हमन्हीं के रस्ता तीन विर्स्ता से कम हो जइते हल । नदी के तट बरफ से आच्छादित हलइ; कोचवान ऊ जगह से गुजर गेलइ, जाहाँ परी से रोड पर पहुँचल जा सकऽ हलइ, आउ ओहे से हमन्हीं एगो अनजान क्षेत्र में चल गेलिअइ । तूफान बंद नयँ होलइ; हमरा रोशनी देखाय देलकइ आउ ओद्धिर गाड़ी ले जाय के औडर देलिअइ । हमन्हीं एगो गाँव में पहुँचलिअइ; लकड़ी के बन्नल गिरजाघर में रोशनी हलइ । गिरजाघर खुल्लल हलइ, बाड़ के अंदर कइएक स्लेज खड़ी हलइ; (गिरजाघर के) ड्योढ़ी से होके लोग आब-जाब करऽ हलइ । " एन्ने आवऽ ! एन्ने आवऽ !" कइएक अवाज चिल्लइलइ । हम कोचवान के पास चल्ले के औडर देलिअइ । "अरे भाय, तूँ काहाँ रह गेलऽ हल?" कोय तो हमरा पुछलकइ, "दुलहिन तो मूर्छित हइ; पादरी के तो समझ में नयँ आ रहले ह कि की कइल जाय; हम सब तो वापिस जाय वला हलिअइ । जल्दी से बाहर आवऽ न ।" हम स्लेज से चुपचाप कूदके निच्चे उतर गेलिअइ आउ गिरजाघर में प्रवेश कइलिअइ, जेकरा में दू-तीन मोमबत्ती से मद्धिम-मद्धिम रोशनी हलइ। एगो लड़की गिरजाघर के अन्हार कोना में एगो बेंच पर बैठल हलइ; आउ एगो दोसर लड़की ओकर कनपट्टी सहलाब करऽ हलइ ।
"भगमान के किरपा", ऊ कहलकइ, "आखिर तो अपने आ गेलथिन । अपने तो सुकुमारी के लगभग जाने ले लेलथिन हल ।"
वृद्ध पादरी हमरा भिर अइलइ आउ पुछलकइ - "की शुरू कइल जाय ?"
"शुरू करथिन, शुरू करथिन, फ़ादर", हम अन्यमनस्कता से उत्तर देलिअइ ।
लड़की के उठावल गेलइ । ऊ हमरा देखे में काफी सुंदर लगलइ ... विचित्र आउ अक्षम्य छिछोरापन ... हम बेदी में ओकर बगल में खड़ी हो गेलिअइ; पादरी शीघ्रता कर रहले हल; तीन पुरुष आउ नौकरानी दुलहिन के सहारा देले हलइ आउ खाली ओकरे में व्यस्त हलइ । हमन्हीं दुन्नु के विवाह हो गेलइ ।
"एक दोसरा के चुंबन लेते जाथिन", हमन्हीं के कहल गेलइ । हमर पत्नी अपन पीयर चेहरा हमरा दने कइलकइ। हम ओकरा चुमहीं जाब करऽ हलिअइ ... ऊ चिल्ला उठलइ - "अरे, ई तो ऊ नयँ हइ ! ऊ नयँ हइ !" - आउ बेहोश होके गिर पड़लइ । गोवाह सब अपन भयभीत दृष्टि से हमरा एकटक देखे लगलइ । हम मुड़लिअइ, बिन कोय बाधा के हम गिरजाघर से निकस गेलइ, किबित्का में झट से बैठ गेलिअइ आउ चिल्लइलिअइ - "चल !"
"हे भगमान !" मारिया गव्रीलोव्ना चिल्ला उठलइ, "आउ अपने के मालुम नयँ कि अपने के बेचारी पत्नी के की होलइ ?"
"मालुम नयँ", बुर्मीन उत्तर देलकइ, "हमरा नयँ मालुम कि ऊ गाँव के की नाम हइ, जाहाँ हमर शादी होलइ; हमरा आद नयँ कि कउन डाक स्टेशन से हम रवाना होलिअइ । ऊ बखत हम अपन अपराधपूर्ण शरारत के एतना कम महत्त्व दे हलिअइ कि गिरजाघर से गाड़ी में रवाना होला पर हमरा नीन आ गेलइ आउ दोसरा दिन सुबह में हमर नीन टुटलइ, जब हम तेसरा स्टेशन पहुँच चुकलिए हल । ऊ नौकर, जे तखने हमरा साथ हलइ, अभियान के दौराने मर गेलइ, ओहे से हमरा कोय आशा भी नयँ हइ कि ओकरा हम ढूँढ़ सकबइ, जेकरा साथ हम एतना क्रूरतापूर्वक मजाक कइलिअइ आउ जेकरा पर अब एतना क्रूरतापूर्वक बदला लेल गेले ह ।"
"हे भगमान, हे भगमान !" ओकर हाथ पकड़के मारिया गव्रीलोव्ना कहलकइ, "त ई अपने हलथिन ! आउ अपने हमरा नयँ पछानऽ हथिन ?"
बुर्मीन के चेहरा पीयर पड़ गेलइ ... आउ ओकर गोड़ पर गिर पड़लइ ...
टिप्पणी:
[1] झुकोव्स्की - रूसी कवि, अनुवादक आउ राजकीय परिवार के निजी शिक्षक वसिली अन्द्रेयेविच झुकोव्स्की (1783-1852) पुश्किन के मित्र आउ परामर्शदाता हलथिन ।
[2] तूला - मास्को से लगभग 193 कि.मी. दक्षिण में ऊपा नदी के किनारे बसल एगो शहर, जे बारहमी शताब्दी से हीं धातुशिल्प (सामोवार, छूरी, काँटा, चम्मच, अग्नि-शस्त्र, मुहर), अदरक ब्रेड आउ अकॉर्डियन लगी प्रसिद्ध हलइ ।
[3] 1812 - 24 जून 1812 के नैपोलियन अपन विशाल सेना के नेमेन नदी पार करे के औडर देलकइ आउ रूस पर फ्रेंच आक्रमण चालू होलइ ।
[4] बोरोदिनो - मास्को से लगभग 120 कि.मी. पश्चिम में एगो गाँव (अभी शहर), जाहाँ परी 26 अगस्त (ग्रिगोरियन कैलेंडर के अनुसार 7 सितंबर) 1812 के नैपोलियन के विशाल सेना आउ रूसी सेना के बीच एगो बहुत घातक लड़ाई होले हल, जेकरा में कम से कम 70 हजार सैनिक मारल गेले हल ।
[5] अर्तेमिसिया - कारिया के अर्तेमिसिया (ग्रीक - Ἀρτεμισία ; मृत्यु 350 ई॰पू॰) अपन पति (आउ भाई) मौसुलुस के मौत के बाद 353 से 351 ई॰पू॰ तक राज्य कइलके हल । इतिहास में ऊ अपन पति के मौत पर असाधारण शोक करे लगी प्रसिद्ध हइ । रोज दिन  ऊ अपन पेय में पति के राख के मिलाके पीयऽ हलइ आउ अपन दू साल के शासन के दौरान शोक में धीरे-धीरे अपन देह के क्षीण करते गेले हल ।
[6] "Vive Henri-Quatre" . . . Joconde - गीत "Vive Henri-Quatre" (हेन्री चतुर्थ दीर्घायु हो) राजा हेन्री चतुर्थ (1553-1610) के समय के हीं हइ । फ्रेंच नाटककार चार्ल्स कोल (1709-1783) के हास्य नाटक "हेन्री चतुर्थ के शिकार पार्टी" (1770) में ई दोबारा लोकप्रियता प्राप्त कइलकइ । फ्रेंच कैदी लोग द्वारा "युद्ध आउ शांति" के अंत में गावल जा हइ । जोकोन्द (1814) फ्रेंच-माल्टीज़ संगीतकार निकोलो इसोउआर (Nicolo Isouard) (1773-1818) के हास्य ऑपेरा हइ ।
[7] "आउ हावा में टोपी उछालऽ हलइ" -  रूसी कवि, नाटककार आउ राजनीतिज्ञ अलिक्सांद्र ग्रिबऽयेदव (1795-1829) के नाटक "गोरे आत ऊमा" (बुद्धि से शोक) (1825)  में से एक पंक्ति (अंक-2, दृश्य-5)।
[8] Se amor non è, che dunque?.. - इटैलियन विद्वान आउ कवि फ़्रान्सेस्को पेत्रार्का (1304-1374) के काव्य "कान्ज़ोन्येरे" (गीतपुस्तक) से चतुर्दश-पदी (sonnet) सं॰132 के प्रारंभिक शब्द; संपूर्ण पंक्ति हइ - "S'amor non è, che dunque e quel ch'io sento?" (अगर ई प्यार नयँ हइ, त फेर ई की हइ जे हम अनुभव करऽ हिअइ ?)

[9] St. Preux - जाँ-जाक रूसो (Jean-Jacques Rousseau) (1712-1778) के पत्रात्मक (epistolary) उपन्यास “Julie, ou fa nouvelle Héloïse” (1761) में एगो पात्र के नाम, जे मध्यम वर्ग के एगो प्राइवेट शिक्षक हइ, आउ जे अपन अभिजातवर्गीय (aristocratic) छात्रा जूली के साथ प्रेमासक्त हो जा हइ ।  

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